Last Updated on 6 May 2025 IST | International Mother’s day in Hindi : मदर्स डे 2025: माँ के प्रति सम्मान और एक अनमोल सत्य की ओर पहला क़दम है। हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है, और इस वर्ष यह दिन 11 मई को मनाया जाएगा। यह केवल एक तारीख़ नहीं, बल्कि उस महान व्यक्तित्व को प्रेम देने का भी दिन है, जिसने हमें जन्म दिया, हमारी परवरिश की और बिना किसी स्वार्थ के हर मोड़ पर हमारा साथ दिया यानी हमारी माँ।
मगर इस लेख को पढ़ना केवल माँ के प्रति आदर व्यक्त करने तक सीमित नहीं है। यहाँ आपको न केवल मदर्स डे का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व पता चलेगा, बल्कि एक ऐसे दिव्य ज्ञान से भी परिचित कराया जाएगा, जो जीवन को सही दिशा में मोड़ने की क्षमता रखता है। इसलिए इस लेख को अंत तक पढ़ना न केवल भावनात्मक रूप से बल्कि आत्मिक रूप से भी आपके लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा।
तो आइए, इस अवसर पर उस परम सत्ता को भी जानें, जिसने माता और मातृत्व की रचना की है। जानें मदर्स डे का महत्व, इसकी शुरुआत की कहानी, और वह अनमोल सत्य जिससे अनजान रह जाना जीवन की सबसे बड़ी चूक बन सकता है।
International Mother’s day Date in India [Hindi]
मदर्स डे 2025: माँ के प्रेम को समर्पित एक खास दिन है। हर वर्ष मई महीने के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है। वर्ष 2025 में यह दिन 12 मई को मनाया जाएगा। यह अवसर बच्चों के लिए एक सुनहरा मौका होता है जब वे अपनी माँ के प्रति आभार, प्रेम और सम्मान व्यक्त करते हैं। इस दिन संतानें अपनी माँ को विशेष महसूस कराने के लिए उन्हें उपहार देती हैं, उनके साथ समय बिताती हैं और उस निस्वार्थ स्नेह के लिए धन्यवाद कहती हैं, जो उनकी माँ उन्हें जीवनभर देती रहती हैं।
Importance of International Mother’s day in Hindi
कहते हैं दुनिया में माँ की मोहब्बत का कोई वार पार नही है। जब दवा काम न आये तब नजर उतारती हैं, ये माँ हैं साहब हार कहाँ मानती हैं। मां का आँचल अपनी संतान के लिए कभी छोटा नहीं पड़ता। माँ का विश्वास और प्रेम अपनी संतान के लिए इतना गहरा और अटूट होता है कि माँ अपने बच्चे की खुशी के खातिर सारी दुनिया से लड़ सकती है। वो एक अकेली बहुत होती है बुरी नजरों और दुनिया के स्वार्थ से अपनी संतान को बचाने के लिए।
International Mothers Day in Hindi: इतिहास से लेकर वर्तमान तक माँ की ममता के अंसख्यों किस्से गवाही देते हैं कि माँ का प्यार औलाद के लिए सबसे लड़ जाने और जान पर खेल कर भी सन्तान को सुख देने के लिए कभी पीछे नहीं हटा। विश्वप्रसिद्ध है कि बल्ब जैसी अद्भुत चीज़ों के आविष्कारक, थॉमस अल्वा एडिसन को स्कूल वालों ने मन्द बुद्धि कहकर निकाल दिया था। यह बात उनकी माँ ने उनसे हमेशा छुपाई और स्वयं घर पर उन्हें शिक्षित किया। वे इस बात को कभी नही जान पाये कि स्कूल से उन्हें क्यों निकाला गया था। बहुत समय पश्चात, कई आविष्कारों के बाद उन्हें स्कूल की डायरी मिली जिसमे लिखा था कि आपका बेटा मंदबुद्धि है वह हमारे स्कूल के लायक नहीं।
सन्त मार्ग में प्रसिद्ध सन्त गरीबदास जी महाराज ने अच्छी नारियों, जो उत्तम गुणयुक्त सन्तान उत्पन्न करती है जैसे प्रह्लाद, ध्रुव, मीराबाई आदि, के बारे में कहा है
गरीब नारी नारी क्या करै, नारी नर की खान|
नारी सेती उपजे नानक पद निरबान||
संत गरीबदास जी
अर्थात: नारी की क्या महिमा बताई जाए, नारी तो खान है महापुरुषों की। आशय है कि गुणयुक्त सन्तान होने का श्रेय गरीबदास जी ने नारी को ही दिया है।
