November 6, 2024

Lata Mangeshkar Death: सुर कोकिला लता मंगेशकर का निधन, 92 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

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Lata Mangeshkar Death: महान गायिका लता मंगेशकर ने अपनी मधुर आवाज़ से लोगों के दिलों में जगह बनाई थी। लताजी ने 92 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह दिया। रविवार को लता मंगेशकर का कोरोना व लंबी बीमारी के चलते निधन हुआ जिनके अंतिम संस्कार में कई दिग्गज हस्तियों समेत भारत के प्रधानमंत्री मोदी भी सम्मिलित हुए।

Lata Mangeshkar Death: मुख्य बिंदु

  • लता मंगेशकर ने किया दुनिया को अलविदा, शिवाजी पार्क मुम्बई में अंतिम संस्कार।
  • दिग्गज हस्तियों समेत भारत के प्रधानमंत्री हुए अंतिम संस्कार में शामिल।
  • भारत रत्न प्राप्त इस कलाकार के निधन पर देशभर में घोषित हुआ दो दिन का राष्ट्रीय शोक।
  • नर धोखे धोखे लुट गया आ गई अंत घड़ी

Lata Mangeshkar Death: एक महीने से अस्पताल में भर्ती थीं लता

लता मंगेशकर कोरोना पॉज़िटिव आने के बाद 8 जनवरी से कैंडी अस्पताल में भर्ती थीं। उनकी आयु 92 वर्ष हो चुकी थी। रविवार को अस्पताल में ही उन्होंने अपनी अंतिम साँसें लीं। शिवाजी पार्क मुम्बई में उनका अंतिम संस्कार किया गया। लता जी के अंतिम दर्शन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। उनके अंतिम संस्कार में फ़िल्म जगत, संगीत जगत से लेकर राजनीति एवं खेल जगत के दिग्गज भी शामिल हुए। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लता मंगेशकर के अंतिम संस्कार में सम्मिलित हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लता मंगेशकर को दीदी कहकर संबोधित करते थे, उन्होंने शोक व्यक्त किया।

अंतिम दिनों में सुनी अपने पिता की रिकॉर्डिंग

Lata Mangeshkar Death News: लता अपने अंतिम दिनों में अपने पिता की रिकॉर्डिंग सुनती थीं। उनकी हालत काफी समय से स्थिर बनी हुई थी। लता मंगेशकर के पिता दीनानाथ मंगेशकर एक नाट्य गायक थे। लता उन्हें सुनकर मास्क हटाकर गाने का प्रयत्न भी करती थीं। उन्हें मास्क हटाने को मना किया गया था किंतु वे तब भी मास्क हटाकर गाती थीं। लता अपने पिता को अपना गुरु मानती थीं।

Lata Mangeshkar Death | 2 दिवसीय राष्ट्रीय शोक

Lata Mangeshkar Death: गत दिवस एक उम्दा कलाकार तिरंगे में लिपटकर चला गया। अपने जीवनकाल में अनेकों पुरस्कारों, उपनाम एवं प्रशंसा से वे नवाजी गईं। बड़े बड़े गायकों की वे आदर्श रही हैं। शिवाजी पार्क में उनका अंतिम संस्कार भाई हृदयनाथ मंगेशकर ने उन्हें मुखाग्नि देकर किया। लता जी की मृत्यु पर दो दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित कर दिया गया है। महाराष्ट्र एवं पश्चिम बंगाल की सरकार ने सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है।

लता मंगेशकर की जीवनी | Biography of Lata Mangeshkar in Hindi

लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) का जन्म 28 सितम्बर 1929 को मध्यप्रदेश के इंदौर में हुआ था। 1942 में 13 वर्ष की उम्र से लता ने गाना शुरू कर दिया था। लता मंगेशकर को फ़िल्म ‘महल’ के  गाने ‘आने वाला आएगा’ से पहचान मिली थी जिसके बाद लगभग 20 वर्षों तक संगीत की दुनिया में उन्होंने एकछत्र राज्य किया था। 

लता जी को संगीत की शिक्षा अपने पिता से ही मिली थी। लता जी के पिता का भी संगीत एवं मराठी रंगमंच से ख़ासा जुड़ाव था। उन्होंने अपना उपनाम मंगेशकर अपने गांव मंगेशी के नाम पर रखा था। अपने पांच भाई बहनों में सबसे बड़ी बहन लता मंगेशकर थीं। पिताजी की मृत्यु के बाद 13 वर्ष की छोटी उम्र से ही लता पर परिवार की जिम्मेदारी आ गई। इस कारण हिंदी एवं मराठी फिल्मों में लता ने काम करना प्रारम्भ किया। अभिनय एवं गायन के साथ उन्होंने अपने परिवार का पालन पोषण किया। आरम्भ में उन्हें रिजेक्शन का सामना भी करना पड़ा। उनकी आवाज़ को पतला बताकर रिजेक्ट कर दिया जाता था।

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पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण उन्होंने आजीवन विवाह नहीं किया। लताजी ने एक लंबा और सफल कैरियर तय किया। लताजी गायिका होने के साथ ही संगीतकार भी थीं। उनका अपना फ़िल्म प्रोडक्शन था जिसमें ‘लेकिन’ फ़िल्म बनी जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ गायिका का पुरस्कार मिला। लता मंगेशकर ने 36 भाषाओं में लगभग 30 हजार गाने गाए हैं एवं देश विदेश में उन्होंने अपनी पहचान बनाई।

