July 15, 2025

Odisha Day 2025 [Hindi]: उत्कल दिवस पर जानिए क्या है उड़ीसा राज्य की सबसे बड़ी खासियत?

Published on

spot_img

Last Updated 29 March 2025 IST: Odisha Day 2025 [Hindi]- उत्कल प्रांत के गठन का इतिहास, भाषा, साहित्य, संस्कृति और पर्यटन विश्व विख्यात है। उत्कल प्रांत का गठन भाषा के आधार पर लंबे आन्दोलन के बाद 1 अप्रैल सन् 1936 को हुआ जिसका उत्सव पूरे प्रांत में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। साजगाज के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम और खेल प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है पूरे प्रदेश भर में उत्साहपूर्वक यह दिन मनाया जाता है.                                                               

Odisha Day 2025 [Hindi]: मुख्य बिंदु 

  • उत्कल दिवस का प्रारंभ 1 अप्रैल सन 1936 से हुआ।
  • इस दिन पूरे प्रांत को सजाया जाता है।
  • इस दिन खेल प्रतियोगिताओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
  • ओडिशा भाषा के आधार पर गठित देश का प्रथम राज्य है जो अंग्रेजी हुकूमत में बना था।
  • खनिज और धातु उद्योगों की यहां बहुतायत है। 
  • पर्यटन और धार्मिक दृष्टिे से भी ये काफी प्रसिद्ध है।   
  • परमेश्वर कबीर साहेब ने ओडिशा में जगन्नाथ मंदिर की रक्षा की थी और समुद्र एक मील पीछे हट गया था।                           

Odisha Day 2025 [Hindi]: उत्कल दिवस क्यों और कैसे मनाया जाता है?

1 अप्रैल 1936 को, एक लंबे संघर्ष के बाद, ओडिशा को बिहार और बंगाल से अलग करके एक स्वतंत्र राज्य बनाया गया था। अपने स्वतंत्र अस्तित्व को प्राप्त करने की याद में ओड़िशा (उत्कल) प्रांत के लोग प्रतिवर्ष उस दिन को उत्कल दिवस के रूप में मनाते हैं। पूरे प्रांत में यह दिन काफी उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। सजी-धजी दुकानें और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ-साथ खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन करके यह ऐतिहासिक उत्सव पूरे प्रदेश भर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन सरकारी दफ्तरों में अवकाश की घोषणा भी की जाती है।

उत्कल डे का इतिहास (History of Odisha Day)

उत्कल दिवस 2025 हिंदी: पहले इस प्रदेश का नाम कलिंग था। इस क्षेत्र ने सम्राट अशोक के प्रसिद्ध कलिंग युद्ध का मंजर देखा है। बाद में उत्कल कहा जाने लगा, उड़ीसा की राजधानी पहले कटक थी बाद में भुवनेश्वर कर दी गई। बाद में संविधान विधेयक (113संशोधन ) मार्च 2011 में उड़ीसा का नाम बदलकर ओडिशा कर दिया गया। उड़िया भाषा एक भी नाम बदलकर ओड़िया कर दिया गया। उड़ीसा (ओडिशा) में मुगलों ने तब  तक कब्ज़ा किया जब तक कि इसकी प्रशासनिक शक्तियां अंग्रेजों के हाथ में नहीं आ गईं। ओडिशा की संस्कृति अत्यंत समृद्ध है तथा इस क्षेत्र का महाभारत में भी उल्लेख मिलता है। प्राचीन इतिहास में इसे भिन्न भिन्न नामों यथा कलिंग, उत्कल, उद्र, तोशाली और कोसल से पुकारा गया है।

■ यह भी पढ़ें: Shaheed Diwas: 23 मार्च शहीद दिवस पर जानिए, भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव के क्रांतिकारी विचार

Utkal Diwas Hindi: 1568 में अंतिम राजा गजपति मुकुंददेव की मृत्यु के साथ ओडिशा ने अपनी स्वतंत्रता खो दी थी अंग्रेजों ने इसे बंगाल प्रेसीडेंसी के अधीन कर दिया। बंगाल प्रेसीडेंसी का हिस्सा रहते हुए ओडिशा स्वतंत्र प्रांत के रूप में 1 अप्रैल 1936 को सामने आया था। तीन सदियों के लंबे प्रयत्न के बाद ओडिशा बंगाल और बिहार से अलग हो गया था। आज़ादी के बाद ओडिशा के आसपास की अनेकों रियासतें नई सरकार को समर्पण कर चुकी थीं। ओडिशा प्रांत की अलग स्थापना की गई थी। अलग होने के पश्चात इसमें केवल छह जिले शामिल थे जबकि आज ओडिशा (उड़ीसा) में 30 जिले हैं। यह उत्कल दिवस उसी दिन की याद में मनाया जाता है।

