Quad Summit 2021: क्वाड सिक्योरिटी डायलॉग के चार सदस्य देश, यानी भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान क्षेत्र में बढ़ते चीन के असर को रोकने के लिए एक मंच पर साथ आये हैं। क्वाड के तहत प्रशांत महासागर, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में फैले विशाल नेटवर्क को जापान और भारत के साथ जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। खुद जापान के तत्कालीन पीएम शिंजो आबे ने इसे दो समुद्रों का मेल कहा था, लेकिन चीन इससे डरा हुआ है क्योंकि इन ताकतवर देशों के पास आने से समुद्र में उसके अस्तित्व को खतरा हो सकता है। जानिए कौन है विश्व विजेता संत जिसके आध्यात्मिक ज्ञान से पूरा विश्व संगठित हो जाएगा।
साल 2007 में एशिया-प्रशांत महासागर में चीन ने अपना वर्चस्व बढ़ाना शुरू कर दिया था। वो पड़ोसी देशों को धमकाने लगा था और समुद्र में सैन्य बेस लगातार बढ़ा रहा था। ये देखते हुए जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने एक ऐसे संगठन का प्रस्ताव दिया, जिसमें इस सामुद्रिक क्षेत्र में आने वाले ताकतवर देश शामिल हो सकें। संगठन बनने के बाद पहली मीटिंग साल 2019 में हुई । कोरोना के कारण साल 2020 में नेताओं की मुलाकात नहीं हो सकी। अब 13 मार्च, 2021 को पहला वर्चुअल शिखर सम्मलेन हुआ।
क्या है क्वाड (What is Quad Summit)?
क्वाड का अर्थ क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग है, जो जापान, ऑस्ट्रेलिया, भारत और अमेरिका के बीच एक बहुपक्षीय समझौता है। ये इंडो-पैसिफिक स्तर पर काम कर रहा है, ताकि समुद्री रास्तों से व्यापार आसान हो सके लेकिन अब ये व्यापार के साथ-साथ सैनिक बेस को मजबूती देने पर ज़्यादा ध्यान दे रहा है ताकि शक्ति संतुलन बनाए रखा जा सके।
चीन की हरकतों को देखकर क्वाड बनाया गया
चीन को यह लगता है कि समुद्र पर राज करने वाला देश ही दुनिया पर राज करेगा। यही कारण है कि साउथ चाइना सी पर भी कब्जे के लिए उसने मुहिम छेड़ रखी है। साथ ही साथ वो समुद्र में नकली द्वीप बनाकर वहां अपने सैनिक तैनात कर रहा है। चीन पूरी तैयारी में है कि भविष्य में समुद्र पर उसका कब्जा हो जाए।
क्वाड बनने से चीन हो गया है सतर्क
क्वाड बनने से क्वाड देशों को सामुद्रिक सहायता देने के अलावा समुद्र में शांति और शक्ति संतुलन बनाए रखने को प्राथमिकता दी जाएगी। चीन को लगता है कि क्वाड में शामिल भारत, अमेरिका और जापान, जैसे शक्तिशाली देश उसके खिलाफ मिलकर साजिश रच रहे हैं। चीन को ये भी लगता है कि क्वाड समुद्र में चीन के आसपास अपने वर्चस्व को बढ़ाना चाहता है और भविष्य में उसे टारगेट किया जा सकता है।
Quad Summit 2021: क्वाड समझौता क्या है?
