हरियाणा के भिवानी जिले का लोहारी जाटू गांव इस वर्ष ऐसी विनाशकारी बाढ़ से गुजरा जिसने ग्रामीणों की सालों की मेहनत को एक झटके में बहा दिया। गांव की लगभग 3000 एकड़ भूमि पानी में डूब गई थी। खेतों में फसल का नामोनिशान नहीं था। अगली फसल बोने की उम्मीद भी खत्म हो चुकी थी। सड़कों, घरों, स्कूल से लेकर डिस्पेंसरी तक हर स्थान पर पानी भरा था। किसानों ने सरकारी दफ्तरों के कई चक्कर लगाए, पर मदद के नाम पर केवल आश्वासन मिले। चिंता इस कदर बढ़ गई थी कि ग्रामीणों को लगने लगा कि अब उन्हें दूसरी जगहों से अनाज मंगवाना पड़ेगा।
इसी निराशा के बीच ग्रामीणों ने पड़ोसी गांव मंडाना में चल रही बाढ़ राहत सेवा का उल्लेख सुना। बताया गया कि वहां संत रामपाल जी महाराज की टीम भारी मात्रा में मोटरें, पाइप और उपकरण भेजकर गांवों का पानी निकाल रही है। यही सुनकर लोहारी जाटू पंचायत ने आखिरी उम्मीद के रूप में 2 अक्टूबर को बरवाला पहुंचकर एक अर्जी लगाई। बस यही किरण लोहारी जाटू के लिए आखिरी उम्मीद बनकर उभरी।
एक अर्जी और सात दिन में बदल गई तस्वीर
2 अक्टूबर को लोहारी जाटू पंचायत के सदस्य बरवाला आए और बिना किसी पहचान, बिना किसी सिफारिश के अपनी समस्या बताई। संत रामपाल जी महाराज की टीम ने उनकी बात को गंभीरता से सुना और उन्हें भरोसा दिलाया कि उनकी प्रार्थना गुरुजी को भेजी जाएगी, समाधान अवश्य होगा। उस समय किसी को भी यह विश्वास नहीं था कि उनकी अरदास इतनी जल्दी पूरी होगी। लेकिन मात्र सात दिनों के भीतर, 9 अक्टूबर को गांव में एक विशाल राहत काफिला पहुंचा और राहत सामग्री देखकर पूरा गांव आश्चर्य और कृतज्ञता से भर उठा।
सात दिनों में चमत्कार: गांव में पहुंचा विशाल राहत काफिला
गांव को उम्मीद नहीं थी कि बिना किसी पहचान, बिना किसी सिफारिश और बिना किसी स्रोत के उनकी प्रार्थना सुनी जाएगी। लेकिन यह किसी चमत्कार से कम नहीं था कि अर्जी देने के सिर्फ सात दिनों बाद यानी 9 अक्टूबर को एक विशाल राहत काफिला गांव में दाखिल हुआ।
इस काफिले में शामिल थे:
- 10,000 फुट 8 इंची हाई-क्वालिटी पाइप
- 5 शक्तिशाली 15 HP की मोनोब्लॉक मोटरें
- स्टार्टर, केबल, बोल्ट, क्लैंप और हर वह पुर्जा, जिसकी ज़रूरत मोटरों को चलाने में पड़ सकती थी
गांव वालों ने कहा “हमें एक नट तक बाहर से नहीं लाना पड़ा।” गांव के बुजुर्गों ने इसे ईश्वर की कृपा बताते हुए कहा कि ऐसा कार्य मनुष्य के बस का नहीं, यह तो किसी दिव्य शक्ति का हस्तक्षेप लगता है।
ग्रामीणों और पंचायत की सच्ची भावनाएँ
गांव के सरपंच ने बताया कि वे बरवाला पहुंचे थे तो मन में संदेह था कि बिना पहचान या सिफारिश के कौन सुनता है, पर वहां तो बात ही अलग थी। भाव को देखा गया, समस्या को समझा गया और तुरंत अर्जी स्वीकार कर ली गई। ग्रामीणों ने कहा कि सरकार और प्रशासन जहां केवल कागज़ी प्रक्रिया में उलझे रहे, वहीं संत रामपाल जी महाराज ने धरातल पर खड़े होकर वास्तविक सहायता पहुंचाई। कई ग्रामीण भावुक होकर कहते नजर आए कि यदि यह मदद न मिलती तो खेती और गांव दोनों का भविष्य अंधकार में डूब जाता।
