May 14, 2025

संत रामपाल जी महराज के अनुयायियों द्वारा नेपाल में पशुबलि के विरोध में निकाली गई रैली

Published on

spot_img

भारत के पड़ोसी देश नेपाल में प्रतिवर्ष दशहरे के पर्व के साथ पशुबलि का भी आयोजन किया जाता है। पशुबलि में हजारों पशुओं की बलि धर्म के नाम पर दी जाती है। इस कुप्रथा को मानव समाज एक लंबे समय से ढो रहा है। इतिहास में अब तक पहली बार इसका बड़े स्तर पर विरोध किया गया है। 5 अक्टूबर 2021 को सन्त रामपाल जी महाराज के सभी अनुयायियों ने एकजुट होकर पशुबलि के विरोध में न केवल रैली निकाली बल्कि कुछ समजोपयोगी कार्य जैसे रक्तदान भी किए। विस्तार से जानें।

नेपाल में पशुबलि के विरोध में निकाली गई रैली के मुख्य बिंदु

  • नेपाल में पशुबलि कुप्रथा का हुआ बड़े स्तर पर विरोध
  • सन्त रामपाल जी महाराज के अनुयायियों ने किया रैली के माध्यम से विरोध
  • नेपाल के 21 जिलों में रैली एवं 22 जिलों में रक्तदान का हुआ आयोजन
  • अलग अलग जिलों में हुआ पशुबलि का विरोध एवं रक्तदान कार्यक्रम
  • जानें माता दुर्गा को प्रसन्न करने का सबसे सरल और शास्त्रों में दिया उपाय

नेपाल की कुप्रथा पशुबलि

नेपाल में दशहरे के त्योहार को मुख्य रूप से मनाया जाता है। लेकिन यह त्योहार बड़े ही अलग ढंग से मनाए जाने के रूप में प्रसिद्ध है। कुप्रथा कहें या कहें मानव की सीमित सोच कि वह बिना सोचे समझे सही गलत सभी प्रथाओं को ढोता चला जा रहा है। इस अवसर पर मदिरा एवं पशुबलि का प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त हर घर आने वाले को ‘भुट्नबजी’ (भुना हुआ गोश्त, चिवड़ा) के साथ चावल का ‘ऐला’ (ठर्रा) दिया जाता है। दुर्गा माता और उन्हीं के अन्य रूप माता काली की पूजा का विधान नेपाल के कई स्थानों में है। कुप्रथा के अनुसार दुर्गा जी को प्रथम दिन ही पांच फलों का भोग लगाकर पशुबलि दी जाती है। आठवें दिन कालरात्रि का आयोजन होता है जिसमे रात के 12 बजे तक ढोल नगाड़े बजाकर पशुबलि का आगाज़ किया जाता है। महिषासुर के प्रतीक एक भैंसे की बलि दी जाती है और इस प्रकार है कुप्रथा और खून खराबे के साथ दहशरे का त्योहार समाप्त होता है।

मानव की महामूर्खता

प्राणी विज्ञान के अनुसार मानव जाति को भी एनिमल या जीव में गिना जाता है। मानव सभी प्राणियों में सबसे बुद्धिमान और समझदार कहलाता है। मोक्ष भी मानव शरीर में सम्भव है। किन्तु समझदार होते हुए और सर्व प्रकार से निर्णय करने में सक्षम होते हुए भी यदि मानव मूर्खता करे और विरोध न कर सके तो उसके समझदार होने में सन्देह है। यदि बनी बनाई लीक मानव को स्वयं कष्ट दे रही होती है तो मानव जाति होश में आकर विरोध करती है किन्तु अबोध जीवों के विषय में तनिक भी नहीं सोचती। 

जरा विचार करें माता कहलाने वाली दुर्गा और काली जी अपने बच्चों की बलि क्यों चाहेंगी? कीड़ी से लेकर कुंजर सभी तो उनके ही बच्चे हैं। किसी की जान लेना कहाँ तक सही है? परदुख कातरता का अभाव हम स्पष्ट देख सकते हैं। इसी का विरोध सन्त रामपाल जी महाराज ने किया है। और सभी अनुयायियों ने मिलकर पशुबलि के विरोध में रैलियां निकली। आदरणीय कबीर परमेश्वर द्वारा रचित निम्न वाणियां ध्यान से देखें-

