HomeHindi NewsNational Handloom Day 2023: जानिए भारतीय इतिहास में क्या है राष्ट्रीय हथकरघा...

National Handloom Day 2023: जानिए भारतीय इतिहास में क्या है राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का महत्व 

Date:

National Handloom Day 2023: देश में वर्ष 2015 से हर साल 7 अगस्त  के दिन राष्ट्रीय हथकरघा दिवस (National Handloom Day) मनाया जाता है, इसको मनाने का उद्देश्य हथकरघा उद्योग के माध्यम से भारतीय संस्कृति कला को विश्व स्तर तक नई पहचान दिलाना है। सजावट की दुनिया में शुमार हथकरघा उद्योग ने भारतीय अर्थव्यवस्था में भी अद्वितीय योगदान दिया है। आइए विस्तार से जानते हैं इस दिवस के इतिहास, महत्व व उद्देश्य के बारे में।

National Handloom Day 2023 से जुड़े मुख्य बिंदु

  • प्रतिवर्ष 7 अगस्त के दिन मनाया जाता है राष्ट्रीय हथकरघा दिवस
  • वर्ष 2015 में पीएम मोदी ने की थी इस दिवस को मनाने की शुरुआत
  • सदियों से भारतीय अर्थव्यवस्था का पूरक रहा है हथकरघा उद्योग
  • पूर्ण परमात्मा ने कपड़े की तरह बारीकी से बुनी है दुनिया।

1905 के स्वदेशी आंदोलन से प्रेरित है राष्ट्रीय हथकरघा दिवस (National Handloom Day)

1905 में लार्ड कर्जन ने बंगाल विभाजन की घोषणा की। जिसके विरोध में देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध और आंदोलन प्रारंभ हुए, उन्हीं आंदोलनों में एक प्रमुख आंदोलन था ‘स्वदेशी आंदोलन’। जिसमें विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया था और स्वदेशी अर्थात भारतीय वस्तुओं का निर्णय लिया गया था अनेक जगहों पर विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई थी। इस ऐतिहासिक घटना से प्रेरणा पाकर साल 2015 से प्रतिवर्ष इस दिन राष्ट्रीय हथकरघा दिवस (National Handloom Day) मनाया जाता है।

विदेशों में भी पसंद किए जाते हैं हथकरघा के कपड़े

हथकरघा उद्योग एक प्राचीन कार्यशैली है जिसमें लोग कम खर्च में शुरुआत कर सकते थे। वर्तमान में इस उद्योग की बनाये गई कपड़े पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं, इनमें हाथ से की गई कलाकारी बहुत ही खूबसूरत होती है साथ ही रेशम, कपास ऊन से तैयार कपड़े अधिक  टिकाऊ होते हैं, यही कारण है कि विदेशों में भी इसकी मांग बढ़ी है।

वैश्विक स्तर पर हथकरघा उद्योग को प्रोत्साहित करना है इस दिवस का मुख्य उद्देश्य

National Handloom Day: हथकरघा के बुनकरों को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान हेतु, तथा इस क्षेत्र के प्रति जो योगदान इनका रहा है उसके प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना, बुनकरों के गौरव बढ़ाना इस दिवस का मुख्य उद्देश्य है। साथ ही भारतीय कला संस्कृति को हथकरघा के माध्यम से नई पहचान दिलाने के लिए भी मनाया जाता है।

पीएम मोदी ने हथकरघा दिवस पर देश के बुनकरों को किया सम्बोधित

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सोमवार को नई दिल्ली के प्रगति मैदान के भारत मंडपम में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस समारोह में शामिल हुए और उन्होंने बुनकरों का उत्साहवर्धन किया। उन्होंने कहा कि वे कारीगरों बुनकरों और शिल्पकारों को प्रोत्साहन और नीतिगत समर्थन देने के दृढ़ समर्थक रहे हैं। कारीगर और शिल्पकार देश की कलात्मकता और शिल्प कौशल की समृद्ध परंपरा को जीवित रखे हुए हैं। इस साल नौवां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस (National Handloom Day 2023) मनाया जा रहा है। कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने भारतीय वस्त्र एवं शिल्प कोष के ई-पोर्टल को लॉन्च किया। 

National Handloom Day 2023:भारत के इन शहरों में आज भी जीवंत है हथकरघा उद्योग

हमारे देश में कुछ राज्य हैंडुलम के लिए प्रसिद्ध है जिनमें महाराष्ट्र की पैठनी, आंध्रप्रदेश की कलमकारी, गुजरात की बंधनी, तमिलनाडु का कांजीवरम, मध्य प्रदेश की चंदेरी, बिहार का भागलपुरी सिल्क यहां हैंडुलम उद्योग दुनिया भर में मशहूर है। यहां के कपड़े विदेशों में भी निर्यात किये जाते हैं और यह वस्त्र काफी कीमती होते हैं।

