Piyush Jain Kanpur Raid News: कानपुर में रहने वाले पीयूष जैन इन दिनों सुर्खियों में हैं। उनके सुर्खियों में आने की वजह उनके पास बरामद की गई 230 करोड़ रुपये की संपत्ति है। आइए जानें कैसे आई पीयूष के पास इतनी सम्पत्ति।
Piyush Jain Kanpur Raid News: मुख्य बिंदु
- पीयूष जैन एक इत्र व्यापारी के पास से बरामद हुई 230 करोड़ की संपत्ति
- पीयूष जैन की कम्पनी में हैं दो अन्य साझेदार- महेश जैन, अम्बरीष जैन
- पीयूष जैन ने रिमांड पर लिया है कुछ अधिकारियों के नाम
- कोड़ि- कोड़ि माया जोड़ी बात करे छल की,
- पाप पुण्य की बांधी पोटरिया, कैसे होवे हल्की।
ढाई सौ करोड़ काले धन के मालिक इत्र कारोबारी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत
Piyush Jain Kanpur Raid: जीएसटी इंटेलिजेंस की ओर से कानपुर के इत्र व्यापारी पीयूष जैन पर 250 करोड़ रुपये से अधिक रुपए एवं गहने बरामद किए गए हैं। इस घटना के साथ ही ईडी भी हरकत में आई है।
कानपुर कोर्ट में सुनवाई के बाद, विशेष लोक अभियोजक, भारत सरकार अमरीश टंडन ने बताया, न्यायालय ने व्यवसायी पीयूष जैन को जीएसटी की धारा 132 के अन्तर्गत 14 दिन की न्यायिक हिरासत के लिए भेज दिया है।
धनकुबेर पीयूष जैन का जीवन
पीयूष जैन का कारोबार कानपुर का है लेकिन उसका पुश्तैनी घर कन्नौज में है। पीयूष ने इस घर को आलीशान कोठी में तब्दील कर दिया है। पीयूष का हेड ऑफिस मुम्बई में भी है यहाँ उनका बंगला है। मुम्बई से ही पीयूष जैन इत्र का निर्यात करते हैं। जानकारी के मुताबिक पीयूष 40 से अधिक कम्पनियों के मालिक हैं। इतना कुछ होने के बाद भी लोगों ने उन्हें सादा जीवन जीते एवं पुराने स्कूटर पर घूमते ही बताया है।
Piyush Jain Kanpur Raid News: पीयूष की कम्पनी का टर्नओवर है 5 करोड़
पीयूष की स्वयं की कम्पनी है ओडोकैम इंडस्ट्रीज, जिसके पीयूष के अतिरिक्त दो अन्य साझेदार हैं महेश जैन एवं अम्बरीष जैन। इसका टर्नओवर 5 करोड़ है। 5 करोड़ के टर्नओवर वाला ढाई सौ करोड़ का मालिक कैसे बना? यहां कई सारे प्रश्न हैं क्या यह पैसा किसी दिग्गज का भी हो सकता है? कम्पनी अलीगढ़ में आयकर रिटर्न देती है। अब तक आयकर विभाग ने जांच प्रारम्भ की ही नहीं है।
जीएसटी के मुताबिक पूछताछ के दौरान पीयूष ने कहा है कि सारा पैसा उसका अकेले का नहीं है। लेकिन उसने सभी अधिकारियों को अलग अलग कहानियां सुनाईं। पैसों के स्त्रोत को लेकर लगातार छापेमारी जारी है।
Piyush Jain Kanpur Raid: क्या वापस मिलेगा पीयूष जैन को धन?
जानकारों की राय के मुताबिक दो तरीकों से पैसा इकट्ठा किया गया हो सकता है या तो टैक्स न भरकर या फिर अवैध तरीके से। यदि यह रकम टैक्स न भरकर जुटाई गई है तो टैक्स काटकर बाकी बचा हुआ पैसा पीयूष को वापस दिया जा सकता है लेकिन यदि यह धन अवैध कार्यों के द्वारा जुटाया गया है तो यह सारा धन ही जब्त होने की पूरी संभावना है।
जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (DGGI) के अनुसार पीयूष जैन ने स्वीकार किया है कि रिहायशी परिसर से बरामद नकदी बिना जीएसटी के माल की बिक्री से जुड़ी है।
धन का दूसरा नाम माटी
धन जो इस ब्रह्मांड में कैसे भी एकत्रित किया जाए वह माटी है। धन सभी को अतिप्रिय होता है जिसे जुटाने में लोग मेहनत से लेकर भ्रष्टाचार, चोरी एवं अवैध तरीके भी अपनाते हैं। मनुष्य धन जोड़ते समय अपनी आयु भूल जाता है। निश्चित ही इंसान इस पृथ्वी पर सबसे विकसित जीव है लेकिन इस विकसित जीव को अपनी मृत्यु सदैव याद रखनी चाहिए क्योंकि यह जीवन नश्वर है जिसके बाद चौरासी लाख योनियों में जीव धक्के खाता है। आपका असली धन वह है जो आप अपने साथ लेकर जाएंगे। और साथ जाने वाला केवल रामधन है। पूर्ण सद्गुरु से नामदीक्षा लेकर भक्ति करने वालों का धन ही उन्हें मोक्ष दिलाएगा। इसके अतिरिक्त कुछ भी किया जाए साथ कुछ भी नहीं जाएगा।
नाम सुमरले सुकर्म करले, कौन जाने कल की।।
खबर नहीं पल की
कोड़ि-2 माया जोड़ी बात करे छल की,
पाप पुण्य की बांधी पोटरिया, कैसे होवे हल्की।।1।।
मात-पिता परिवार भाई बन्धु, त्राीरिया मतलब की,
चलती बरियाँ कोई ना साथी, या माटी जंगल की।।2।।
तारों बीच चंद्रमा ज्यों झलकै, तेरी महिमा झला झल्की,
बनै कुकरा, विष्टा खावै, अब बात करै बल की।।3।।
ये संसार रैन का सपना, ओस बूंद जल की,
सतनाम बिना सबै साधना गारा दलदल की।।4।।
अन्त समय जब चलै अकेला, आँसू नैन ढलकी,
कह कबीर गह शरण मेरी हो रक्षा जल थल की।।5।।
सतगुरु रामपाल जी हैं पूर्ण तत्वदर्शी सन्त
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सन्त रामपाल जी के किसी भी अनुयायी में ये बुरी प्रवृत्तियाँ नहीं पाई जाती हैं। सन्त रामपाल जी के आध्यात्मिक ज्ञान को भी अब तक कोई टक्कर नहीं दे सका है क्योंकि वह न केवल शास्त्रों पर आधारित हैं बल्कि उन्होंने अनेकों अनसुलझे रहस्यों का उद्घाटन किया है। आप भी उनका ज्ञान समझें एवं उनसे नामदीक्षा लें और अपना कल्याण करवाएं। अधिक जानकारी के लिए देखें सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल या मुफ्त ऑर्डर करें सन्त रामपाल जी रचित पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा।