Last Updated on 12 April 2024 IST: इतिहास के पन्नों पर ना जाने ऐसी कितनी घटनाएं छुपी हुई है जिसे पूरी तरह जानना अब तक रहस्य बना हुआ है। आज से लगभग 105 वर्ष पहले भी एक ऐसी शर्मनाक घटना घटित हुई जो मानव समाज के लिए दुर्भाग्यपूर्ण थी जिसे आज दुनिया जलियांवाला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh Hatyakand) के नाम से जानती हैं। आईए जानते हैं विस्तार से।
Jallianwala Bagh Hatyakand (Hindi): मुख्य बिंदु
- जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना को हुए 103 वर्ष
- 13 अप्रैल 1919 का यह काला दिन जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया था
- ब्रिटिश सरकार भारत के किसी भी नागरिक को देशद्रोह के शक के आधार पर गिरफ्तार करना चाहती थी
- भारत के अमृतसर में भी इस सत्याग्रह आंदोलन के तहत राॅलेक्ट एक्ट का विरोध किया गया
- 13 अप्रैल सन 1919 में जलियांवाला बाग में काफी संख्या में लोग इकट्ठे हुए
- पंजाब राज्य के हालातों को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने राज्य के कई शहरों में मार्शल लॉ लगा दिया
- 20000 लोगों पर लगभग 10 मिनट तक गोलियां बरसाता रहा जनरल डायर
- 23 मार्च 1920 को जनरल डायर को दोषी करार देते हुए उसको सेवानिवृत्त किया गया
- सन् 1940 में क्रांतिकारी उधम सिंह ने किंग्सटन हॉल में माइकल ओ डायर की गोली मारकर हत्या कर दी
- जानिए कैसे पूर्ण संत जी से नाम दीक्षा लेने मात्र से ही कष्टों से छुटकारा मिल जाता है
Jallianwala Bagh Hatyakand: क्या था रॉलेक्ट एक्ट और क्यों विरोध किया था भारतीयों ने इस एक्ट का।
जलियांवाला बाग हत्याकांड: 6 फरवरी साल 1919 में इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल में राॅलेक्ट नामक एक बिल मार्च महीने में पास किया गया था। जिसके बाद से यह बिल एक अधिनियम बन गया था। इस अधिनियम के तहत ब्रिटिश सरकार भारत के किसी भी नागरिक को देशद्रोह के शक के आधार पर गिरफ्तार कर सकती थी। और उस व्यक्ति को बिना किसी जूरी के सामने पेश किए जेल में डाल सकती थी। इसके अलावा पुलिस उसे 2 साल तक बिना किसी जांच के हिरासत में रख सकती थी।
इस अधिनियम के द्वारा ब्रिटिश सरकार भारतीयों को काबू में रखना चाहती थी, जिससे देश के अंदर आजादी के लिए चल रहे सभी आंदोलन खत्म हो सके। इस अधिनियम का महात्मा गांधी सहित कई नेताओं ने विरोध किया। तथा इसके लिए सत्याग्रह आंदोलन छेड़ दिया।
सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत
सन 1919 में भारत के अमृतसर में भी इस सत्याग्रह आंदोलन के तहत राॅलेक्ट एक्ट का विरोध किया गया। जिसमें काफी भारतीयों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था। 9 अप्रैल को सरकार ने पंजाब से ताल्लुक रखने वाले दो नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। इन नेताओं के नाम डॉक्टर सैफुद्दीन किचलू तथा डॉक्टर सत्यपाल था। इन दोनों नेताओं को गिरफ्तार करने के बाद ब्रिटिश पुलिस ने उन्हें अमृतसर के धर्मशाला में नजरबंद कर दिया था।
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जलियांवाला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh Massacre in Hindi) | इन दोनों के काफी लोकप्रिय होने के कारण जनता इनकी रिहाई के लिए 10 अप्रैल1919 को डिप्टी कमिश्नर मिल्स इर्विन से मिलना चाहती थी लेकिन डिप्टी कमिश्नर ने मना कर दिया जिसकी वजह से जनता में आक्रोश काफी बढ़ गया। जिनके बाद गुस्साए लोगों ने रेलवे स्टेशन तार विभाग सहित कई सरकारी दस्तावेजों को जला दिए जिससे सरकारी कामकाज में काफी दिक्कत आई। तथा इस हिंसा में तीन अंग्रेजों की मौत हो गयी। इन हत्याओं से सरकार काफी नाराज़ थी।