  • इस दिन पूरे प्रांत में आतिशबाजी की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। लोग रंग बिरंगी आतिशबाजी के माध्यम से अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हैं।
  • उत्कल दिवस मनाते हुए लोग इस दिन अपने प्रियजनों के साथ दावतों में सम्मिलित होते हैं।
  • इस दिन सरकारी छुट्टी होती है तथा विभिन्न स्तर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
  • ओडिशा को अलग प्रांत बनाने के लिए सर्वप्रथम उत्कल सम्मिलिनी ने संघर्ष किया था। ओडिशा दिवस या उत्कल दिवस, ओडिशा के लोगों के लिए एक पर्व है, उत्सव है जिसे भिन्न भिन्न तरीकों से मनाया जाता है।

Odisha Day 2025 Theme in Hindi

इस साल 2025 में उत्कल दिवस यानि odisha foundation day की थीम अभी निधारित नहीं हुई है

Odisha Day 2025: खनिज धातु उद्योग, पर्यटन और धार्मिकदृष्टिे से काफी लोकप्रिय है

ओडिशा में खनिज धातु उद्योग की भरमार है। यहां स्थित राउरकेला स्टील्स, नेशनल एल्युमीनियम विश्व प्रसिध्द कंपनियां है। यहां पर्यटन केलिए विश्व प्रसिद्ध चिल्का झील स्थित है और साथ ही भगवान जगन्नाथ का विश्व प्रसिध्द मंदिर यहाँ स्थित है।                           

ऐतिहासिक भगवान जगन्नाथ का मन्दिर 

Utkal Diwas: उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर में एक समय पर 700 से अधिक मंदिर हुआ करते थे यही कारण है कि इस नगरी को मन्दिरों का शहर भी कहते हैं। प्रसिद्ध मंदिर जगन्नाथ भी इसी प्रांत में है। भगवान जगन्नाथ का मंदिर राजा इन्द्र्दमन ने भगवान श्री कृष्ण जी के कहने से 5 बार बनवाया और तेज समुद्र के बहाव से हर बार टूट गया। राजा का राजकोष ख़त्म हो गया, तब परमात्मा कबीर जी के कहने से राजा ने रानी के गहने से छठी बार मंदिर बनवाया था और कबीर साहेब ने चौरे पर बैठकर मंदिर की रक्षा की थी और इस बार समुद्र एक मील पीछे हट गया था। 

संत रामपाल जी महराज उन्हीं कबीर परमात्मा जी की सतभक्ति  प्रदान करते हैं जिनसे साधक या उपासक के सभी काम आसानी से पूर्ण होनें लगते हैं और शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं।

  • ओडिशा के भुवनेश्वर को मन्दिरों का शहर कहा जाता है। जगन्नाथ मंदिर, लिंगराज मंदिर, कोणार्क सूर्य मंदिर ओडिशा के प्रसिद्ध मंदिर हैं।
  • ओडिशा में राउरकेला स्टील प्लांट तथा नेशनल एल्यूमीनियम कंपनी है।
  • प्राचीन नृत्य ओडिसी नृत्य का उद्भव उड़ीसा के मंदिरों में हुआ था।
  • ओडिशा एक संसाधन संपन्न प्रांत है। यहां ग्रेफाइट, लौह अयस्क, चूना पत्थर, मैंगनीज जैसे संसाधन प्रचुर मात्रा में पाए जाते है।
  • ओडिशा के मयूरभंज जिले में सिमलीपाल राष्ट्रीय उद्यान है जोकि दूसरा सबसे बड़ा बायोस्फीयर रिजर्व है। ओडिशा जैव विविधता से संपन्न प्रदेश है। नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क भी ओडिशा प्रांत में है।
  • आदिवासी आबादी के मामले में ओडिशा तीसरा सबसे बड़ा राज्य है। राज्य का 31% हिस्सा जंगलों से ढंका हुआ है। 
  • ओडिशा में अशोक के बाद राजा खारवेल का शासन रहा है जिसके काल में कला, वास्तुकला और मूर्तिकला के क्षेत्र में प्रांत को विकास मिला। ओडिशा ने मौर्य वंश, नंद वंश का शासनकाल देखा है।

