September 15, 2025

74वें अवतरण दिवस पर जानिए संत रामपाल जी महाराज के संघर्ष के बारे में

Published on

spot_img

संत रामपाल जी महाराज जी का संघर्ष: 8 सितंबर 1951 को भारत की पावन धरती पर अवतरित हुए एक ऐसे संत का अवतरण हुआ जिन्होंने हम जीवों के उद्धार के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। सतज्ञान के प्रचार के लिए उन्होंने अपनी जान हथेली पर रख दी, नौकरी, घर परिवार सब कुछ त्याग दिया। ऐसे महान संत, जो परमार्थ के लिए अपना सर्वस्व वार दें, इस धरा पर यदा कदा ही प्रकट होते हैं। हम बात कर रहे हैं तत्वदर्शी सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जिन्हे परमार्थ के मार्ग पर कदम रखने के बाद अनेकों संघर्षों का सामना करना पड़ा पर उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। 

कैसे हुई संत रामपाल जी को तत्वज्ञान की प्राप्ति?

संत रामपाल जी महाराज जी का जन्म 8 सितम्बर 1951 को हरियाणा के छोटे से गांव धनाना में हुआ। पढ़ाई लिखाई पूरी कर संत रामपाल जी सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर के पद पर कार्यरत हुए। राम कृष्ण की भक्ति करने वाले संत रामपाल जी महाराज को पूर्ण परमात्मा का ज्ञान स्वामी रामदेवानंद जी से प्राप्त हुआ। 17 फरवरी 1988 को संत रामपाल जी ने नाम दीक्षा ली और तन मन से भक्ति करने लगे। 

सन् 1994 में स्वामी रामदेवानंद जी ने संत रामपाल जी महाराज को नाम दीक्षा देने का आदेश दिया और उनसे कहा की तेरे समान इस विश्व में संत नहीं होगा और वहीँ से हुई संत रामपाल जी महराज की हमारे लिए शुरू की गई भक्ति मार्ग की शुरुआत।

संत रामपाल जी महाराज का संघर्ष: परमार्थ के लिए नौकरी का त्याग

गुरु पद प्राप्त करने के बाद संत रामपाल जी महाराज ने सत्संग व् पाठ करना शुरू किया। लेकिन धीरे धीरे गुरु पद की जिम्मेदारियां इतनी बढ़ गई कि संत रामपाल जी महाराज को अपनी नौकरी से त्याग पत्र देना पड़ा।  

परमार्थ के लिए घर का त्याग

जब संत रामपाल जी महाराज ने नौकरी छोड़ी तब वह नौकरी ही उनके परिवार के निर्वाह का एकमात्र साधन थी पर अपने सतगुरु के आदेश का पालन करने के लिए और परमात्मा के बच्चों के उद्धार के लिए उन्होंने नौकरी त्याग दी। उन्होंने अपने परिवार तथा बच्चों को भगवान के भरोसे छोड़ दिया और परमात्मा के लिए अपना जीवन समर्पण कर दिया।

संत रामपाल जी महाराज का संघर्ष: गांव गांव जाकर तत्वज्ञान का प्रचार किया और विरोध सहा

एक बार घर त्याग देने के बाद संत रामपाल जी कभी मुड़कर घर वापस नहीं गए। उन्होंने अपने कुछ भक्तों के सहयोग से गाँव गाँव, नगर नगर जाकर सत्ज्ञान का प्रचार किया। सर्व धर्मों के शास्त्रों का अध्ययन किया और उनमें से परमात्मा का सच्चा ज्ञान निकालकर भक्त समाज के सामने रख दिया। दिन रात सत्संग किये, पुस्तकें लिखी। 20-20 घंटे लगातार काम किया। समाज में व्यापत कुरीतियों तथा नकली संतो द्वारा फैलाये गए गलत ज्ञान पर दृढ़ लोगों ने परम संत और उनके द्वारा दिये गए ज्ञान का बहुत विरोध किया पर सतगुरु जी द्वारा दिया गया परमेश्वर कबीर साहेब का ज्ञान ऐसा था जैसे तोप का गोला हो जिसके आगे कोई टिक नही सका।

और ज्ञान सब ज्ञानड़ी, कबीर ज्ञान सो ज्ञान।

जैसे गोल तोप का करता चले मैदान।।

भक्ति मार्ग सुलझाने के लिए दिया ज्ञान चर्चा का निमंत्रण

संत रामपाल जी की मेहनत और परमेश्वर कबीर जी के आशीर्वाद से सतज्ञान बहुत तेज़ी से फैलता चला गया। सतभक्ति करने से भक्तों के दुख दूर होने लगे और हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु संत रामपाल जी से दीक्षा लेने लगे। संत रामपाल जी ने पहले सर्व धर्मों के पवित्र ग्रंथों में से परमात्मा के ज्ञान और सही साधना के प्रमाण दिए। उसके बाद नकली पंथों और गलत साधनाओं में फंसे हुए श्रद्धालुओं को निकालने के लिए उन्ही नकली धर्मगुरुओं की पुस्तकों से उनके गलत ज्ञान की पोल खोल कर रख दी।

