July 27, 2024

Rang Panchami 2022 (Hindi): जानिए रंग पञ्चमी पर्व का आध्यात्मिक महत्व

Published on

spot_img

2022 रंग पञ्चमी (Rang Panchami in Hindi): पञ्चमी तिथि 22 मार्च 2022 को 6:25 से 23 मार्च 2022 4:20 तक रहेगी। इसी तिथि में देशभर में रंग पञ्चमी का पर्व मनाया जा रहा है। यह पर्व होली के 5 दिन बाद मनाया जाता है। रंग पञ्चमी को होली का आखिरी पर्व माना जाता है क्योंकि देश भर में होली का पर्व करीब एक महीने पहले अलग-अलग ढ़ंग से मनाया जाता है।

रंग पञ्चमी (Rang Panchami 2022 ): मुख्य बिन्दु

  • रंग पञ्चमी पर्व होली के 5 दिन बाद मनाया जाता है
  • पञ्चमी तिथि 22 मार्च 2022 को देशभर में रंग पञ्चमी का पर्व मनाया को मनाया गया
  • मध्यप्रदेश में इंदौर शहर की रंग पञ्चमी सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है
  • सांसारिक होली के रंग फीके हैं जो कुछ ही घंटों में धुल जाते हैं, लेकिन राम नाम की होली के रंग कभी नहीं धुलते बल्कि समय के साथ और गहरे होते चले जाते हैं
  • तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से नामदीक्षा लेकर सतभक्ति की होली खेली जाती है 

Rang Panchami 2022 (Hindi): क्या है रंगपञ्चमी त्योहार और महत्व

2022 रंग पञ्चमी: चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि को होली का त्योहार मनाया जाता है और होली के पांचवें दिन रंग पञ्चमी का त्योहार आता है। 

2022 रंग पञ्चमी (Rang Panchami in Hindi): रंग पञ्चमी पर पवित्र मन से पूजा पाठ देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आस्था अनुसार करते है। इस दिन श्रद्धालुओं का मानना है कि नवग्रहों की पूजा से किसी भी पीड़ा को आसानी से खत्म किया जा सकता है। कुंडली में छिपा बड़े से बड़ा दोष भी इस दिन खत्म हो सकता है। इस बार रंग पञ्चमी मंगलवार को 22 मार्च 2022 को हैं। इस लेख में पाठकगण मान्यताओं का वास्तविक पक्ष भी जानेंगे।  

Rang Panchami 2022: रंग पञ्चमी कब मनाई जाती है

2022 रंग पञ्चमी: होली के 4 दिन बाद ये त्योहार मनाया जाता है। चैत्र माह में कृष्ण पक्ष की पञ्चमी को रंग पञ्चमी का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष ये पर्व 22 मार्च 2022 के दिन है। 

रंग पञ्चमी कहां अधिक मनाईं जाती है

2022 रंग पञ्चमी: मध्यप्रदेश में इंदौर शहर की रंग पञ्चमी सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। यहां होली वाले दिन से कहीं ज्यादा धूम रंग पञ्चमी के दिन देखने को मिलती है। इस दिन यहां एक जुलूस निकाला जाता है। जिसे गेर कहा जाता है। इस जुलूस में लाखों लोग बाहर से आकर शामिल होते हैं। कहा जाता है कि ये परंपरा होलकर वंश के समय से ही चली आ रही है। इसका उद्देश्य है आपस में मिलजुलकर इस पर्व को मनाना जिससे आपसी भाईचारा बना रहे।

2022 Rang Panchami (Hindi): क्या है सही विधि रंग पञ्चमी मनाने की

पूर्ण परमेश्वर कबीर जी ने कहा है कि:-

कबीर, यह माया अटपटी, सब घट आन अड़ी।

किस-किस को समझाऊँ, या कूए भांग पड़ी।

कबीर, सदा दिवाली संत की, बारह मास बसंत।

प्रेम रंग जिन पर चढ़े, उनके रंग अनंत ।।

पवित्र सदग्रंथों में और सूक्ष्मवेद में परमात्मा के गुणों का वर्णन है जिसमें बताया गया है कि पू्र्ण परमात्मा अपने साधक के सर्व पापों को नष्ट कर सकता है और सर्व प्रकार से अपने साधक की रक्षा भी करता है। वह साधक को सतभक्ति प्रदान करके अपने निजधाम शाश्वत स्थान सतलोक (सुखसागर) ले जाता है। इसी को परमात्मा ने प्रेम रंग चढ़ने से अनंत रंग होने की बात कही है।  

तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के आध्यात्मिक तत्वज्ञान द्वारा कैसे मनाएं असली रंग पञ्चमी

2022 रंग पञ्चमी: तत्त्वज्ञान न होने के कारण जन साधारण अलग अलग रंगों से इस पर्व को मनाते है लेकिन इससे सुख शान्ति नही हो सकती है। जब तक हम पूर्ण संत से नामदीक्षा लेकर सतभक्ति नहीं करेंगे तब तक यहां काल भगवान की भूल भुलैया में पड़े रहेंगे और दुखों से ग्रसित रहेंगे। सांसारिक होली के रंग फीके हैं जो कुछ ही घंटों में धुल जाते हैं। लेकिन राम नाम की होली के रंग कभी नहीं धुलते बल्कि समय के साथ और गहरे होते चले जाते हैं। जिस प्रकार भक्त प्रह्लाद ने भक्ति करके परमेश्वर को याद किया जिससे उसकी सदैव रक्षा हुई। तो क्यों ना हम भी उस परमेश्वर को सदा याद करें जिससे हमारी भी सदैव रक्षा हो।

कबीर परमेश्वर की गुरु प्रणाली के प्रसिद्ध संत गरीबदास जी ने अपनी वाणी द्वारा बताया है कि:-

एक लेवा एक देवा दूतं, कोई काहू का पिता न पूतं।

ऋण सम्बन्ध जुड़ा एक ठाठा, अंत समय सब बारा बाटा।। 

भावार्थ:- शुकदेव जी ने कहा कि जो परिवार के सदस्य बेटा-पिता आदि-आदि नातों में हैं, वे सब पूर्व जन्मों का ऋण लेने या देने के लिए जुड़े हैं। वास्तव में कोई किसी का पिता-पुत्र नहीं है। मृत्यु के उपरांत सब अपने-अपने संस्कारवश भिन्न स्थानों पर जाकर अन्य शरीर धारण कर लेते हैं। इसलिए कोई किसी का पिता-पुत्र नहीं है।

Rang Panchami 2022 (Hindi): निष्कर्ष और संदेश

रंग पञ्चमी के मनाने की विधि शास्त्र प्रमाणित न होने कारण इस पर्व को शास्त्र विरुद्ध पूजा त्योहार कहा जाएगा। मानव समाज के लिए परमात्मा का संविधान है जैसे पवित्र चार वेद, गीता और कबीर साहेब जी की वाणी, जो इनमें लिखा है वहीं हमारे लिए शिरोधार्य है, बाकी सभी शास्त्रविरुद्ध साधना कहलाती है। 

पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर साहेब) ही सभी आत्माओं के जनक है हमें कालजाल से निकालने के लिए आते और सतभक्ति देकर सतलोक ले जाते है और उन्हीं की गुरु परंपरा के सतगुरु महापुरुष आज वर्तमान में तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के रूप इस पावन धरती पर आये हुये हैं। आप सभी से प्रार्थना है कि उनसे नाम उपदेश ले और अपना कल्याण कराये। पूर्ण जानकारी के गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करें Sant RampalJi Maharaj एप्प।

Latest articles

Dr. A.P.J. Abdul Kalam Death Anniversary: Know The Missile Man’s Unfulfilled Mission

Last updated on 26 July 2024 IST | APJ Abdul Kalam Death Anniversary: 27th...

Kargil Vijay Diwas 2024: A Day to Remember the Martyrdom of Brave Soldiers

Every year on July 26th, Kargil Vijay Diwas is observed to honor the heroes of the Kargil War. Every year, the Prime Minister of India pays homage to the soldiers at Amar Jawan Jyoti at India Gate. Functions are also held across the country to honor the contributions of the armed forces.
spot_img

More like this

Dr. A.P.J. Abdul Kalam Death Anniversary: Know The Missile Man’s Unfulfilled Mission

Last updated on 26 July 2024 IST | APJ Abdul Kalam Death Anniversary: 27th...

Kargil Vijay Diwas 2024: A Day to Remember the Martyrdom of Brave Soldiers

Every year on July 26th, Kargil Vijay Diwas is observed to honor the heroes of the Kargil War. Every year, the Prime Minister of India pays homage to the soldiers at Amar Jawan Jyoti at India Gate. Functions are also held across the country to honor the contributions of the armed forces.