पूर्ण परमात्मा ने बहुत बारीकी से बुनी है यह दुनिया

जिस तरह कारीगर बहुत ही सावधानी से कपड़े बुनकर तैयार करते है। ऐसे ही पूर्ण परमात्मा कबीर परमेश्वर जी ने संसार को बुना अर्थात् बनाया है, और आज तक परमात्मा के विधान अनुसार दुनिया चलायमान है। परमात्मा पृथ्वी से 16 शंख कोस की दूरी पर सतलोक में राजा के समान सिंहासन पर विराजमान हैं।

हम अपनी गलती के कारण निज घर सतलोक को छोड़कर, इस काल ब्रह्म की लोक में फंस चुके है, और सिर्फ दो वक्त की रोटी के लिए उलझ कर मर रहे हैं। सतलोक में सर्व सुख हैं ना जन्म ना मत्यु और ना कोई दुखी-बीमारी, आखिर हम वापस सतलोक कैसे जा सकते हैं? इसका हल अब निकल चुका है। पूर्ण परमात्मा ने अपना नुमाइंदा भेज दिया है। पूर्ण परमात्मा कबीर परमात्मा द्वारा भेजा गया नुमाइंदा कोई और नहीं, बल्कि पूर्ण संत रामपाल जी महाराज जी हैं, जो हमारी पुनः घर वापसी के लिए इस म्रत्यु लोक में आये हुए हैं। कबीर परमेश्वर जी कहते हैं कि,

कबीर नौ मन सूत उलझिया, ये ऋषि रहे झख मार।

सतगुरु ऐसा सुलझा दे, उलझे न दूजी बार।।

पहले बुनकर जब सूत कातते थे। एक किलो सूत उलझ जाता तो एक दिन पूरा सुलझाने में चला जाता था। इसी प्रकार आध्यात्मिक मार्ग को नकली गुरुओं ने ऐसा ही उलझाकर रख दिया था परन्तु वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज ने इस आध्यात्मिक मार्ग को तत्वज्ञान से ऐसा सुलझा दिया है कि अब यह दोबारा नहीं उलझेगा, संत रामपाल जी महाराज जी ने सभी धर्म शास्त्रों में एक पूर्ण परमात्मा की जानकारी उनको पाने की विधि उनसे मिलने वाले लाभ का प्रमाण बता दिया है। इस आध्यात्मिक ज्ञान को समझने के लिए आज ही डाऊनलोड करें Sant Rampal Ji Maharaj App

FAQ About National Handloom Day 2023

Q.1  राष्ट्रीय हथकरघा दिवस कब मनाया जाता हैं?

Ans. राष्ट्रीय हथकरघा दिवस प्रतिवर्ष 07 अगस्त को मनाया जाता है।

Q.2  पहली बार राष्ट्रीय हथकरघा दिवस कब मनाया गया?

Ans. 07 अगस्त सन 2015 में पहली बार राष्ट्रीय हथकरघा दिवस (National Handloom Day) मनाया गया।

Q.3 हथकरघा दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य क्या है?

Ans. हथकरघा दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य लघु और मध्यम उद्योग को बढ़ावा देना है।

Q.5 स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत कब हुई थी?

Ans. स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत सन 1905 में हुई थी।

Q. 6 इस संसार को जुलाहे की तरह किस परमात्मा ने बुना है?

Ans. इस संसार को जुलाहे की तरह कबीर परमेश्वर जी ने बुना है।

Q.7 वर्तमान में आध्यात्म की उलझन को किस संत ने सुलझाया है?

Ans. संत रामपाल जी महाराज जी ने आध्यात्म की उलझन को अपने तत्वज्ञान से सुलझा दिया है।

SA NEWS
SA NEWShttps://news.jagatgururampalji.org
SA News Channel is one of the most popular News channels on social media that provides Factual News updates. Tagline: Truth that you want to know

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

International Daughters Day 2023: How Can We Attain Gender Neutral Society?

On September 26, 2021, every year, International Daughters Day is observed. Every year on the last Sunday of September, a special day for daughters is seen. This is a unique day that commemorates the birth of a girl and is observed around the world to eradicate the stigma associated with having a girl child by honoring daughters. Daughters have fewer privileges in this patriarchal society than sons. Daughters are an important element of any family, acting as a glue, a caring force that holds the family together. 

International Day of Sign Languages: Worship of Supreme God Kabir Is the Sign to Be Followed by the Entire Mankind

International Day of Sign Languages is observed annually so as to raise awareness about the hardships a physically challenged individual has to go through. Thus making everyone aware about the need for the education about sign languages to the needy as early as possible into their lives. While Supreme God Kabir is the most capable; giving us anything through His method of worship whether it is aiding a deaf, dumb or blind.

Disturbance in India Canada’s Relations Over Killing of Pro Khalistani Leader Hardeep Singh Nijjar

On Monday Canadian Prime Minister Justin Trudeau alleged a...

International Day of Peace 2023: Know About the Only Way to Have Everlasting Global Peace

The International Day of Peace is celebrated on 21 September in the world. Know about history, background, significance, aim, celebration, events, Activities and quotes on International Peace Day 2021