उन नकली संतों महंतों के विचार कबीर परमेश्वर जी की वाणी तथ शास्त्रों में प्रमाणित तथ्यों से भिन्न थे।  जिन्हे देखकर शिक्षित भक्त समाज उन नकली ज्ञान बताने वाले पंथों, संतों, व महाऋषियों के समूह से निकलकर संत रामपाल जी से उपदेश ग्रहण करने के लिए आने लगे।  जिससे संत रामपाल जी के अनुयायियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती चली गयी। २००३ में संत रामपाल जी ने टीवी चैनलों के माध्यम से सतज्ञान देना शुरू किया और पाखंडी महात्माओं के ज्ञान का लाइव पर्दाफाश कर दिया।  

संत रामपाल जी ने विश्व के सर्व धर्मगुरुओं को ज्ञान चर्चा का न्यौता दिया। भारत के चारों शंकराचार्यों को सतगुरु जी ने पत्र लिख कर ज्ञान चर्चा का आमंत्रण दिया। पर किसी की भी हिम्मत नहीं हुई संत रामपाल जी के साथ ज्ञान चर्चा करने की। न ही किसी संत ने सतगुरु रामपाल जी के ज्ञान का खंडन किया। संत रामपाल जी के ज्ञान के सामने सभी नकली संत फेल हो गए और उन्होंने अपने भक्तों को संत रामपाल जी की पुस्तकें पढ़ने से मना कर दिया। पर कुछ पंथ ऐसे भी थे जिन्होंने ज्ञान का उत्तर लाठी से देना उचित समझा और संत रामपाल जी के आश्रम पर हमला कर दिया। 

सतज्ञान के प्रचार में 2006 में जेल गए

संत रामपाल जी के अद्वितीय ज्ञान और अद्भुत आध्यात्मिक शक्ति से हारे हुए सब संत और महंत उनकी जान के दुश्मन बन गए। संत रामपाल जी को धमकी भरे फ़ोन और पत्र आने लगे। इसी बीच संत रामपाल जी ने आर्य समाज के प्रवर्तक महर्षि दयानन्द सरस्वती की पुस्तक “सत्यार्थ प्रकाश” में दर्ज कुछ आपत्तिजनक बातों पर टिप्पणी की।  उन्होंने आर्य समाज के आचार्यों से प्रार्थना की कि सत्यार्थ प्रकाश पूर्ण रूप से शास्त्र विरुद्ध और समाज कल्याण के विरूद्ध व्याख्याओं से भरा है। इसे पढ़ने से तो सभ्य समाज में आग लग जायेगी। इस से भड़के हुए कुछ आर्य समाजी तत्वों ने बाकि संतो महंतो के साथ मिल कर संत रामपाल जी को जान से मारने व उनका प्रचार प्रसार बंद करवाने का निर्णय लिया। 

पहले संत रामपाल जी पर झूठे आरोप लगाना शुरू किये गए और फिर ९ जुलाई को आश्रम को घेर लिया गया।  भक्तों का राशन पानी काट दिया गया। 12 जुलाई 2006 को भारी संख्या में असामाजिक तत्वों को इकट्ठा करके इन लोगों ने सतलोक आश्रम करोंथा पर धावा बोल दिया। उस समय वहां पुलिस भी उपस्थित थी। पुलिस और आक्रमणकारियों की झड़प में एक आक्रमणकारी की मौत हो गयी। जिसका इल्जाम आश्रम के भक्तों तथा संत रामपाल जी पर लगाया गया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।  आश्रम को जबरन खाली करवाया गया और सील कर दिया गया। आर्य समाजियों व मुख़्यमंत्री जी द्वारा आक्रमणकारियों को इनाम दिए गए। जिस संत ने परमार्थ के लिए सब कुछ त्याग दिया उस के साथ ऐसा षड्यंत्र और अन्याय किया गया।

संत रामपाल जी महाराज का संघर्ष: सतज्ञान के प्रचार में 2014 में जेल गए

2 साल जेल में रह कर संत रामपाल जी महाराज जी 2008 में बाहर आये। अपना प्रचार क्षेत्र बरवाला जिला हिसार बनाया और टीवी चैनल के माध्यम से सतज्ञान का प्रचार करने लगे। उनके शिष्यों की संख्या में भारी वृद्धि होने लगी और लाखों की संख्या में भक्त बरवाला आश्रम आने लगे।  संत रामपाल जी अपने ऊपर लगे झूठे इल्जामों के केस में तारिख में भी जाया करते थे। कुछ एक जजों ने संत जी पर लगे हुए झूठे केस वापिस लेने के लिए रिश्वत मांगी जिस के लिए संत रामपाल जी ने इंकार कर दिया।  इस से वह जज भी संत रामपाल जी के खिलाफ हो गए।  

