July 16, 2025

तेजी से बढ़ता मंकीपॉक्स (Monkeypox Virus) | जानिए इसके लक्षण एवं रोकथाम के उपाय

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मंकीपॉक्स (Monkeypox Virus in Hindi) के मामले विश्व भर में तेजी से बढ़ रहे हैं। यह भी एक प्रकार की बीमारी जो कोरोना की तरह ही तेजी से फैल रही है। आइए जानते हैं इससे जुड़ी सभी जानकारियां।

मुख्य बिंदु

  • क्या है मंकीपॉक्स बीमारी और क्या है इसके लक्षण एवं रोकथाम?
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जारी किया अलर्ट।
  • लगभग 23 देशों में 257 मामलों ने मचाया कहर
  • भारत के विभिन्न प्रदेशों ने जारी की एडवाज़री
  • सत्यभक्ति एकमात्र इलाज

तेजी से बढ़ रहे हैं मंकीपॉक्स के मामले

मंकीपॉक्स के मामले इतनी तेजी से बढ़ रहे हैं कि दुनिया भर के 23 देशों में इसके 257 मामले आ चुके हैं, जिनके साथ 120 संदिग्ध मामले हैं। विश्व की स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दुनिया के सभी देशों को अलर्ट रहने को कहा है और इसके मामले बढने की आशंका जताई है डब्ल्यूएचओ (WHO) ने इमरजेंसी डिपार्टमेंट के पूर्व प्रमुख डॉ. डेविड हेमैन का कहना है कि इंसानों में मंकीपॉक्स के मामले सेक्स के जरिए बढ़ रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि जब मंकीपॉक्स के लिए जब कोई विशेष दवा बनी ही नहीं है तो इलाज कैसे किया जा सकता है।

मंकीपॉक्स बीमारी के लक्षण (Symptoms of  Monkeypox Virus in Hindi)

मंकीपॉक्स वायरस (Monkeypox Virus in Hindi) के माध्यम से फैलने वाली एक संक्रामक बीमारी है। यह कुछ जानवरों से लेकर इंसानों को हो सकता है। चेचक की तरह ही यह फैलता है साथ ही कमज़ोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्तियों में यह पहले पैर पसारता है। लोग जानना चाहते है कि मंकीपॉक्स के मुख्य लक्षण कैसे होते हैं?मंकीपॉक्स के बीमारी के लक्षणों में

  • बुखार
  • सिरदर्द
  • मांसपेशियों के दर्द
  • पीठ दर्द
  • सूजी हुई लासिका ग्रंथी
  • ठंड लगना और थकान
  • चकत्ते पड़ना

आदि लक्षण शामिल हैं। बुखार आने के 1 से 3 दिन के भीतर रोगी को दाने हो जाते हैं। 

मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने का समय

मंकीपॉक्स के शुरुआती लक्षण साधारण चेचक यानी चिकन पॉक्स की तरह होते हैं। विश्व के स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है, कि संक्रमण के बाद आमतौर पर मंकीपॉक्स के लक्षण 6 से 13 दिन के अंदर दिखने लगते हैं, लेकिन कई बार यह 5 से 21 दिनों का समय भी ले सकते हैं। मंकीपॉक्स के लक्षण 2 से 4 हफ्ते तक दिखते हैं। इसके बाद ज्यादातर गंभीर मामले बच्चों में सामने आते हैं। मरीजों की सेहत यह तय करती है कि संक्रमण का असर कितना गंभीर होगा। इसके लक्षण चेचक से मिलते जुलते हैं।

पहली बार 1958 में पाया गया था मंकीपॉक्स (History of Monkeypox Virus in Hindi)

मंकीपॉक्स की खोज पहली बार 1958 में हुई थी जब शोध के लिए रखे गए बंदरों की कालोनियों में चेचक जैसी बीमारी के दो प्रकोप हुए थे इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स पड़ा। मंकीपॉक्स का पहला मानव मामला 1970 में डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में दर्ज किया गया था।  

कैसे फैलता है मंकीपॉक्स?

मंकीपॉक्स जानवरों से इंसानों में फैलता है। किंतु अब यह इंसानों से इंसानों के बीच भी आसानी से फैल रहा है। जानवरों के काटने, खरोंचने, मांस खाने, इंसानों से एक दूसरे में, श्वास नली या नाक के ज़रिए यह आसानी से फैल सकता है। चेचक की ही तरह यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति के कपड़ों से दूसरे व्यक्ति को लग सकती है।

मंकीपॉक्स का इलाज (Cure for Monkeypox Virus in Hindi)

मंकीपॉक्स तेजी से फैल रही है जबकि इसकी दवा नहीं है। मंकीपॉक्स के लिए अब तक कोई खास दवा नहीं खोजी जा सकी है फिर दुनियाभर में सामने आ रहे मामलों का इलाज कैसे किया जा रहा है? इस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है, इसका इलाज एंटीवायरल दबाव से किया जा रहा है मंकीपॉक्स के इलाज के दौरान सबसे ज्यादा फोकस इसके लक्षणों को कम करने पर किया जाता है।

मंकीपॉक्स बीमारी से बचाव 

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेशन (CDC) ने मंकीपॉक्स से बचने के उपाय बताए। मंकीपॉक्स से बचने के लिए 5 मुख्य बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।