Jallianwala Bagh Massacre (Hindi) | जब अमृतसर की जिम्मेदारी जनरल डायर को सौंपी गई
अमृतसर के बिगड़ते हालात को ध्यान में रखते हुए वहां की बागडोर डिप्टी कमिश्नर मिल्स इरविन से ब्रिगेडियर जनरल आर. ई. एच. डायर को सौंपा दी गई। 11 अप्रैल से ही जनरल डायर ने अमृतसर के हालातों को काबू करना शुरू कर दिया। पंजाब राज्य के हालातों को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने राज्य के कई शहरों में मार्शल लॉ लगा दिया। इस लॉ के तहत नागरिकों पर उनकी स्वतंत्रता और सार्वजनिक समारोह पर प्रतिबंध लगा दिया था। मार्शल लॉ के तहत जहां पर भी 3 से ज्यादा लोग इकट्ठे नजर आते उन्हें जेल में बंद कर दिया जाता था। ब्रिटिश सरकार का मकसद इस लाॅ के द्वारा क्रांतिकारियों की गतिविधि व उनकी सभाओं पर प्रतिबंध लगाना था, ताकि क्रांतिकारी उनके खिलाफ कोई षड्यंत्र ना रच सके।
आखिर जलियांवाला बाग की घटना की क्या है सच्चाई
जलियांवाला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh Hatyakand) | 12 मार्च सन 1919 में अमृतसर के दो लोकप्रिय नेताओं को गिरफ्तार कर लिया था। इन नेताओं के नाम चौधरी गुगामल और महाशय रतनचंद था। इन नेताओं की गिरफ्तारी से जनता काफी आक्रोशित हो गई जिसके चलते वहां के हालात और बिगड़ने लगे।
जलियांवाला बाग हत्याकांड कब, कैसे और कहां हुआ?
13 अप्रैल सन 1919 – यह दिन भारतीय इतिहास में बहुत ही दर्दनाक और शर्मनाक घटना थी जिसमें हजारों लोग शहीद हो गए।
13 अप्रैल सन 1919 में जलियांवाला बाग में काफी संख्या में लोग इकट्ठे हुए थे। उस दिन कर्फ्यू लगा था तथा उस दिन पंजाब प्रांत के मुख्य त्योहार बैसाखी का दिन भी था जिसके चलते काफी लोग स्वर्ण मंदिर घूमने के लिए भी आये थे। स्वर्ण मंदिर जलियांवाला बाग के निकट में ही स्थित है अतः लोगों का वहां पर आना स्वभाविक था। इस तरह उस बाग में करीब करीब 20000 लोग मौजूद थे। जिसमें से कुछ लोग अपने प्रिय नेता के लिए शांतिपूर्ण सभा कर रहे थे तथा कुछ लोग अपने परिवार, मित्रों, व बच्चों के साथ घूमने के लिए आए थे। जनरल डायर को भी गुप्त रूप से बाग में हो रही सभा की सूचना मिली थी।
लगभग 4:00 बजे जनरल डायर अपने लगभग डेढ़ सौ के करीब सिपाही लेकर जलियांवाला बाग में पहुंचे। जनरल डायर को लगा कि यह सभा दंगे फैलाने व विरोध प्रदर्शन के लिए हो रही है। उसने आव देखा ना ताव बिना किसी चेतावनी दिए जलियांवाला बाग में उपस्थित सभी लोगों पर अंधाधुंध फायरिंग का आदेश दे दिया। जिसके चलते बच्चे, महिलाओं,व पुरुषों समेत हजारों की संख्या में लोग शहीद हो गए और हजारों घायल हो गए। लगभग 10 मिनट तक गोलियां बरसाता रहा जनरल डायर। वहीं दूसरी ओर गोली से बचने के लिए लोग इधर-उधर भागने लगे किंतु बाग की दीवार लगभग 10 फीट ऊंची होने के कारण नहीं भाग पाए तथा गोलियों से बचने के लिए वहीं पर मौजूद कुएं में बच्चे व महिलाएं कूदने लगे। देखते ही देखते जलियांवाला बाग की जमीन रक्त से लाल हो गयी।
Jallianwala Bagh Hatyakand: कौन है वास्तविक जिम्मेदार जलियांवाला बाग हत्याकांड का?
जनरल डायर के नेतृत्व में इस घटना को अंजाम दिया गया था। जनरल डायर के इस घिनौने कार्य को विश्व के सभी लोग निंदनीय मानते हैं। लेकिन उस समय की ब्रिटिश सरकार के कुछ ऑफिसर डायर के इस निर्णय को सही मानते थे।
जलियांवाला बाग हत्याकांड कमेटी: (Hunter Committee) का गठन
जलियांवाला बाग को लेकर साल 1919 में एक कमीशन का गठन किया गया और इस कमीशन का अध्यक्ष विलियम हंटर को बनाया गया था। हंटर कमेटी का गठन जलियांवाला बाग सहित अन्य घटनाओं की जांच के लिए किया गया था। विलियम हंटर के अलावा इस कमेटी में अन्य सात लोग और भी थे जिनमें से कुछ भारतीय थे। हंटर कमेटी के सभी सदस्यो ने जलियांवाला बाग हत्याकांड के सभी पहलुओं को जांचा और यह पता लगाने की कोशिश की कि जनरल डायर ने जो जलियांवाला बाग हत्याकांड किया था वह सही था या गलत।
Read in English | The Jallianwala Bagh Hatyakand (Massacre) Ousted Barbarous Britain From India
19 नवंबर सन् 1919 में हंटर कमीशन द्वारा जनरल डायर की सभी अपीलो व दलीलों को ध्यान में रखकर उसके अपराधों की जांच पड़ताल शुरू हुई। 8 मार्च 1920 को कमीशन ने अपनी रिपोर्ट को सार्वजनिक किया। 23 मार्च 1920 को जनरल डायर को दोषी करार देते हुए उसको सेवानिवृत्त किया गया।
Jallianwala Bagh Hatyakand: कैसे हुई डायर की मृत्यु?
ऐसा कहा जाता है कि इस जघन्य नर-संहार के बाद जनरल डायर एक भी रात चैन से नहीं सो सका. उसका स्वास्थ्य लगातार दिन प्रतिदिन खराब होता गया। बाद में उसे लकवा मार गया जिससे वह मरते दम तक नहीं उबर पाया. 23 जुलाई, 1927 को ब्रिस्टल में जनरल डायर की मृत्यु हो गई.
Jallianwala Bagh Massacre Quotes in Hindi |(जलियांवाला बाग हत्याकांड उद्धरण)
- अंग्रेजों के उत्पीड़न से ग्रसित, मैं वही अनुराग हूँ । शहीदों के रक्त से सिंचित, मैं जलियाँवाला बाग हूँ ।।
- जलियांवाला बाग अमर बलिदानों की कहानी है, मर मिटेंगी कई कहानियां | मगर इतिहास में जलियाँवाला बाग दर्द की निशानी है||
- वो भी एक ज़माना था, किसने किसको पहचाना था | हुई थी रक्त से मिट्टी लाल, तब देश ने अंग्रेजो को जाना था||
- कण-कण फिर बोल उठेगा मैं किस आहुति का किस्सा हूँ ,जब उठेगा गुस्सा सीने में हवा भी बोल पड़ेगी मैं जलियावाला बाग का किस्सा हूँ||
- यही से हुई थी अंग्रेजो की सल्तनत की अंत की शुरुआत। जलियांवाला बाग में हुआ था मानवता का सबसे बड़ा अपराध।।
इस हत्याकांड की घटना में कितने लोग शहीद हुए
जलियांवाला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh Hatyakand): ब्रिटिश सरकार के मुताबिक इस हत्याकांड में केवल 379 लोग ही मारे गए थे जबकि वास्तविक रूप में यह गिनती ज्यादा मानी जाती है। जिसमें बच्चे, महिला व पुरुष शामिल थे। 1000 से ज्यादा लोग शहीद हुए तथा हजारों घायल हुए थे लगभग 100 लोग कुएं से बरामद हुए थे। जिसमें से 7 हफ्ते का एक मासूम बच्चा भी था। इस घटना के चलते रविंद्र नाथ टैगोर ने भी 1915 में दी गयी नाइटहुड की उपाधि वापस कर दी थी।
किस परमात्मा की भक्ति से हम सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो सकते है?