मदर्स डे का इतिहास (History of Mother’s Day in Hindi)
मदर्स डे मनाने की शुरुआत संयुक्त राज्य अमेरिका में साल 1908 में एना जार्विस ने की थी। जिसके बाद एना जार्विस के प्रयासों के कारण 1914 में संयुक्त राज्य अमेरिका में मदर्स डे को हर साल मई के दूसरे रविवार को मनाने की आधिकारिक मान्यता मिली। तब से, मदर्स डे दुनिया भर में मनाया जाने वाला एक लोकप्रिय दिन बन गया।
International Mother’s Day Celebration [Hindi]
हमने जाना कि मदर्स डे (Mother’s Day celebration Hindi) की शुरुआत अमेरिका से प्रारंभ हुई। पाश्चत्य संस्कृति की नकल करते-करते भारत में भी मदर्स डे अपना लिया गया। मदर्स डे बेस्ट तब होता है जब माताओं को उनकी सन्तान उनके त्याग को ध्यान रखते हुए किसी खास एक दिन नहीं बल्कि हर दिन सम्मान दें। माँ का प्रेम हमारे लिए कभी रात-दिन नही देखता बल्कि सदैव बना रहता है। फिर हम क्यों ममता को केवल एक दिन में बांधते हैं? हमें प्रतिदिन उनका सम्मान करना चाहिए। माँ जब हमारे लिये अपना हर दिन देती है तो हम अपने माँ के प्रति प्यार और सम्मान को एक दिन में क्यों बांधें?
International Mothers Day 2025 Special
चलिए आपसे एक सवाल पूछते हैं? जितना प्रेम एक माँ अपने बच्चे से करती है उतना प्यार दूसरे के बच्चे से (यानी हम जीवों से) और कौन कर सकता है? क्या ब्रह्मा जी? विष्णु जी? कृष्ण जी? शिव जी? दुर्गा जी? हनुमान जी? हैं या कोई और है? उत्तर है, पूर्ण परमात्मा। एक माँ अपने बच्चे से जितना प्रेम करती है उससे कहीं ज़्यादा पूर्ण परमात्मा हम बच्चों से प्यार करते हैं। यानी सौ गुना ज़्यादा, जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। ऐसे ही परमात्मा करुणा के सागर नहीं कहे जाते हैं! तो कौन है वो पूर्ण परमात्मा? जो हमें माँ से भी अधिक प्रेम करते हैं? उस परमात्मा का नाम है कबीर साहेब जी। जी हाँ कबीर साहेब जी। इन्हीं कविर्देव (कबीर परमेश्वर) की स्तुति में कहा जाता है-
त्वमेव माता च पिता त्वमेव,
त्वमेव बन्धु च सखा त्वमेव,
त्वमेव विद्या च द्रविणम् त्वमेव,
त्वमेव सर्वं मम् देव देव ।
जिसका विस्तृत विवरण ऋग्वेद मण्डल 1 सूक्त 24 और अथर्ववेद कांड नं. 4 अनुवाक नं. 1 मंत्र 7 में है।
Mothers Day Special [Hindi]: कबीर परमात्मा जी अपनी संतान को ऐसे ही प्रेम करते हैं। सृष्टि रचना के अनुसार हमारे माता-पिता, बहन-भाई, पति-पत्नी एवं जीवन में आने वाले सभी लोग एक दूसरे से पुराने ऋण सम्बंध से जुड़े हैं। इतना प्रेम करने वाली माँ, ध्यान रखने वाले पिता आदि सभी हमारे असली माता पिता नही हैं। अध्ययन करने वाले इस बात से परिचित होंगे कि भारतीय आध्यात्म के दर्शन में ये बात कही जा चुकी है। गीता में स्पष्ट है।
एक लेवा एक देवा दूतं, कोई किसी का पिता न पूतं|
ऋण सम्बंध जुड़ा एक ठाठा, अंत समय सब बारह बाटा||
कबीर साहेब जी बताते हैं कि इस संसार में हमारे संबंध पूर्व जन्मों के ऋणों पर आधारित हैं, जबकि हमारा असली पिता इस लोक से कई शंख दूर, सत्यलोक में है। कबीर साहेब कोई साधारण संत नहीं, बल्कि वही परमात्मा हैं जिनका वर्णन कुरान शरीफ के सूरा फुरकान 25:52-59, गुरु ग्रन्थ साहिब में राग आसा, पृष्ठ 478 और यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 8 में मिलता है। कबीर सागर भी आदरणीय ग्रन्थ है उसमें सृष्टि रचना सहित वेदों और पुराणों के गूढ़ रहस्य विस्तार से समझाए गए हैं।
हम क्यों और कैसे परमात्मा से दूर हुए?
