First India News Exposed | बीते 22 अगस्त को फर्स्ट इंडिया न्यूज चैनल द्वारा चलाई गई “आस्था या अज्ञान” डिबेट में एंकर विजय सोलंकी, वीएचपी प्रवक्ता अमितोष पारीक व शास्त्री कोसलेंद्र दास द्वारा संत रामपाल जी महाराज और उनके द्वारा लिखित सर्व धर्म शास्त्रों से प्रमाणित पवित्र पुस्तक अंध श्रद्धा भक्ति खतरा ए जान और ज्ञान गंगा पर लिखी गई बातों को गलत ठहराया गया था तथा एंकर द्वारा संत रामपाल जी महाराज का अपमान करते हुए उनकी पुस्तकों को फाड़ा गया था। जिसका विरोध करते हुए एंकर समेत सभी डिबेटकर्ताओं को पुस्तकों में लिखी गई शास्त्र प्रमाणित बातों से अवगत कराते हुए संत रामपाल जी के शिष्यों ने बीते गुरुवार को एक्स पर #आखिर_ऊंट_आ_ही_गया_पहाड़केनीचे व Jawab To Dena Padega को नम्बर 1 व 2 पर ट्रेंड कराके जबाब दिया।
#आखिर_ऊंट_आ_ही_गया_पहाड़केनीचे No.1 पर हुआ ट्रेंड
बीते गुरुवार संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों ने फर्स्ट इंडिया न्यूज के एंकर विजेन्द्र सोलंकी की अज्ञानता को उजागर करते हुए #आखिर_ऊंट_आ_ही_गया_पहाड़केनीचे व Jawab To Dena Padega को भारत में नम्बर 1 व 2 पर ट्रेंड कराया गया। जिसमें उन्होंने एक मिलियन यानि 10 लाख से भी अधिक पोस्ट किए। साथ ही, ये दोनों टैग वर्ल्ड वाइड पर भी टॉप 10 के अंदर ट्रेंड हुए।
संत रामपाल जी के शिष्यों ने बताया कि #आखिर_ऊंट_आ_ही_गया_पहाड़केनीचे अर्थात ऊंट को अपनी ऊंचाई का अभिमान होता है कि मेरे समान कोई नहीं ऊंचा। जब वो पर्वत के पास पहुंचता है तो उसको अपनी औकात का पता चल जाता है। वो अपने आप को बौना समझता है। वो बौना हो जाता है। इसी प्रकार Mr. विजेन्द्र सोलंकी जी और उनके समर्थक हैं। ये अपने आप ही आ गए हैं संत रामपाल जी महाराज के साथ टकराव करने के लिए। उन्होंने बताया कि हमारे गुरुदेव संत रामपाल जी महाराज का सब ज्ञान शास्त्र प्रमाणित है। जिन शास्त्रों को एंकर विजेंद्र सोलंकी जी स्वयं सत्य मानते हैं।
First India News डिबेट पर बोली गईं बातें, जिनका संत रामपाल जी के शिष्यों ने दिया जबाब
फर्स्ट इंडिया न्यूज (First India News Exposed) पर आस्था या अज्ञान नामक डिबेट में एंकर विजेंद्र सोलंकी (Anchor Vijendra Solanki), कांग्रेस प्रवक्ता प्रतीक सिंह, वीएचपी प्रवक्ता अमितोष पारीक व शास्त्री कोसलेंद्र दास द्वारा संत रामपाल जी महाराज और उनके द्वारा लिखित पवित्र पुस्तक अंध श्रद्धा भक्ति खतरा ए जान व ज्ञान गंगा के के विषय में बिना जाँच पड़ताल किये कुछ ऐसी बातें बोली गईं, जोकि शिक्षित व संस्कार युक्त व्यक्ति संत के विषय में कभी नहीं बोल सकता। जिसका जबाब सतगुरु रामपाल जी महाराज के शिष्यों ने #आखिर_ऊंट_आ_ही_गया_पहाड़केनीचे टॉप ट्रेंड कराकर दिया। तो चलिए जानते हैं 1st इंडिया न्यूज की डिबेट में बोली गईं आपत्तिजनक बातें और संत रामपाल जी के शिष्यों द्वारा प्रमाण सहित दिया गया जबाब।
एंकर विजेंद्र सोलंकी कहते हैं कि डिबेट को करना चाहिए या नहीं काफी सोचा।
संत रामपाल जी के शिष्यों का कहना है कि श्रीमान विजेंद्र सोलंकी जी आपने “आस्था या अज्ञान” नामक डिबेट करके अद्वितीय पहल की है। यही श्रेष्ठ मार्ग है सत्य तथा असत्य का निर्णय करने का। परंतु दुख की बात है कि आप जैसे व्यक्ति शिक्षित (Learned Person) हैं, फिर भी अपने धर्म ग्रंथो से परिचित नहीं हैं और बिना सच्चाई को जाने एक पूर्णसंत का विरोध करते हैं। यदि आपने “अंध श्रद्धा भक्ति खतरा ए जान” को पूरा पढ़ा होता तो स्वयं ही गीता, वेद, पुराणों के प्रमाण देखकर इस पुस्तक का विरोध नहीं करते। क्योंकि लिंग व लिंगी का जो चित्र इस पुस्तक में है उसका प्रमाण श्री शिव महापुराण के विद्यवेश्वर संहिता के अध्याय 5 श्लोक 27-30 में है।
कांग्रेस प्रवक्ता प्रतीक सिंह कहते हैं, हमारे सनातन धर्म में जो भी ज्ञानी महाराज लोग हैं उनको इन बातों का खंडन करके सत्य को लोगों के सामने लाना चाहिए।
संत रामपाल जी के समर्थकों का कहना है कि हम सभी संत रामपाल जी के शिष्य कांग्रेस प्रवक्ता की बात से पूर्णत: सहमत हैं। परन्तु जब इन आचार्यों, शंकराचार्यों, मंडलेश्वरों, धर्मगुरुओं को धर्म शास्त्रों का सत्यज्ञान होगा, तभी तो सत्य सामने लायेंगे। इन्हें तो पवित्र गीता जी का ही ज्ञान नहीं है अन्यथा ये मानव समाज को गीता विरुद्ध ज्ञान नहीं बताते। जबकि संत रामपाल जी महाराज अपने ही धर्म शास्त्रों से प्रमाण सहित सत्य ज्ञान बता रहें हैं। जिसे हम सभी को पढ़ना व देखना चाहिए।
संत रामपाल जी महाराज के बारे में फर्स्ट इंडिया न्यूज एंकर विजेंद्र सोलंकी कहते हैं कि ना मैं महाराज कहूंगा, ना संत कहूंगा, ना श्री लगाऊंगा।
एंकर विजेंद्र सोलंकी को जबाब देते हुए शिष्यों ने कहा कि श्रीमान यह आपका अभिमान है, प्रथम तो आपको धर्म शास्त्रों का ज्ञान नहीं और दूसरा आपको सही शिक्षा व संस्कार प्राप्त नहीं हुए। अन्यथा पत्रकार होकर सच्चाई को जाने बिना संत रामपाल जी महाराज के प्रति इतने गलत शब्दों का प्रयोग नहीं करते। क्योंकि संत रामपाल जी महाराज पूरे विश्व को सत्य आध्यात्मिक ज्ञान तथा जीने की सही राह प्रदान करते हैं, जिसका अनुसरण IAS, IPS जैसे बुद्धिजीवी व्यक्ति भी करते हैं।
सतगुरु रामपाल जी के विषय में एंकर विजेंद्र सोलंकी ने कहा है कि पत्थर की देवी और देवता बता दिया है वह आपकी कोई सहायता नहीं कर सकते।
शिष्यों ने एक्स पर जबाब देते हुए बताया कि जब किसी की मृत्यु के बाद उसका स्टेच्यू बनाया जाता है तो वह पत्थर, पीतल, तांबा आदि की ही तो होती है, जोकि जड़ होती है। जिससे कोई कार्य सिद्ध नहीं हो सकते और वेद, गीता आदि पवित्र शास्त्रों में कहीं भी पत्थर आदि की मूर्ति बनाकर देवी देवताओं की पूजा का विवरण नहीं मिलता। जिससे यह शास्त्र विरुद्ध क्रिया हुई और इस विषय में श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 16 श्लोक 23 व 24 में लिखा है कि शास्त्र के विपरीत मनमानी भक्ति साधना से कोई लाभ नहीं होता।
एंकर विजेंद्र सोलंकी जी कहते हैं आप अपना फार्म भरते समय लिंग के ऑप्शन पर क्या लिखते हैं? मेल या फीमेल। शिव का वह रूप जो निराकार है क्योंकि शिव को दो रूप में पूजते हैं। एक साकार, जिनके हाथ में त्रिशूल, गले में नाग, माथे पर चंद्रमा है। दूसरा निराकार, वह रूप जिसको हम कभी देख नहीं सकते।
संत रामपाल जी के अनुयायियों ने जबाब देते हुए कहा कि श्रीमान विजेंद्र सोलंकी जी फॉर्म भरते समय जो मेल या फीमेल लिंग के ऑप्शन में लिखा जाता है तो वह मेल और फीमेल लिंग को ध्यान में रखकर ही लिखा जाता है, क्योंकि लिंग से ही यह प्रमाणित होता है कि आप मेल हो या फीमेल और यदि आप निराकार शिवजी के रूप को शिवलिंग कहते हैं तो निराकार चीज जो आप खुद भी कह रहे हैं कि जो कभी दिखाई नहीं देता तो उसको आकार में कैसे हम बना सकते हैं? यदि शिवलिंग निराकार रूप है शिवजी का तो उसको हमने आकार में कैसे बनाया, वह तो दिखाई नहीं देता, निराकार चीज दिखाई कैसे दे सकती है आप अपनी ही बात का खंडन खुद कर रहे हैं।
कोसलेन्द्र शास्त्री जी कहते हैं अशास्त्रीय तरीके से ये कचरे की सप्लाई कर रहे हैं, यह संक्रमण ही है।
संत रामपाल जी महाराज के समर्थकों का कहना है शास्त्री जी ! पुस्तक में हर एक शब्द का प्रमाण दिया गया है वो भी हमारे शास्त्रों से। आप उस पुस्तक को संक्रमण कह रहे हैं तो आप हर उस शास्त्र यानि चारों वेदों ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद, श्रीमद्भागवत गीता, 18 पुराण पर उंगली उठा रहे हैं, जिनको हमारे हिंदू धर्म के लोग बड़े चाव से और श्रद्धा के साथ पढ़ते हैं। जिनका आपको सत्यज्ञान नहीं है, इसलिए आप इन पुस्तकों पर लिखे गए ज्ञान को गलत बता रहे हैं।
एंकर विजेंद्र सोलंकी कहते हैं कि जिसने संस्कृत पढ़ी ना हो वह यही फुहड़ता परोसेगा तथा कौशलेंद्र शास्त्री कहते हैं कि 90% धर्मगुरु संस्कृत नहीं जानते और वह गीता, वेद, महाभारत आदि पर चर्चा करते हैं, उन्हीं में से रामपाल भी एक नमूना है।
एंकर विजेंद्र सोलंकी और शास्त्री कोसलेंद्र दास को संत रामपाल जी महाराज के समर्थकों ने जबाब दिया कि जिन शंकराचार्यों, दयानंद सरस्वती को आप संस्कृत का विद्वान मानते हैं हमारे गुरुदेव संत रामपाल जी महाराज जी ने उन्हें पहले ही ज्ञान चर्चा में निरुत्तर कर रखा है, जिसे आप Sant Rampal Ji Maharaj Youtube Channel पर देख सकते हैं। साथ ही, संत रामपाल जी महाराज ने श्रीमद्भागवत गीता, वेद, पुराण, कुरान आदि सर्व धर्मशास्त्रों का सत्यज्ञान प्रदान किया है। जिनका ज्ञान आपको नहीं है, जिसे अब उलझाया नहीं जा सकता। इस विषय में स्वयं कबीर परमात्मा कहते हैं:
कबीर, नौ मन सूत उलझिया, ऋषि रहे झख मार।
सतगुरू ऐसा सुलझा दे, उलझे न दूजी बार।।
VHP प्रवक्ता अमितोष पारीक ने कहा कि आपको पता है कि इस किताब में लिखा है “पवित्र कुरान” वहां पर उन्होंने कोई व्याख्या नहीं करी, जोकि उनकी सच्चता को सामने लाता है। उन्होंने केवल हिंदू देवी देवताओं पर ही बोला है इसको फ्री में देते हैं जो की धर्मांतरण (conversion) पर ले जाते हैं।
