सकट चतुर्थी (Sakat Chauth 2021) लोकवेद में फैला एक व्रत है जो गणेश जी के लिए रखा जाता है। हालांकि शास्त्रों में इसका कोई महत्व नहीं होने पर भी एक बड़े स्तर पर महिलाएं अपनी संतान के लिए यह व्रत रखती हैं। जानिए इस व्रत से मिलता है कितना लाभ?
Sakat Chauth 2021 के मुख्य बिंदु
- माघ मास की चतुर्थी तिथि को मनाई गई संकष्टी गणेश चतुर्थी
- गीता में वर्जित है व्रतादि क्रियाएं
- भगवान गणेश जी नहीं कर सकेंगे आयु वृद्धि
क्या है संकष्टी गणेश चतुर्थी (Sakat Chauth)?
संकष्टी गणेश चतुर्थी, सकट चौथ या सकट चतुर्थी लोकवेद और दंतकथा के अनुसार महिलाओं द्वारा सन्तान के लिए रखा जाने वाला व्रत है। इस व्रत का शास्त्रों में कोई प्रमाण नहीं है और न ही इस व्रत से कोई लाभ है किंतु फिर भी इस दिन औरतें निर्जला व्रत रहकर शाम को चन्द्र पूजन एवं गणेश पूजन के बाद अपनी संतानों के लिए आशीर्वाद मांगती हैं एवं इस प्रकार व्रत सम्पन्न करती हैं।
#GaneshChaturthi
— SA News Channel (@SatlokChannel) September 13, 2018
Our Holy scriptures say that Supreme God can increase the life of his devotees.
"Aadi Ganesha" or "The Almighty Lord KABIR" is the one who can extend life & destroy sins.
Ganesha is not Immortal God & he can't give salvation to his devotees#Aadi_Ganesha pic.twitter.com/HwbS7egjou
सकट चौथ (Sakat Chauth 2021) कितनी सफल?
सकट चौथ (Sakat Chauth) का यह व्रत जो शास्त्रों में लिखा ही नहीं बल्कि व्रत जैसी क्रियाएं जो वर्जित हैं उसे करने से कोई लाभ नहीं होता है। विचार करें जब सभी अपने प्रारब्ध कर्म यहाँ भोग रहे हैं, सभी रिश्ते नाते कर्म बन्धन के फलस्वरूप हैं और जिसकी जब मृत्यु है तब वह मृत्यु को प्राप्त होगा ही तो भला कैसे सम्भव है कि किसी व्रत से जो एक गलत साधना है उससे कुछ भी बदल सकता है। प्रारब्ध का लिखा और भाग्य से अधिक केवल तत्वदर्शी सन्त ही दे सकता है।
व्रत करना गीता में वर्जित
व्रत करना गीता में वर्जित है। एकादशी, अष्टमी या चतुर्थी आदि सभी शास्त्र विरुद्ध व्रत हैं जो शास्त्रों में वर्जित हैं। गीता अध्याय 6 के श्लोक 16 में बताया है कि बहुत खाने वाले का और बिल्कुल न खाने वाले का, बहुत शयन करने वाले का और बिल्कुल न सोने वाले का उद्देश्य कभी सफल नहीं होता है। अतः ये शास्त्र विरुद्ध क्रियाएं होने से व्रत आदि क्रियाएं कभी लाभ नहीं दे सकती हैं।
नकली गुरुओं ने बहकाया समाज को
वेदों पुराणों एवं गीता का यथार्थ ज्ञान न होने के कारण सब हिन्दू धर्म गुरु पढ़ते तो वेद और गीता हैं लेकिन अपने अनुयायियों से मूर्ति पूजा करवाते हैं, व्रत रखवाते हैं जो शास्त्रों में वर्णित क्रिया है ही नहीं। लोग लोकवेद पर आधारित अधिकांश व्रत अनुष्ठान करते रहते हैं एवं उन्हें कभी यथार्थ स्थिति का ज्ञान नहीं हो पाता है। आज समाज शिक्षित है किंतु वह अब भी अपने वेदों पुराणों से कोसों दूर है क्योंकि न वह स्वयं सही पढ़ सकता है और न ही उनके नकली धर्मगुरु। कबीर साहेब कहते हैं-
बेद पढ़ैं पर भेद न जानैं, बांचे पुराण अठारा |
पत्थर की पूजा करैं, भूले सिरजनहारा ||
क्या है शास्त्र अनुकूल विधि?
किसी भी समस्या का, बीमारी का चाहे वह लाइलाज क्यों न हो, किसी भी दुख का इलाज केवल शास्त्रों वर्णित उत्तम विधि यानी पूर्ण परमेश्वर कविर्देव की भक्ति से ही मिल सकता है। पूर्ण परमेश्वर कबीर ही एकमात्र अविनाशी, अजन्मा, अलेख, अविगत, दयालु और सर्व सृष्टिकर्ता है। वे सर्वोच्च सत्ता है जिनके ऊपर कोई नहीं।
■ Also Read: गणेश चतुर्थी 2020 (Ganesh Chaturthi) पर जानिए कौन है आदि गणेश?
तीन गुणों ब्रह्मा विष्णु महेश की साधना में लीन रहने वाले तो गीता अध्याय 7 के श्लोक 14-15 में मूढ़ और नीच बताए गए हैं तथा अध्याय 18 श्लोक 62 व 66 में उन्हीं पूर्ण अविगत अविनाशी समर्थ परमेश्वर कबीर की शरण में जाने के लिए कहा है जो सतलोक में रहते हैं।
तत्वदर्शी सन्त ही सारे बन्धन करेगें खत्म
तज पाखण्ड सत नाम लौ लावै, सोई भव सागर से तिरियाँ |
कह कबीर मिलै गुरु पूरा, स्यों परिवार उधरियाँ ||
मोक्ष केवल तत्वदर्शी सन्त दिला सकते हैं उनके अतिरिक्त इस पूरे ब्रह्मांड में कोई नहीं है जो मोक्ष दिला सके। अन्य सभी साधनाएं व्यर्थ हैं यहाँ तक की कई सिद्धियुक्त ऋषि मुनि भी इसी काल लोक में रह गए। गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में भी तत्वदर्शी सन्त की शरण में जाने के लिए कहा है। तत्वदर्शी सन्त या पूरा गुरु गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में लिखे तीन सांकेतिक मन्त्रों “ओम-तत-सत” के अनुसार नामदीक्षा देता है। केवल वही साधक मोक्ष प्राप्त कर सकता है जिसने तत्वदर्शी सन्त की शरण गही हो एवं ये तीनों मन्त्र पाए हों। तत्वदर्शी सन्त परमात्मा का नुमाइंदा या स्वयं परमेश्वर का अवतार होता है और तत्वदर्शी सन्त द्वारा बताई गई सत्य साधना से इस लोक में तो सुख होता ही है साथ ही परलोक का सुख अर्थात पूर्ण मोक्ष प्राप्त होता है और साधक सनातन परम् धाम को प्राप्त होता है।
वर्तमान में तत्वदर्शी सन्त
बिना विलम्ब किये वर्तमान में पूरे ब्रह्मांड में एकमात्र तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज जी से नामदीक्षा लें और अपना कल्याण करवाएं। अधिक जानकारी के लिए देखें सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल। आप शास्त्रों के ज्ञान एवं प्रमाण के लिए निःशुल्क पुस्तक “ज्ञान गंगा” ऑर्डर कर सकते हैं।
S A NEWS
Related posts
Stay connected
Trending News