पुनर्जन्म की सच्चाई: पहले मनुष्य जन्म मिला, फिर जीवन शुरू हुआ। फिर संभलना और चलना सीखा, पढ़ाई की, नौकरी की तलाश की, शादी हुई, बच्चे हुए, घर गृहस्थी संभाली, वृद्धावस्था व बीमारी का दुख सहा और फिर एक दिन स्टोरी एंड यानी खत्म। सभी सोचते हैं अभी ‘हमारी’ मृत्यु दूर है परंतु यहां एक पल का भी भरोसा नहीं। जन्म-मृत्यु का क्रम चौरासी लाख योनियों तक बना रहता है। आत्मा वही रहती है केवल ऊपर का वस्त्र या चोला बदलता रहता है।
कभी गर्भ में मरे, तो कभी बाहर आते ही मृत्यु हो गई ,तो किसी की किसी भी आयु, अवस्था में चलते चलते सांसे थम जाती हैं। मृत्यु अटल सत्य है और इसके कारण अंसख्य व अंतहीन हैं। मृत्यु किसी को यहां अमर नहीं होने देती। जीवन का सफर फिर भी चालू रहता है भले ही हम स्थूल शरीर के खत्म होने के बाद नहीं देख पाते की आत्मा के साथ क्या क्या घटित होता है परंतु इसका मतलब ये कतई नहीं है कि सूक्ष्म शरीर (आत्मा) की यात्रा स्थूल शरीर ( जो दिखाई देता है) के साथ समाप्त हो गई।
जन्म- मृत्यु और फिर पुनर्जन्म ( Rebirth) की यह प्रक्रिया अनवरत चलती रहती है जब तक कि इस पर रोक न लग जाए। आगे आपको विस्तार से समझाएंगे कि पुनर्जन्म क्या है और इसकी प्रक्रिया को किस प्रकार सदा सदा के लिए समाप्त किया जा सकता है। इस दौरान आपको पुनर्जन्म से जुड़े सभी प्रश्नों के जवाब देंगे। ब्लॉग को एक बार अंत तक ज़रूर पढ़िए क्योंकि हम लाए हैं आपके लिए क़ुरान से ऐसे प्रमाण जो आपने आज से पहले कभी नहीं समझे होंगे।
पुनर्जन्म क्या है?
दोबारा जन्म लेने की प्रक्रिया को पुनर्जन्म कहा जाता है, आत्मा अमर है यह तो कुत्ते, गधे की भी नहीं मरती। केवल शरीर नाशवान है। मृत्यु के बाद, आत्मा फिर से जीने के लिए एक नए शिशु (या जानवर) में स्थानांतरित हो जाती है। मृत्यु के बाद आत्मा का एक शरीर से दूसरे शरीर में जाना पुनर्जन्म कहलाता है।
क्या पुनर्जन्म बार बार होता रहता है?
हां, पुनर्जन्म होता रहता है तभी तो भगवान विष्णु ने त्रेतायुग में राम और फिर द्वापरयुग में श्रीकृष्ण बन कर जन्म लिया। सतयुग के राजा अंबरीष के कलयुग में गुरूनानक रुप जैसे साठ हजार बार जन्म होते रहे, पहले राबिया रूप में पैदा हुई जीवात्मा बाद में बांसुरी, फिर गणिका (वैश्या) और फिर कमाली बनी।
ऋषभ देव से महावीर जैन तक के लाखों बार जन्म हुए। सम्मन वाली आत्मा ही सुल्तान इब्राहिम था। पुनर्जन्म तब तक होता रहता है जब तक मनुष्य सतगुरू की शरण में नहीं आ जाता (श्रीमद्भागवत अध्याय 15 श्लोक 1-4 में सतगुरू तत्वदर्शी संत की पहचान बताई है)। सूक्ष्म शरीर जो स्थूल शरीर के अंदर होता है, वह भक्ति की शक्ति से तेजोमय हो जाता है। पुनर्जन्म में चौरासी लाख तरह के शरीरों से गुजरना होता है लेकिन सिर्फ एक ही मनुष्य जन्म में ये समाप्त भी हो सकता है। जी हां सतभक्ति करके मनुष्य आसानी से पुनर्जन्म के चक्र से छूट सकता है।
पुनर्जन्म की सच्चाई: मुसलमान समाज पुनर्जन्म को क्यों नहीं मानता?