संत रामपाल जी के समर्थकों ने बताया कि वीएचपी प्रवक्ता लोगों को गुमराह करने के लिए मिथ्या आरोप लगा रहे हैं। जबकि किताब में सभी धर्म ग्रंथो के सामने पवित्र लिखा गया है। उन्होंने बताया कि
- संत रामपाल जी महाराज जी ने मुसलमान नहीं समझे ज्ञान कुरान और हिंदू धर्म महान जैसी पुस्तक भी लिखी हुई हैं, जिन्हें शायद वीएचपी प्रवक्ता ने नहीं पढ़ा।
- साथ ही, जब मुस्लिम धर्म प्रवक्ता डॉ. जाकिर नायक ने सर्व धर्मगुरुओं, आचार्यों, शंकराचार्यों को चैलेंज किया था, तब इनमें से किसी ने भी जाकिर नायक का चैलेंज स्वीकार नहीं किया था। लेकिन हमारे गुरुजी संत रामपाल जी महाराज ने स्वीकार किया था और उसे निरुत्तर भी किया था।
- वहीं संत रामपाल जी धर्मांतरण नहीं, धर्म को अपनाना सीखते हैं कि सभी अपने-अपने पवित्र धर्म ग्रंथों के अनुसार भक्ति साधना करो।
- साथ ही संत रामपाल जी महाराज का ध्येय वाक्य है:-
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई धर्म नहीं कोई न्यारा।।
हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, आपस में हैं भाई-भाई।
आर्य, जैनी और बिश्नोई, एक प्रभु के बच्चे सोई।।
एंकर विजेंद्र सोलंकी कहते हैं, आप अलग-अलग भाषाओं में लिखें धर्म ग्रंथों को पढ़िए ताकि सही समझ अंदर डेवलप हो।
सतगुरु रामपाल जी महाराज के शिष्यों ने जबाब दिया, विजेंद्र सोलंकी जी! आप अलग-अलग भाषाओं में सद्ग्रन्थों को पढ़ने की बात कह रहे हैं और संत रामपाल जी महाराज जी ने जो लिखा है वह हिंदी में लिखा है और तब आप बोल रहे हो कि इनको संस्कृत नहीं आती है, हिंदी में पढ़िए। यह आप दो तरह की बातें कैसे कर लेते हैं। आप तो बोल रहे हैं जिनको संस्कृत नहीं आती है उसको धर्म पर डिबेट करने का कोई हक ही नहीं है। सोलंकी जी अलग-अलग भाषाओं में लिखें सद्ग्रन्थों को पढ़ने की जरूरत आपको है, क्योंकि आज यदि आपने अपने धर्मग्रंथों को पढ़ा होता तो शायद “अंध श्रद्धा भक्ति खतरा ए जान” पुस्तक को फाड़ने की बजाय माथे पर लगाते और संत रामपाल जी महाराज जी का सो-सो शुक्र मनाते हुए अपने चैनल के माध्यम से जनता से आग्रह भी करते हैं कि आप सभी इस अनमोल पुस्तक को जरूर पढ़ें।
लिंग के अर्थ से एंकर विजेन्द्र सोलंकी हैं अनजान
फर्स्ट इंडिया न्यूज एंकर विजेंद्र सोलंकी का कहना कि “लिंग” उसका अर्थ संत रामपाल जी महाराज ने गुप्तांग (Private Part) किया है जो गलत है। तो विजेंद्र सोलंकी जी इसे तो आप स्वयं भी मानते हैं। आपके शब्दों में, जैसे हम कोई फॉर्म भरते हैं उसमें लिखा होता है “पुल्लिंग/स्त्रीलिंग” जिसमें पुल्लिंग “पुरुष” का प्रतीक और स्त्रीलिंग “स्त्री” का प्रतीक होता है। विजेंद्र जी और शास्त्री कोसलेंद्र दास जी स्त्री व पुरुष की पहचान उसके प्राइवेट पार्ट से ही तो होती है। चलिए अब जानते हैं हमारे पवित्र धर्म शास्त्र शिव पुराण में शिवलिंग के विषय में क्या बताया गया है।
क्या है शिवलिंग?
