January 18, 2025

मृत्युभोज छोड़ संत रामपाल जी के भक्त ने किया गरीबों का मुफ़्त इलाज

Published on

spot_img

ओड़िसा के सम्बलपुर जिले के एक गाँव के रहने वाले संत रामपाल जी के शिष्य एक अक्षय दास ने एक नई मिसाल कायम की। उनके पिताजी गणेश दास जी के निधन पर मृत्यु भोज देने, मुंडन कराने जैसे कर्म कांडों के स्थान पर 11 दिनों तक अत्यंत निर्धन व गरीब, असहाय तथा दिव्यांग लोगों का इलाज और साथ में मुफ़्त दवाएं देने का कार्य प्रारंभ कर किया। अपने सतगुरु परमात्मा के आदेश से किए इस कार्य की सोशल मीडिया पर प्रशंसा हो रही है। उड़ीसा के बहुत सारे यूट्यूब चैनल और फेसबुक पेज भी इस कार्य के वीडियो दिखा रहे हैं। उड़ीसा में सब जगह इसके वीडियो वायरल हो रहे हैं ।

जानते हैं क्या है पूरा सेवा कार्य?  

ओड़िसा के सम्बलपुर जिले के एक गाँव के रहने वाले संत रामपाल जी महाराज के एक भक्त अक्षय दास के पिताजी गणेश दास जी का 11 मई 2021 को निधन हो गया। उनके गाँव की रीति के अनुसार उनकी जाति के परिवारों को मृत्यु भोज देने, मुंडन कराने जैसे कर्म कांडों को करने का दबाव डाला जा रहा था । उल्लेखनीय है अक्षय दास हरियाणा के हिसार बरवाला के विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक संत रामपाल जी के शिष्य है। उन्होंने अपने सतगुरु की शिक्षाओं के अनुसार समाज में व्याप्त कुरीतियों का विरोध करने का निर्णय किया। अतः सतगुरु की मर्यादा पालन करते हुए परंपरा से हटकर न तो मुंडन कराया और न ही मृत्यु भोज का आयोजन किया।

इस सब के विपरीत उन्होंने अपने गांव के पास प्रमाणपुर (सम्बलपुर) में रीतिका मेडिकल स्टोर से 14 मई 2021 से 24 मई 2021 तक 11 दिनों तक अत्यंत निर्धन व गरीब, असहाय तथा दिव्यांग लोगों का इलाज और साथ में मुफ़्त दवाएं देने का कार्य प्रारंभ कर दिया। अपने सतगुरु परमात्मा के आदेश से किए इस कार्य की सोशल मीडिया पर प्रशंसा हो रही है। उड़ीसा के बहुत सारे यूट्यूब चैनल और फेसबुक पेज भी इस कार्य के वीडियो दिखा रहे हैं। उड़ीसा में सब जगह इसके वीडियो वायरल हो रहे हैं ।

ओड़िसा के एक गाँव के अक्षय दास की कहानी सुनिए मुंह जबानी

आइए जानते हैं ओड़िसा के सम्बलपुर जिले के एक गाँव के रहने वाले संत रामपाल जी महाराज के एक भक्त अक्षय दास जी से कि कैसे उन्होंने समाज से कुरीति को दूर करने का बीड़ा उठाया –

“बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय। मैं भगत अक्षय दास। ओड़िसा प्रांत के सम्बलपुर जिल्ले में एक गांव में हमारा घर है और हमारे सांसारिक पिता के शरीर छोड़ने के बाद में मेरे परिबार के ऊपर रूढ़िवादी समाज का दबाब बहुत बढ़ गया था कि आप को मुंडन होना ही पड़ेगा और आपको क्रिया कर्म करना ही होगा पर मैंने उन्हें साफ मना कर दिया ओर कहा कि मेरे गुरुजी का ज्ञान मानव समाज के कल्याण के लिए है।“

