जिस दिन आपको यह समझ आ जाएगा कि “मानुष जन्म दुर्लभ है” उस दिन आत्महत्या करने के बारे में नहीं बल्कि नए सिरे से जीवन को जीने के बारे में सोचोगे। आत्महत्या करने के लाखों कारण और तरीके हो सकते हैं परंतु हम इस गलत तरीके से आपको मौत को गले लगाने नहीं देंगे। आपको जीवन को नए सिरे से जीने का सतमार्ग दिखाएंगे। आपको किसी हमदर्द और हमदर्दी की नहीं बल्कि जीवन का महत्त्व बताने वाले सतगुरू की आवश्यकता है।
क्या आपको याद है कि जब आप मां के गर्भ में नौ महीने थे जब आपका कच्चा शरीर था , परमात्मा ने माता पिता के संयोग से पानी की एक बूंद से आपका शरीर बनाया। आपका कितना सुन्दर शरीर है जिसे आप जी थोड़ी सी परेशानी आने और चिंता होने पर समाप्त करने के बारे में सोचते हैं।
एक बार गहनता से विचार करें:
कबीर, थे ऊपर ने पैर तले ने सिर तेरा
रोवे था के भजन करूंगा हर तेरा।।
मां के पेट में दिन रात चक्कर काटते हुए कहता था कि हे परमात्मा! मुझे इस नरक से बाहर निकालो मैं दिन रात आपका भजन करूंगा और अब तकलीफ़ आने पर जीवन अंत करना चाहता है। तू उस परमात्मा को याद कर जिसने नौ महीने मां के गर्भ में तेरी पल पल रक्षा की थी। तू उस पालनहार को याद कर वो तुझे यूं मरने नहीं देगा।
क्या कहती है डब्ल्यू एच ओ की रिपोर्ट
साल 2018 में आई WHO की रिपोर्ट के अनुसार भारत में खुदकुशी महामारी का रूप लेती जा रही है। विश्व के शीर्ष 20 देश, जहां लोग हर पल अपनी जान देने को उतारू रहते हैं, उनमें भारत भी शुमार है। हर 40 सेकेंड में एक शख्स कहीं न कहीं अपने हाथों से अपनी जिंदगी खत्म कर देता है।
आत्महत्या को रोका जा सकता है
नानावटी सुपर स्पेशैलिटी अस्पताल के कंसल्टिंग क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. शर्मिला बनवट के अनुसार, “हर आत्महत्या को रोका जा सकता है।”
आज के समय में कौन दुखी नहीं है?
आज के दौर में सभी परेशान हैं , सभी को किसी न किसी प्रकार की चिंता या कोई बीमारी है। कोई धन की कमी से दुखी है तो कोई किसी अन्य कारण से परंतु इस का मतलब यह नहीं कि इन परिस्थितियों का अंत केवल आत्महत्या से ही निकलेगा। धन नहीं है तो मेहनत करो और बीमारी है तो इलाज करवाओ। धन के अभाव में मदद मांगो और बीमारी का सही डाक्टर से इलाज करवाओ और यदि फिर भी बात न बने तो पूर्ण संत की तलाश करो जो तन, मन, आत्मा का रक्षक और धन, संतान , संपत्ति का दाता है। वह मनुष्य की हर परेशानी को दूर करने में सक्षम है।
- आखिर आत्महत्या की नौबत क्यों आती है?
- क्या आत्महत्या करने से समस्या का निदान हो जाता है?
- हमारी सलाह है कोई भी आत्महत्या न करे और समस्या का समाधान खोजें और पूर्ण परमात्मा पर आश्रित रहें।
चिंता चिता समान है, चिंता जग की पीर
जो चिंता को समेट दे ताका नाम कबीर।।
आत्महत्या करने वाले के परिवार को मिलता है गहरा सदमा
सुबह जब राजू की मां उसे जगाने कमरे में गई तो देखा उसका शरीर पंखे से लटक रहा था। राजू ने दसवीं में तैंतीस प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे। अंकों से नाखुश हो उसने आत्महत्या करना ज़्यादा बेहतर समझा। जबकि उसके माता-पिता ने उसे कोई उलाहना और डर नहीं दिखाया था। उसकी मां का रो रो कर बुरा हाल है। बेहतर होता यदि समय पर राजू माता पिता से खुलकर अपने दिल और डर की बात करता। ऐसा कोई कदम कभी न उठाएं जिससे आप तो बच कर निकल जाएं और जिन्हें आप पीछे छोड़ कर जा रहे हैं वह ताउम्र आपकी याद में रो रो कर रोज़ मरते रहें। याद रखें समस्या है तो समाधान निश्चित रूप से मौजूद है।
आत्महत्या कभी न करें?