विश्व के मनुष्य चार मुख्य धर्मों में विभाजित हैं और यह विभाजन इन्होंने स्वयं अपनी नादानी के कारण किया है जबकि अल्लाह एक है, धरती एक है फिर धर्म कैसे बने अनेक? (बाखबर संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा लिखित पुस्तक पढ़ें ‘मुसलमान नहीं समझे ज्ञान कुरआन’)। हमारा मुसलमान समाज भ्रमित है। यह अपनी पवित्र क़ुरान मजीद तथा प्यारे नबी मुहम्मद जी के विचार भी नहीं समझ सके। आपसे अनुरोध है कृपया अपने पवित्र ग्रंथों को अब पुनः पढ़े।
इस्लाम धर्म के अनुसार पुनर्जन्म एक मिथक है या वास्तविकता?
पुनर्जन्म की सच्चाई: मुस्लिम समाज या इस्लाम धर्म में एक अस्पष्ट धारणा है कि कोई पुनर्जन्म नहीं है, जबकि सच्चाई इसके विपरीत है। सबसे पहले, हम उस मिथक को जांचते हैं जो वर्तमान में प्रचलित है। मुस्लिम संतों के अनुसार, एक व्यक्ति सिर्फ एक बार जन्म लेता है। मृत्यु के बाद, उस व्यक्ति को कब्र में दफना दिया जाता है जहां वह कयामत आने तक रहता है। कयामत के दिन यानी जब महाप्रलय होगी, उस समय सभी को जिनके शरीर को कब्र में दफनाया गया था, उन्हें जीवित कर दिया जाएगा और उनके अच्छे और बुरे कर्मों का लेखा-जोखा होगा। जिन्होंने अच्छे कर्म किए वे स्वर्ग (जन्नत) में जाएंगे और जिन्होंने पाप किए हैं उन्हें नरक (दोजख) में भेजा जाएगा, जहां वे हमेशा के लिए रहेंगे।
पुनर्जन्म की सच्चाई: पुनर्जन्म को नही मानना गलत क्यों है?
पुनर्जन्म को ना मानने वाली धारणा हर तरीके से गलत है। इसके कई कारण है जैसे
- मृत्यु के बाद, शरीर निश्चित रूप से मृत रूप में कब्र में रहता है लेकिन आत्मा के साथ ऐसा नहीं है। आत्मा को धर्मराज के पास भेजा जाता है, जो भगवान के दरबार में मुख्य न्यायाधीश होता है, जहाँ वह अच्छे और बुरे कर्मों का हिसाब लेता है। अच्छे कर्मों का फल स्वर्ग में भोगा जाता है, जबकि बुरे कर्मों का फल नरक में जहां आत्मा को उन तरीकों से प्रताड़ित किया जाता है, जिन्हें अभिव्यक्त नहीं किया जा सकता है। फिर कर्माधार से आत्मा को इस नश्वर पृथ्वी पर चौरासी लाख जूनियों में पटक दिया जाता है।
- स्वर्ग और नरक स्वयं नाश्वान हैं और वे भी महाप्रलय के दिन नष्ट हो जाते हैं।
- जहां तक एक मानव शरीर के सिद्धांत का संबंध है, इस ग्रह पर रहने वाले जानवरों के बारे में क्या? वे कहाँ से उतरे?