क्वाड में शामिल दो देशों, भारत और जापान के बीच समुद्र में सहायता को लेकर एक और अहम समझौता हुआ है जिसे म्यूचुअल लॉजिस्टिक सपोर्ट अरेंजमेंट (MLSA) कहते हैं । माना जा रहा है कि समुद्री क्षेत्र में चीन की लगातार बढ़ती मौजूदगी जब आतंक में बदली, तब से ही इस समझौते पर बात हो रही थी। इस समझौते में दोनों देश एक-दूसरे को सैनिक सहायता देंगे और इसका एक कॉमन मकसद चीन के खतरे को कम करना होगा। इसे विशेषज्ञ एंटी-चाइना समझौता भी कह रहे हैं। इसके तहत भारतीय सेनाओं को जापानी सेनाएं अपने अड्डों पर जरूरी सामग्री की आपूर्ति कर सकेंगी। साथ ही भारतीय सेनाओं के रक्षा साजो- सामान की सर्विसिंग भी देंगी। यह सुविधा भारतीय सैन्य अड्डों पर जापानी सेनाओं को भी मिलेंगी। युद्ध की स्थिति में ये सेवाएं बेहद अहम मानी जाती हैं।
Quad Summit 2021: क्वाड सुरक्षा मुख्य बिंदु पहलू
- क्वाड का पहला शिखर सम्मेलन 12 मार्च से शुरू हुआ। इसमें भारत समेत अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के टॉप लीडर शामिल हुए।
- क्वाड का अर्थ क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग है, जो जापान, ऑस्ट्रेलिया, भारत और अमेरिका के बीच एक बहुपक्षीय समझौता है।
- मूल तौर पर ये इंडो-पैसिफिक स्तर पर काम कर रहा है, ताकि समुद्री रास्तों से व्यापार आसान हो सके लेकिन अब ये व्यापार के साथ-साथ सैनिक बेस को मजबूती देने पर ज्यादा ध्यान दे रहा है ताकि शक्ति संतुलन बनाए रखा जा सके।
- मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन, और जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा के साथ क्वाड देशों के पहले वर्चुअल सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
- इस अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री ने कहा, “हमलोग अपने साझा मूल्यों को आगे बढ़ाने और एक सुरक्षित, स्थायी और समृद्ध भारत-प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए पहले की तुलना में और ज़्यादा साथ मिलकर काम करेंगे.”।
- अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि भारत-प्रशांत क्षेत्र में आपसी सहयोग के लिए क्वाड महत्वपूर्ण है।
Quad Summit 2021: कैसे और कब हुई क्वॉड की शुरुआत?
चीन की विस्तारवादी नीति के कारण उसके सभी पड़ोसी देशों से उसका विवाद रहता है, और भारत के साथ-साथ जापान व अन्य देश इस से परेशान रहते हैं। भविष्य में चीन से संभावित किसी भी खतरे को भांपते हुए साल 2007 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे द्वारा क्वाड का प्रस्ताव पेश किया गया था इस प्रस्ताव का भारत, अमेरिका और आस्ट्रेलिया ने समर्थन किया था । जिसके बाद साल 2019 में इन सभी देशों के विदेश मंत्रियों की पहली मीटिंग हुई थी ।
क्यों बनाया गया है? क्वाड एक्स्पर्ट की राय
मुंबई में विदेश मामलों के थिंकटैंक गेटवे हाउस के साथ जुड़े पूर्व राजदूत राजीव भाटिया कहते हैं कि भारत चीन का पड़ोसी देश है और दोनों देश 4,500 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं।
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यूँ तो क्वाड की स्थापना 2007 में हुई थी लेकिन इसने अभी तक कोई बड़ी कामयाबी हासिल नहीं की। साल 2017 में इसे फिर से पुनर्गठित किया गया और इस साल पहला शिखर सम्मेलन होने जा रहा है। भारत क्वाड में इसलिए शामिल है क्योंकि वो चीन को संतुलित करना चाहता है और ये तभी हो सकता है जब भारत-प्रशांत क्षेत्र की चार महाशक्तियों (भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया) आपस में सहयोग करें और चीन को बता दें कि क्षेत्र में जो भी काम करना है वो क़ानून के अंतर्गत करना होगा और अगर आप सहयोग नहीं देंगे तो फिर हमसे जो बन पड़ेगा हम करेंगे.”।
Quad Summit 2021: चाइना क्वाड से परेशान क्यों है?