Lata Mangeshkar Death: मिले अनेकों अवार्ड

Lata Mangeshkar: लता मंगेश्कर अपनी सुरीली आवाज और गायन के लिए जानी जाती हैं। उन्हें अनेकों उपनाम एवं अवार्ड्स मिले हैं। 1969 में उन्हें पद्म भूषण से समानित किया गया था। पूरी फिल्म इंडस्ट्री में 1989 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार पाने वाली वे पहली महिला थीं। 1974 में लता लंदन के रॉयल अल्बर्ट हॉल में गाने वाली पहली भारतीय गायिका थीं। इसी वर्ष उनका नाम सबसे अधिक गीत गाने पर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में शामिल किया गया। 1999 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। 

वर्ष 2001 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से उन्हें सम्मानित किया गया। वर्ष 1984 में मध्यप्रदेश सरकार ने लता मंगेशकर के नाम पर एक संगीत पुरस्कार का नाम रखा। लता मंगेशकर जिन्होंजे पैसों की तंगी के चलते स्कूल ना जाने का निर्णय लिया था उन्हें उनकी पहचान के बल पर न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय समेत 6 विश्वविद्यालयों ने मानद डॉक्टरेट की उपाधि दी।

छोड़ गईं अपने पीछे अरबों की सम्पत्ति (Lata Mangeshkar Income)

Lata Mangeshkar: लता मंगेशकर को कारों का बेहद शौक था। 13 वर्ष की आयु में जब उन्होंने पहला गाना गाया तो उन्हें 25 रुपए मिले थे। उसी वर्ष लता के पिता की मृत्यु हो गई एवं जिम्मेदारियों को निभाते हुए लता ने संघर्षों का सामना किया एवं अभिनय एवं गायन से अपने परिवार का पोषण किया। एक लंबा सफल कैरियर लता ने तय किया। उनकी अधिकांश कमाई उनके गानों से हुई थी। लता एक सादा जीवन जीती थीं किन्तु उनके पास कारों का बेहतरीन कलेक्शन था जिसमें ब्यूक, शेवरले और क्रिसलर जैसी कारें शामिल थीं। उनके पास कई लग्जरी कारें थीं। (Lata Mangeshkar Property) रिपोर्टस के अनुसार लता की करीब 370 करोड़ की सम्पत्ति है।

नर धोखे धोखे लुट गया…

Lata Mangeshkar: लता मंगेशकर जी एक बेहद प्रतिभाशाली कलाकर थीं जिन्होंने अपना और अपने देश का सम्मान बढ़ाया। उन्होंने एक स्त्री होकर अपनी आवाज़ को पूरी दुनिया को सुनाया। एक महान कलाकार, गायक, संगीतकार एवं प्रतिभा की धनी स्वरों की गायिका का निधन हो गया। इस पृथ्वी पर परमेश्वर के बनाये अनेकों कलाकार आए, नाम कमाया और पुनः चले गए। पर कहाँ?

यह संसार बड़ा ही विचित्र है। आप यहाँ जो भी देंगे वह आपको वापस मिल जाएगा। आप जितने अधिक पुण्य करेंगे आपको वे सभी आपकी सुख सुविधाओं के रूप में एवं कुछ दिन स्वर्ग के निवास के रूप में वापस मिल जाएगा। किन्तु उसके पश्चात पुनः आपको चौरासी लाख योनियों में चक्कर काटने होंगे। यकीनन यह बुरा है किंतु सत्य भी यही है। 

इस दुनिया में व्यक्ति अपनी प्रसिद्धि में या अपनी परेशानियों में इतना खो जाता है कि उसे समय ही नहीं मिलता कि मोक्ष के लिए कुछ प्रयास कर ले। ले देकर यदि वह प्रयास भी करता है गुरु भी बनाता है तो तत्वदर्शी सन्त के अभाव में सब निष्फल हो जाता है और वह अपनी साँसों की जमापूँजी खोकर लुटपिटकर चला जाता है।

चल हंसा सतलोक हमारे छोड़ो यह संसारा हो…

यह संसार नश्वर तो है ही साथ ही यह दुखद एवं क्रूर भी है। व्यक्ति अनजाने में किए हुए कर्मों की भी सजाएं पाता रहता है। सच्चाई के मार्ग पर भी दुखी होता है, मेहनत करके भी असफल होता है। अनिश्चितताओं से भरे इस विश्व में कुछ भी सदा के लिए नहीं है, यदि कुछ सदा के लिए है तो वो है दुख। दुख के बाद सुख आना भी अच्छा लगता है लेकिन सुख अस्थायी होता है। जब सुख खत्म नहीं हो पाता तो आपका जीवन ही खत्म हो जाता है। ऐसा क्यों? 

इस पूरे ब्रह्मांड समेत ऐसे 21 ब्रह्मांडों की सत्ता काल भगवान के हाथों है। इन ब्रह्मांडों से हमारा कोई वास्ता नहीं है। हमारा निजघर है सतलोक। हम सतलोक के वासी हैं जहाँ सदैव युवा शरीर, बिना कर्म किये फल प्राप्ति होती है। यह सतलोक की आदत है जो आज भी हम सदा युवा रहना चाहते हैं, बिना कर्म किये फल मिलना सुखद लगता है। सतलोक में जरा, मरण, दुख, रोग, शोक, बुढ़ापा नहीं है। 

उस निजघर में वापस जाने का रास्ता हमारे सोचने से भी अधिक सरल है। केवल तत्वदर्शी सन्त से नामदीक्षा लेकर गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में दिये मन्त्रों के आधार पर सत्यभक्ति करनी होती है। व्यक्ति की प्रत्येक सांस के साथ उसका जीवन कम हो रहा है। अधिक जानकारी के लिए देखें सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल या डाउनलोड करें सन्त रामपाल जी महाराज एप्प

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