June 24, 2025

कबीर साहेब के परिवार की वास्तविक जानकारी

Published on

spot_img

कुछ लोगों का मानना है कि कबीर साहेब शादीशुदा थे, कबीर साहेब की पत्नी थी और बच्चे थे। लेकिन लोगों के पास इसका कोई प्रमाण नहीं हैं कि कबीर साहेब जी शादीशुदा थे और उनके बच्चे थे। लोगों ने झूठी अफवाह फैला रखी है। मानना एक अलग बात है सत्य को सत्य प्रमाणित करना एक अलग बात है..! पाठकों को सच्चाई जानना चाहिए कबीर साहेब जी के बारे और उनसे जुड़ी अन्य कई रहस्यमयी बातों को भी समझना चाहिए । कृपया इस ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़ें, समझें !!

आइए हम इस ब्लॉग के माध्यम से जानेंगे कि –

  • संत कबीर साहेब जी कौन है?
  • कबीर साहेब जी का इतिहास
  • कबीर दास जी का जन्म और उनके माता-पिता के बारे में एक झलक…!
  • क्या कबीर साहेब जी की पत्नी थी, क्या कबीर साहेब जी शादीशुदा थे?
  • कमाल और कमाली कौन थे? कबीर साहेब जी के बच्चे के रूप में कैसे जानें गए?
  • क्या कबीर साहेब जी ही पूर्ण परमात्मा है?
  • पूर्ण परमात्मा को कैसे प्राप्त किया  जा सकता है?
  • वर्तमान में पूर्ण गुरु कौन है? पूर्ण परमात्मा की जानकारी कौन बता रहे हैं?

संत कबीर दास जी कौन है?

संत कबीर जी जिन्हें अक्सर कबीर दास के रूप में जाना जाता है, भारत के एक रहस्यवादी कवि, संत और दार्शनिक के रूप में लोकप्रिय हैं। कबीर साहेब को लहरतारा नामक तालाब में कमल के फूल पर प्रकट एक नव शिशु के रूप मे एक नि: संतान मुस्लिम दंपति नूर अली और नियामत द्वारा पाया गया था।

कबीर साहेब जी की विचारधाराओं ने हिंदू और मुस्लिम दोनों के द्वारा किए जाने वाले पाखंड का जमकर विरोध किया। कबीर साहेब जी की लोकप्रिय कबीर वाणी में उन्होनें अपने दोहों के माध्यम से दोनों संप्रदायों के अंधविश्वासों की खुले तौर पर आलोचना की। कबीर साहेब जी ने भक्ति आंदोलन की शुरुआत की। कबीर साहेब जी के जन्म और उनके परिवारिक जीवन के बारे में विद्वानों में भेद है। कुछ विद्वानों ने कबीर साहेब जी के परिवार के बारे में केवल अटकलें और धारणाएं बनाई है। क्योंकि उन्हीं के द्वारा लिखित इतिहास में उनके द्वारा बताई बाते प्रमाणित नही है।

संत कबीर दास जी का इतिहास

उल्लेखित इतिहास में कबीर साहेब जी के जन्म का सही वर्ष पता नहीं है। कुछ विद्वानों ने इसे सन् 1398 ई. माना हैं। जबकि अन्य इसे सन् 1440 ई. मानते हैं। अभी भी अधिकांश विद्वान 1398 ई. को कबीर साहेब जी का जन्म वर्ष मानते हैं। कुछ ऐसा मानते हैं कि कबीर साहेब का जन्म एक ब्राह्मण विधवा से हुआ था, जिसने अपने नवजात शिशु  को छोड़ दिया, क्योंकि वह उसकी परवरिश करने में सक्षम नहीं थी। अन्य मान्यता के अनुसार बुनकर समाज के एक मुस्लिम जोड़े ने कबीर साहेब जी को काशी के लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर तैरता हुआ पाया, जो उन्हें घर ले गया और उनका पालन-पोषण किया। उनका पालन-पोषण इस्लामी मान्यताओं के अनुसार हुआ था। बाद में 5 साल की उम्र में, कबीर साहेब जी ने ज्ञान प्राप्त करने के लिए वैष्णव हिंदू गुरु स्वामी रामानंद जी से दीक्षा ली। 

कबीर साहेब जी के बारे में कुछ जगह ऐसा लिखा है कि उनका कमाल नाम का एक बेटा और कमाली नाम की एक बेटी थी। लेकिन उनकी पत्नी कौन थी इसका कोई प्रमाणिक उल्लेख नहीं है, लेकिन कुछ विद्वानों का मानना है कि उनकी पत्नी का नाम लोई था जो कि असत्य है।