चीन को लगता है इससे उसके विरोधी पड़ोसी एक मजबूत स्थिति में आ जाएंगे जिसकी वजह से वह अपनी नीति को सही तरीके से नहीं थोप पाएगा। साथ ही उसको लगता है क्वाड में शामिल भारत, अमेरिका और जापान, जैसे शक्तिशाली देश उसके खिलाफ मिलकर किसी रणनीतिक साजिश को रच रहे हैं । चीन को ये भी लगता है कि क्वाड समुद्र में चीन के आसपास अपने वर्चस्व को बढ़ाना चाहता है और भविष्य में उसे टारगेट किया जा सकता है । चीन क्वाड को अपने खिलाफ अमेरिका की एक साजिश के तौर पर देखता है उसे लगता है कि क्वाड के जरिए अमेरिका उसे पूरी तरह बर्बाद करके खत्म करने की कोई मंशा रखता है ।
बता दें कि चीन बीते दो दशक में लगातार समुद्र में अपना सैन्य बेस से लेकर व्यापार भी तेजी से बढ़ा रहा है। चीन ये समझ चुका है कि आने वाले समय में समुद्र पर राज करने वाला देश ही दुनिया पर राज करेगा। यही कारण है कि साउथ चाइना सी पर भी कब्जे के लिए उसने मुहिम छेड़ रखी है। साथ ही साथ वो समुद्र में नकली द्वीप बनाकर वहां अपने सैनिक तैनात कर रहा है। यानी ये पूरी तैयारी है कि भविष्य में समुद्र पर उसका कब्जा हो जाए। क्वाड की वजह से चीन परेशान है।
क्या है इंडो पेसिफिक और एशिया पेसिफिक ?
अगर भारत चीन और अन्य देशों को एशिया पेसिफिक रीजन में रखकर व्यापार किया जाए तो चीन को बहुत लाभ मिलता है लेकिन अगर इंडो पेसिफिक रीजन को ध्यान में रखकर व्यापार किया जाए तो भारत इसमें बहुत मजबूत स्थिति में देखा जा सकता है। क्वार्ड ग्रुप का उद्देश्य चीन की हड़प नीति और विस्तारवादी नीति और अपने पड़ोसी देशों के साथ बिगड़े संबंधों के कारण एशिया पेसिफिक रीजन को इंडो पेसिफिक रीजन में तब्दील करने का है ताकि चीन पर समुद्री सीमा में लगाम लगाई जा सके।
इसके विपरीत हाल के वर्षों में क्षेत्र में चीन की आक्रामकता में वृद्धि के साथ उसने वर्ष 2016 में अफगानिस्तान, पाकिस्तान और तजाकिस्तान के साथ मिलकर चार देशों के सहयोग और समन्वय तंत्र’ की स्थापना की है। साथ ही उसने इस वर्ष भी पाकिस्तान, अफगानिस्तान और नेपाल के साथ मिलकर एक अन्य साझेदारी की स्थापना की, जो इस क्षेत्र की शांति के लिये एक बड़ी चुनौती बन सकता है।
महत्वपूर्ण आध्यात्मिक संदेश
जिस तरह से हर एक देश का संविधान होता है। अगर कोई संविधान के खिलाफ जाकर कोई कार्य करता है तो दोषी को सज़ा मिलती है चाहे वह संविधान को माने या ना माने, ठीक इसी प्रकार पूर्ण परमात्मा का एक संविधान है जो विश्व के सभी देशों पर लागू होता है। परमपिता परमात्मा के संविधान से परिचित ना होने की वजह से हम आए दिन अपनी शक्ति का विस्तार करके स्वयं समाज को विनाश की तरफ ले जा रहे हैं । संपूर्ण विश्व शांति तो चाहता है परंतु मार्ग केवल विनाश का जानता है आइए जानें विश्व में शांति कौन स्थापित करेगा
महान भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस के अनुसार एक महान विश्वविजेता संत तीन ओर से घिरे समुद्र क्षेत्र में जन्म लेगा। उसकी प्रशंसा और प्रसिद्धि, सत्ता और शक्ति बढ़ती जाएगी और भूमि व समुद्र में उस जैसा शक्तिशाली कोई न होगा।’ (सेंचुरी 1-50वां सूत्र) । वर्तमान में वह विश्व विजेता संत जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज हिंदुस्तान की पावन भूमि पर आए हुए हैं इनके आध्यात्मिक ज्ञान से ही देश और दुनिया की सभी सीमाएं समाप्त होंगी और आपस का वैमनस्य और भय दूर होगा। संत रामपाल जी महाराज के आध्यात्मिक विचार जानने के लिए अवश्य देखें Satlok Ashram YouTube channel.