इंसान अपने जीवन में कई प्रकार की समस्याओं का सामना करता है जैसे कि धन की कमी, शारीरिक और मानसिक दु:ख एवं अन्य पारिवारिक कलह और सामाजिक समस्याएं जैसे दहेज , गृहक्लेश ,नशे की लत, ताने, आत्मविश्वास की कमी, नौकरी न मिल पाना, संतान न होना , भूत प्रेत बाधा आदि यह सभी परेशानियां कभी कभी जटिल समस्या का रुप ले लेती हैं और इंसान इन समस्याओं का जब कोई समाधान नहीं प्राप्त कर पाता तो वह अंत में आत्महत्या करने जैसा गलत कदम उठाने में भी नहीं हिचकिचाते हैं जो उनके जीवन के साथ साथ परिवार को भी बर्बाद कर देता है।
आत्महत्या से बचाव के लिए कृपया यह फॉर्म भरें:
आत्महत्या करने वाला यह सोचता है कि वह सांसारिक, मानसिक और शारीरिक समस्याओं से पीछा छुड़ा कर जा रहा है परंतु वह अपने पीछे कभी न भरने वाला खालीपन और परिवार के लिए पश्चाताप छोड़ जाता है। सुख-दुख जीवन में बारी बारी से आते जाते रहेंगे परंतु एक बार जीवन हाथ से चला गया तो फिर नहीं मिलेगा।
क्या आप जानते हैं आत्महत्या करना महापाप है?
आत्महत्या करना महापाप है क्योंकि मनुष्य जीवन मिलना अत्यंत दुर्लभ होता है। कबीर साहेब ने अपनी वाणी में कहा है कि:
मानुष जन्म दुर्लभ है, ये मिले न बारम्बार।
जैसे तरुवर से पत्ता टूट गिरे, बहुर न लागे डार।
यानि जिस प्रकार पेड़ की डाल से पत्ता टूट कर गिर जाता है और वह पुन: उस पेड़ पर ज्यों का त्यों नहीं लग सकता , ठीक इसी प्रकार मनुष्य जीवन समाप्त होने के बाद यह फिर से मिलना अत्यंत दुर्लभ होता है क्योंकि सतभक्ति के अभाव में व्यक्ति ने पाप कर्म के कारण आत्महत्या करने जैसा महापाप किया।
गरूड़ पुराण के अनुसार आत्महत्या करने वाला व्यक्ति भूत योनि में भटकता रहता है उसकी मुक्ति नहीं हो पाती। जबकि मनुष्य जन्म का उद्देश्य सांसारिक कर्म करते हुए सतभक्ति करना होता है तथा मोक्ष की प्राप्ति मूल उद्देश्य है।
जो इंसान अपने जीवन को आत्महत्या करके समाप्त करता है वह महापाप का भागी होता है ऐसे इंसान को भगवान कभी माफ नहीं करता क्योंकि परमात्मा की दया और पिछले पुण्य कर्मों से मनुष्य जीवन मिलता है और मनुष्य जीवन केवल पूर्ण परमात्मा की सतभक्ति और सत्कर्म करने के लिये मिलता है जिनको न करने के कारण और अपनी समस्याओं में उलझकर इंसान आत्महत्या करके महापाप का भागी हो जाता है। संत रामपाल जी महाराज बताते हैं कि आत्महत्या और हत्या करना महापाप है यह घोर अपराध हैं ऐसे कर्म करने वाले को नरक में घोर सज़ा दी जाती है।
जानें कैसे आत्महत्या के विचारों को दूर करें?
आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकती। आत्महत्या करने से इंसान अपना तो जीवन समाप्त कर लेता है लेकिन साथ ही साथ अपने परिवार की सुख, शांति और अपने जीवन के मूल उद्देश्य की भी हत्या कर देता है। स्वार्थी व्यक्ति ही केवल आत्महत्या कर सकता है जिसे या तो अपनों की परवाह नहीं और केवल खुद का दुख ही दिख रहा होता है। इंसान को आत्महत्या करने की बजाय समस्या का समधान ढूंढने का प्रयास करना चाहिये। समाधान न मिल पाने की स्थिति में भी आत्महत्या जैसे गंभीर कदम को कभी न उठाएं। दृढ़ निश्चय और संकल्प से स्थिति को टालने का प्रयास करें। संतों की संगत करें,सत्संग सुनें और पुस्तक ‘जीने की राह’ पढ़ें जिसे पढ़ने से आपके विचार शुद्ध होंगे और आप में नवजीवन का संचार होगा।
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कैसे करें आत्महत्या करने से अपना बचाव
यह बात आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि यदि इंसान अपने जीवनकाल में पूर्ण परमात्मा की भक्ति करता है तो उसके जीवन में आने वाली समस्या व परेशानियां हल्के में टल जाती हैं । सतभक्ति करने वाला मनुष्य जीवन को अनमोल समझ कर पाप और पुण्य तोलता है और अपने मन को विकारों से दूर रखता है। समस्या आने पर परमात्मा से समाधान की आशा और उम्मीद रखता है और खुशी की बात यह है कि परमात्मा पर उसका अटूट विश्वास कभी उसे डगमग नहीं होने देता। नकारात्मक विचार उसके मन मस्तिष्क पर हावी नहीं होते। पूर्ण परमात्मा अपने भक्त और शिष्य की पग- पग पर रक्षा करता है। यह बात अटल सत्य है कि पूर्ण परमात्मा की सतभक्ति करने से इंसान के हर प्रकार के असहनीय से असहनीय शारीरिक और मानसिक कष्टों का निवारण होता है।
सतभक्ति से हर प्रकार की समस्याओं का अंत निश्चित है
मनुष्य के जीवन में आने वाली प्रत्यक्ष – अप्रत्यक्ष , गंभीर और बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान सतभक्ति से शत प्रतिशत संभव है। केवल वही मनुष्य आत्महत्या या खुदकुशी कर सकता या करता है जो पूर्णसंत या पूर्ण परमेश्वर कबीर जी की भक्ति से वंचित होता है।
अधिकतर मनुष्यों को सतभक्ति की जानकारी नहीं होती लेकिन आज वर्तमान में सतभक्ति क्या है? कैसे की जाती है? इसका भेद खुल गया है । सतभक्ति का अर्थ होता है पूर्ण परमात्मा ( सबका मालिक एक ) को पहचान कर तत्त्वदर्शी संत द्वारा नामदीक्षा ग्रहण करके मर्यादा में रहकर भक्ति करना, क्योंकि केवल पूर्ण परमात्मा ही सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान कर सकता है और उनको दूर भी तुरंत कर देता है । बड़ी से बड़ी शारीरिक , मानसिक बीमारी और महामारी का भी अंत सतभक्ति से संभव है चाहे कैंसर हो या कोरोना। यदि इंसान पूर्ण परमात्मा कबीर जी की सतभक्ति संत रामपाल जी महाराज जी से प्राप्त करके मर्यादा में रहकर करता है तो समस्या जड़ से समाप्त हो जाती है ।
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आत्महत्या करने से कभी दुःख दूर नहीं हो सकता। इससे सिर्फ शरीर ही नष्ट होता है, क्योंकि इस सृष्टि का विधान है कि पाप कर्म का फल चाहे किसी भी जन्म में हो भोगना ही पड़ेगा। पाप कर्म सिर्फ पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब की सतभक्ति से ही कट सकते हैं।
जानिए मनुष्य जन्म का मूल उद्देश्य क्या है?
मनुष्य देह 84 लाख योनियों में कष्टप्रद जीवन भोगने के बाद प्राप्त होती है और इस देह का मुख्य उद्देश्य सद्भक्ति करके मोक्ष प्राप्त करना है। श्रीमद्भागवत में गीता ज्ञान दाता (काल/ज्योति निरंजन) अर्जुन से मनुष्य देह के उद्देश्य के बारे में कह रहा है,
हे अर्जुन! मनुष्य जन्म का प्रधान उद्देश्य मोक्ष प्राप्त करना है और ये मोक्ष केवल मनुष्य योनि द्वारा ही प्राप्त हो सकता है। इसलिए मनुष्य के शरीर को मोक्ष का द्वार कहा जाता है। हे अर्जुन! मानव शरीर बड़ी मुश्किल से मिलता है। इसे यूं ही गंवाना नहीं चाहिए। देवता भी मानव शरीर को पाने के लिए तरसते हैं परन्तु मनुष्य की विडंबना यही है कि वो इस शरीर को अर्थात मोक्ष के अवसर को गंवाता रहता है। यदि सतभक्ति और तत्वज्ञान नहीं मिला तो मनुष्य जीवन व्यर्थ चला जायेगा। फिर कुत्ते, गधे, सुअर, शेर इत्यादि 84 लाख योनियों में भटकना पड़ेगा।
यह मनुष्य जन्म हमें 84 लाख प्रकार के प्राणियों के जीवन में महाकष्ट झेलने के बाद प्राप्त होता है और यह केवल हमें सतभक्ति करके इस गंदे लोग से छुटकारा पाने के लिए ही मिलता है। कुछ लोग चिंता में पड़कर आत्मघात करके मनुष्य जीवन को बर्बाद कर देते हैं। जिस मनुष्य जन्म के लिए देवी देवता भी तरसते हैं वह आज हमें बिलकुल आसानी से प्राप्त है लेकिन आज हम इस मनुष्य जन्म की कीमत नहीं समझ रहे। लेकिन मृत्यु के पश्चात जब धर्मराज के दरबार में खड़े किए जाओगे और उसके बाद नरक और फिर 84 लाख में डाल दिए जाओगे तब हमें इस मनुष्य जन्म की कीमत समझ में आएगी।
आत्म हत्या करने से पहले करें इन बिंदुओं पर करें विचार
- आत्महत्या करने से समस्या का समाधान नहीं होता। बल्कि आत्महत्या से तो अनमोल मानव जीवन नष्ट हो जाता है।
- आत्महत्या कोई समाधान नहीं।
- इंसान के जीवन में आत्महत्या का मुख्य कारण दुख या मानसिक तनाव होता है। दुख या मानसिक तनाव को पूर्ण परमात्मा की सतभक्ति से ही समाप्त किया जा सकता है। अन्य कोई समाधान नहीं है।
सतभक्ति करना है मूल कर्तव्य
प्रत्येक मनुष्य के जीवन का मूल कर्तव्य तत्वदर्शी संत ( सच्चे संत ) से नाम उपदेश लेकर पूर्ण परमात्मा कबीर जी की भक्ति करना है। सतभक्ति से हर प्रकार की समस्याओं का अंत निश्चित होता है इसलिये मनुष्य अपने जीवन में तत्वदर्शी संत की खोज करके पूर्ण परमात्मा की सतभक्ति शुरू करके असमय आने वाली मृत्यु और उसके भय से मुक्त होकर जीवन व्यतीत कर सकता है।
तत्वदर्शी संत कौन होता है ?
तत्वदर्शी संत को पूर्णगुरु , बाखबर , सच्चा सतगुरू, जगतगुरु आदि अन्य नामों से जाना और पुकारा जाता है और जिसकी भूमिका करने पूर्ण परमात्मा स्वंय ही पृथ्वी पर आते हैं। वह सभी धर्मो के पवित्र सदग्रंथों जिनमें चार वेद, छ: शास्त्र, श्रीमद्भागवत गीता , कुरानशरीफ़ , बाईबल , गुरुग्रंथ साहेब आदि मुख्य होते हैं तथा यह प्रमाणित सत्य ज्ञान समाज के लोगों को प्रदान करता है।
पूर्णसंत अपने अनुयायियों को जो सतभक्ति प्रदान करता है उसमें अद्भुत आध्यात्मिक शक्ति होती है जिससे साधक के हर प्रकार के रोग, कष्ट, चिंता और समस्याओं का समाधान होता है इसलिये ही इंसान भगवान, अल्लाह, रब ,गॉड की इबादत करता है कि उसकी हर प्रकार की समस्या का समाधान हो सके।
वर्तमान में पूर्ण गुरु बाखबर अर्थात तत्वदर्शी संत कौन है?
आज वर्तमान में इस धरती पर तत्वदर्शी संत ( पूर्ण संत , बाखबर ) कोई और नहीं बल्कि संत रामपाल जी महाराज जी हैं जो सर्व पवित्र सदग्रंथों के आधार से प्रमाणिक ज्ञान भक्त समाज को प्रदान कर रहे हैं जिससेे उनके हर प्रकार के रोग कष्टों और परेशानियों का जड़ से समाधान हो रहा है । संत रामपाल जी महाराज जी एकमात्र तत्त्वदर्शी संत हैं जिनका ज्ञान वेदों और अन्य धार्मिक पुस्तकों पर आधारित है। संत रामपाल जी का ज्ञान समझने के बाद आत्महत्या जैसे कुविचार आपको मौत के मुंह में जाने से बचाएंगे।
अज्ञानता तथा सामाजिक कुरीतियों जैसे दहेज के कारण न जाने कितनी बेटियां आत्महत्या कर लेती हैं। परंतु संत रामपाल जी महाराज के सत्संग वचन सुनकर कई उजड़े परिवार हंसी खुशी जीवन व्यतीत कर रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज के बताये आध्यात्मिक ज्ञान से आज लाखों व्यक्तियों को जीने की नई राह मिली है। संत जी के बताये आध्यात्मिक ज्ञान से उनके सभी अनुयायी मानसिक तनाव, गृह कलेश, दहेज, नशा आदि समस्याओं से कोसों दूर हो चुके हैं। अपना जीवन नष्ट करने की बजाय उसे संत जी से नाम दीक्षा लेकर सार्थक बनाएं और मोक्ष पाएं। यदि सुख से जीवन जीना है तो पूर्ण संत रामपाल जी महाराज जी से नाम उपदेश लेकर सतभक्ति करनी चाहिए।
विश्व के सभी प्राणियों को संत रामपाल जी महाराज जी के ज्ञान को जल्द समझ कर सतभक्ति ग्रहण करनी चाहिए ताकि मनुष्य जीवन को बचाया जा सके। अनमोल जीवन को कैसे बचाएं यह जानकारी प्राप्त करने के लिए हमें निम्नलिखित नंबर पर काॅल करें: 7496 801 825