कबीर साहेब जी की मृत्यु के बारे में भी बहुत विवरण अस्पष्ट है और दो अलग-अलग वर्ष है जिनके बारे में कुछ लोग ऐसा मानते है कि उनकी मृत्यु 1448 ईं में हुई थी जबकि अन्य इसे 1518 ई के रूप में मानते हैं। 

कबीर साहेब जी का जन्म और उनके माता-पिता के बारे में एक झलक

कबीर साहेब जी के जन्म को लेकर काफी भ्रम है। कोई भी प्रमाण इस बारे में निश्चित नहीं है कि उनका जन्म किससे हुआ था और कब हुआ था। कुछ लोगों के अनुसार उनका जन्म एक विधवा ब्राह्मणी  से हुआ था, लेकिन उल्लेखित इतिहास में इस महिला के नाम या अन्य कोई भी विवरण नहीं है। सच्चाई यह है कि एक मुस्लिम जोड़े ने कबीर साहेब को एक शिशु के रूप में पाया और उन्होंने उन्हें अपने बेटे के रूप में पाला। इस भ्रम का असली कारण यह है कि उन्होंने वास्तव में कभी जन्म नहीं लिया।

वह एक शिशु के रूप में अपने शाश्वत स्थान सतलोक से पृथ्वी पर अवतरित हुए। स्वामी रामानंद के एक शिष्य ऋषि अष्टानंद ने काशी के लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर एक शिशु के रूप में कबीर साहेब जी के अवतरण को देखा, जहां मुस्लिम बुनकर दंपति नूर अली और नियामत ने उन्हें पाया और वे निः संतान होने के कारण उन्हें घर ले गए। कबीर सागर की यह वाणी भी प्रमाणित करती है –

अवधु अविगत से चल आया, कोई मेरा भेद मर्म नहीं पाया।।

ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक हो दिखलाया।।

काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया।।

क्या कबीर साहेब जी की पत्नी थी? क्या कबीर साहेब जी शादीशुदा थे?

कुछ लोगों का मानना है कि कबीर साहेब जी शादीशुदा थे और उनकी पत्नी का नाम लोई था। जबकि ऐसा कोई प्रमाण नहीं है। सच तो यह है कि कबीर साहेब की शादी कभी हुई ही नहीं थी। वह पृथ्वी पर अपने पूरे समय अविवाहित ही रहे। कबीर सागर में भी प्रमाण है –

माता-पिता मेरे कछु नहीं, ना मेरे घर दासी।

कमाल और कमाली कौन थे? कबीर साहेब जी के बच्चे के रूप में कैसे जानें गए?

कुछ विद्वानों का मानना है कि कबीर साहेब के दो बच्चे थे, एक बेटा जिसका नाम कमाल था और एक बेटी जिसका नाम कमाली था। लेकिन कबीर साहेब जी ने कभी कोई शादी नहीं की, इसलिए दो बच्चे पैदा करने का प्रश्न ही नहीं उठता है। इस संबंध में इतिहास में संत गरीबदास जी के लेखन में प्रमाण उपलब्ध हैं। हम आपको बताते हैं कि कैसे कमाल और कमाली उनके बच्चों के रूप में जाने गए।

दिल्ली के सुल्तान सिकंदर लोदी कबीर साहेब के शिष्य थे। सुल्तान सिकंदर लोदी के आध्यात्मिक गुरु सलाहकार शेख तकी कबीर साहेब से ईर्ष्या करते थे क्योंकि सिकंदर लोदी हमेशा शेख तकी की उपस्थिति की अनदेखी करते हुए अपनी समस्याओं के समाधान के लिए कबीर साहेब जी के पास जाते थे। शेख तकी को यह बात अच्छी नहीं लगती थी। सुल्तान का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए शेख तकी ने सुल्तान को बताया कि क्योंकि सुल्तान के अनुसार कबीर ईश्वर है तो कबीर साहेब को अपनी दिव्यता की गवाही देनी होगी। नहीं तो वह दिल्ली के हर मुसलमान को सुल्तान के खिलाफ कर देगा। सुल्तान राज्य में विद्रोह के डर से, एक विशिष्ट तिथि को और एक विशिष्ट स्थान पर कबीर साहेब की परीक्षा लेने के लिए तैयार हो गया।

कबीर साहेब जी ईश्वर है या नहीं इसकी परीक्षा देखने के लिए सभी लोग उस स्थान पर उपस्थित हो गये। शेख तकी  ने कहा कि यदि कबीर एक मरे हुए व्यक्ति को जीवित कर देगा तो हमें विश्वास हों जाएगा कि कबीर ईश्वर है। कबीर साहेब जी ने शर्त मान ली। जब वे एक नदी के किनारे खड़े थे, तो उसी समय सभी ने नदी पर तैरते हुए एक शव को देखा। शेख तकी ने कबीर साहेब से उस मृत लड़के को जीवित करने के लिए कहा। कबीर साहेब जी ने कुछ भी करने से पहले शेख तकी से मरे हुए लड़के को जीवित करने की कोशिश करने को कहा, लेकिन वह असफल रहा। इस बीच शव तैरते हुए आगे बढ़ गया। कबीर साहेब जी ने तैरते शरीर को वापस आने का इशारा किया। तुरंत ही वह धारा के विपरित तैरने लगा और वही ठहर गया जहां कबीर साहेब खड़े थे। 