  • जानवरों के संपर्क से बचें।
  • हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोएं एवं सैनिटाइजर का प्रयोग करें।
  • मांस खाने से बचें।
  • ऐसे व्यक्ति जिसे रैशेज की समस्या हो या बुखार हो उसके सम्पर्क में आने से बचें
  • बीमार जानवर एवं इंसान की चीजों से यथाशीघ्र दूरी बना लें।
  • संक्रमित रोगियों को अलग रखें।
  • साफ-सफाई का विशेष ध्यान दें।
  • डॉक्टर की सलाह से उपचार ले साथ ही PPE किट का इस्तेमाल करें।

भारत मंकीपॉक्स को लेकर सतर्क

उत्तर प्रदेश में मंकीपॉक्स (Monkeypox Virus in Hindi) को लेकर अलर्ट जारी कर दया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने अलर्ट जारी कर दिया एवं प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने एडवाइज़री भी जारी कर दी है। इस एडवाइज़री में बीमारी से संबंधित जानकारी एवं निर्देश दिए गए हैं। जानकारी के लिए बता दें कि अब तक भारत मे मंकीपॉक्स का कोई मामला नहीं मिला है इसके बावजूद तेजी से फैल रही इस बीमारी को लेकर सावधानी आवश्यक है। जिन देशों में यह बीमारी फैल रही है उन देशों से आने वाले लोगों के साथ भी पर्याप्त सावधानी रखना जरूरी है। 

■ Read in English | Know about the Symptoms and Cure of Monkeypox Virus

हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में भी अलर्ट जारी कर दिया गया है। यहाँ के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 21 दिनों पूर्व अमेरिका, यूके, कनाडा, अफ्रीका देशों से लौटने वाले लोगों पर नज़र रखने एवं मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने पर स्वास्थ्य विभाग से सम्पर्क करने के लिए कहा गया है।

राजस्थान भी लगातार कर रहा मॉनिटर

उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश के अतिरिक्त राजस्थान भी इसके मामलों को लेकर अलर्ट पर है। सोमवार 30 मई को राजस्थान के मंत्री परसादी लाल मीणा ने सुनिश्चित किया है कि राज्य में एक भी मंकीपॉक्स का मामला सामने नहीं आया है और सरकार लगातार इसे ध्यान में रखे हुए है।

मध्यप्रदेश ने भी जारी की एडवाज़री

मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए मध्यप्रदेश हेल्थ डिपार्टमेंट ने भी एडवाज़री जारी कर दी है। मध्यप्रदेश के हेल्थ कमिश्नर ने सभी कलेक्टर, सीएमएचओ को एडवाज़री भेजी है। इस एडवाज़री मे भी मंकीपॉक्स बीमारी के लक्षण से संदिग्ध मरीजों की सैम्पलिंग आदि से सम्बंधित जानकारी है। मंकीपॉक्स का एक भी पॉज़िटिव मामला पाए जाने पर मरीज के सम्पर्क की ट्रेकिंग की जाएगी।

पुणे (महाराष्ट्र) में होगी मंकीपॉक्स से सम्बंधित सैंपल की जांच

चूँकि भारत मंकीपॉक्स के लिए तैयारी कर रहा है और अलर्ट में है इसके लिए इसके संक्रमण की जांच की व्यवस्था भी हो चुकी है। भारत मे जितने भी मंकीपॉक्स से सम्बंधित या संदिग्ध मामले होंगे उनकी जांच महाराष्ट्र राज्य के पुणे में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) लैब में की जाएगी, यह एडवाज़री में भी स्पष्ट कर दिया गया है।

पूर्ण संत से नाम उपदेश से रोगों से मुक्ति  

आज के आधुनिक युग में विज्ञान के बावजूद भी बीमारियों का फैलाव अधिक मात्रा में हुआ है। मनुष्य ने अपनी बुद्धि के स्तर के अनुसार अनेकों खोजें कीं। आज वह हर क्षेत्र में बहुत सी योग्यता हासिल कर रहा है लेकिन बुराइयों एवं बीमारियों से घिरा हुआ है। वास्तव में सभी प्रकार के रोग एड्स, कैंसर आदि को सत्य भक्ति के माध्यम से ठीक किया जा सकता है। सत्यभक्ति केवल आध्यात्मिक लाभ नहीं देती बल्कि स्वास्थ्य लाभ, भौतिक लाभ भी देती है किंतु सत्यभक्ति पूर्ण तत्वदर्शी सन्त द्वारा दी हुई होना चाहिए।

सन्त रामपाल जी महाराज हैं पूर्ण तत्वदर्शी सन्त

आज हम आपको ऐसे पूर्ण संत के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने वेद शास्त्र के आधार पर जगत में अपना ज्ञान बताया है जिन्हें लोग जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के नाम से जानते है। उनके अनुयायियों के जीवन में अनेक प्रकार के लाभ निरंतर होते जा रहे हैं उनके अनुयाई बताते हैं कि कैंसर एड्स जैसी अनेकों भयंकर बीमारियां से होने मुक्ति मिली है। एक बार उनका सत्संग सुनें और अनेकों बीमारियों से बचें। उनके तत्वज्ञान से लोगों को कष्टों एवं रोगों से निजात दिलाता है? वह शास्त्र आधारित सत्यभक्ति बताते है। अधिक जानकारी के लिए अवश्य सुनें सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल या डाउनलोड करें सन्त रामपाल जी महाराज एप्प। अनेकों टीवी चैनलों पर उनका सत्संग आता है उस के माध्यम से आप जानकारी ले सकते हैं। उनसे नामदीक्षा लें एवं रोगमुक्त होने का लाभ उठाएं। 

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