कबीर-माँस अहारी मानई, प्रत्यक्ष राक्षस जानि | 

ताकी संगति मति करै होइ भक्ति में हानि ||

 कबीर-माँस खांय ते ढेड़ सब, मद पीवैं सो नीच |

कुलकी दुरमति पर हरै, राम कहै सो ऊंच ||

 कबीर-माँस भखै औ मद पिये, धन वेश्या सों खाय |

जुआ खेलि चोरी करै, अंत समूला जाय ||

कबीर-माँस माँस सब एक है, मुरगी हिरनी गाय |

 आँखि देखि नर खात है, ते नर नरकहिं जाय ||

 कबीर – यह कूकर को भक्ष है, मनुष देह क्यों खाय | 

मुखमें आमिख मेलिके, नरक परंगे जाय ||

कबीर-पापी पूजा बैठिकै, भखै माँस मद दोइ | 

तिनकी दीक्षा मुक्ति नहिं, कोटि नरक फल होइ ||

 कबीर – जीव हनै हिंसा करै, प्रगट पाप सिर होय | 

निगम पुनि ऐसे पाप तें, भिस्त गया नहिं कोय || 

कबीर-तिलभर मछली खायके, कोटि गऊ दै दान | 

काशी करौत ले मरै तौ भी नरक निदान ||

कबीर साहेब ने मांस मदिरा का सेवन करना पूर्ण रूप से गलत ठहराया है। पशुबलि और मांस भक्षण करके मनुष्य पाप का भागी होता है और इस कारण वह नरक जाता है।

सन्त रामपाल जी महाराज के अनुयायियों ने पशुबलि का किया विरोध

5 अक्टूबर 2021, मंगलवार को सन्त रामपाल जी महाराज के अनुयायियों ने पूरे नेपाल देश के विभिन्न जिलों में दशहरे के अवसर पर दी जाने वाली पशुबलि का विरोध किया। इस अवसर पर नेपाल के 21 जिलों में रैली एवं 22 जिलों में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। इस अवसर पर रक्तदान शिविर का आयोजन कर एक महत्वपूर्ण सन्देश समाज को दिया कि ऐसे कार्य जिनसे किसी का भला हो सके अच्छे हैं। किसी की जान लेने से बेहतर किसी की जान बचाना है। प्रत्येक जीव में एक आत्मा है चाहे वह चींटी हो या हाथी हो। और आत्मा दुखी यानी परमात्मा दुखी। पशुबलि एक निर्मम और नृशंस कुप्रथा है जिसे मानव समाज अपने विवेक का उपयोग न करता हुआ वर्षों से कर रहा है। माँस-मदिरा का भक्षण परमात्मा ने कभी सही नहीं ठहराया और किसी भी धर्म के किसी शास्त्र में माँस मदिरा का सेवन सही नहीं बताया गया है।

नेपाल के विभिन्न जिले जहाँ निकाली गईं रैलियां

सन्त रामपाल जी महाराज के अनुयायियों ने नेपाल में अनेक स्थानो पर पशुबलि के विरोध में रैलियाँ निकाली तथा रक्तदान जैसे सराहनीय कार्य करके समाज को नई दिशा देने का प्रयत्न किया। सन्त रामपाल जी महाराज का उद्देश्य एक स्वच्छ, निर्मल समाज का निर्माण करना है जिसमें पशुबलि, नशा, दहेज प्रथा इत्यादि कुप्रथाओं का कोई अस्तित्व नहीं है। सन्त रामपाल जी महाराज ने अपने सत्संगों के माध्यम से भी यही ज्ञान बताया है कि प्रत्येक जीवात्मा परमात्मा की होती है एवं किसी को कष्ट पहुंचाने का हमें कोई अधिकार नहीं है। सन्त रामपाल जी महाराज ने सदैव प्रेम, सौहार्द एवं भाईचारे का संदेश दिया है एवं उनके अनुयायी उन्ही सिद्धान्तों पर चलते हुए नेपाल में निम्न जिलों में पशुबलि की प्रथा का शांतिपूर्ण ढंग से विरोध प्रदर्शन हुआ एवं रक्तदान कार्यक्रम आयोजित किये गए।

  1. झापा जिला के विर्तामोड
  2.  सुनसरी जिला के इनरुवा 
  3. सप्तरी जिला के राजविराज 
  4. सिरहा जिला के सिरहा बजार
  5. धनुषा जिला के जनकपुर 
  6.  महोत्तरी जिला के जलेश्वर 
  7.  सर्लाही जिला के मलंगवा 
  8. रौतहट जिला के गौर 
  9. बारा जिला के कलैया 
  10. पर्सा जिला के विरगंज
  11. चितवन जिला के नारायणघाट 
  12. काठमाण्डु जिला के काठमाडौं
  13. कास्की जिला के पोखरा 
  14.  नवलपरासी जिला के परासी 
  15. कपिलवस्तु जिला के तौलिहवा 
  16. दाङ जिला के लमही 
  17. बाँके जिला के नेपालगन्ज 
  18. बर्दिया जिला के गुलरिया 
  19. सुर्खेत जिला के विरेन्द्रनगर 
  20. कैलाली जिला के धनगढी 
  21. कंचनपुर के महेन्द्रनगर

