Last Updated 1 April 2023 on 6:08 PM IST: Odisha Day 2023 [Hindi]- उत्कल प्रांत के गठन का इतिहास, भाषा, साहित्य, संस्कृति और पर्यटन विश्व विख्यात है। उत्कल प्रांत का गठन भाषा के आधार पर लंबे आन्दोलन के बाद 1 अप्रैल सन् 1936 को हुआ जिसका उत्सव पूरे प्रांत में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। साजगाज के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम और खेल प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है पूरे प्रदेश भर में उत्साहपूर्वक यह दिन मनाया जाता है.
Odisha Day 2023 [Hindi]: मुख्य बिंदु
- उत्कल दिवस का प्रारंभ 1 अप्रैल सन 1936 से हुआ।
- इस दिन पूरे प्रांत को सजाया जाता है।
- इस दिन खेल प्रतियोगिताओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
- ओडिशा भाषा के आधार पर गठित देश का प्रथम राज्य है जो अंग्रेजी हुकूमत में बना था।
- खनिज और धातु उद्योगों की यहां बहुतायत है।
- पर्यटन और धार्मिक दृष्टिे से भी ये काफी प्रसिद्ध है।
- परमेश्वर कबीर साहेब ने ओडिशा में जगन्नाथ मंदिर की रक्षा की थी और समुद्र एक मील पीछे हट गया था।
Odisha Day 2023 [Hindi]: उत्कल दिवस क्यों और कैसे मनाया जाता हैं?
पूरे प्रांत में यह दिन काफी उत्साहपूर्वक मनाया जाता है सजीधजी दुकानों, दफ्तरों, खेल प्रतियोगिताओं के आयोजनों के साथ-साथ यह ऐतिहासिक उत्सव पूरे प्रदेश भर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन सरकारी दफ्तरों में अवकाश की घोषणा की जाती है ।
उत्कल डे का इतिहास (History of Odisha Day)
पहले इस प्रदेश का नाम कलिंग था तथा बाद में उत्कल कहा जाने लगा, उड़ीसा की राजधानी पहले कटक थी बाद में भुवनेश्वर कर दी गई। बाद में संविधान विधेयक (113संशोधन ) मार्च 2011 में उड़ीसा का नाम बदलकर ओडिशा कर दिया गया।
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Odisha Day 2023 Theme [Hindi]
इस साल 2023 में उत्कल दिवस यानि odisha foundation day की थीम है – “उड़िया संस्कृति और विरासत की विरासत का जश्न”।
Odisha Day 2023: खनिज धातु उद्योग, पर्यटन और धार्मिकदृष्टिे से काफी लोकप्रिय है
ओडिशा में खनिज धातु उद्योग की भरमार है। यहां स्थित राउरकेला स्टील्स, नेशनल एल्युमीनियम विश्व प्रसिध्द कंपनियां है। यहां पर्यटन केलिए विश्व प्रसिद्ध चिल्का झील स्थित है और साथ ही भगवान जगन्नाथ का विश्व प्रसिध्द मंदिर यहाँ स्थित है।
ऐतिहासिक भगवान जगन्नाथ का मन्दिर
भगवान जगन्नाथ का मंदिर राजा इन्द्र्दमन ने भगवान श्री कृष्ण जी के कहने से 5 बार बनवाया और तेज समुद्र के बहाव से हर बार टूट गया। राजा का राजकोष ख़त्म हो गया, तब परमात्मा कबीर जी के कहने से राजा ने रानी के गहने से छठी बार मंदिर बनवाया था और कबीर साहेब ने चौरे पर बैठकर मंदिर की रक्षा की थी और इस बार समुद्र एक मील पीछे हट गया था।
संत रामपाल जी महराज उन्हीं कबीर परमात्मा जी की सतभक्ति प्रदान करते हैं जिनसे साधक या उपासक के सभी काम आसानी से पूर्ण होनें लगते हैं और शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं।
Odisha Day 2023 [उत्कल दिवस]: रोज उत्सव मनाओ सतभक्ति करके
आज संत रामपाल जी महराज जी के तत्व ज्ञान से भारत ही नहीं विदेशों में भी लोग उपदेश प्राप्त कर अपनें और अपनों को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ कराकर रोज उत्सव का आनंद प्राप्त कर रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज के द्वारा दिए गए तत्वज्ञान से लाखों लोग रोगमुक्त, नशामुक्त होकर सुखी जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इनके तत्वज्ञान को जानने के लिए Sant Rampal Ji Maharaj App अवश्य डाउन लोड करें।