एंकर विजेंद्र सोलंकी का शिवलिंग को निराकार बताना एक दम गलत है क्योंकि शिव महापुराण के विद्यवेश्वर संहिता खण्ड 1 अध्याय 5 श्लोक 27-30 और अध्याय 9 श्लोक 40-43 में स्पष्ट लिखा है कि जब ब्रह्मा और विष्णु का परस्पर युद्ध होने लगा तो उनके युद्ध को रोकने के लिए उसी समय सदाशिव अर्थात् काल ब्रह्म ने उन दोनों के बीच में एक प्रकाशमय स्तंभ खड़ा कर दिया। उसके पश्चात् अपने पुत्र तमगुण शिव के रूप में प्रकट होकर उस स्तंभ को अपने लिंग (Private Part) का आकार दे दिया। उसी दिन से शिव जी का लिंग विख्यात हुआ। इसके बाद काल ब्रह्म (सदाशिव) ने ब्रह्मा तथा विष्णु से कहा कि तुम इस मेरे लिंग व लिंगी (स्त्री योनि) यानि शिवलिंग की पूजा करो, जिसके बाद यह बेशर्म पूजा सब हिन्दुओं में देखा-देखी चल रही है। यह पूजा काल ब्रह्म ने प्रचलित करके मानव समाज को वेदों तथा गीता के विपरीत साधना बता दी और दिशाहीन कर दिया।
शिव महापुराण (श्री वेंकटेश्वर प्रेस मुम्बई से प्रकाशित, संस्कृत-हिन्दी अनुवाद वाली) के विद्येश्वर संहिता प्रथम खंड के अध्याय 5 श्लोक 27-30
शिव महापुराण (श्री वेंकटेश्वर प्रेस मुम्बई से प्रकाशित, संस्कृत-हिन्दी अनुवाद वाली) के विद्येश्वर संहिता प्रथम खंड के अध्याय 9 श्लोक 40-43
तीन गुण क्या हैं?
प्रमाण 1:- श्री मार्कण्डेय पुराण (सचित्र मोटा टाईप गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित) के अध्याय 25 में 131 पृष्ठ पर स्पष्ट रूप से लिखा है कि रजगुण ब्रह्मा जी, सतगुण विष्णु तथा तमगुण शंकर, तीनों ब्रह्म की प्रधान शक्तियाँ है, ये ही तीन देवता हैं। ये ही तीन गुण हैं।
प्रमाण 2 :- श्री देवी महापुराण संस्कृत व हिन्दी अनुवाद (श्री वेंकटेश्वर प्रेस बम्बई से प्रकाशित) में तीसरे स्कन्ध अध्याय 5 श्लोक 8 में लिखा है कि शंकर भगवान बोले, हे मातः! यदि आप हम पर दयालु हैं तो मुझे तमोगुण, ब्रह्मा रजोगुण तथा विष्णु सतोगुण युक्त क्यों किया?
इन प्रमाणों से सिद्ध है कि रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु और तमगुण शंकर जी हैं। तो चलिए अब जानते हैं इन तीनों देवताओं की उत्पत्ति और इनके माता पिता कौन हैं?
तीनों देवताओं (ब्रह्मा, विष्णु व शिव) की उत्पत्ति और उनके माता-पिता
- श्री शिव महापुराण (गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित, सम्पादक- हनुमान प्रसाद पोद्दार) के रूद्रसंहिता खण्ड में अध्याय 5 – 9 में स्पष्ट लिखा है कि शिव (काल रूपी ब्रह्म/सदाशिव) और शिवा (प्रकृति/दुर्गा/त्रिदेवजननी) ने पति-पत्नी व्यवहार करके ब्रह्मा, विष्णु व शिव जी की उत्पत्ति की।
- श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 14 श्लोक 3-5 में भी प्रमाण है कि रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु, और तमगुण शंकर इन तीनों गुण प्रकृति अर्थात् दुर्गा से उत्पन्न हुए हैं। प्रकृति अर्थात दुर्गा तो सब जीवों को उत्पन्न करने वाली माता है, मैं अर्थात गीता ज्ञान दाता काल ब्रह्म सब जीवों का पिता हूँ। मैं दुर्गा के गर्भ में बीज स्थापित करता हूँ जिससे सबकी उत्पत्ति होती है। {यहाँ स्पष्ट कर दें कि गीता अध्याय 8 श्लोक 13 व अध्याय 11 श्लोक 32 से सिद्ध होता है कि गीता ज्ञान दाता काल ब्रह्म है।}
क्या ब्रह्मा, विष्णु व शिव जी नाशवान हैं?
संक्षिप्त देवीभागवत (गीताप्रैस गोरखपुर से प्रकाशित, सम्पादक – श्री हनुमान प्रसाद पौद्दार, चिमन लाल गोस्वामी) के तीसरा स्कन्ध अध्याय 4-5 में श्री विष्णु जी ने अपनी माता दुर्गा की स्तुति करते हुए कहा है कि हे मातः! हम आपकी कृपा से विद्यमान हैं, मैं (विष्णु), ब्रह्मा और शंकर तो जन्मते मरते हैं, हम अविनाशी नहीं हैं।
फिर शंकर जी बोले, हे माता ! विष्णु के बाद उत्पन्न होने वाला ब्रह्मा जब आपका पुत्र है तो क्या मैं तमोगुणी लीला करने वाला शंकर तुम्हारी सन्तान नहीं हुआ अर्थात् मुझे भी उत्पन्न करने वाली तुम ही हो। शिवे! इस संसारकी सृष्टि, स्थिति और संहार में तुम्हारे गुण सदा समर्थ हैं। उन्हीं तीनों गुणों से उत्पन्न हम ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर नियमानुसार कार्य में तत्पर रहते हैं।
संक्षिप्त देवीभागवत, तीसरा स्कन्ध अध्याय 4-5
इससे स्पष्ट है कि तीनों देवता नाशवान हैं और ये तीनों देवता नियम अनुसार ही कार्य करते हैं। सुख व दुःख को कम ज्यादा नहीं कर सकते। इससे यह भी सिद्ध है कि ये सहायता करने में सक्षम नहीं हैं।
मूर्ति पूजा व देवी देवताओं की पूजा से क्या होता है?
पाठकों, प्रभु दत्त किसी भी सद्ग्रंथ यानी चारों वेदों और श्रीमद्भागवत गीता में कहीं भी मूर्ति पूजा का वर्णन नहीं है। बल्कि एक पूर्ण परमात्मा की भक्ति करने के लिए कहा गया है। इसलिए पवित्र गीता अध्याय 16 श्लोक 23, 24, अध्याय 9 श्लोक 25 और अध्याय 7 श्लोक 12-15 के अनुसार मूर्ति पूजा, देवी देवताओं की पूजा करना व्यर्थ साधना है। क्योंकि शास्त्र विरुद्ध साधना से न कोई सुख मिलता, न शांति और न ही मोक्ष मिलता। देखिये पवित्र गीता जी की फोटो कॉपी
वहीं संत रामपाल जी कहते हैं कि मूर्ति बुरी नहीं, लेकिन मूर्ति पूजा करना गलत है, क्योंकि यह शास्त्र विरुद्ध पूजा है तथा संत रामपाल जी का कहना है:
तीनों देवा कमल दल बसें, ब्रह्मा विष्णु महेश।
प्रथम इनकी वंदना, फिर सुन सतगुरु उपदेश।।
पाठकों इन सभी प्रमाणों से स्पष्ट है कि संत रामपाल जी महाराज जी शास्त्रोक्त ज्ञान दे रहें हैं तथा संत रामपाल जी के शिष्यों ने #आखिर_ऊंट_आ_ही_गया_पहाड़केनीचे ट्रेंड कराकर जनता को सत्यज्ञान से रूबरू कराया।
जिससे सिद्ध है कि फर्स्ट इंडिया न्यूज (First India News Exposed) के एंकर विजय सोलंकी, वीएचपी प्रवक्ता अमितोष पारीक व शास्त्री कोसलेंद्र दास का संत रामपाल जी महाराज व उनके द्वारा लिखित पवित्र पुस्तक अंध श्रद्धा भक्ति खतरा ए जान और ज्ञान गंगा के ज्ञान को गलत ठहराना गलत है। पहले इन्हें अपने धर्म शास्त्रों को पढ़ने की आवश्यकता है। वहीं संत रामपाल जी महाराज द्वारा दिये जा रहे तत्वज्ञान को जानने के लिए आप सभी Sant Rampal Ji Maharaj App डाऊनलोड करें।