रमैनी विवाह: संत रामपाल जी के सानिध्य में देश आज दहेज मुक्त भारत की ओर अग्रसर हो रहा है.
कौन लोग दहेज से परहेज़ करने लगे हैं?
रमैनी विवाह: संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य आध्यात्मिक ज्ञान को समझने के बाद यह समझ चुके हैं कि दहेज विष के समान है। दहेज देकर बेटी माता के धन से कितने दिनों तक सुखी जीवन जी पाएगी। दहेज के लेन देन ने बेटी को माता पिता पर बोझ बना दिया था। जिस कारण लड़की की परवरिश पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पडा़। परंतु अब लोगों की सोच बदल रही है। आध्यात्मिक ज्ञान अज्ञान की जड़ उखाड़ रहा है।
बेटी को बोझ क्यों मानते हैं?
■ दहेज देने के कारण बेटी को माता पिता पर बोझ माना जाता है।
समाज को दहेज मुक्त कौन बना रहा है?
■ संत रामपाल जी के अथक प्रयासों से भारत के लोग अब अपने बच्चों का दहेज मुक्त विवाह करने लगे हैं।
दहेज रहित विवाह/ रमैणी ( आध्यात्मिक शब्द)
रमैनी विवाह: ऐसा ही दहेज रहित साधारण विवाह हुआ राजस्थान के जिला जयपुर की तहसील शाहपुरा में जहां एक साथ दो जोड़ों के अनोखे विवाह हुए । इस विवाह को देख कर लोग अचंभित थे क्योंकि इस विवाह में न तो पंडित था, न बारात थी , न गाना – बजाना था । केवल 17 मिनट में विवाह संपन्न हो गया। संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा उच्चारित अमृत वाणी / रमैणी के माध्यम से दूल्हा दुल्हन एक दूजे के हो गए। परिवार वालों ने बताया कि संत रामपाल जी की विचारधारा से प्रभावित होकर यह दोनों शादियां हुई हैं। इनमें किसी भी प्रकार का दहेज का लेन देन नहीं हुआ। ऐसे ही दहेज रहित विवाह आज मता पिता का धन ही नहीं बचा रहे बल्कि समाज में आशावादी बदलाव भी ला रहे हैं।
क्या बेटी अब भी बोझ समान है?
बिल्कुल नहीं! बेटी माता-पिता पर बोझ नहीं होती है । संत रामपाल जी बताते हैं ,बेटी गऊ जैसी निर्मल आत्मा वाली होती है। उदाहरण के लिए , बेटा बेटी दोनों भोजन कर रहे हों और बेटे से यदि कहा जाए वह फलाना चीज़ उठा कर ला दे तो कहेगा मैं क्यों जाऊं? मेरी बहन को कह दे पिता जी और बेटी बिना कहे ही सब काम झट से कर देती है। सदा माता पिता की आज्ञा में रहती है। ऐसी निर्मल आत्मा माता पिता पर कभी बोझ नहीं होती।
हज़ारों परिवार गवाह हैं जहां बेटी को बिना दहेज के विदा किया गया और बहू को एक ही जोड़े में विवाह कर घर लाया गया।