किसी ने कहा कि बच्चों के खाने का भी संकट आ सकता था, किसी ने कहा कि बाढ़ के पानी से गांव की रीढ़ ही टूट जाती। सरपंच व पंचायत प्रतिनिधि ने बताया हमें तो वे पहचानते भी नहीं थे, फिर भी इतनी इज्जत दी। गांव की पंचायत ने बताया कि वे जब बरवाला पहुंचे, तो कोई जान-पहचान, कोई सिफारिश नहीं थी। फिर भी संत रामपाल जी महाराज की टीम ने पूरी गरिमा के साथ उनकी बात सुनी और तुरंत अर्जी स्वीकृत की। सरपंच ने बताया, “हम डरे-डरे गए थे। सोचा पहचान नहीं, काम कैसे होगा? पर वहां तो भाव देखा जाता है। हमें तुरंत कहा गया आपका काम जरूर होगा।” और सिर्फ सात दिनों में यह वादा पूरा भी हो गया।
संत रामपाल जी महाराज का संदेश
राहत सामग्री के साथ गांव को संत रामपाल जी महाराज का एक संदेश भी दिया गया। इसमें कहा गया कि जरूरत पड़ने पर बेहिचक और भी सामान ले सालते हैं लेकिन यदि दी गई सामग्री का उपयोग करके पानी निर्धारित समय में नहीं निकाला गया और फसल की बिजाई नहीं हुई, तो आगे गांव को कोई सहायता नहीं दी जाएगी। संत रामपाल जी महाराज किसान परिवार से हैं अतः किसानों का दर्द भली भाँति समझते हैं। आपदा किसी भी समय आ सकती है ऐसे में सरकार जो कुछ कर पाती है करती है किंतु वह पर्याप्त नहीं होता ऐसे में धार्मिक संस्थाओं को आगे आना चाहिए ताकि सरकार पर अपस्मे वाला बोझ हल्का हो और तुरंत राहत प्रदान की जा सके।
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इसके साथ यह भी बताया गया कि गांव की बाढ़ से पहले की स्थिति, पानी निकलने के बाद की स्थिति और फसल लहराने के समय की तीन वीडियो बनाई जाएंगी जो समागमों में संगत को दिखाईं जाएंगी ताकि यह स्पष्ट रहे कि दान का सही उपयोग हुआ है और लोगों को राहत मिली है। संत रामपाल जी महाराज द्वारा चलाई जा रही अन्नपूर्णा मुहिम के अंतर्गत अभी तक 400 से अधिक गांवों को राहत दी जा चुकी है, जहां भी जरूरत पड़ी, “तत्क्षण” सामान भेजा गया, सेवा में दिखावा नहीं, सिर्फ परिणाम पर ध्यान के आदेश संत रामपाल जी महाराज ने दिए। ग्रामीणों ने कहा कि यह मुहिम सिर्फ राहत नहीं बल्कि दुनिया के लिए एक मिसाल है।
स्थायी समाधान की दिशा में बड़ा कदम
संत रामपाल जी महाराज की टीम ने ग्रामीणों को यह भी समझाया कि यह राहत सामग्री केवल वर्तमान संकट के लिए नहीं बल्कि भविष्य में आने वाली हर बारिश और संभावित बाढ़ का स्थाई समाधान है। पाइप जमीन में दबा लें, जैसे ही बारिश हो, तुरंत पानी निकालें, अब कभी गांव में जलभराव नहीं होगा। ग्रामीणों ने इसे सदियों का वरदान बताया और कहा कि अब गांव में कभी वह हालात नहीं लौटेंगे जो इस वर्ष देखने को मिले।
गांव का सम्मान: संत रामपाल जी महाराज को पगड़ी भेंट