सच्चाई यह है कि पुनर्जन्म होता है और प्रत्येक आत्मा जन्म और मृत्यु के चक्र में तब तक फंसी रहती है, जब तक की वह “इल्मवाले” संत की शरण में जाकर मोक्ष प्राप्त नही कर लेती।
पुनर्जन्म की सच्चाई: पवित्र कुरान शरीफ में पुनर्जन्म के संबंध में कुछ प्रमाण
- कुरान शरीफ – सूरह अल-मुल्क 67:2
जिसने मौत और ज़िन्दगी को पैदा किया ताकि तुम्हें आज़माए कि तुममें से काम में सबसे अच्छा कौन है और वह ग़ालिब (और) बड़ा बख्शने वाला है।
अल्लाह/प्रभु ने जीवन के साथ-साथ मृत्यु को भी जन्म दिया ताकि ये पता लग सके कि लोगों में पवित्र आत्मा कौन हैं जो अच्छे कर्म करते हैं। यहां, यह स्पष्ट किया गया है कि कर्म का सिद्धांत प्रबल होता है, जिसके कारण कुछ लोग अमीर होते हैं, जबकि अन्य गरीब होते हैं, कुछ स्वस्थ होते हैं जबकि अन्य अस्वस्थ होते हैं आदि।
- कुरान शरीफ – सूरह अल अंबिया 21:104
जिस दिन हम आकाश को लपेट लेंगे जैसे पंजी में पन्ने लपेटे जाते हैं, जिस प्रकार पहले हमने सृष्टि का आरंभ किया था उसी प्रकार हम उसकी पुनरावृति करेंगे। यह हमारे जिम्मे एक वादा है। निश्चय ही हमें ये करना है। यह पंक्ति मुसलमानों के विश्वास के विपरीत है, जिसमें यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि पुनर्जन्म होता है और जन्म और मरण का चक्र भी चलता रहता है।
- कुरान शरीफ – सूरह अल मुद्दस्सिर-74:26-27
मैं शीघ्र ही उसे नरक में डाल दूँगा। यह क्या जाने नरक (जहन्नम) क्या है? इससे भी कब्रों में रहने वाली बात गलत सिद्ध हुई। क़ुरान की उपरोक्त आयत यही स्पष्ट करती है कि जैसे हमने सृष्टि (कायनात) की रचना की थी। उसी प्रकार फिर सृष्टि की रचना करूँगा जिससे जन्म-मरण का बार-बार होना यानि पुनजर्न्म सिद्ध होता है।
जो सिद्धांत मुस्लिम शास्त्री व प्रवक्ता मानते हैं कि प्रलय के बाद जिंदा किए जाएँगे। उसमें यह भी स्पष्ट नहीं है कि वो किस आयु के होंगे यानि कोई दस वर्ष का, कोई कम, कोई 30, 40, 50, 60, 62, 65, 80 आदि वर्ष या अधिक आयु में मरेंगे या कब्रों में दबाए जाएँगे। फिर उसी आयु के उसी शरीर में जीवित किए जाएँगे या शिशु रूप में जीवित किए जाएँगे, इस बात पर मुसलमान प्रवक्ता मौन हैं। क़ुरान स्पष्ट करती है कि अल्लाह ने कहा है कि जैसे पहले सृष्टि की उत्पत्ति की थी (जो बाईबल यानि तौरेत पुस्तक में बताई गई है), वैसे ही पुनरावृत्ति करेंगे, यह पक्का वादा है।
- कुरान शरीफ – सूरह अल बकरा 2-28
तुम अल्लाह के साथ इंकार की नीति कैसे अपनाते हो । जबकि तुम निर्जीव थे। उसने तुम्हें जीवन प्रदान किया। फिर वही तुम्हारे प्राण लेगा। फिर वही तुम्हें पुनः जीवन प्रदान करेगा और फिर उसी ओर तुम्हें पलट कर जाना है।
- कुरान शरीफ – सूरह अल बकरा 2:25
जब नेक बंदे जन्नत में जाएंगे, दोबारा तब उनको याद आएगा, कि पहले भी कर्मफल के बदले यही जन्नत का सुख मिला था। अब भी वही कर्मों का प्रतिफल मिला है और यह सही है। जब वह दूसरी बार जन्नत में जाएंगे तो उनको कर्मों के फल स्वरुप जन्नत का सुख मिलेगा। इससे भी जन्म मृत्यु बार-बार होता है ऐसा सिद्ध होता है ।
