November 22, 2024

PM Modi पहुंचे वाराणसी: जानिए काशी विश्वनाथ धाम व मंदिर (Kashi Vishwanath Dham) के अनसुलझे रहस्य तथा कौन है असली विश्वनाथ?

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प्रधानमंत्री मोदी की काशी विश्वनाथ की यात्रा इन दिनों चर्चा का विषय है। प्रधानमंत्री मोदी बनारस से ही चुनाव लड़ते है। उन्होंने बनारस में कई कार्यक्रमों में शिरकत की। जानिए काशी विश्वनाथ धाम (Kashi Vishwanath Dham or Kashi Vishwanath Mandir) के अनसुलझे रहस्य तथा साथ ही जाने कौन है असली विश्वनाथ?

मुख्य बिंदु

  • प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम परियोजना का उद्घाटन किया।
  • पीएम मोदी गंगा स्नान का लुफ्त उठाने के बाद रविदास घाट पर गंगा आरती के साक्षी बने।
  • यह परियोजना अब लगभग पांच लाख वर्ग फुट के विशाल क्षेत्र में फैली हुई है जबकि पहले का परिसर लगभग 3 हजार वर्ग फुट तक ही सीमित था।
  • असली “काशी विश्वनाथ” आज से 600 साल पहले काशी की पावन धरती पर 120 वर्षों तक रहकर गए।

काशी विश्वनाथ धाम (Kashi Vishwanath Dham) प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन 

काशी हमेशा से विशेष रही है। भले ही इस शहर ने औरंगजेब जैसे राजा द्वारा विध्वंस देखा हो, लेकिन इसने अहिल्या बाई होलकर और शिवाजी जैसे नेताओं की वीरता को भी देखा है। आज मैं उन हर मजदूर भाई-बहन का भी आभार व्यक्त करना चाहता हूं जिनका इस भव्य परिसर के निर्माण में पसीना बहाया गया है। नया इतिहास बनाया जा रहा है; हम भाग्यशाली हैं कि हम अपने जीवन काल में इसके साक्षी बन रहे है। काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Mandir) परिसर अब पहले के 3 हजार वर्ग फुट के मुकाबले 5 लाख वर्ग फुट में फैल गया है। यह पचास हजार से पछत्तर हजार भक्तों को समायोजित कर सकता है। अगर कोई सालार मसूद यहां घूमता है तो राजा सुहेलदेव जैसे वीर योद्धा उसे हमारी एकता की ताकत का अहसास कराते हैं। यहां आकर गर्व महसूस होगा; यह नवीन और प्राचीन का संगम है।

Kashi Vishwanath Dham Mandir: प्रधानमंत्री मोदी का गंगा स्नान

इसके बाद पीएम मोदी वाराणसी के ललिता घाट गए जहां उन्होंने गंगा नदी में डुबकी लगाई। दृश्यों में प्रधान मंत्री को पवित्र नदी को नमन करते हुए दिखाया गया है जिसने हजारों वर्षों से भारतीय सभ्यता में एक महत्वपूर्ण स्थान रखा है। प्रधानमंत्री ने काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Mandir)  में पूजा के लिए गंगा से पवित्र जल भी एकत्र किया। बाद में दिन में अपने संबोधन के दौरान, पीएम मोदी ने कहा कि, “हमें नमामि गंगे की सफलता को बनाए रखने की आवश्यकता है।” वास्तुकार बिमल पटेल ने हाल ही में एक प्रमुख प्रकाशन को बताया था कि काशी विश्वनाथ परियोजना वाराणसी के दो महान प्रतीकों – गंगा और मंदिर को जोड़ने के लिए थी।

संत रविदास घाट पर पीएम बने गंगा आरती के साक्षी

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश और अन्य भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ एक नदी के किनारे पर सोमवार शाम वाराणसी में शानदार गंगा ‘आरती’ देखी। मोदी गंगा नदी के तट पर शाम की ‘आरती’ देखने के लिए संत रविदास घाट पर स्वामी विवेकानंद क्रूज पर सवार हुए, जिसे हजारों दीयों से रोशन किया गया था। एम वी विवेकानंद विशेष मेहमानों को एक यादगार यात्रा पर ले गए क्योंकि यह पवित्र शहर के शानदार दृश्य पेश करते हुए, प्रबुद्ध घाटों के साथ परिभ्रमण करता है। 

Kashi Vishwanath Dham: क्या है इस परियोजना की विशेषताएं?