नवंबर 2014 में बीमार होने के कारण संत रामपाल जी कोर्ट में हाज़िर नहीं हो सके। उन्होंने अपनी बीमारी का मेडिकल सर्टिफिकेट भी जमा करवाया।  जिसे नज़र अंदाज़ करते हुए कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया और आश्रम में पुलिस फाॅर्स लगा दी। 40000 से भी ज्यादा पुलिस फाॅर्स  ने बरवाला आश्रम को घेर लिया। संत रामपाल जी के भक्त भी आश्रम के गेट पर बैठ गए और अपने गुरु जी पर लगे हुए झूठे केसों का विरोध और CBI जांच की मांग करने लगे। 

■ Read in English: Avataran Diwas (Incarnation Day): The Selfless Struggle Of Saint Rampal Ji Maharaj

14 दिन तक पुलिस ने आश्रम को घेरे रखा, भक्तों का राशन, पानी और बिजली काट दी गयी। बच्चों, बूढ़ों, महिलाओं की फ़िक्र किये बिना उन्हें भूखा प्यासा रखा गया और 18 नवंबर 2014 को पुलिस ने आश्रम पर हमला कर दिया। बेरहमी से सबको पीटा गया जिससे एक बच्चे और पाँच महिलाओं की मौत हो गयी।  सत्संग सुनने के लिए आये अनुयायियों में से करीब 1000 निर्दोष भक्तों को जेल में डाल दिया गया। संत रामपाल जी ने ठीक होने पर आत्मसमर्पण कर दिया लेकिन उन पर हत्या, देशद्रोह, और न जाने कितने झूठे केस बना दिए गए।  

जेल से भी जारी है ज्ञान प्रचार

संत रामपाल जी महाराज ने अपने ऊपर इतने जुल्म होने के बाद भी परमार्थ का रास्ता नहीं छोड़ा। उन्होंने जेल से भी पुस्तकें लिखीं। उनके सत्संग कई कई टीवी चैनलों पर चलने लगे। भारत के सभी राज्यों और जिलों में उनके सत्संग होने लगे और श्रद्धालु ज्ञान समझकर नाम दीक्षा लेने लगे। आज भारत से बाहर भी उनका सतज्ञान पहुँच चुका है। अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, दुबई और भी कई देशों में श्रद्धालु उनका ज्ञान समझकर नाम दीक्षा ले रहे हैं, उनकी पुस्तकें मंगवा रहे हैं। उनका दिया हुआ सतज्ञान पूरे विश्व में फ़ैल रहा है। दीक्षा लेने वालों को सर्व सुख आज भी प्राप्त हो रहे हैं, क्योंकि सिर्फ संत रामपाल जी के पास ही पूर्ण परमात्मा की सच्ची साधना है। 

इस पृथ्वी पर सिर्फ संत रामपाल जी ही पूर्ण संत हैं फिर चाहे वे जेल में ही क्यों न हों। परमार्थ के लिए, हम जीवों के उद्धार के लिए ही उनको जेल जाना पड़ा है। इस तत्वज्ञान के प्रचार के लिए उन्होंने इतना संघर्ष किया है,  उसे समझकर संत जी से नाम उपदेश लेना हमारा परम कर्तव्य बनता है क्योंकि मोक्ष प्राप्त करना ही इस मानव जीवन का प्रथम कर्तव्य है। उनके त्याग और बलिदान को हमें व्यर्थ नहीं होने देना है क्योंकि 74 साल पहले हमारे लिए ही वे इस पृथ्वी पर वे अवतरित हुए हैं। 

Latest articles

World Ozone Day 2025: The Global Mission To Heal The Ozone Layer

Last Updated on 15 September 2025 IST | World Ozone Day 2025 | World...

SBI Clerk Prelims 2025 Admit Card Out: 6,589 Vacancies, Exam Dates and What You Must Know

The wait is finally over. The State Bank of India (SBI) has released the...

Shradh 2025 (Pitru Paksha): Shradh Karma Is Against Our Holy Scriptures!

From dates, ceremonies, and rituals to meaning and significance, know all about Shradh (Pitru Paksha).
spot_img

More like this

World Ozone Day 2025: The Global Mission To Heal The Ozone Layer

Last Updated on 15 September 2025 IST | World Ozone Day 2025 | World...

SBI Clerk Prelims 2025 Admit Card Out: 6,589 Vacancies, Exam Dates and What You Must Know

The wait is finally over. The State Bank of India (SBI) has released the...

Shradh 2025 (Pitru Paksha): Shradh Karma Is Against Our Holy Scriptures!

From dates, ceremonies, and rituals to meaning and significance, know all about Shradh (Pitru Paksha).