आज हम आप को Sat Sahib Hindi Meaning ( क्या है सत साहेब का अर्थ) तथा Sat Sahib क्यों बोला जाता है? के बारे में विस्तार से बताएँगे. मनुष्य जीवन बहुत अनमोल है और शरीर में चल रही सांसों का क्या मोल है यह केवल पूर्ण परमात्मा ही सच्चे साधक को समझा सकता है।
सत साहेब क्या है?
जिस प्रकार हम राम-राम कहते हैं उसी प्रकार सत साहेब कहा जाता है। सत साहेब कोई जाप करने का मंत्र नहीं है अपितु एक कोड वर्ड (गुप्त शब्द) है जिससे परमात्मा की याद बनी रहती है। इससे यह भाव बना रहता है कि मनुष्य तो कर्म जाल में फंसा हुआ है, सच्चा तो केवल परमात्मा है जिसको पाना ही मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य है।
Sat Sahib Hindi Meaning (सत साहेब का अर्थ क्या है)?
पूर्ण परमात्मा के कई उपमात्मक नाम वेद, गीता, बाईबल और कुरान में बताए गये हैं।
- कहीं पर उन्हें ( पूर्ण परमात्मा ) दिव्य पुरूष
- तो कहीं सच्चा साहेब
- परमेश्वर
- ईश्वर
- भगवान
- रब
- आदिपुरुष
- अकालमूर्त
- शब्द स्वरूपी राम
- अल्लाह
- गाॅड
- लार्ड आदि आदि संज्ञा प्रदान की गई है।
#Real_Allah_Is_Kabir
— Pushpinder kaur (@pushpinder0311) May 10, 2020
Kabir Saheb Ji is the Supreme God.He is Allah/Rab/Khuda/Bhagvan .
In Quran Shreef Surat Furqani 25 Aayat No. 52 to 59 it is cleared that Who created all in six days and sat on throne on 7th days is the Supreme God Kabir and only He is worthy to be worshipped. pic.twitter.com/nj4fATYACE
■ सत साहेब दो शब्दों का जोड़ है जिसका शाब्दिक अर्थ है:
- सत :- सच्चा , अविनाशी
- साहेब :- परमात्मा , मालिक
इस प्रकार इसका अर्थ है अविनाशी मालिक यानि सच्चा परमात्मा जो जीव आत्मा का सच्चा साथी है जिसने इस सृष्टि की रचना की। इसके इलावा सब भाई बन्धु तथा अन्य सब सामाजिक रिश्ते मिथ्या हैं। अविनाशी तो केवल पूर्ण ब्रह्म परमात्मा है। एक अन्य अर्थ के अनुसार सत का अर्थ कभी नाश न होने वाला अविनाशी परमात्मा भी है।
सत साहेब क्यों बोलते हैं?
सत साहेब का संबोधन हमें पूर्ण परमात्मा की तरफ इशारा करता है। यदि पूर्ण संत का साधक सत साहेब कहता है तो उसकी सुरति ( ध्यान ) तुरंत अपने परमपिता मालिक की तरफ आकर्षित हो जाती है जिससे वह अपने परमात्मा की याद कभी नहीं भूलता। उसे उसका परमात्मा पल-पल याद रहता है।
संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयायी सतसाहेब क्यों बोलते है?
■ Sat Sahib Hindi Meaning: संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयायी हमेशा एक दूसरे से मिलने पर या बात करते समय संबोधन शब्द रूप में हाथ जोड़कर या गर्दन झुकाकर परमात्मा के प्रति आदर भाव रखते हुए सत साहेब बोलते हैं। यह उनकी आध्यात्मिक शिक्षा और उनके तत्वज्ञान का बोध कराता है जो उनको उनके गुरूजी ने प्रदान किया है।
■ यह भी पढें: सच्चे गुरु की पहचान क्या है? जानिए प्रमाण सहित
सत साहेब शब्द साधक को यह तुरंत याद दिलाता है कि जो मंत्र तुझे (साधक को) परमात्मा ने दिया है ( प्रथम नाम, सतनाम या सारनाम ) उसे प्रत्येक श्वांस के साथ कसक के साथ जप ताकि तुझे किसी भी पल परमात्मा की भूल न पड़े।
इस गंदे लोक में केवल परमात्मा ही आत्मा का सच्चा साथी है। संत रामपाल जी महाराज जी पूर्ण परमात्मा की सम्पूर्ण जानकारी प्रमाण सहित बताते हैं और परमात्मा के संविधान से भक्त को अवगत कराते हैं। इस प्रकार उनके सभी भक्त पूर्ण परमात्मा (कबीर साहेब) को याद करते हैं।
■ क्या राम राम, राधे कृष्ण, राधे राधे , हरि ओम इत्यादि परमात्मा को संबोधन करने के लिए उचित शब्द हैं अथवा नहीं?
