December 17, 2025

Kartik Purnima 2025: कार्तिक पूर्णिमा पर कैसे पाएँ सद्भक्ति और सुख समृद्धि

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Kartik Purnima 2025: कार्तिक मास (Kartik Month) की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा के नाम से पुकारते हैं। इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा 5 नवंबर शुक्रवार के दिन है। कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली, गंगा स्नान, त्रिपुरारी पूर्णिमा कई नामों से जाना जाता है। आज गुरू नानक देव जयन्ती भी है और आंशिक चंद्र ग्रहण भी लग रहा है । कार्तिक पूर्णिमा के दिन नदी स्नान – दीपदान – कर्मकांड करने भर से श्रद्धालु मान बैठते हैं कि उनके पाप कर्म कट जायेंगे। वास्तव में शास्त्र विरुद्ध साधना से देवताओं को प्रसन्न करने का उनका प्रयास निरर्थक है। जानिए पूर्ण परमात्मा द्वारा प्रदत सतज्ञान जिससे सर्व सुख और पूर्ण मोक्ष प्राप्त होता है।

Kartik Purnima 2025: मुख्य बिंदु

  • कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के दिन देव दीपावली मनाते हैं
  • नदी में स्नान करके देते हैं उगते सूर्य को अर्घ्य
  • अनजान श्रद्धालु भक्त मानते हैं कि कर्मकांडों से पापों से मुक्ति मिलती है
  • पूर्ण परमात्मा द्वारा प्रदत सतभक्ति से पाप कटवाकर मोक्ष मिलता है

Kartik Purnima 2025: कार्तिक पूर्णिमा क्या है ?

इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा 5 नवंबर शुक्रवार के दिन है। कार्तिक मास (Kartik Month) में पड़ने वाली पूर्णिमा का विशेष महत्व माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima 2025) को कई नामों से जाना जाता है जैसे देव दीपावली (Dev Deepawali 2025), गंगा स्नान (Ganga Snan 2025), त्रिपुरारी पूर्णिमा (Tripurari Purnima 2025)। 

हिन्दू लोग मानते हैं कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवता स्वर्ग लोक से धरती पर गंगा घाट स्नान करने उतरते हैं। इसी कारण गंगा घाट को दीपों से सजाकर देव दीपावली मनाई जाती है। आज समाज गुरू नानक देव जयन्ती भी मना रहा है। आज के दिन आंशिक चंद्र ग्रहण भी लग रहा है जिसके कारण लोग सूतक का पालन भी कर रहे हैं जबकि यह एक खगोलीय घटनाक्रम है । 

डिजिटल युग ने लोगों के त्योहार मनाने के तरीके को भी प्रभावित किया है। पहले के दौर में लोग गंगा घाटों पर स्नान करके दीपदान करते थे, परंतु बदलते दौर के साथ लोग डिजिटल दीपदान, ई – दान और आस्था पोस्ट के द्वारा अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं।

Kartik Purnima (कार्तिक पूर्णिमा) पर जाने क्या पाप कट सकते हैं?

ऐसी मान्यता है कि इस दिन सभी देवी देवता स्नान करने पृथ्वी पर आते हैं। यहां विचार करने योग्य तथ्य यह है कि क्या देवी देवता एक ही दिन स्नान करते हैं? गंगा तो स्वर्ग में भी है फिर इस मृत्युलोक में आकर नहाने की क्या तुक? अर्थात ये सभी मनगढ़ंत कथाएं हैं जिनका शास्त्रों में कोई ज़िक्र नहीं। हिन्दू धर्म में यह मान्यता भी प्रसिद्ध है कि पाप कर्म भोगने ही पड़ते हैं, कर्म बंधन समाप्त नहीं किया जा सकता। जब ऐसी बात है तो फिर नदी में स्नान करने और पापों से मुक्ति के दिवा-स्वप्न देखने का क्या आशय है? 

(Kartik Purnima 2025): वास्तव में पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब घोर पापों को नष्ट कर सकते हैं । इसका प्रमाण ऋग्वेद, मंडल 10, सूक्त 163, मंत्र 1; यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में दिया गया है। किन्तु यह लाभ लेने के लिए वर्तमान में साधकों को गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में बताए अनुसार एकमात्र तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज  की शरण में जाकर नाम दीक्षा लेनी होगी। यही एकमात्र उपाय है पूर्ण परमात्मा से लाभ लेकर अपने पापों को नष्ट करने का।

बिना गुरु सब निष्फल जाए

आज भोला समाज जिन देवताओं को भगवान मानकर साधना कर रहा है वे देवता स्वयं गुरु धारण किये हुए हैं। राम और कृष्ण रूप में लीला करते समय भी उन्होंने गुरु बनाए, नारद ऋषि ने गुरु बनाये, शिव, ब्रह्मा और विष्णु जी ने गुरु बनाए, नानक जी, मीरा बाई, संत दादू, संत गरीबदास जी महाराज आदि सभी महापुरुषों ने गुरु धारण किए। जब पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब ने स्वयं गुरु बनाकर लीला की है फिर भला अन्य समाज कैसे बिना गुरु के कोई भी फल की आशा रखता है? बिना गुरु धारण किए चाहे करोड़ों अश्वमेघ यज्ञ किए जाएं, हजारों को लंगर करवाया जाए, लाखों करोड़ों रुपये दान किए जाएं, रात दिन तपस्या ही क्यों न कि जाए सब व्यर्थ है।