Odisha Day 2025 [उत्कल दिवस]: रोज उत्सव मनाओ सतभक्ति करके

आज संत रामपाल जी महराज जी के तत्व ज्ञान से भारत ही नहीं विदेशों में भी लोग  उपदेश प्राप्त कर अपनें और अपनों को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ कराकर रोज उत्सव का आनंद प्राप्त कर रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज के द्वारा दिए गए तत्वज्ञान से लाखों लोग रोगमुक्त, नशामुक्त होकर सुखी जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इनके तत्वज्ञान को जानने के लिए Sant Rampal Ji Maharaj App अवश्य डाउन लोड करें।

1. उत्कल दिवस कब मनाया जाता है?

उत्कल दिवस हर साल 1 अप्रैल को मनाया जाता है।

2. उत्कल दिवस क्यों मनाया जाता है?

ओडिशा को 1 अप्रैल 1936 को बिहार और बंगाल से अलग कर स्वतंत्र राज्य बनाया गया था। इसी की याद में यह दिवस मनाया जाता है।

3. उत्कल दिवस पर क्या-क्या कार्यक्रम होते हैं?

इस दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेल प्रतियोगिताएँ, आतिशबाजी और सरकारी आयोजनों का आयोजन किया जाता है।

4. उत्कल दिवस का ऐतिहासिक महत्व क्या है?

प्राचीन काल में इसे “कलिंग” कहा जाता था, जहाँ सम्राट अशोक ने युद्ध लड़ा था। बाद में इसे उत्कल और फिर ओडिशा नाम मिला।

5. ओडिशा किन चीजों के लिए प्रसिद्ध है?

ओडिशा जगन्नाथ मंदिर, चिल्का झील, खनिज उद्योग और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है।

6. उत्कल दिवस पर क्या सरकारी अवकाश होता है?

हाँ, ओडिशा में इस दिन सरकारी अवकाश होता है।

निम्न सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर हमारे साथ जुड़िए

WhatsApp ChannelFollow
Telegram Follow
YoutubeSubscribe
Google NewsFollow

Latest articles

Kanwar Yatra 2025: The Spiritual Disconnect Between Tradition And Scriptures

Last Updated on 12 July 2025 IST | The world-renowned Hindu Kanwar Yatra festival...

कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2025): कांवड़ यात्रा की वह सच्चाई जिससे आप अभी तक अनजान है!

हिन्दू धर्म में प्रचलित मान्यताओं के अनुसार श्रावण (सावन) का महीना शिव जी को बहुत पसंद है, परन्तु इस बात का शास्त्रों में कोई प्रमाण नहीं है। श्रावण का महीना आते ही प्रतिवर्ष हजारों की तादाद में शिव भक्त कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2022 in HIndi) करते नजर आते हैं। पाठकों को यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि क्या कांवड़ यात्रा रूपी साधना शास्त्र सम्मत है और इसे करने से कोई लाभ होता है या नहीं?

World Population Day 2025: The best time for world’s Population to Attain Salvation

Last Updated 09 July 2025, 1:16 PM IST | World Population Day 2025: Today...
spot_img

More like this

Kanwar Yatra 2025: The Spiritual Disconnect Between Tradition And Scriptures

Last Updated on 12 July 2025 IST | The world-renowned Hindu Kanwar Yatra festival...

कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2025): कांवड़ यात्रा की वह सच्चाई जिससे आप अभी तक अनजान है!

हिन्दू धर्म में प्रचलित मान्यताओं के अनुसार श्रावण (सावन) का महीना शिव जी को बहुत पसंद है, परन्तु इस बात का शास्त्रों में कोई प्रमाण नहीं है। श्रावण का महीना आते ही प्रतिवर्ष हजारों की तादाद में शिव भक्त कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2022 in HIndi) करते नजर आते हैं। पाठकों को यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि क्या कांवड़ यात्रा रूपी साधना शास्त्र सम्मत है और इसे करने से कोई लाभ होता है या नहीं?