April 28, 2025

Satlok Ashram Mundka (Delhi): नव निर्मित सतलोक आश्रम मुंडका में मनाया जा रहा है, 627वां कबीर प्रकट दिवस

Published on

spot_img

सतलोक आश्रम मुंडका (Satlok Ashram Mundka Delhi) में 627वां कबीर प्रकट दिवस मनाया जा रहा है। इस उपलक्ष्य में भव्य समागम का आयोजन हो रहा है जिसकी तैयारियां जोरो शोरों से चल रही हैं। इस समागम में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं  के शिरकत करने का अनुमान है।

  • सतलोक आश्रम मुंडका में मनाया जा रहा है 627वां कबीर प्रकट दिवस।
  • विशाल भंडारे का हो रहा है आयोजन, देसी घी से बनाए जाएंगे सभी पकवान।
  • समाज सुधार के कार्यक्रम होंगे आयोजित, दहेज मुक्त रमैनी बनेगी प्रशंसा का विषय।
  • आध्यात्मिक प्रदर्शनी भी लगाई जा रही है जिससे लोगों को कबीर साहेब जी के रहस्यमयी जीवन से अवगत कराया जाएगा।
  • सतलोक आश्रम मुंडका में देखने को मिलेगा अनेकता में एकता का प्रमाण।
  • सोशल मीडिया कैंप लगाया जाएगा जहां श्रद्धालुओं को इंटरनेट पर परमात्मा के बारे में ढ़ूंढ कर पढ़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
  • भव्य पंडाल, लाखों श्रद्धालु, मनमोहक भंडारा, अद्भुत आध्यात्मिक ज्ञान, निशुल्क नाम दीक्षा रहेंगे आकर्षण के केंद्र।
  • जूता घर में जूते चप्पल जमा किए जाते हैं, जिसके बाद जमाकर्ता को टोकन दिया जाता है। जूते, चप्पल गुम होने का कोई डर नहीं।
  • मोबाइल चार्ज करने की भी होती है पूरी व्यवस्था।
  • आध्यात्मिक पुस्तकालय भी है जहां से सभी आध्यात्मिक ज़रूरत का सामान खरीदा जा सकता है जैसे पुस्तकें, काउंटर, माला, फोटो इत्यादि।

आज से 627 वर्ष पूर्व सन् 1398 (विक्रमी संवत् -1455) को पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी जीवों को सद्भक्ति देने के उद्देश्य से सतलोक से चलकर पृथ्वी पर आए थे। वे सहशरीर लहरताला तालाब में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे, तत्पश्चात नीरू -नीमा नाम के निःसंतान मुसलमान जुलाहा दंपत्ति उन्हें अपने घर ले गए थे, तथा वे परमात्मा के मुंह बोले माता पिता कहलाए। पूर्ण परमात्मा का जन्म माता के गर्भ से नहीं हुआ था। न ही किसी विधवा ब्राह्मणी से जन्म हुआ था। परमात्मा के सहशरीर अवतरित होने के उपलक्ष्य में ही प्रत्येक वर्ष कबीर प्रकट दिवस मनाया जाता है। ताकि कृतघ्न हो चुके मानव समाज को परमात्मा की याद दिलाई जा सके क्योंकि सभी मानव भूलकर मनमानी भक्ति करके अपना मनुष्य जीवन बर्बाद कर रहे हैं। इस वर्ष कबीर प्रकट दिवस 22 जून 2024, दिन शनिवार को धूमधाम से विश्वभर में मनाया जाएगा।

परमात्मा का धरती पर आगमन हो और कुछ तैयारियां न हों ऐसा तो हो ही नहीं सकता।

Satlok Ashram Mundka Delhi: आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज द्वारा लिखित अमर ग्रन्थ साहिब का तीन दिवसीय खुले अखंड पाठ का आयोजन संत रामपाल जी महाराज जी के सभी 11 सतलोक आश्रमों में किया जा रहा है। इस दौरान आश्रम में देसी घी के दिए जलाए जाते हैं, जो कि हवन यज्ञ का काम करते हैं। 