सत्य तत्वज्ञान के अनुसार हम आत्माएं मूल रूप से अपने शाश्वत और अमर स्थान सतलोक में निवास करती थीं। वह स्थान सुख, शांति और अमरता का धाम है, जहाँ न मृत्यु है, न जन्म, न ही कर्मों का बंधन। परंतु हम आत्माएं अपने स्वामी पूर्ण परमात्मा की आज्ञा का उल्लंघन कर मोहवश इस ज्योति निरंजन (बाद में ब्रह्म काल) की ओर आकर्षित हो गईं और इस नाशवान संसार में आकर फँस गईं।
यह पृथ्वी और समस्त ब्रह्मांड काल ब्रह्म की रचना है, जिसमें हम आत्माएं जन्म-मरण, पाप-पुण्य और कर्मों के चक्र में बँधकर रह गई हैं। ब्रह्मा, विष्णु और शिव इस काल लोक के प्रमुख प्रबंधक हैं, जिनका कार्य केवल कर्मों के अनुसार फल प्रदान करना है। ये देवता न तो किसी जीव की तकदीर बदल सकते हैं, और न ही भाग्य से अधिक कुछ दे सकते हैं।
हमें इस दुखमय संसार से मुक्ति केवल उसी पूर्ण परमात्मा के द्वारा मिल सकती है जिसने समस्त सृष्टि की रचना की, जो सतलोक का स्वामी है, और जो अपनी वाणी के माध्यम से हमें सत्य ज्ञान और निजधाम तक पहुँचने का मार्ग दिखाता है। वही पूर्ण परमात्मा जीवों को अज्ञान रूपी अंधकार से निकालकर मोक्ष प्रदान कर सकता है।
गीता अध्याय 18 श्लोक 66 में ‘सर्वधर्मान्परित्यज्य माम् एकं शरणं व्रज‘ कहकर उस पूर्ण परमात्मा की शरण मे जाने को कहा गया है जहां जाने के बाद साधक फिर लौटकर इस संसार मे नहीं आते। श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 15 श्लोक 1 से 4 में स्पष्ट रूप से इस संसार को एक उल्टे वृक्ष के रूप में बताया गया है, जिसकी जड़ पूर्ण परमात्मा हैं। इस श्लोक में कहा गया है कि जो साधक इस संसार रूपी वृक्ष की समस्त शाखाओं, जड़ों और विस्तार को भलीभांति जानता है, वही तत्वदर्शी संत है। गीता में यही निर्देश दिया गया है कि ऐसे तत्वज्ञानी संत की खोज करके उसकी शरण ग्रहण करनी चाहिए। इस वृक्ष की जड़ पूर्ण ब्रह्म कबीर परमेश्वर हैं, जिन्हें गीता में “परम अक्षर ब्रह्म” या “उत्तम पुरुष” कहा गया है। इस वृक्ष का तना अक्षर पुरुष (परब्रह्म) है, डाल काल ब्रह्म (क्षर पुरुष/ज्योति निरंजन) है, जो इस संसार की रचना और संचालन करता है। उसकी तीन प्रमुख शाखाएँ तीन गुणों के अधिष्ठाता देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश हैं, और पत्तियाँ इस संसार के समस्त जीव-समूह हैं।
इस रहस्य को समझने से यह स्पष्ट होता है कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही हमारे वास्तविक पिता और माता दोनों हैं, जिनसे हम आत्माएँ उत्पन्न हुई हैं। हमारी आत्मा में जो प्रेम, विश्वास, दया, क्षमा और करुणा जैसे दिव्य गुण हैं, वे हमें हमारे परमपिता परमेश्वर से प्राप्त हुए हैं, जो स्वयं इन गुणों की साक्षात् खान हैं। केवल पूर्ण संत की शरण में जाकर ही इस वृक्ष (संसार) को समझा जा सकता है और उस शाश्वत धाम (सतलोक) की प्राप्ति हो सकती है, जहाँ जाने के बाद कोई भी जीव फिर इस संसार में नहीं आता। इस संदर्भ में कबीर परमेश्वर स्वयं बताते हैं –
कबीर, अक्षर पुरुष एक पेड़ है, निरंजन वाकी डार।