अर्घाखाँची जिला के सन्धिखर्क में केवल रैली का आयोजन किया गया वहीं निम्न स्थानों पर रक्तदान का आयोजन किया गया।

  1. मोरङ जिला के बिराटनगर 
  2. मकवानपुर जिला के हेटौंडा

कैसे करें माता दुर्गा की साधना

एक कुतर्क जो हर कुप्रथा को लेकर या पुरानी किसी भी प्रथा को लेकर चला आ रहा है वो ये है कि “हम अपने पूर्वजों की साधना कैसे त्यागें?” वास्तव में ये साधनाएँ हमारे पूर्वजों की नहीं है ये हमारे पूर्वजों को बहकाए गए नकली धर्मगुरुओं की है। पूर्व काल मे सभी न तो शिक्षित थे और न ही प्रत्येक वर्ग को शास्त्रों को पढ़ने का अधिकार था। अतएव जैसे साधना बताई नकली, ढोंगी एवं मिथ्याचारी धर्मगुरुओं ने वैसी हमारे भोले भाले पूर्वजों ने अपना ली। 

किन्तु आज जब हर कोई शिक्षित है, हर कोई शास्त्रों का अध्ययन कर सकता है, हर कोई सही गलत का निर्णय लेने में सक्षम भी है एवं अपने अधिकारों से भी परिचित है ऐसे में पशुबलि जैसी क्रूर प्रथा को चलाते रहना निश्चित ही निदंनीय है। माता दुर्गा को प्रसन्न करने की बहुत ही आसान विधि है। लक्ष्मी, काली, कात्यायनी, पार्वती, सती, सरस्वती आदि रूप माता दुर्गा के ही हैं। शास्त्रों के अनुसार मानव शरीर एक ब्रह्मांड की तरह है जिसमें भिन्न भिन्न कमलों में सभी देवताओं का निवास है। माता दुर्गा को प्रसन्न करने का सबसे आसान उपाय है तत्वदर्शी सन्त से नामदीक्षा लेकर उचित मन्त्र का जाप करना

शास्त्रों के अनुसार की गई भक्ति ही लाभदायक है

श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 17 के श्लोक 23 में सांकेतिक मन्त्र दिए गए हैं जिन्हें कोई तत्वदर्शी सन्त ही बताएगा वे ही लाभदायक हैं। अन्य सभी मन्त्र न केवल मिथ्या हैं बल्कि वे लाभ भी नहीं दे सकते। गीता के अध्याय 16 के श्लोक 23 और 24 में स्पष्ट कर दिया है कि कर्त्तव्य और अकर्त्तव्य की अवस्था मे शास्त्र ही प्रमाण हैं अर्थात जब अनिर्णय की स्थिति हो तब शास्त्रों द्वारा बताई साधना ही करनी चाहिए। वहीं ये भी कहा है कि जो शास्त्रों के अनुसार भक्ति नहीं करता उसे न मोक्ष प्राप्त होता है, न सुख और न ही कोई भी गति। अतः सभी शास्त्रों के विरुद्ध साधनाएँ त्यागकर तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज से नामदीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनायें। सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल पर आए और जानें पूरा तत्वज्ञान साथ ही ज्ञान गंगा पुस्तक मुफ्त ऑर्डर करें।

Latest articles

World Hypertension Day 2025: Discover the Spiritual Path to a Healthy Heart

Last Updated on 12 May 2025 IST | World Hypertension Day 2025 | Hypertension...

International Day of Family 2025: Nurture Your Family with Supreme God’s Blessings 

Last Updated on 12 May 2025 IST | International Day of Families is an...

Buddha Purnima (Vesak Day) 2025: Know the Reason Why Buddha Couldn’t Attain God!

Last Updated on 12 May 2025 IST | Buddha Purnima 2025: Buddha Purnima, also...
spot_img

More like this

World Hypertension Day 2025: Discover the Spiritual Path to a Healthy Heart

Last Updated on 12 May 2025 IST | World Hypertension Day 2025 | Hypertension...

International Day of Family 2025: Nurture Your Family with Supreme God’s Blessings 

Last Updated on 12 May 2025 IST | International Day of Families is an...

बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) 2025: क्या था महात्मा बुद्ध के गृहत्याग का कारण?

Last Updated on 12 May 2025 IST | बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima in Hindi)...