समागम का शुभारंभ 20 जून से होगा जिस दिन संत रामपाल जी महाराज जी स्वयं परमात्मा की आरती करेंगे और जिसमें उनके सभी शिष्य शामिल होंगे। 20,21,22 जून को तीन दिन तक समागम चलेगा। जिसमें परमात्मा को स्वच्छ शुद्ध देसी घी में बने भंडारे का भोग लगाया जाता है जिसे बाद में सभी को वितरित किया जाता है। 

20, 21 व 22 जून को होने वाले महासमागम में देशी घी से निर्मित विशाल भंडारा, विशाल सत्संग, आध्यात्मिक प्रदर्शनी, दहेजमुक्त विवाह जैसे कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। 

भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित नव निर्मित सतलोक आश्रम मुंडका (Satlok Ashram Mundka Delhi) में कबीर प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में तीन दिवसीय भव्य समागम का आयोजन हो रहा है, जिसकी तैयारियां जोरों शोरों से चल रही हैं। बताया जा रहा है कि सतलोक आश्रम मुंडका में देश विदेश से भी लाखों भक्त आ रहे हैं।

20, 21 व 22 जून को हो रहे भव्य समागम में संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयायियों ने कबीर प्रकट दिवस के अवसर पर पूरे विश्व को निमंत्रण दिया है, सभी को सपरिवार सादर आमंत्रित किया है। समागम में आने वाले भक्तों के वाहनों के लिए पार्किंग की व्यवस्था, ठहरने की व्यवस्था, बिस्तर की व्यवस्था, भोजन भंडारे आदि की व्यवस्था बिल्कुल निःशुल्क रहती है।

सतलोक आश्रम मुंडका में समागम में सभी पकवान शुद्ध देसी घी से तैयार किए जाते हैं। भंडारा 24 घंटों तक निःशुल्क अनवरत चलता रहता है। आश्रम में कबीर प्रकट दिवस के अवसर पर विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन होंगे जिसमें लड्डू, पूड़ी, जलेबी, बर्फी व फुल्काराम, अचार, सलाद, लस्सी, रायता आदि परोसे जाएंगे। 

समाज सुधार में संत रामपाल जी महाराज का अहम योगदान है, उन्होंने दहेज प्रथा और नशे के विरुद्ध मुहिम छेड़ी हुई है। प्रत्येक बार की तरह इस बार भी कबीर प्रकट दिवस के अवसर पर सतलोक आश्रम मुंडका में दहेज मुक्त विवाह का आयोजन किया जा रहा है। यह विवाह मात्र 17 मिनट में असुर निकंदन रमैनी के माध्यम से आडंबररहित और सादगीपूर्ण तरीके से संपन्न करवाए जाते हैं।

प्रत्येक समागम में आध्यात्मिक प्रदर्शनी स्थल बनाया जाता है। जहां आने वाले श्रद्धालुओं को कबीर परमात्मा की लीलाओं से, उनके जीवन से पूरी तरह अवगत करवाया जाएगा, जिससे समाज आज भी अपरिचित है। इसके अलावा 6 शास्त्र, 18 पुराण, 4 वेद, श्रीमद्भगवद्गीता, गुरु ग्रंथ साहिब, कुरान शरीफ, बाइबिल, पवित्र कबीर सागर, सूक्ष्म वेद , ब्रह्म पुराण, भविष्य पुराण, विष्णु पुराण शिव पुराण, श्रीमद् देवी दुर्गा पुराण जैसी सभी धार्मिक पुस्तकें प्रदर्शनी में प्रमाण दिखाने के लिए रखी जाएंगी। सभी उपलब्ध धार्मिक ग्रंथों से लोगों को रूबरु करवाया जाएगा, जिससे भक्त समाज परमात्मा के ज्ञान को प्रमाणों के आधार पर समझकर पूर्ण परमात्मा को पहचान सकेंगे।