पूर्ण परमात्मा कबीरदेव जी है जो पूर्णशांति दायक तथा मोक्ष दायक है। वे अपने साधकों के पाप को नाश कर देते है। यही प्रमाण यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में भी दिया गया है।
उशिगसी कविरंघारिसि बम्भारिसि..
उशिगसी = (सम्पूर्ण शांति दायक) कविरंघारिसि = (कविर्) कबिर परमेश्वर (अंघ) पाप का (अरि) शत्रु (असि) है अर्थात् पाप विनाशक कबीर है। बम्भारिसि = (बम्भारि) बन्धन का शत्रु अर्थात् बन्दी छोड़ कबीर परमेश्वर (असि) है।
पृथ्वी पर जितने भी संत हुए हैं उन सभी संतों ने इस बात को विशेष रूप से कहा है कि मानव जीवन दुर्लभ है। यह बार-बार नहीं मिलता। कबीर परमेश्वर जी ने भी चारों युग में संत रूप में प्रकट होकर अधर्म तथा पाखंडवाद का नाश किया है। तथा मनुष्य को उसके मनुष्य जीवन की सार्थकता को अपने ज्ञान से समझाया है। कबीर परमेश्वर जी कहते हैं:-
मानुष जीवन पाए कर, जो रटे नहीं हरि नाम।
जैसे कुआं जल बिना, बनवाया क्या काम।।
मानुष जीवन दुर्लभ है, मिले ना बारंबार।
तरुवर से पत्ता टूट गिरे, फिर बहुर ना लगता डार।।
अतः जब तक हमे तत्वज्ञान नहीं होता तब तक हम अपना मूल उद्देश्य भूल कर सांसारिक संपत्ति जोड़ने में न जाने कितने पाप कर्म कर बैठते है, आज से वर्तमान समय में पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी, आज वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज के रूप में प्रकट हैं। संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेने मात्र से ही शारीरिक मानसिक व आर्थिक सभी प्रकार के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है तथा पूर्ण मोक्ष भी प्राप्त होता है। इस अमूल्य अवसर को ना चूंके। संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित पवित्र पुस्तक “जीने की राह” जरूर पढ़ें तथा संत रामपाल जी महाराज एप्प डाउनलोड कर अपने धर्म ग्रंथों के गूढ़ रहस्य को समझें तथा अपने व अपने परिवार का कल्याण कराएं ।
FAQ About Jallianwala Bagh Hatyakand [Hindi]
जलियांवाला बाग हत्याकांड 13 अप्रैल 1919 में हुआ।
जलियांवाला बाग हत्याकांड जलियांवाला बाग, अमृतसर, पंजाब में हुआ।
जलियांवाला बाग हत्याकांड में गोली चलाने का आदेश ब्रिगेडियर जनरल डायर ने दिया था।
जलियांवाला बाग हत्याकांड के समय पंजाब का गवर्नर माइकल ओ डायर (Michael O Dyer) था।
जनरल डायर को अमृतसर के कसाई के नाम से जाना जाता है।
1919 में ही जलियांवाला बाग कांड से दुखी होकर रविंद्रनाथ टैगोर ने नाइटहुड की उपाधि लौटा दी थी।
ब्रिटिश सरकार के मुताबिक इस हत्याकांड में केवल 379 लोग ही मारे गए थे। जिसमें बच्चे, महिला व पुरुष शामिल थे। 1000 से ज्यादा लोग शहीद हुए तथा हजारों घायल हुए थे लगभग 100 लोग कुएं से बरामद हुए थे।