November 22, 2024

Rabindranath Tagore Jayanti 2024 [Hindi]: राष्ट्रगान के रचयिता रबीन्द्रनाथ ठाकुर की जयंती पर असली विश्वगुरु को पहचानिए

Published on

spot_img

Last Updated on 7 May 2024 IST: Rabindranath Tagore Jayanti in Hindi | भारतवर्ष में गुरुदेव नाम से प्रसिद्ध रबीन्द्रनाथ ठाकुर जी का जन्म 07 मई 1861, (बंगाली पंचाग के बोईसाख माह के 25वें दिन), में कलकत्ता (वर्तमान के कोलकाता) में हुआ था। इस वर्ष रबीन्द्रनाथ ठाकुर जी की 163वीं जयंती है। 

Table of Contents

Rabindranath Tagore Jayanti in Hindi [2024] के मुख्य बिंदु

  • रबीन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी 
  • मानवता का संदेश देते रबीन्द्रनाथ ठाकुर
  • रबीन्द्रनाथ ठाकुर का शिक्षा दर्शन
  • वर्तमान में मानवता की पुनः स्थापना
  • सन्त रामपाल जी ने किया कट्टरवाद खत्म

रबीन्द्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) का प्रारम्भिक जीवन

रबीन्द्रनाथ  जी (Rabindranath Tagore Jayanti in Hindi) अपनी माता श्री शारदा देवी और पिता श्री देवेंद्रनाथ ठाकुर जी की सबसे छोटी संतान थे। इन्हें बचपन में “रबी” नाम से बुलाते थे। रवींद्र जी का जन्म कलकत्ता (वर्तमान के कोलकाता) के उच्च ब्राह्मण परिवार में हुआ था। रवींद्र ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट जेवियर विद्यालय में शुरू की। रवींद्रनाथ जी के पिता श्री देवेंद्रनाथ ठाकुर जी की इच्छा थी कि रवींद्र जी बैरिस्टर बनें। 

इसके लिए उन्होंने उच्च शिक्षा के उद्देश्य से रवींद्र जी को इंग्लैंड भेजा। रवींद्र जी ने ब्रिजटोन (पूर्वी ससेक्स) के एक पब्लिक स्कूल में सन 1878 में प्रवेश पाया। बैरिस्टर की पढ़ाई के लिए इन्होंने लंदन विश्वविद्यालय में भी दाखिला लिया परंतु अरुचि होने के कारण उन्होंने कुछ समय बाद बैरिस्टर की पढ़ाई छोड़कर, शेक्सपीयर के द्वारा लिखे कई लेख खुद से ही पढ़ने शुरू किए।

रवींद्रनाथ टैगोर का संक्षिप्त जीवन परिचय

रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861 को पश्चिम बंगाल की राजधानी कलकत्ता (पूर्व ब्रिटिश भारत) में एक संपन्न बंगाली परिवार में हुआ था। उनके पिता देवेंद्र नाथ टैगोर थे और उनकी माता शारदा देवी थीं। टैगोर जी अपने माता पिता के तेरहवीं संतान थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा कलकत्ता में ही हुई। बचपन से ही उन्हें साहित्य के प्रति बहुत रूचि थी। मात्र 08 वर्ष की अल्प आयु में उन्होंने अपनी पहली कविता लिखी थी। वहीं 16 वर्ष की आयु में उनकी पहली लघुकथा प्रकाशित हुई थी। रवींद्रनाथ टैगोर एक महान कवि, साहित्यकार, संगीतकार और पेंटर भी थे। उन्होंने अपने जीवन में लगभग 2000 से ज्यादा गीत लिखे थे वहीं 7 अगस्त, 1941 को 80 वर्ष की आयु टैगोर जी का भी निधन हो गया।

इंग्लैंड से लौटकर रबीन्द्रनाथ जी का विवाह ब्राह्मण समाज के रीति रिवाज के अनुसार बेनिमाधोब रॉय चौधरी की 9 वर्षीय पुत्री मृणालिनी जी से 9 दिसंबर 1883 को हुआ। हालांकि इनका वैवाहिक जीवन इतना सुखमय नहीं था। मृणालिनी जी से रबीन्द्रनाथ ठाकुर की पांच संतानें थीं जिनमें दो पुत्र रथींद्रनाथ ठाकुर, शमींद्र नाथ ठाकुर और तीन पुत्रियां मधुरिका देवी, रेणुका देवी और मीरा देवी ठाकुर जी थे। विवाह के 19 वर्ष पश्चात, मात्र 28 वर्ष की उम्र में मृणालिनी जी की मृत्यु (1902) हो गई और बाद में उनकी दो संतान रेणुका (1903 में) और शमीन्द्रनाथ (1907 में) का भी निधन हो गया। मृणालिनी जी की मृत्यु के बाद रबीन्द्रनाथ जी ने कोई विवाह नहीं किया।