(Kartik Purnima 2025, कार्तिक पूर्णिमा) बिना गुरु धारण किये प्रत्येक साधना व्यर्थ है और जीवन भी व्यर्थ है। किन्तु याद रहे गुरु केवल पूर्ण संत ही होना चाहिए अन्यथा नकली गुरु एवं शिष्य दोनों ही नरक में जाते हैं। मनमुखी और वास्तविक साधना में अंतर जानने के लिए संत रामपाल जी महाराज द्वारा रचित पवित्र पुस्तक “अंध श्रद्धा भक्ति. खतरा-ए-जान का अध्ययन करें। श्री गुरु नानक जी ने  भी कहा है:-

‘‘नानक गुरु समानि तीरथु नहीं कोई साचे गुरु गोपाल।’’

“बिन सतगुरु सेवे जोग न होई। बिन सतगुरु भेटे मुक्ति न होई।”

“बिन सतगुरु भेटे महा गरबि गुबारि। नानक बिन गुरु मुआ जन्म हारि।”

सतनाम से कटेंगे पाप

वेदों एवं गीता समेत कई महान सन्तों जैसे आदरणीय संत नानक जी, आदरणीय गरीबदास जी महाराज ने भी पापों को खत्म करने वाले मन्त्र की ओर इशारा किया है। उस गूढ़ मन्त्र को सतनाम और सारनाम कहा जाता है जिससे पाप कटते हैं। इसका संदर्भ श्रीमदभगवदगीता अध्याय 17 श्लोक 23 में है। ॐ-तत-सत ये तीन नाम मन्त्र मोक्ष के मार्ग बताये गए हैं। इस मंत्र में तत सांकेतिक है इसका सही मन्त्र तत्वदर्शी संत ही बता सकते हैं ।

सुख नदी स्नान से नहीं बल्कि सत्यसाधना से मिलता है

(Kartik Purnima 2025): सुख प्राप्ति की चाह में भोले व्यक्ति तीर्थ, व्रत, स्नान आदि के लिए दुनिया भर के बहुत प्रकार के कर्मकांड करते रहते हैं सिवाय शास्त्रों में बताई गई साधना के। शास्त्रों में सुख एवं समृद्धि के लिए न तो व्रत के लिए कहा है, न ही तीर्थों में भटकने के लिए कहा है। पवित्र शास्त्र बहुत ही वैज्ञानिक विधि से ज्ञान सामने रखते हैं। किसी तीर्थ स्नान पर जाने मात्र से या गंगा में नहाने मात्र से पाप धुलने एवं सुख प्राप्त होने की बात बेतुकी ही नहीं बल्कि हास्यास्पद भी है।

 हास्यास्पद इसलिए है कि व्यक्ति सारे काम करता है किन्तु शास्त्र अनुकूल भक्ति नहीं करता। सारा जीवन दुखी होता है साथ ही मृत्यु के बाद चौरासी लाख योनियों में कष्ट भोगता है। गीता अध्याय 16 श्लोक 23 व 24 में शास्त्रों में वर्णित विधि को त्यागकर मनमानी साधना करने वाले किसी भी प्रकार से मोक्ष, सुख या गति को प्राप्त नहीं हो सकते हैं। सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य लाभ, मानसिक शांति आदि केवल सत्य साधना से सम्भव है जिससे इस लोक में सुख होता है और मृत्यु के उपरांत मोक्ष प्राप्ति भी होती है जिसके बाद साधक पुनः इस संसार मे लौटकर नहीं आता है।

संत रामपाल जी महाराज हैं एकमात्र तत्वदर्शी संत 

न केवल शास्त्रों में दिए गए तत्वदर्शी संत के सभी प्रमाण बल्कि सैकड़ों वर्षों से विभिन्न भविष्यवक्ताओं द्वारा की गई भविष्यवाणियां केवल संत रामपाल जी महाराज के विषय में सत्य उतरती हैं। तत्वदर्शी संत एक समय पर पूरे विश्व में एक ही होता है और इस समय संत रामपाल जी महाराज ही वे पूर्ण तत्वदर्शी संत हैं जो मोक्षमार्ग बता रहे हैं जो कि पूर्णतः शास्त्रों पर आधारित, पूर्णतः वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक तत्वज्ञान है। 

अविलंब पूर्ण संत रामपाल जी महाराज की शरण लें 

देर न करते हुए यथाशीघ्र संत रामपाल जी महाराज से नामदीक्षा लें और शास्त्रविरुद्ध साधना छोड़कर शास्त्रानुकूल साधना अपनाएं जिससे साधकों के न केवल पाप कटेंगे बल्कि सर्व सुख प्राप्त होंगे एवं पूर्ण मोक्ष को भी प्राप्त होंगे। अधिक जानकारी के लिए देखें सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल।

वर्ष 2025 में कार्तिक पूर्णिमा कब है?

वर्ष 2025 में कार्तिक पूर्णिमा 5 नवंबर को है।

कार्तिक पूर्णिमा को और किन नामों से जाना जाता है?

कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली,गंगा स्नान, त्रिपुरारी पूर्णिमा आदि नामों से भी जाना जाता है।

हमारे पवित्र शास्त्रों के अनुसार, कौन हमारे घोर से घोर पापों का नाश कर सकता है?

कबीर साहेब जी हमारे घोर से घोर पाप का भी नाश कर सकते हैं।इसका प्रमाण ऋग्वेद, मंडल 10, सूक्त 163, मंत्र 1; यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में भी है।

विभिन्न भविष्यवक्ताओं द्वारा की गई भविष्यवाणियां किसके ऊपर स्टीक बैठती हैं?

विभिन्न भविष्यवक्ताओं द्वारा की गई भविष्यवाणियां संत रामपाल जी महाराज के ऊपर स्टीक बैठती हैं।

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