75 मीटर चौड़े गलियारे के साथ, 900 करोड़ रुपये से अधिक की महत्वाकांक्षी परियोजना काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Mandir) और गंगा नदी को जोड़ती है। करीब 339 करोड़ रुपये की लागत से बने 23 भवनों का लोकार्पण हो चुका है। मेगा कॉरिडोर, जिसका शिलान्यास पीएम मोदी ने 2019 में किया था, मुख्य मंदिर को ललिता घाट से जोड़ता है। चार दिशाओं में विरासत वास्तुकला शैली में सजावटी मेहराब और भव्य प्रवेश द्वार का निर्माण किया गया है।

■ यह भी पढ़ें: PM Modi Visit Kedarnath: केदारनाथ यात्रा में मोदी जी ने किया अधूरे गुरु आदि शंकराचार्य की मूर्ति का लोकार्पण

इस परियोजना में मंदिर के चारों ओर तीन सौ से अधिक प्रॉपर्टी का अधिग्रहण और खरीद की गई है। निर्माण के लिए मार्ग प्रशस्त करने के लिए लगभग चौदह सौ किरायेदारों, दुकानदारों और मकान मालिकों का सौहार्दपूर्ण ढंग से पुनर्वास किया गया। भवनों की खरीद पर करीब 450 करोड़ रुपये खर्च किए गए। यह परियोजना अब लगभग पांच लाख वर्ग फुट के विशाल क्षेत्र में फैली हुई है जबकि पहले का परिसर लगभग 3 हजार वर्ग फुट तक ही सीमित था।

आखिर कौन है असली “विश्वनाथ”?

संपूर्ण विश्व के नाथ जिसने सृष्टि की रचना की वे आज से लगभग 600 वर्ष पहले काशी की पवित्र धरती पर अवतरित हुए थे। वह सनातन अविनाशी परमात्मा वेदों में बताए अपने विधान अनुसार कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट होता है। वहीं पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी सन 1398 में ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को अपने निजधाम सतलोक से स:शरीर आकार काशी के लहरताला तालब में एक कमल के फूल के ऊपर विराजमान हुए थे। उस अकाल मूरत, शब्द स्वरूपी राम ने इस पृथ्वी पर 120 वर्षों तक रहकर अपनी प्यारी प्रेमी आत्माओं को सत्य आध्यात्मिक ज्ञान दिया और वास्तविक “विश्वनाथ” की जानकारी दी। सभी धर्मों के सद्ग्रंथों में से प्रमाणित करके दिखाया कि संपूर्ण जगत के नाथ सतपुरूष कबीर साहेब जी है। वर्तमान समय में पूरे विश्व ने केवल जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही असली “विश्वनाथ” की सत्य भक्ति साधना बताते है। 

“विश्वनाथ” को कैसे प्रसन्न किया जा सकता है?

वास्तविक “विश्वनाथ” भगवान कबीर साहेब जी है। कबीर साहेब जी सर्व उत्पादक और सर्वशक्तिमान प्रभु है। पवित्र वेद और श्रीमद्भागवत गीता बताते है की केवल एक पूर्ण परमात्मा ही पूजा करने के योग्य है जिसने सृष्टि की रचना की है। पवित्र सूक्ष्म वेद भगवान का संविधान कहा गया है। “विश्वनाथ” को प्रसन्न करने के लिए परमात्मा के संविधान के अनुसार तत्वदर्शी संत की शरण में जाकर पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी की भक्ति करनी होगी। वर्तमान समय में पूरे विश्व में केवल संत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र तत्वदर्शी संत है। इसलिए सभी प्रभु प्रेमी आत्माओं को चाहिए कि संत रामपाल जी महाराज जी से नमदीक्षा लेकर पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी की भक्ति करें और अपना कल्याण करवाए।

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