गांव ने अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए संत रामपाल जी महाराज के लिए पगड़ी सम्मान भेजा जो हरियाणा की परंपरा में सबसे ऊँचा सम्मान माना जाता है। सेवादारों ने इसे स्वीकार करते हुए कहा कि लोगों की सेवा ही वास्तविक पूजा है और यह सम्मान गुरुदेव के चरणों में समर्पित है। ग्रामीणों ने कहा कि उन्होंने आज तक संतों को केवल उपदेश देते देखा था, लेकिन इस प्रकार का निस्वार्थ कार्य कभी नहीं देखा। गांव के बुजुर्गों ने कहा कि वे 60 वर्ष की उम्र में पहली बार देख रहे हैं कि कोई संत इस प्रकार जनसेवा कर रहा है।

पहली बार देखा कि कोई महाराज हमारे लिए इतना कर सकता है। सरकार नहीं कर पाई, संत रामपाल जी महाराज ने कर दिखाया। हम इनके ऋणी रहेंगे। इन्होंने हमें डूबने नहीं दिया। मेरे 60 साल की उम्र में ऐसा काम किसी संत ने नहीं किया। एक मजदूर बोला- किसान बचेगा तो मजदूर भी बचेगा। यह हम सबकी जिंदगी बचाने जैसा काम है। द्वापर-त्रेता की कथाएँ आज जमीन पर उतरती दिखीं।
कई ग्रामीणों ने कहा कि यह दृश्य वैसा था जैसा धार्मिक कथाओं में पढ़ते थे, “भगवान से मांगो और तभी ‘तथास्तु’ मिल जाए। आज कलियुग में पहली बार अपनी आंखों से चमत्कार देखा।
लोगों की जुबान पर केवल एक ही नाम
गांव के हर व्यक्ति किसान, मजदूर, महिलाएँ, बुजुर्ग सबकी जुबान पर एक ही नाम था: संत रामपाल जी महाराज। किसी ने कहा कि यह चमत्कार है, किसी ने कहा कि ये कलियुग में भगवान के स्वरूप हैं, तो किसी ने कहा कि इन्हें ईश्वर ने मानवता को बचाने के लिए भेजा है। गांव के एक प्रोफेसर ने कहा कि आज प्रत्यक्ष अनुभव हुआ कि भगवान दिखते भले न हों, लेकिन किसी न किसी रूप में धरती पर अवश्य आते हैं।
अन्नपूर्णा मुहिम और समाज सेवा की मिसाल
संत रामपाल जी महाराज की अन्नपूर्णा मुहिम के तहत पहले भी 300 से अधिक गांवों को राहत मिल चुकी है और यह श्रृंखला निरंतर जारी है। इस मुहिम का उद्देश्य है कि कोई भूखा न सोए, कोई बेघर न रहे और कोई भी परिवार आपदा के समय अकेला न पड़े। यह मुहिम दिखावा नहीं बल्कि धरातल पर उतरकर समाज के वास्तविक हित में काम करने का उदाहरण बन चुकी है।
एक गांव जो डूबने से बच गया, अब नई शुरुआत कर रहा है
लोहारी जाटू की यह कहानी सिर्फ राहत सामग्री पहुंचने की नहीं बल्कि उस विश्वास की कहानी है जिसने ग्रामीणों को निराशा के अंधेरे से निकालकर उम्मीद का उजाला दिखाया। संत रामपाल जी महाराज की इस मुहिम ने साबित किया कि सेवा का सही अर्थ किसी के कठिन समय में उसके साथ खड़े होना है। आज लोहारी जाटू गांव नई ऊर्जा, नई उम्मीद और नई दिशा के साथ आगे बढ़ रहा है। ग्रामीणों ने कहा कि उन्होंने भगवान को कभी देखा नहीं, पर आज उन्हें ऐसा लगा कि भगवान उनके गांव में स्वयं मदद करने आए थे। संत रामपाल जी महराज वास्तव में साधारण संत नहीं हैं। उन्होंने अद्भुत चमत्कार कर दिखाए हैं। बांझ को पुत्र, निर्धन को सहायता, भूखे को रोटी और कोढ़ी को काया देने वाला एक मात्र समर्थ परमात्मा कबीर साहेब के अवतार हैं संत रामपाल जी महाराज।