राम और कृष्ण ( विष्णु जी के) दोनों अवतार पूर्ण परमात्मा नहीं हैं यह सिर्फ अपने कर्म आधार पर पृथ्वी पर अलग-अलग नाम और उद्देश्य को लेकर अवतरित हुए थे। इनके नाम को जाप करने, रटने और बार बार कहने से भी साधक को कोई लाभ नहीं होगा। इनके नाम से केवल इनकी पहचान होती है । पूर्ण परमात्मा का नाम कबीर है ।
“सतयुग में सत सुकृत कह टेरया, त्रेता नाम मुनिंदर मेरा, द्वापर में करुणामय कहाए, कलयुग नाम कबीर धराए”।।
Supreme God Kabir Sahib
कबीर नाम अनजाने में कहने मात्र से भी व्यक्ति के पुण्य बन जाते हैं। ब्रह्मा, विष्णु और शिव यह तीनों भी पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब के ही बच्चे हैं।
क्या सत साहेब और सत मंत्र एक ही हैं?
सत साहेब शब्द और सत मंत्रों में ज़मीन आसमान का अंतर है। पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति के सत मंत्र ( प्रथम नाम ,सतनाम और सारनाम ) इससे भिन्न हैं, जिनका बोध तत्वदर्शी संत, संत रामपाल जी महाराज जी प्रमाण सहित करवाते हैं।
कौन है सच्चा अविनाशी परमात्मा ?
पूर्ण परमात्मा की जानकारी हमारे पवित्र सदग्रंथों में वर्णित है जिसको जानना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि यही मनुष्य जन्म का मुख्य उद्देश्य है।
- ऋग्वेद में वर्णित है कि वह परमात्मा कबीर है। ऋग्वेद मण्डल नंबर 9 सुक्त 86 के मंत्र 26 में है कि वह परमात्मा अपने रूप को हल्का तेज पुंज का करके अच्छी आत्माओं को मिलता है, वह कविर्देव यानि कबीर परमात्मा है।
- ऋग्वेद मंडल नंबर 09 सुक्त 96 मंत्र 18 में लिखा है कि वह पूर्ण परमात्मा प्रसिद्ध कवियों की उपाधि धारण करता है और अपनी वाणियों से सरल स्वभाव वाले साधकों को ज्ञान उपदेश करवाता है।
- पवित्र यजुर्वेद अध्याय 29 के मंत्र 25 में वर्णित है कि जिस समय अज्ञान का बोलबाला होता है और समाज शास्त्रविधि को त्यागकर मनमाना आचरण करता है तो वह पूर्ण परमात्मा (कविर्देव) तत्वज्ञान को प्रकट करने इस मृत्यु लोक में आता है।
वर्तमान समय में जब ये समझना मुश्किल है कि असली गुरु कौन है तथा मोक्षदायक भक्ति कौन सी है क्योंकि बहुतायत में नकली गुरु तथा कितनी ही आन उपासनाएं समाज में प्रचलित हैं, उस समय में कबीर साहेब को परमात्मा सिद्ध करना कोई बच्चों का खेल नहीं है। परंतु संत रामपाल जी महाराज जी ने हमारे ही पवित्र सदग्रंथों (गीता, कुरान, बाइबल, श्री गुरु ग्रंथ साहिब, चारों वेदों) में से प्रमाण सहित दिखाकर यह सिद्ध कर दिया है कि पूर्ण परमात्मा केवल कबीर साहेब जी हैं जिनकी भगति करने से ही मोक्ष सम्भव है। सतभक्ति और तत्वज्ञान देने के अधिकारी केवल संत रामपाल जी महाराज जी ही हैं। संत रामपाल जी महाराज जी का ज्ञान सुनें , समझें और उनसे Online नाम दीक्षा प्राप्त करें।
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