कबीर साहेब ने मृत लड़के की आत्मा को उसके शरीर में प्रवेश करने के लिए कहा लेकिन कुछ नहीं हुआ। यह देख शेख तकी खुशी से उछल पड़े। कबीर साहेब ने फिर मरे हुए लड़के की आत्मा में प्रवेश करने को कहा लेकिन एक बार फिर कुछ नहीं हुआ। कबीर साहेब की असफलता को देखकर शेख तकी को खुशी हुई। तीसरी बार कबीर साहेब जी ने मृत लड़के की आत्मा को उसके शरीर में प्रवेश करने का आदेश दिया। जैसे ही कबीर साहेब ने आत्मा को वापस आने का आदेश दिया, लोगों को मृत शरीर में हलचल दिखाई देने लगी और इसबार मृत लड़का जीवित हो गया। इस चमत्कार ने लोगों को आश्चर्य चकित कर दिया और वे इस लड़के को कमाल कहने लगे। कबीर साहेब जी ने मृत लड़के को जीवित कर दिया, इस चमत्कार को देखकर शेख तकी और भी अधिक क्रोधित हो गया। उसने कबीर साहेब से कहा कि वह इसे स्वीकार नहीं करेगा क्योंकि ऐसा हो सकता है कि लड़का सिर्फ मूर्छित ही हो मरा हुआ नही हो। 

शेख तकी ने कबीर साहेब को चुनौती दी कि उन्हें किसी ऐसे व्यक्ति को फिर से जीवित करना होगा जो कई दिनों से मरा हुआ है। कबीर साहेब ने इसको भी स्वीकार कर लिया। वह कबीर साहेब को अपनी बेटी की कब्र पर ले गया, जिसका कुछ दिन पहले निधन हो गया था। फिर से वही पूरी कार्रवाई दोहराई गई। जब उनकी बेटी के शव में पहली दो बार कोई हलचल नहीं हुई तो दुःखी होने के बजाय कबीर साहेब को असफल समझ कर शेख तकी बहुत खुश हुआ। जब तीसरी बार कबीर साहेब ने मृत लड़की की आत्मा को उसके शरीर में लौटने का आदेश दिया, तो वह जीवित हो गई। इससे शेख तकी को बहुत दुख हुआ। कबीर साहेब जी ने लड़की को अपने पिता के पास जाने के लिए कहा, जिस पर उसने यह कहते हुए मना कर दिया कि उसके पिता के साथ उसका समय समाप्त हो गया है और अब उसके असली पिता कबीर साहेब हैं और वह केवल उनके साथ रहेगी।

लोगों ने बच्ची का नाम कमाली रखा। उस समय कमाली ने लोगों को अपने पिछले जन्मों के बारे में बताया कि जिसमें वह जन्म भी शामिल था जब वह राबिया के नाम से जानी जाती थी, जो कि वह भक्त आत्मा थी जिसके लिए मक्का उड़ा था। उन्होंने लोगों को बताया कि कबीर साहेब अविनाशी अल्लाह हैं। कमाल और कमाली दोनों बच्चे कबीर साहेब के साथ अपनी नई जिंदगी जीने चलें गए। इस तरह कबीर साहेब को वे दो बच्चे मिले। जिनके वे  जैविक पिता नहीं थे।

क्या कबीर साहेब जी अविनाशी पूर्ण परमात्मा है ?

कबीर साहेब जी के परिवार के बारे में दी गई जानकारी से यह सिद्ध होता हैं कि कबीर साहेब जी कोई सामान्य इंसान नहीं थे। एक सामान्य मनुष्य मरे हुए को जीवित नहीं कर सकता। यह कार्य केवल पूर्ण परमात्मा ही कर सकते हैं। हमारे सतग्रंथ प्रमाणित करते हैं कि जब पूर्ण परमात्मा इस पृथ्वी पर आते हैं तो वे कभी भी मां के गर्भ से जन्म नहीं लेते हैं। वह हमेशा प्रकट होते हैं। 