- कुरान शरीफ – सूरह अल बकरा 2:243
तुमने उन लोगों के हाल पर भी कुछ सोच विचार किया जो मौत के डर से अपने घरबार छोड़कर निकले थे। अल्लाह ने उनसे कहा मर जाओ फिर उसने उनको दोबारा जीवन प्रदान किया। यह हकीकत है कि अल्लाह इंसान पर बड़ी दया करने वाला है। मगर अधिकतर लोग शुक्र नहीं करते।
- कुरान शरीफ – सूरह अल रूम 30:11
अल्लाह पहली बार सृष्टि को उत्पन्न करता है। फिर उसे दोहराएगा अर्थात दोबारा फिर उत्पन्न करेगा।
पुनर्जन्म की सच्चाई: पवित्र कुरान शरीफ की इन सभी आयतों से यह सिद्ध हो रहा है कि पुनर्जन्म होता है किंतु मुस्लिम समाज के नकली धर्मगुरुओं काज़ी, मौलानाओं के द्वारा दिए गए गलत ज्ञान की वजह से मुस्लिम समाज से क़ुरान शरीफ का यह पवित्र ज्ञान छुपा रहा। पवित्र कुरान शरीफ सूरत फुरकान 25 आयत नंबर 52 से 59 में स्पष्ट कहा गया है कि 6 दिन में सृष्टि रच के सातवें दिन तख्त पर जा विराजने वाले अल्लाह कबीर की जानकारी (उसका सत ज्ञान, उसकी हिदायतें) कोई बाखबर ही बता सकता है।
मुहम्मद जी ने नबियों और अपनी संतानों को दोजख और जन्नत में देखा
पुनर्जन्म की सच्चाई: नबी मुहम्मद जी को जबरील फरिस्ता बुराक नामक खच्चर जैसे पशु पर बैठाकर ऊपर ले गया। वहाँ पर जन्नत तथा जहन्नुम में नबी जी ने बाबा आदम तथा उनकी अच्छी बुरी संतान को स्वर्ग नरक में देखा। नबी ईशा, मूसा, दाऊद, अब्राहिम आदि आदि नबियों की जमात मंडली देखी। उनको नबी मुहम्मद जी ने नमाज़ अदा करवाई। फिर जन्नत/स्वर्ग के अन्य स्थानों का नजारा देखा। अल्लाह के पास गए। अल्लाह पर्दे के पीछे से बोला।
पाँच बार नमाज़, रोज़े तथा अजान करने का आदेश अल्लाह ने नबी मुहम्मद को दिया जिसको पूरा मुसलमान समाज पालन कर रहा है। यदि नबी ऊपर थे तो उनकी कब्र में कौन है, केवल उनका स्थूल शरीर। जबकि हज़रत मुहम्मद जी ने ऊपर जन्नत में बाबा आदम, मुसा, ईसा, दाऊद आदि को देखा। फिर तो उन सबको भी कब्र में रहना चाहिए था। इससे साफ ज़ाहिर होता है कि इस्लाम में भी पुनर्जन्म होता है।
पुनर्जन्म की सच्चाई: क़यामत तक कब्रों में रहने वाले सिद्धांत का खंडन
एक वलीद बिन मुगहरह नामक व्यक्ति ने पहले मुसलमानी स्वीकार की उसे अच्छे लाभ हुए। वह पहले विरोधियों का सरदार था। बाद में वह हज़रत मुहम्मद का विरोध करने लगा। क़ुरान को जादू करार देने लगा और इसे मानव द्वारा बोली वाणी बताने लगा। हज़रत मुहम्मद को जादूगर बताने लगा तब क़ुरान का ज्ञान देने वाले अल्लाह ने कहा, क़ुरान शरीफ़ (मजीद) सूर: मुद्दस्सिर 74 आयत 26-27 में कि मैं उसे शीघ्र ही नरक में झोंक दूँगा अर्थात भेज दूँगा और तुम क्या जानो क्या होता है नरक।
■ Read in English: Know The Quranic Verses That Testify Rebirth
इससे स्पष्ट है कि क़ुरान ज्ञान दाता तो क़यामत से पूर्व ही नरक में भेजने को कह रहा है इससे मुस्लिम भाइयों का क़यामत के समय कब्रों से निकाले जाने वाला सिद्धांत भी निराधार सिद्ध होता है।
अब जान लेते हैं कि क्या अल्लाह पृथ्वी पर आता है या नहीं?
मुसलमान धर्म के उलेमा, विद्वान कहते हैं कि अल्लाह ताला धरती के ऊपर मानव सदृश कभी नहीं आता। जैसा हिन्दू धर्म की पुस्तक श्रीमद्भगवत गीता के अध्याय 4 के श्लोक 7-8 में कहा है। गीता अध्याय 4 श्लोक 7
यदा यदा हि धमर्स्य ग्लानिः भवति भारतः।
अभ्युत्थानम् धमर्स्य तदा आत्मानाम् सृजामि अहम।।
अर्थात हे भारत अजुर्न। जब-जब पृथ्वी पर अधर्म बढ़ता है और धर्म की हानि होती है तब तब मैं अपने अंश अवतार पैदा करता हूँ। वे पृथ्वी पर जन्म लेते हैं। गीता अध्याय 4 श्लोक 8
परित्राणाय साधूनाम विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्म संस्थापनाथार्य सम्भवामि युगे युगे।।
अर्थात साधु महापुरूषों का उद्धार करने के लिए पापकर्म करने वालों का विनाश करने के लिए और धर्म की स्थापना करने के लिए अपने अवतार उत्पन्न करता हूँ। परंतु मुसलमान ऐसा नहीं मानते।
पुनर्जन्म की सच्चाई: मुस्लिम धर्म प्रचारकों के विचार उनका शंका समाधान
पुनर्जन्म की सच्चाई: कई मुसलमान धर्म प्रचारकों और प्रवक्ता ज़ाकिर नायक जी का कहना है कि जैसे इंजीनियर ने DVD Player बना दिया। उसको चलाने, समझने के लिए User Manual लिखकर दे दिया। अब Manual पढ़ो और DVD Player चलाओ। इंजीनियर किस लिए आएगा? यानि परमात्मा अल्लाह ने मानव, स्त्री, पुरूष बनाया। फिर धमर्ग्रंथ जैसे पवित्र कुरान, बाइबल, तौरेत, जबूर तथा इंजिल अल्लाह ने Manual रूप में भेज दिए। इनको पढ़ो और अपने धर्म कर्म करो।
परंतु यदि Manual जन साधारण नहीं समझ पाता और उसका DVD Player काम नहीं करता तो इंजीनियर उसे समझाने आता है। जैसे अल्लाह कबीर ने सूक्ष्मवेद रूपी Manual काल ब्रह्म यानी ज्योति निरंजन के पास भेजा था। इसने सूक्ष्मवेद का अधूरा ज्ञान चार वेदों, गीता, क़ुरान, जबूर, तौरेत तथा इंजिल इन चार किताबों आदि ग्रंथों में भेज दिया। उस अधूरे ज्ञान रूपी Manual को भी ठीक से न समझकर सर्व धर्मों के व्यक्ति शास्त्रों के विपरित साधना करने लगे तो कादर अल्लाह यानि इंजीनियर सम्पूर्ण अध्यात्म ज्ञान सूक्ष्मवेद रूपी Manual लेकर आया था और युगों युगों में आता है। अच्छी आत्माओं को मिलता है। उनकी भक्ति में उलझन को सुलझाता है। उनको यथार्थ अध्यात्म ज्ञान बताता है। फिर वे संत अपनी गलत साधना को त्यागकर सत्य भक्ति करके मोक्ष प्राप्त करते हैं।
कुरान से अल्लाह के खुद आकर ज्ञान देने का प्रमाण
क़ुरान मजीद की सूरा अल हदीद-57 की आयत नं 26-27 में क़ुरान ज्ञान देने वाले ने कहा है कि रहबानियत (सन्यास) की प्रथा कुछेक साधकों ने खुद आविष्कृत की। जबकि हमने उनके लिए अनिवार्य नहीं किया। मगर अल्लाह की खुशी यानि परमात्मा से मिलने की तलब में उन्होंने खुद ही यह नई चीज़ निकाली।
पुनर्जन्म की सच्चाई: यह उन मुसलमान फकीरों के लिए कहा है जिनको कादर अल्लाह अपना नबी आप बनकर आता है और नेक आत्माओं को मिलता है। उनको अल्लाह की इबादत का सही तथा सम्पूर्ण ज्ञान देता है। फिर वे उस साधना को करने लगते हैं। अपने धर्म में प्रचलित इबादत त्याग देते हैं। उनका विरोध उन्हीं के धर्म के व्यक्ति करने लगते हैं। जिस कारण से वे सन्यास ले लिया करते थे। काल ब्रह्म यानि ज्योति निरंजन प्रत्येक धर्म के व्यक्तियों को भ्रमित करके उनके अपने धर्म ग्रन्थों के विपरित इबादत बताता है। अपने दूत भेजता रहता है। तप करने की प्रेरणा करता है। कठिन साधना करने की प्रेरणा करता है। परमात्मा प्राप्ति की तड़फ में साधक वह करने लगता है। पूर्ण परमात्मा कादर अल्लाह उनको मिलता है। यथार्थ आसान नाम जाप करने की विधि इबादत पूजा बताता है।
उदाहरण के लिए शेख फरीद जी पहले मुसलमान धर्म में प्रचलित साधना करते थे। फिर एक तपस्वी फकीर के बताए अनुसार गलत साधना कर रहे थे। स्वयं अल्लाह ताला जिंदा बाबा के वेश में उनको मिले। यथार्थ भक्ति विधि बताई। उनका कल्याण हुआ।
क्या कुरआन मजीद शरीफ का ज्ञान बताने वाला बाखबर है?
