किसान जीवन रक्षक सम्मान समारोह: हरियाणा की पावन धरा पर 28 दिसंबर को जींद जिले के जुलाना (शादीपुर) में आयोजित “किसान जीवन रक्षक सम्मान समारोह” ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि सच्चे संत वही हैं जो मानवता की सेवा को ही परम धर्म मानते हैं। जुलाना बारहा खाप और सरपंच एसोसिएशन द्वारा आयोजित इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में हज़ारों की संख्या में किसान और ग्रामीण जुटे, ताकि वे उस महापुरुष का आभार व्यक्त कर सकें जिन्होंने संकट की घड़ी में बिना किसी स्वार्थ के उनका हाथ थामा।
सेवा की मिसाल: जब सरकारें पीछे हटीं, तब संत आगे आए
जुलाना क्षेत्र के पूर्व सरपंच कुलवंत लाठर ने भावुक होते हुए बताया कि भीषण बाढ़ के दौरान किसान पूरी तरह लाचार हो चुके थे। उन्होंने कहा, “जब हमारे खेतों में 2 से 4 फुट पानी खड़ा था, हमने हर सरकारी अधिकारी और विभाग के चक्कर लगाए, लेकिन कोई समाधान नहीं मिला। तब संत रामपाल जी महाराज की कृपा हुई और मात्र 24 घंटे के भीतर पाइप लाइनें और मोटरें पहुँचा दी गईं। देखते ही देखते सारा पानी निकल गया और हमारी फसलें बच गईं।”
पंजाब और हरियाणा में राहत कार्यों का व्यापक विस्तार
समारोह में लुधियाना (पंजाब) से आए समाजसेवी सरदार हरलवलीन सिंह ने संत रामपाल जी के कार्यों को नमन करते हुए बताया कि पंजाब में जब रावी दरिया ने कहर मचाया, तब संत जी के अनुयायियों ने दिन-रात सेवा की। उन्होंने विशेष रूप से उल्लेख किया कि:
- संत जी के माध्यम से पंजाब में गरीबों के लिए 10 घर बनाए जा चुके हैं और कई निर्माणाधीन हैं।
- लगभग 300 परिवारों को निरंतर निशुल्क राशन दिया जा रहा है।
- गंभीर मरीजों, विशेषकर जिनका डायलिसिस चल रहा है, उन्हें संत जी के सेवादार अपनी गाड़ियों में अस्पताल ले जाते हैं और वापस छोड़ते हैं।
प्रमुख व्यक्तित्वों के वक्तव्य और विचार
1. आनंद लाठर (खाप प्रतिनिधि):
“जब उत्तर भारत में बाढ़ ने तबाही मचाई, तब संत रामपाल जी महाराज एक भगवान की तरह प्रकट हुए। उन्होंने अकेले किसान को नहीं, बल्कि 36 बिरादरी को बचाने का काम किया है। किसान बचेगा तो देश बचेगा, और इस मुहिम को संत जी ने हकीकत में बदला है।”
2. कुलवंत लाठर (पूर्व सरपंच, शादीपुर):
“संत जैसे महापुरुषों की जगह जेलों में नहीं होती। वे आज करोड़ों लोगों के दिलों में बसते हैं। उनकी दया दृष्टि से ही आज हमारा क्षेत्र खुशहाल है।”
3. सरदार हरलवलीन सिंह (समाजसेवी, पंजाब):
“भक्ति वही है जो टूटे हुए मन को जोड़ दे और सेवा वही है जो मरते हुए व्यक्ति को सहारा दे। वह समय दूर नहीं जब संत रामपाल जी महाराज को उनके मानवीय कार्यों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।”
4. जगदीश (प्रतिनिधि, जुलाना बारा):
“इतिहास कांच के टुकड़ों से नहीं, फौलादी इरादों से बनता है। संत रामपाल जी जैसे दानवीर जगतगुरु ही आज के समय में सच्चे समाज सुधारक हैं।”
एक नन्हीं बच्ची की मार्मिक पुकार
समारोह का सबसे हृदयस्पर्शी क्षण वह था जब 10 वर्षीय करिश्मा ने अपनी कविता सुनाई। उसने अपनी पंक्तियों के माध्यम से बताया कि कैसे संत जी ने खेतों को दरिया बनने से रोका और मुरझाए हुए चेहरों पर मुस्कान लौटाई। उसकी कविता की ये पंक्तियाँ गूँज उठीं:
“बिना स्वार्थ के मोटर और पाइप भिजवाए, दिन रात मेहनत कर सबके खेत सुखवाए। सच्चा संत वही है जो दुख में काम आया है।”
सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध अभियान
वक्ताओं ने केवल कृषि सहायता ही नहीं, बल्कि संत रामपाल जी द्वारा चलाए जा रहे सामाजिक सुधारों की भी प्रशंसा की। संत जी के मार्गदर्शन में उनके करोड़ों अनुयायियों ने:
- दहेज प्रथा: पूरी तरह से त्याग दी है, जिससे गरीब परिवारों की बेटियाँ सम्मानपूर्वक विदा हो रही हैं।
- नशा मुक्ति: लाखों युवाओं को नशे के दलदल से निकालकर एक नई राह दिखाई है।
- जातिवाद का अंत: उनके आश्रमों में सभी धर्मों और जातियों के लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं, जो सामाजिक समरसता का अनुपम उदाहरण है।
मानवता का जागरण
आज जब दुनिया स्वार्थ और भौतिकता की अंधी दौड़ में शामिल है, संत रामपाल जी महाराज की शिक्षाएँ और उनके द्वारा किए जा रहे सेवा कार्य एक मशाल की तरह हैं। जुलाना का यह सम्मान समारोह केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि उन हजारों किसानों के हृदय की कृतज्ञता थी, जिन्हें संत जी ने बर्बादी से बचाया।
संत रामपाल जी महाराज ने यह सिद्ध कर दिया है कि आध्यात्मिक ज्ञान तभी सफल है जब वह समाज के अंतिम व्यक्ति के आँसू पोंछने के काम आए। वास्तव में, वे आधुनिक युग के वह संत हैं जो न केवल मोक्ष का मार्ग दिखा रहे हैं, बल्कि पृथ्वी पर मानवता को भी जीवित रख रहे हैं।