संत रामपाल जी महाराज जी कहते हैं;

जीव हमारी जाति है मानव धर्म हमारा।

हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई धर्म नहीं कोई न्यारा।।

संत रामपाल जी महाराज जी के आश्रमों में अमीर गरीब, जाति पाती, ऊंच नीच आदि भेदभाव रहित व्यवहार देखने को मिलते हैं। सभी वर्ग चाहे वह मंत्री हो, नेता हो, अमीर या गरीब हो ज़मीन पर बैठकर भोजन प्रसाद ग्रहण करते हैं, एक ही स्थान पर बैठकर सभी सत्संग श्रवण करते हैं। इसके अलावा प्रणाम स्थल पर सभी वर्ग के लोग झुककर दंडवत प्रणाम करते हैं।

आश्रम में हज़ारों श्रद्धालु संत रामपाल जी महाराज जी के तत्वज्ञान को समझकर नाम दीक्षा ग्रहण करते हैं। शंका समाधान भी करवा सकते हैं।

आप सभी से निवेदन हैं कि इस भव्य समागम में शामिल होकर परमात्मा की अमरवाणी का श्रवण करें तथा संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेकर अपने मानव जीवन को सफल बनाएं। Kabir Prakat Diwas के अवसर पर Sant Rampal Ji Maharaj यूट्यूब चैनल पर लाइव प्रसारित किया जाएगा। अधिक जानकारी के लिए यूट्यूब चैनल विजि़ट करें। आप सभी को #सहआदर_निमंत्रण है। समागम में आइए और परमात्मा को पहचान कर उनके हो जाइए।

निम्न सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर हमारे साथ जुड़िए

WhatsApp ChannelFollow
Telegram Follow
YoutubeSubscribe
Google NewsFollow

Latest articles

परमेश्वर कबीर जी द्वारा अजामिल (अजामेल) और मैनका का उद्धार

अजामेल (अजामिल) की कथा: काशी शहर में एक अजामेल (अजामिल) नामक व्यक्ति रहता था। वह ब्राह्मण कुल में जन्म था फिर भी शराब पीता था। वैश्या के पास जाता था। वैश्या का नाम मैनका था, वह बहुत सुंदर थी। परिवार तथा समाज के समझाने पर भी अजामेल नहीं माना तो उन दोनों को नगर से निकाल दिया गया। वे उसी शहर से एक मील (1.7 किमी.) दूर वन में कुटिया बनाकर रहने लगे। दोनों ने विवाह कर लिया। अजामेल स्वयं शराब तैयार करता था। जंगल से जानवर मारकर लाता और मौज-मस्ती करता था। गरीब दास जी महाराजजी हमे बताते है कि

Top 20 Spiritual & Religious Leaders of India and World

Last Updated on 25 April 2025 IST: Top 20 Spiritual & Religious Leaders of...
spot_img

More like this

परमेश्वर कबीर जी द्वारा अजामिल (अजामेल) और मैनका का उद्धार

अजामेल (अजामिल) की कथा: काशी शहर में एक अजामेल (अजामिल) नामक व्यक्ति रहता था। वह ब्राह्मण कुल में जन्म था फिर भी शराब पीता था। वैश्या के पास जाता था। वैश्या का नाम मैनका था, वह बहुत सुंदर थी। परिवार तथा समाज के समझाने पर भी अजामेल नहीं माना तो उन दोनों को नगर से निकाल दिया गया। वे उसी शहर से एक मील (1.7 किमी.) दूर वन में कुटिया बनाकर रहने लगे। दोनों ने विवाह कर लिया। अजामेल स्वयं शराब तैयार करता था। जंगल से जानवर मारकर लाता और मौज-मस्ती करता था। गरीब दास जी महाराजजी हमे बताते है कि

Top 20 Spiritual & Religious Leaders of India and World

Last Updated on 25 April 2025 IST: Top 20 Spiritual & Religious Leaders of...