Last Updated on 17 August 2023 IST | Atal Bihari Vajpayee Punyatithi: भारतीय राजनीति के भीष्म पितामह कहे जाने वाले “अटल बिहारी वाजपेयी” 16 अगस्त 2018 को हमें अलविदा कह गए थे। उन्होंने पांच दशक से ज्यादा की राजनीति की, भारत के तीन बार प्रधानमंत्री बन कर, पद को सुशोभित किया। उन्होंने अपनी इतनी लंबी राजनीति में अपने चरित्र को बिना किसी घोटाले, आरोपों और गलत कुकर्मों से बचाए रखा और देश में एक सच्चे राजनेता की भूमिका निभाई और देश के लोकतंत्र को मजबूत करने में भरपूर योगदान दिया। उनकी पार्टी के साथ-साथ विपक्ष भी उनके हर वक्तव्य पर सहमति दर्ज कराता रहा और देश में अनूठे गठबंधन की सरकार बनाकर उन्होंने एक नया फार्मूला देश को दिया।
ग्वालियर में जन्मे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी देश ही नहीं विदेशों में भी ख्याति प्राप्त नेता साबित हुए। अटल बिहारी बाजपेईजी की मृत्यु 16 अगस्त 2018 को एम्स अस्पताल में हुई थी।
Atal Bihari Vajpayee Punyatithi पर प्रधानमंत्री मोदी ने दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की तथा उनके नेतृत्व को याद करते हुए बताया कि उन्होंने देश को प्रगति पथ पर अग्रसर किया है। अटल जी की पुण्यतिथि (Atal Bihari Vajpayee Punyatithi) पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं एवं मंत्रियों ने अटल जी के समाधि स्थल पर पहुंचकर उन्हें याद किया। अमित शाह ने उन्हें राजनीति का अजातशत्रु पुकारा है। अटल बिहारी वाजपेयी एक अच्छे नेता, पथप्रदर्शक और सहृदय व्यक्ति रहे हैं। देश उन्हें व उनके मार्गदर्शन को सदैव याद रखेगा।
मृत्यु अटल सत्य है और मोक्ष अंतिम ठिकाना
इसको जान लेने के बाद जब मनुष्य कोई कार्य करता है तो उसमें सफलता अवश्य प्राप्त करता है क्योंकि यह जीवन परमात्मा द्वारा प्रदत्त है और इस जीवन में हमें कर्म के साथ भक्ति करनी भी अति आवश्यक है। लेकिन अमूमन यह देखा जाता है कि लोग कर्म की प्रधानता में इस प्रकार से भक्ति से दूर हो जाते हैं कि वह यह भूल जाते हैं कि वे भी परमात्मा के बच्चे हैं और भक्ति करके परमात्मा प्राप्ति उनका परम कर्तव्य है। यही कारण है कि आज मानव समाज माया की दौड़ में इस प्रकार से दौड़ रहा है कि वह भूल चुका है कि वह किस उद्देश्य से इस धरा पर जन्म लेकर आया और यही गलती अटल बिहारी वाजपेयी ने भी की। अगर अटल बिहारी वाजपेयी जी पूर्ण परमात्मा की सत भक्ति करते तो उनका अंत इतना बुरा नही होता।
तप से राज राज मद मानम
ऋषि मुनि आदि तप मोक्ष एवं सिद्धि प्राप्ति की आकांक्षा से किया करते थे। किंतु मोक्ष तप से नहीं हो सकता इसके शास्त्र गवाह हैं। तप करना हठयोग के अंतर्गत आता है इसका प्रमाण हमें गीता देती है। तप करने से भावी जन्म में राज्य की प्राप्ति होती है और राज्य प्राप्त होने के बाद भावी जन्म कुत्ते और सुअर के रूप में होता है। यदि इस जन्म में कोई किसी भी पद पर आसीन है तो वह उसके पूर्व जन्म के भक्ति संस्कारों का फल है। यदि इस जन्म में उसने तत्वदर्शी संत से नामदीक्षा लेकर सत्यभक्ति नहीं की तो उसका भावी जन्म सुअर और कुत्ते की योनि में होगा यह परमात्मा का विधान है।
ऋग्वेद में लिखा है कि पूर्ण परमात्मा भक्ति कराने के लिए अपने शिष्य की आयु भी बढ़ा सकता है और उसके रोग नष्ट भी कर सकता है जिसका प्रमाण है:
ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 – 3
अगर जीव पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब की सत भक्ति करें तो उसको यह स्वयं ज्ञात हो जाएगा कि वह एक सच्चे परमेश्वर की शरण में हैं और उनकी शरण में रहने से उसे पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति अवश्य होगी। जिसकी गारंटी परमात्मा कबीर साहेब के अवतार जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने विश्व की संपूर्ण जनता को दे रखी है।
अटल मोक्ष की तैयारी
मनुष्य जन्म का एकमात्र उद्देश्य भक्ति करना है। तीन देवताओं की भक्ति में संसार उलझ कर रह जाता है। तप, व्रत, तीर्थ आदि में कुछ भी नहीं रखा है यह वेद प्रमाणित करते हैं। आज शिक्षित समुदाय है इसलिए शास्त्रों का अध्ययन करना आसान है। आज शास्त्र आधारित भक्ति नहीं की तो अगली योनि 84 लाख योनियों की तय है। और अटल मोक्ष स्वर्ग, महास्वर्ग, ब्रह्मलोक से इतर सतलोक जाना है। वेदों में वर्णित सत्पुरुष कविर्देव की भक्ति मोक्ष के लिए अनिवार्य बताई गई है। गीता अध्याय 4 श्लोक 34 के अनुसार तत्वदर्शी संत की शरण में जाकर उनसे तत्वज्ञान का उपदेश लेकर सतभक्ति करना ही जीवन का लक्ष्य है। संत रामपाल जी महाराज वर्तमान में पूर्ण तत्वदर्शी संत की भूमिका में हैं जिन्होंने सर्व धर्म शास्त्रों के आधार पर एक निर्णायक ज्ञान संसार को दिया है। उनके उपदेश बच्चे से लेकर बड़े और बूढ़े तक के लिए सरल और ग्राह्य हैं। अधिक जानकारी के लिए सुनें साधना टीवी प्रतिदिन शाम 7:30
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