साहित्यकार रबीन्द्रनाथ ठाकुर

रबीन्द्रनाथ ठाकुर बचपन से ही कविताओं और कथाओं के प्रति रुझान रखते थे। इन्होंने आठ वर्ष की उम्र में ही कविता लिखना प्रारंभ कर दिया था। इसके बाद इन्होंने अनेकों कविताएं लिखीं, जिनमें से सबसे प्रथम प्रकाशित कविता ‘अग्रहायण’ थी जो 1874 में प्रकाशित की गई थी। इन्होंने 50 से अधिक कविताएं भी लिखीं इनमें से प्रसिद्ध कविता ‘गीतांजली’ भी थी । रबीन्द्रनाथ जी के द्वारा कई अनेक उपन्यास भी लिखे गए थे, जिनमें सर्व प्रथम ‘उपन्यास वाल्मीकि’ प्रतिभा था ।

■ Read in English | Rabindranath Tagore Jayanti: On Birth Anniversary Know About the Actual ‘Gurudev’

इन्होंने और भी अनेक उपन्यास लिखे जिनमें मुख्यतः ‘गोरा’, ‘चोखर बाली’, ‘चार अध्याय’ हैं। रबीन्द्रनाथ ठाकुर जी मुख्य रूप से बंगला में रचनाएं लिखते थे परंतु उन्होंने हिंदी और संस्कृत भाषा में भी रचनाएं की। इन्होंने कई लेखों का अंग्रेजी अनुवाद भी किया था। 

राष्ट्रगान के रचयिता रबीन्द्रनाथ ठाकुर

साहित्य के अलावा रबीन्द्रनाथ जी संगीत में भी विशेष रुचि रखते थे। यही कारण था कि इन्होंने विभिन्न संगीत नाटक लिखे थे। कवि होने के साथ साथ रवींद्र नाथ ठाकुर जी उपन्यासकार, निबंधकार, नाटककार, कहानी लेखक, समाज सेवक और लघु कथा लेखक भी थे। रवींद्र नाथ ठाकुर जी चित्रकला में भी निपुण थे। भारत के राष्ट्रगान जन-गण-मन और बांग्लादेश के राष्ट्रगान आमार-शोनार-बांग्ला की रचना का महान कार्य भी इन्होंने ही किया था ।

Rabindranath Tagore Jayanti [Hindi]: नोबल पुरस्कार पाने वाले एशिया के प्रथम कवि

गीतांजलि के 1912 में प्रकाशित होने पर रबीन्द्रनाथ जी को सन 1913 में  नोबल पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया था। रवींद्र नाथ ठाकुर जी एशिया में सबसे प्रथम नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कवि के नाम से भी जाने जाते हैं। रबीन्द्रनाथ ठाकुर को 1915 में जॉर्ज पंचम की ओर से नाइटहुड यानी ‘सर’ की उपाधि से नवाजा गया था। उन्होंने 1919 में हुए जलियाँ वाला बाग कांड से आहत होकर ब्रिटिश सरकार को यह उपाधि लौटा दी थी। 

रबीन्द्रनाथ ठाकुर के समाजोपयोगी कार्य (Social Works of Rabindranath Tagore)

रबीन्द्रनाथ ठाकुर की शिक्षा नीति अब तक उल्लेखनीय है। वे शिक्षा को प्रकृति एवं रुचि के अनुरूप बनाना चाहते थे। उन्होंने इसी प्रकार प्रकृति की गोद में शिक्षा के लिए शांतिनिकेतन की स्थापना की। उन्हें मानव की क्षमता पर विश्वास था। रबीन्द्रनाथ ठाकुर कट्टर राष्ट्रवाद के विरोधी थे। वे ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ पर आधारित समाज के पक्षधर थे। रबीन्द्रनाथ ठाकुर ने शांतिनिकेतन, श्रीनिकेतन, शिक्षा सत्र जैसी संस्थाओं की स्थापना की थी। रबीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा रचित धर्म शिक्षा, स्त्री शिक्षा, आइडियल्स ऑफ एजुकेशन, शिक्षा सार कथा, माई एजुकेशन मिशन, टू द स्टूडेंट्स, शिक्षा और संस्कृति रचनाएँ उल्लेखनीय हैं।