ना मैं जन्मु ना मरूँ, ज्यों मैं आऊँ त्यों जाऊँ। 

गरीबदास सतगुरु भेद से लखो हमारा ढ़ांव।।       

ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 16 मंत्र 17 में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा जब भी इस पृथ्वी पर आते हैं हमेशा एक शिशु के रूप में धरती पर अवतरित होते है। यदि हम इतिहास पर नजर डालें, तो देवताओं का अवतार जब भी पृथ्वी पर  उतरता है, तो वह माता के गर्भ से जन्म लेता है लेकिन कबीर साहेब का जन्म मां से नही होता और इसका प्रमाण संत गरीबदास जी की अमृतवाणी में भी मिलता है। साथ ही, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 के अनुसार जब पूर्ण परमात्मा एक शिशु के रूप में पृथ्वी पर अवतरित होते हैं तो उनका पालन पोषण कुंवारी गायों के दूध द्वारा किया जाता है। यही लीला केवल कबीर साहेब जी के द्वारा की गई। इससे सिद्ध है कि कबीर साहेब जी ही पूर्ण परमात्मा है।

वास्तव में, पूर्ण परमात्मा हर युग में पृथ्वी लोक पर अवतरित होते हैं। सतयुग में उनका नाम ऋषि सतसुकृत था। त्रेता युग में उनका नाम मुनि मुनीन्द्र था। द्वापर युग में उनका नाम करुणामय था और कलियुग में वे अपने असली नाम कबीर के साथ पृथ्वी पर अवतरित होते हैं। कबीर साहेब जी बताते है कि –

सतयुग में सतसुकृत कह  टेरा, त्रेता नाम मुनीन्द्र  मेरा। 

द्वापर में करुणामय कहलाया, कलियुग में नाम कबीर धराया ।।

पूर्ण परमात्मा को कैसे पाया जा सकता है ?

पूर्ण परमात्मा को पाना बिल्कुल आसान है। बस हमें पूर्ण गुरु की शरण ग्रहण करनी है, उनके द्वारा बताई गई शास्त्रनुकूल साधना करने से हम पूर्ण परमात्मा को प्राप्त कर सकते हैं और सतलोक (अमर लोक) जा सकते हैं । पूर्ण रूप से अपना मोक्ष इसी मनुष्य जीवन में करा सकते हैं क्योंकि पूर्ण गुरु ही सही ज्ञान, पूजा की विधि बता सकते हैं। इसी प्रकार हम सभी पूर्ण परमात्मा को प्राप्त कर सकते हैं।

वर्तमान में पूर्ण गुरु कौन है जो परमात्मा की जानकारी बताते हैं?

वर्तमान में पूर्ण गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज हैं। यही है जो पवित्र शास्त्रों से प्रमाणित ज्ञान बता रहे हैं। पूजा की सही विधि बता रहे हैं। एक पूर्ण परमात्मा की प्रमाणित जानकारी दे रहे हैं। पूर्ण गुरु की पहचान का गीता अध्याय 15 श्लोक 1 से 4 में प्रमाण है। संत गरीब दास जी महाराज बताते है कि

”सतगुरु के लक्षण कहूं, मधूरे बैन विनोद। चार वेद षट शास्त्र, कहै अठारा बोध।।“

सतगुरु गरीबदास जी महाराज अपनी वाणी में पूर्ण संत की पहचान बता रहे हैं कि वह (पूर्ण संत) चारों वेदों, छः शास्त्रों, अठारह पुराणों आदि सभी ग्रंथों का पूर्ण जानकार होगा अर्थात् उनका सार निकाल कर बताएगा। यजुर्वेद अध्याय 19 मंत्र 25, 26 में लिखा है कि वेदों के अधूरे वाक्यों अर्थात् सांकेतिक शब्दों व एक चौथाई श्लोकों को पूरा करके विस्तार से बताएगा। वर्तमान में पूर्ण परमेश्वर संत रामपाल जी महाराज के रूप में तत्वदर्शी पूर्ण संत की भूमिका निभा रहे हैं। कबीर साहेब बता रहे है कि मैं ही सतगुरु के रूप में आता हूँ –

मैं सतगुरु मैं दास हूँ, मैं हंसा मैं बंस। दास गरीब दयाल मैं, मैं ही करूं पाप बिध्वंस।। 

अधिक जानकारी के लिए सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल पर सत्संग श्रवण करें। आप सभी से विनम्र निवेदन है जगतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।

Latest articles

मुहर्रम (Muharram 2025) पर जाने अल्लाह से रूबरू होने की सही विधि क्या है?

Last Updated on 23 June 2025 IST | माह-ए-मोहर्रम, (Muharram Date 2025 India in...

Muharram 2025: Can Celebrating Muharram Really Free Us From Our Sins?

Last Updated on 23 June 2025 IST | Muharram 2025: Muharram is one of...

World Youth Skills Day 2025: True Spiritual Knowledge Can Empower Every Youth

Last Updated on 22 June 2025 IST | World Youth Skills Day 2025: Did...
spot_img

More like this