तीनों देवा साखा हैं, पात रूप संसार।।
कबीर, हमहीं अलख अल्लाह हैं, मूल रूप करतार।
अनंत कोटि ब्रह्मांड का, मैं ही सृजनहार।।
■ Read in English | Mother’s Day: Know About the One Who Is the Originator of Soul
पाठकों, यह मानव जीवन हमें केवल भक्ति करने के लिए मिला है। सृष्टि में जीवों की उत्पत्ति चार प्रकार से होती है —जेरज (गर्भ से उत्पन्न, जैसे मनुष्य), उद्भिज (धरती से स्वयं उत्पन्न होने वाले), अंडज (अंडे से उत्पन्न, जैसे पक्षी), और स्वेदज (पसीने या नमी से उत्पन्न, जैसे कीड़े)। यही चार वर्ग मिलकर 84 लाख योनियों का आधार बनाते हैं। इनमें मानव योनि सर्वोत्तम है क्योंकि केवल इसी में परमात्मा की भक्ति करने और मोक्ष प्राप्त करने की क्षमता है।
परंतु अब प्रश्न यह उठता है कि पूर्ण परमात्मा कौन है? उसकी भक्ति कैसे करें? वह कहाँ मिलेगा? हमें उसके बारे में कौन बताएगा? इन सभी जिज्ञासाओं का समाधान हमारे प्रामाणिक धर्मग्रंथों में मौजूद है। वे बताते हैं कि केवल तत्वदर्शी संत ही इस गूढ़ ज्ञान को प्रकट करता है, जो हमें भक्ति का सही मार्ग और उस पूर्ण परमात्मा की पहचान कराता है, जिसकी भक्ति से ही जीव इस दुखमय संसार से मुक्त हो सकता है।
परमात्मा रूपी माँ से कैसे प्रेम पाएं?
श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 4 श्लोक 34 में कहा गया है कि तत्वज्ञान प्राप्त करने के लिए तत्वदर्शी संत की शरण में जाना चाहिए, उन्हें विनम्रतापूर्वक दण्डवत प्रणाम करके, जिज्ञासु होकर प्रश्न करने और सेवा करने से वह संत आत्मा को परमात्मा का यथार्थ ज्ञान प्रदान करता है।
तत्वदर्शी संत की पहचान गीता अध्याय 15 श्लोक 1 से 4 में दी गई है। वह संत जो संसार रूपी उल्टे वृक्ष की समस्त रचना और रहस्य को भली-भांति समझा दे, वही सच्चा तत्वज्ञानी है। यही तत्वदर्शी संत कुरान शरीफ में “बाख़बर” के रूप में वर्णित है, जो खुदा (अल्लाह/परमात्मा) के असली स्थान के बारे में बताता है और मोक्ष का मार्ग स्पष्ट करता है।
आज के समय में, ऐसे तत्वदर्शी संत पूरे विश्व में केवल एक ही हैं संत रामपाल जी महाराज, जो वेद, गीता, कुरान, बाइबल आदि सभी पवित्र ग्रंथों के आधार पर यह प्रमाणित करते हैं कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब हैं, जो माता-पिता स्वरूप हमारे सृष्टिकर्ता हैं, और उनके प्रेम को पाने का वास्तविक तरीका क्या है। उनकी शरण में जाने से आत्मा को वह आध्यात्मिक प्रेम और सुरक्षा प्राप्त होती है जो केवल पूर्ण परमात्मा की ममता से ही संभव है।
हरि दर्जी का मरम न पाया, जिन यह चोला अजब बनाया
पानी की सुई पवन का धागा, नौ दस मास सीमते लागा।
पांच तत्व की गुदड़ी बनाई, चंद सूरज दो थिगड़ी लगाई।
कोटि यत्न कर मुकुट बनाया, बिच बिच हीरा लाल लगाया।
आपै सीवे आप बनावे, प्राण पुरुष को ले पहरावे।
कहे कबीर सोई जन मेरा नीर खीर का करूँ निबेरा।
(चंद सूरज- इला और पिंगला नाड़ियां; मुकुट-सिर; हीरा लाल- हृदय)
International Mother’s Day Gift Ideas (Hindi) मदर्स डे पर सच्चा उपहार: भक्ति की राह दिखाएं