“हमारे गुरुजी सही मर्यादा में रहकर कोई भक्ति करता है तो उसको मोक्ष देने की गारंटी देते हैं। ये सब बातें मैनें उन सबको गुरुजी के ज्ञान आधार पर समझाया लेकिन वो मानने को तैयार नहीं थे, और फिर मैनें घर पर मालिक से दण्डवत प्रणाम करके प्रार्थना की कि मालिक दया करना दाता। अगर ऐसे चलता रहेगा तो ज्यादातर भगत जिन के घर में कोई देहत्याग हुआ है वे सिर मुंडन करके क्रियाकर्म कर लेंगे या फिर जातपात के ज्यादा दबाव के कारण नाम छोड़ देंगे। हे मालिक दया करना दाता कैसे लोग आपके ज्ञान को समझेंगे और भक्तों से ये डर कैसे हट जाये दया करो।“

यह भी पढ़ें: 17 मिनट में गुरुवाणी से देश विदेशों में सम्पन्न हुए दहेज मुक्त विवाह (रमैनी) बने चर्चा का विषय

“मालिक सतगुरु ने इस निज आत्मा पर इतना दया किया और दास को गुरुजी से इतने प्रेरणा मिला कि अगले दिन से दास ने अपने गांव के पास  प्रमाणपुर (सम्बलपुर) में 11  दिन तक अत्यंत निर्धन व गरीब, असहाय तथा दिव्यांग लोगों के लिए फ्री इलाज और साथ में फ्री दवाइयां भी उपलब्ध करना शुरू किया।“

“गुरु परमात्मा ने बहुत दया की और पूरे संबलपुर क्षेत्र में इस खबर की पूरी सुर्खियां बन गई।  ढेर सारे रिपोर्टर प्रिंट मीडिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया यहां तक कि राजनेता भी मुझसे संपर्क करने लगे।  मैंने सभी से अपने गुरु परमात्मा की रजा, दया और उनके ज्ञान आधार पर सब को यह बताया कि यह मेरे गुरु परमात्मा का ही ज्ञान है कि अपने क्षेत्र में मैं ऐसी सेवा कर पा रहा हूं।”

“जो लोग भी सतगुरु देव जी की विरोध में थे, मालिक ने ऐसी दया की कि वे लोग भी आकर दवा और साथ में पुस्तक भी ले रहे हैं और गुरुजी के ज्ञान को समझने की कोशिश कर रहे हैं। पहले कोई भगत आत्मा किसी को ज्ञान गंगा की पुस्तक देना चाहता था तो उसे लोग बहुत भला बुरा कहते थे।  आज दास के क्लिनिक पर सतगुरु जी के फोटो फ्लेक्स लगें हैं। प्रतिदिन हजार से ऊपर मरीज आ रहे है। गुरुजी ने बहुत दया की हम पर,  मालिक आपकी दया से यह दास आपसे आदेश लेकर अभी दवा के साथ-साथ ज्ञान गंगा पुस्तक और पंपलेट फ्री प्रदान कर रहा हैं।  हे परमात्मा आपकी दया मुझ दास पर और उड़ीसा की संगत पर सदा बनी रहे..सत साहेब जी, बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय हो?”.

परम संत रामपाल जी महाराज कैसे अलग है अन्य संतों से?

संत रामपाल जी महाराज एक महान आध्यात्मिक गुरु है जिन्होंने समाज को एक नई राह दिखाई है। सतगुरु रामपाल जी  महाराज दुनिया के एकमात्र ऐसे संत हैं जो धार्मिक शास्त्रों से तत्वज्ञान प्रदान करते हैं और अपने शिष्यों को मुक्ति का मार्ग बताते हैं। उनके अनुयायी समाज सुधार में महान योगदान दे रहे हैं और इस योगदान के बदले में कोई सम्मान अथवा पुरस्कार प्राप्त करने की कामना नहीं है वह निस्वार्थ भाव से परमार्थ का कार्य कर रहे हैं | संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी कड़ी मर्यादा का पालन करते हैं –