मुसलमान भाई कहते हैं कि हमारे खुदा ने हजरत मुहम्मद जी पर क़ुरान मजीद का ज्ञान उतारा। हम उस अल्लाह को सजदा सिर झुकाकर जमीं पर रखकर सलाम करते हैं। मुसलमान भाई विचारें कि कुरआन मजीद के ज्ञान दाता ने सूरा फुरकान 25 आयत नं 52-59 में अपने से अन्य खुदा के विषय में बताया है कि जिसने सारी कायनात को पैदा किया। वह अपने भक्तों के पाप माफ करता है। उसी ने मानव पैदा किए। फिर किसी को दामाद और बहू बनाया। मीठा, खारा जल पृथ्वी में भिन्न भिन्न भरा। वह छः दिन में सब रचना करके सातवें दिन तख्त पर जा बैठा। उसकी खबर किसी बाखबर तत्त्वदर्शी संत से पूछो। इससे स्पष्ट है कि कुरआन मजीद शरीफ का ज्ञान बताने वाला बाखबर नहीं है। मुसलमान भाई उस अल्प ज्ञान वाले को सिर झुकाकर सलाम सजदा करते हैं।
क्या हजरत मुहम्मद सल्ल. बाखबर नहीं हैं? क्या इनके द्वारा बताई गई इबादत से जन्नत में नहीं जा सकते?
क़ुरान की सूरः फुरकानि 25 आयत नं 52-59 में क़ुरान का ज्ञान देने वाला अल्लाह स्पष्ट कर रहा है जिसने सब सृष्टि के सब जीव उत्पन्न किए। वह कादर अल्लाह है। उसने छः दिन में सृष्टि की रचना की। फिर आसमान पर तख्त पर जा बैठा। उसकी उसकी खबर किसी बाखबर तत्त्वदर्शी संत से पूछो। हजरत मुहम्मद जी को तो कुरआन वाला ज्ञान था। जब हजरत मुहम्मद का खुदा ही बाखबर नहीं है तो उसका भेजा नबी बाखबर कैसे हो सकता है। जब ज्ञान ही अधूरा है तो जन्नत में कैसे जाया जा सकता है। जब बाखबर नहीं है तो जन्नत में भी नहीं जा सकता।
संत गरीबदास जी ने कहा है कि:
नबी मुहम्मद नहीं बहिसत सिधाना।
पीछे भूला है तुरकाना।।
अर्थात नबी मुहम्मद ही बहिसत स्वर्ग नहीं गया। उसके पीछे लगकर सब तुर्क मुसलमान यथार्थ भक्ति मार्ग को भूले हुए हैं। वे भी जन्नत में नहीं जा सकते। हज़रत मुहम्मद सल्ल. कुरआन शरीफ को बोलने वाले खुदा के भेजे हुए पैगम्बर हैं ना कि अल्लाह कबीर के भेजे हुए।
क्या वास्तविकता में हज़रत मुहम्मद अल्लाह के भेजे नबी नही है?