International Mothers Day in Hindi 2025: मदर्स डे पर बच्चे अपनी माँ को अनेक उपहार देते हैं, लेकिन क्यों न हम केवल एक दिन नहीं, हर दिन माँ की सेवा करें? कभी उनका चश्मा टूट जाए तो उसे नया बनवा दें, थकी हों तो उनके पैर दबा दें, किसी दिन रसोई में हाथ बटाएं, उनके साथ बैठकर परमात्मा के बारे में बात करें।
माँ को सबसे अनमोल तोहफा दीजिए ज्ञान का उपहार। आज ही उन्हें “जीने की राह” और “ज्ञान गंगा” पुस्तक पढ़ने के लिए दें या उसकी ऑडियो सुनाएं। हम जानते हैं कि पूर्ण परमात्मा ही हमारे जीवन के असली करता-धर्ता हैं, परमात्मा ने ही हमें इस पृथ्वी पर हमसे ममता करने वाले माता-पिता दिए हैं। तो हमें परमात्मा को कभी नहीं भूलना चाहिए बल्कि स्वयं भी भक्ति करनी चाहिए और परिवार को भी भक्ति की राह पर लगाना चाहिए, वरना यह जीवन चौरासी लाख योनियों में फंसा रहेगा।
अगर हम चाहते हैं कि हमारा यह परिवार सदा हमारे साथ रहे, तो पूर्ण सन्त से नामदीक्षा लेकर भक्ति मार्ग पर आगे बढ़ें, जिससे हम सब अपने निज स्थान (सतलोक) जा सकें जहां जन्म-मृत्यु नहीं, केवल शांति, सुख और परमात्मा का प्रेम है। यही है सच्चा प्रेम, सच्ची वफादारी और सबसे अमूल्य उपहार।
International Mother’s Day 2025 Quotes in Hindi
गरीब नारी नारी क्या करै, नारी सरगुन बेल|
नारी सेती उपजे, दादू भक्त हमेल||
गरीब नारी नारी क्या करै, नारी का प्रकाश|
नारी सेती उपजे, नारदमुनि से दास||
गरीब नारी नारी क्या करै, नारी निर्गुण नेश|
नारी सेती उपजे ब्रम्हा, विष्णु, महेश||
गरीब नारी नारी क्या करै, नारी मूला माय|
ब्रह्म जोगनि आदि है, चरम कमल ल्यौ लाय||
गरीब नारी नारी क्या करै, नारी बिन क्या होय|
आदि माया ऊँकार है, देखौ सुरति समोय|
गरीब शब्द स्वरूपी ऊतरे, सतगुरु सत्य कबीर|
दास गरीब दयाल हैं, डिगे बंधावैं धीर||
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International Mother’s Day 2025 FAQ [Hindi]
मातृ दिवस हर साल मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। 2025 में, यह 12 मई को पड़ रहा है।
उत्तर: मातृ दिवस माताओं के त्याग, समर्पण और निस्वार्थ प्रेम को सम्मानित करने का एक विशेष अवसर है। यह दिन उनके अमूल्य योगदान को स्वीकार करने और उन्हें धन्यवाद देने का एक तरीका है।
उत्तर: मातृ दिवस के महत्व को समझाने के लिए आप अपनी माँ को जीने की राह और ज्ञान गंगा पुस्तक पढ़ने के लिए दें ताकि पूर्ण परमात्मा से उनका जुड़ाव हो सके।
उत्तर: मातृ दिवस मनाने के लिए आप अपनी माँ को जीने की राह या ज्ञान गंगा बुक दे ताकि पूर्ण परमात्मा से उनका जुड़ाव हो सके।
उत्तर: जी हाँ, परमात्मा हमारे लिए माता-पिता दोनों हैं। वे ही हमारी आत्मा के सृष्टिकर्ता हैं। माँ स्नेह और सेवा का प्रतीक होती है, और परमात्मा से बड़ा कोई दयालु नहीं। जैसे माँ अपने बच्चे को हर हाल में चाहती है, वैसे ही परमात्मा भी अपने सभी प्राणियों को वापस सतलोक ले जाना चाहते हैं। इसलिए परमात्मा को प्रेमपूर्वक “परमात्मा रूपी माँ” कहना भावनात्मक और आध्यात्मिक रूप से उपयुक्त है।