  • सतगुरु रामपाल जी महाराज के शिष्य के लिए दहेज लेना देना निषेध है और वे बिना किसी बैंड बाजे साज सज्जा के सादे तरीके से विवाह करते हैं।
  • संत रामपाल जी महाराज के अनुयाई किसी प्रकार का नशा नहीं करते और ना ही किसी को नशा करने देते हैं। |
  • जुआ और अश्लील फिल्में और मैच देखना मना है।  
  • ये स्त्रियों को मां बेटी बहन के समान समझते हैं और उनका आदर करते हैं।  
  • देश के कानून के अनुसार जो सही है उसका ईमानदारी से पालन करते हैं।  
  • ये कभी भी सामाजिक व्यवस्था को भंग करने की कोशिश नहीं करते और ना तो रिश्वत देते हैं ना रिश्वत लेते हैं भ्रष्टाचार से दूर रहते हैं।  
  • ये दिखावा नहीं करते व्यर्थ के कर्मकांड में विश्वास नहीं करते समाज सुधार में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं| 

राजस्‍थान में मृत्‍यु-भोज निषेध पर कानून है

मृत्‍यु-भोज ”राजस्‍थान मृत्‍यु-भोज निषेध अधिनियम 1960” के तहत एक दंडनीय अपराध माना गया है इस कानून के अनुसार परिभाषा है : किसी परिजन की मृत्यु होने पर आयोजित किये जाने वाले भोज को मृत्युभोज कहते है कोई भी व्यक्ति अपने परिजनों या समाज या पण्‍डों, पुजारियों के लिए धार्मिक संस्कार या परम्‍परा के नाम पर मृत्यु-भोज नही करेगा।

मृत्‍यु-भोज आयोजित करना या उसमे सम्मिलित होना एक अपराध है

  • मृत्यु-भोज करने व कराने वाले की सजा व दंड को एक वर्ष की जेल की सजा या एक हजार रुपये का जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जायेगा।
  • यदि किसी व्यक्ति या पंच, सरपंच, पटवारी, लम्‍बरदार, ग्राम सेवक को मृत्‍यु-भोज आयोजन की सूचना एवं ज्ञान हो तो वह प्रथम श्रेणी न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट की कोर्ट में प्रार्थना-पत्र देकर स्टे लिया जा सकता है पुलिस को सूचना दे सकता है। पुलिस भी कोर्ट से स्टे ले सकती है एवं नुक्‍ते को रूकवा सकती है । सामान को जब्त कर सकती है।
  • कोर्ट स्टे का पालन न करने पर सजा का प्रावधान है। यदि कोई व्यक्ति कोर्ट से स्टे के बावजूद मृत्यु-भोज करता है तो उसको एक वर्ष जेल की सजा एवं एक हजार रुपये के जुर्माने या दोनों से दण्डित किया जायेगा ।
  • सूचना न देने वाले पंच-सरपंच-पटवारी जानबूझकर ड्यूटी में लापरवाही करते हैं तो उन्हें तीन माह की जेल की सजा हो सकती हैं |

संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर पूर्ण मोक्ष कराएं 

पूरे विश्व में भ्रष्टाचार, व्याभिचार, नशाखोरी, रिश्वतखोरी तथा ईर्ष्या द्वेष, क्रोध, मोह माया आदि विकारों को मिटाना पड़ेगा। एकमात्र संत रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान द्वारा समस्त विकारों को खत्म कर धरती पर स्वर्ग जैसा माहौल बनाया जा सकता है। ऐसे तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर अपना पूर्ण मोक्ष कराएं और प्रतिदिन यह भी याद रखें –

कबीर, साथी हमारे चले गए, हम भी चालन हार।

कोए कागज में बाकी रह रही, ताते लाग रही वार।।

कबीर, देह पड़ी तो क्या हुआ, झूठा सभी पटीट।

पक्षी उड़या आकाश कूं, चलता कर गया बीट।।

सतज्ञान को गहराई से जानने के लिए ज्ञान गंगा पवित्र पुस्तक को पढ़ें और सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल पर सतसंग श्रवण करें। 

Latest articles

World Religion Day 2025: Why So Many Faiths For One Universal Creator?

World Religion Day is an annual occasion observed on the third Sunday in January...

Indian Army Day 2025: The Day for the Unsung Heroes of the Country

Last Updated on 12 January 2025 IST | Army Day (Indian Army Day 2025)...
spot_img

More like this