रवींद्रनाथ टैगोर के कुछ अनमोल विचार (Rabindranath Tagor’s Thoughts)

  • “उपदेश देना आसान है पर उपाय बताना कठिन”
  • “प्रेम अधिकार का दावा नहीं करता, बल्कि स्वतंत्रता देता है।”
  • “विश्वविद्यालय महापुरुषों के निर्माण के कारखाने हैं और अध्यापक उन्हें बनाने वाले कारीगर हैं।”
  • “दोस्ती की गहराई परिचित की लंबाई पर निर्भर नहीं करती।”
  • “जीवन की चुनौतियों से बचने की बजाए उनका निडर होकर सामना करने की हिम्मत मिले, इसकी प्रार्थना करनी चाहिए।”
  • “ईश्वर अभी तक मनुष्यों से हतोत्साहित नहीं है, प्रत्येक बच्चे के जन्म पर यह संदेश मिलता है।”

मानवता को सर्वोपरि रखते थे रबीन्द्रनाथ 

रबीन्द्रनाथ ठाकुर ने कट्टर राष्ट्रवाद का सदा ही विरोध किया। उन्होंने स्पष्ट रूप से यह कहा था कि वे मानवता के ऊपर देशभक्ति की जीत हावी नहीं होने देंगे। आज से सौ बरस पहले ही वे खुलकर स्पष्ट कहने की ताकत रखते थे। अपने निबंध नेशनलिज़्म इन इंडिया में रवींद्र राष्ट्रवाद की आलोचना करते हैं क्योंकि इससे उत्पन साम्राज्यवाद अंततः मानवता का संहार करता है। रबीन्द्रनाथ पूरे विश्व को एकसाथ देखने वाले विश्व नागरिक थे। इस पर रबीन्द्रनाथ टैगोर ने अपने निबंध नेशनलिज़्म इन इंडिया में भी निशाना साधा है। भारत में जातिवाद खत्म करने की कड़ी में उन्होंने परम आदरणीय सन्त कबीर साहेब एवं नानक, चैतन्य आदि संतों का नाम लिया है।

“….जब तक मैं जिंदा हूँ मानवता के ऊपर देशभक्ति की जीत नहीं होने दूंगा।” – रबीन्द्रनाथ टैगोर

वर्तमान में मानवता की पुनः स्थापना

आज के समय में मानवता की पुनः स्थापना सन्त रामपाल जी महाराज जी कर रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज जी एकमात्र पहले ऐसे तत्वज्ञानी सन्त हैं जिन्होंने धर्म को सही मायनों में समाज के सामने स्पष्ट किया। धर्म वास्तव में केवल आस्तिकता भर नहीं है बल्कि एक जीवन पद्धति है जिसे सन्त रामपाल जी महाराज जी ने लोगों के जीवन में उतारा है। सन्त रामपाल जी ने सर्व धर्मों के ऊपर मानवता के धर्म का नारा दिया है और सभी धर्मों के आधार पर वास्तविक तत्वज्ञान प्रदान किया है। यही सनातन है, यही सत्य है। 

सन्त रामपाल जी महाराज जी ने सभी भौगोलिक सीमाओं से परे सार्वदेशिक स्तर पर तत्वज्ञान की स्थापना की है। यही कारण है कि देश विदेश से लोग तत्वज्ञान को सुनकर सन्त रामपाल जी महाराज जी से नामदीक्षा ले रहे हैं। रबीन्द्रनाथ टैगोर गुरुदेव, कबीगुरू, विश्वगुरु कहलाए पर वास्तव में पूर्ण गुरु जो आध्यात्मिक ज्ञान से पूर्ण परिचित है वो संत रामपाल जी महाराज जी हैं, जो विश्व को परम शांति और मोक्ष प्रदान करने के लिए अवतरित हुए हैं और यही एकमात्र विश्वगुरु हैं जो पूरे विश्व का उद्धार करेंगे।

जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा |

हिन्दु मुस्लिम सिक्ख ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा ||

सन्त रामपाल जी महाराज के समाज सुधार

सन्त रामपाल जी ने मात्र वैश्विक स्तर पर तत्वज्ञान की नींव नहीं रखी बल्कि समाज में व्याप्त विविध प्रकार की बुराइयों को अपने तत्वज्ञान के माध्यम से दूर किया है। समाज को नशामुक्ति, दहेजमुक्ति, भ्रष्ट आचरण से मुक्ति की ओर ले जाने वाले पहले और एकमात्र सन्त रामपाल जी महाराज हैं। उन्होंने लाखों की संख्या में युवाओं को सत्य मार्ग पर लाकर समाज पर बड़ा उपकार किया है। 

सन्त रामपाल जी महाराज ने जातिवाद खत्म किया है। जातिवाद समाज की बड़ी समस्या रही है जिसने अस्पृश्यता को जन्म दिया। संत रामपाल जी महाराज ने अपने तत्वज्ञान के माध्यम से वह सब समाज के लिए किया है जो पूर्व में अनेकों समाज सुधारकों द्वारा नहीं किया जा सका। सन्त रामपाल की महाराज के तत्वज्ञान को समझने के लिए पढ़ें मुफ़्त पुस्तक ज्ञान गंगा, अथवा डाउनलोड करें सन्त रामपाल जी महाराज एप्प। देखें सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल।

FAQ About Rabindranath Tagore Jayanti

Q. रवींद्रनाथ टैगोर को नोबल पुरस्कार क्यों मिला था?

Ans. रवींद्रनाथ टैगोर को उनके द्वारा रचित गीतांजलि पुस्तक के लेखन के कारण साहित्य का नोबल पुरस्कार मिला था।

Q. रवींद्रनाथ टैगोर जयंती कब मनाई जाती है?

Ans. बंगाली पंचाग के बोईसाख माह के 25वें दिन रवींद्रनाथ टैगोर जयंती मनाई जाती है जो कि इस वर्ष 8 मई को है। ग्रेगोरियन कैलेंडर में बोइशाख 25वीं की तारीख, आमतौर पर 8 मई या 9 मई को पड़ती है।

Q. भारत के राष्ट्रगान जन-गण-मन तथा बांग्लादेश के राष्ट्रगान आमार-शोनार-बांग्ला के रचनाकार कौन हैं?

Ans. रवींद्रनाथ टैगोर।

Q. रवींद्रनाथ टैगोर को अन्य किस नाम से जाना जाता है?

Ans. रविंद्र नाथ टैगोर को लोग प्यार से गुरुदेव नाम से भी सम्बोधित करते थे।

Q. रवींद्रनाथ टैगोर का बचपन का नाम क्या था?

Ans. रवींद्रनाथ टैगोर को लोग बचपन में प्यार से रबी बुलाते थे।

निम्न सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर हमारे साथ जुड़िए

WhatsApp ChannelFollow
Telegram Follow
YoutubeSubscribe
Google NewsFollow

Latest articles

World Television Day 2024: Know what was Television Invented for

November 21 is observed as World Television Day every year. It is commemorated to...

20 November World Children’s Day 2024: Every Child has the Right to Know Eternal Devotion for a Better Future

Last Updated on 20 November 2024 IST: World Children's Day 2024 is observed to...

Divya Dharm Yagya Diwas 2024: दिव्य धर्म यज्ञ हुआ संपन्न, सतलोक आश्रमों में हुए भव्य कार्यक्रम 

Divya Dharm Yagya Diwas 2024: संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में आयोजित तीन...

God is One, Still Many Religions: The Untold Reality 

This question must have bothered you sometimes: if there is only one God, then...
spot_img
spot_img

More like this

World Television Day 2024: Know what was Television Invented for

November 21 is observed as World Television Day every year. It is commemorated to...

20 November World Children’s Day 2024: Every Child has the Right to Know Eternal Devotion for a Better Future

Last Updated on 20 November 2024 IST: World Children's Day 2024 is observed to...

Divya Dharm Yagya Diwas 2024: दिव्य धर्म यज्ञ हुआ संपन्न, सतलोक आश्रमों में हुए भव्य कार्यक्रम 

Divya Dharm Yagya Diwas 2024: संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में आयोजित तीन...