इसके लिए आप जी एक नज़र जीवनी हजरत मोहम्मद सल्ल. पर डालें जिससे पता चलेगा कि हजरत मौहम्मद सल्ल पाक आत्मा रूह को पूरी ज़िन्दगी दुःखों का सामना करना पड़ा। बचपन में ही अब्बू (पिता जी) अम्मी (माता जी) का साया उनके ऊपर नहीं रहा। उनके चाचा जी ने उनकी परवरिश की थी। जवान हुए तो दो बार विधवा (बेवा) हो चुकी खदीजा से निकाह हुआ। वो भी ज्यादा समय तक उनके साथ न रह सकी। तीन पुत्र तथा चार बेटी संतान हुई। उनकी आँखो के सामने उनके तीनों पुत्र भी इंतकाल को प्राप्त हुए।
जिस खुदा की दिन रात सच्चे दिल से इबादत नबी जी किया करते थे। उनके बताए कुरआन मजीद वाले ज्ञान का प्रचार करने में काफिरों के पत्थर खाए, सिर फुड़वाया। अनेकों यातनाएँ काफिरों ने दी। सब सहन करते हुए कुरआन का ज्ञान फैलाया। उस सारे संघर्ष तथा उसकी इबादत करने से हजरत मुहम्मद सल्ल को पूरा जीवन दुःखों में गुजारना पड़ा और वे जीवन के आखिरी क्षणों में भी तड़फ तड़फकर इंतकाल को प्राप्त हुए तो आप जी खुद ही अनुमान लगा सकते हो। वे काल ब्रह्म के नबी थे।
खुदा कबीर अल्लाहू अकबर के भेजे हुए नहीं थे। इसलिए उनके द्वारा बताई गई इबादत रोज़े, नमाज़ और जकात देने, ईद बकरीद मनाने आदि के करने से जन्नत में नहीं जाया जा सकता। जन्नत में केवल एक कबीर खुदा की इबादत बाखबर संत रामपाल जी महाराज की शरण ग्रहण करके इनके द्वारा बताई भक्ति आजीवन मर्यादा में रहकर करके जन्नत में जाया जा सकता है न कि मोहम्मद सल्ल. को कुरआन ज्ञान दाता अल्लाह के द्वारा बताई गई साधना इबादत से।
कुरान में बताया बाखबर किसे कहते हैं?
सभी किताबों का इल्म रखने वाले और खुदा की सच्ची इबादत बताने वाले को बाखबर कहते हैं। उसे ही हिन्दु समाज, धर्म में तत्त्वदर्शी संत, सिख समाज में वाहेगुरू, ईसाई समाज में मसीहा अर्थात परमेश्वर का जानकार और मुस्लिम समाज में बाखबर कहते हैं। बाखबर ही हमें इस जहान में आकर खुदा कबीर साहेब जी की पूर्ण जानकारी तथा सच्ची इबादत का तरीका बताता है। खुदा कौन है, कैसा है, कहाँ रहता है ये सब बाखबर ही बताता है। आज वतर्मान समय में बाखबर केवल इस जहान में संत रामपाल जी महाराज हैं।
कौन है वर्तमान में बाखबर?
पवित्र कुरआन मजीद से प्रमाण सूरः बकरा 2 आयत नं 114 है कि वह बाखबर संत रामपाल जी महाराज ही हैं जिन्होंने वर्तमान समय में एक कादर खुदा कबीर के विषय में बताया और उनकी इबादत करने का सही तरीका बताया है जो हमारी सभी किताबों जैसे तौरेत, जबूर, इंजिल और कुरआन में प्रमाण है। इनसे पहले किसी भी हिन्दु गुरू या ऋषि ने तथा पैगंबर ने यह नहीं बताया कि कबीर ही वह खुदा है जिसको हमारी कुरआन शरीफ और चारों वेद प्रमाणित करते हैं। इससे यह साबित होता है कि उस अल्लाह कबीर का भेजा हुआ बाखबर तत्त्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज हैं। मुस्लिम धर्म के गुरूओं, मौलानाओं को पवित्र कुरआन शरीफ का इल्म (ज्ञान) न होने के कारण उन्होंने बाखबर मोहम्मद सल्ल. को समझ लिया।
अंत में विश्वभर के मुस्लिम समुदाय से यही कहेंगे कि पुनर्जन्म होता है और आप सभी से यह प्रार्थना भी करेंगे कि कृपया करके अपने सच्चे बाखबर, रहनुमा, खुदा के भेजे हुए वतर्मान में नबी पैगम्बर अवतार जो कि संत रामपाल जी महाराज हैं उनकी शरण में आएं और जन्नत में जाने का रास्ता इख्तयार करें। कुरआन मजीद का ज्ञान दाता इबादत के योग्य नहीं है क्योंकि वह बाखबर नहीं है। संत रामपाल जी महाराज बाखबर कादर अल्लाह हैं। क़ुरान का ज्ञान समझने के लिए कृपा डाउनलोड करें Sant Rampalji Maharaj App.