Jupiter and Saturn Conjunction 2020: सोमवार, 21 दिसम्बर, 2020 को होने जा रही है सौरमण्डल की बड़ी खगोलीय घटना। इस दिन शनि और बृहस्पति एक दूसरे के काफी करीब रहेंगे यह एक दुर्लभ संयोग है। बता दें कि 21 दिसम्बर वर्ष का सबसे छोटा दिन भी होता है।
Jupiter and Saturn Conjunction 2020: मुख्य बिंदु
- 21 दिसम्बर 2020 को शनि और बृहस्पति ग्रह होंगे एक दूसरे के काफी करीब। यह दुर्लभ नजारा 397 वर्ष बाद देखने को मिलेगा।
- अनुकूल मौसम की परिस्थितियों में इसके विकिरण देखे जा सकेंगे। जैसलमेर के रेगिस्तान से यह और भी अच्छा दिखाई देगा।
- जुलाई,1623 में भी दोनो ग्रह इतने ही करीब आ गए थे किन्तु सूर्य नज़दीक होने के कारण उन्हें देखना असंभव था।
- सतगुरु की नज़र और रहम सभी ग्रहों की स्थिति साधक के अनुकूल बनाये रखती है।
Jupiter and Saturn Conjunction 2020: 397 वर्षों बाद दिख सकेगा दुर्लभ नजारा
सोमवार, 21 दिसम्बर 2020 को 397 वर्षों में दुर्लभ नजारा देखा जा सकेगा। वैज्ञानिकों के अनुसार बृहस्पति ग्रह हर 20 वर्ष में अपने पड़ोसी शनि ग्रह के पास से होकर गुजरता है किंतु इस बार दोनों ग्रहों के बीच मात्र 0.1 डिग्री की दूरी ही रह जायेगी। इसे चकाचौंध या सिटी लाइट से दूर देखा जा सकेगा। भारत में जैसलमेर के रेगिस्तान में यह अच्छे तरीके से देखा जा सकेगा।
Jupiter and Saturn Conjunction 2020: खगोलविद गैलीलियो के जीवनकाल में हुई थी घटना
अंतिम बार सत्रहवीं शताब्दी में खगोलविद गैलीलियो के जीवन काल में यह घटना हुई थी। लेकिन 1623 में सूर्य के पास होने के कारण उन्हें देख पाना लगभग असंभव था। वहीं, मार्च 1226 में दोनों ग्रह इतने पास आये थे। हालांकि तब इन्हें देखना सम्भव था। इस दुर्लभ नज़ारे को शाम 6:30 के बाद देश के किसी भी हिस्से से देखा जा सकेगा। नासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक ये दोनों ग्रह रात को आकाश में एक रेडिएंट पॉइंट बनाएंगे जिसे धरती से देख पाना सम्भव होगा।
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ज्योतिषशास्त्रियों ने दिए अलग अलग आंकलन
किसी भी खगोलीय घटना का किसी राशि विशेष से सम्बंध होना आवश्यक नहीं है। यह अन्तरिक्ष में होने वाली घटनाएं हैं जो प्रत्येक दिन घटती रहती हैं। कभी कभी कुछ दुर्लभ नज़ारे भी देख लिए जाते हैं। बहुत बार ज्योतिष इन घटनाओं का सीधा संबंध व्यक्ति के राशि, जीवन एवं समसामयिक घटनाओं से जोड़कर दिखाते हैं। वास्तव में सब कुछ इस संसार मे पूर्व निर्धारित है। जिसकी मृत्यु लिखित है वह मृत्यु को प्राप्त होगा। जिस समय जो होना है होकर रहेगा। व्यक्ति कर्मबन्धन को किसी प्रकार की कोई खगोलीय घटना नहीं बदल सकती। कर्मबन्धन से अधिक पाना एवं विधि के लिखे को बदलना केवल पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब और उनके नुमाइंदे तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज के हाथों में है।
मासा घटे न तिल बढ़े, विधना लिखे जो लेख |
साँचा सतगुरु मेट के, ऊपर मारे मेख ||
सतगुरु सदैव साधक की रक्षा करते हैं
पूर्ण तत्वदर्शी सन्त की शरण में रहने वाले साधक या भक्त को किसी भी ग्रह स्थिति, ग्रहण, राहु-केतु आदि से कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। पूर्ण सन्त रामपाल जी महाराज से नामदीक्षा लेकर भक्ति करने वाले भक्तों के बारहों मास बसन्त होते हैं। पूर्ण सतगुरु की शरण में रहने वाले भक्त को कर्मबन्धन, मृत्यु एवं विधि के लिखे लेख आदि का भी डर नहीं है तो गृह आदि तो मामूली हैं। आदरणीय सन्त गरीबदासजी महाराज जी ने भी कहा है-
गरीब, ज्यूं बच्छा गऊ की नजर में, यूं साईं कूं संत |
भक्तों के पीछे फिरै, भक्त वच्छल भगवन्त।।
अर्थात जैसे गाय अपने बछड़े के पीछे पीछे ममता वश फिरती है वैसे ही परमात्मा अपने भक्त के सदैव साथ रहते हैं और जिसके साथ तत्वदर्शी सन्त के रूप में परमात्मा स्वयं हों उसे भला किस बात का डर हो सकता है। वर्तमान में पूरे विश्व में एकमात्र तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज हैं। उनसे नामदीक्षा लेकर अपना कल्याण कराएं। अधिक जानकारी के लिए देखें सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल।