November 23, 2024

भगवान के संविधान के अनुसार मनुष्य जीवन में सतभक्ति रूपी नशा ही सर्वाधिक आवश्यक

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वर्तमान समय में शराब ऐसी दीमक बन गयी है जो मानव समाज को अंदर ही अंदर खाये जा रही है शराब से सिर्फ शराबी पर दुष्प्रभाव नहीं पड़ता, अपितु शराब का दुष्प्रभाव शराबी के परिवार, समाज व सम्पूर्ण राष्ट्र पर पड़ता है। आये दिन शराब के सेवन के कारण लोगों के काल का ग्रास बनने की खबरें सुनने में आती रहती हैं। आज के इस दौर में पाश्चात्य संस्कृति के कारण शराब का प्रचलन इस हद तक बढ़ गया है कि लोगों में अब मर्यादा का तृण मात्र भी शेष नहीं रहा, शराब समाज के लिए वह कोढ़ का रोग है जिसके कारण बसे-बसाए परिवार उजड़ जाते हैं। भारत देश को युवाओं का देश कहा जाता है, परंतु आज का युवा शराब जैसे नशे के चंगुल में फंस चुका है वह दृश्य अत्यंत वेदनीय है। पर वहीं दूसरी ओर सन्त रामपाल जी महाराज सम्पूर्ण विश्व के लिए एक आशा की किरण के रूप में उभरे हैं।

सन्त रामपाल जी महाराज के सानिध्य में आज कई परिवारों को पुनः जीवनदान मिला है उजड़े हुए परिवार पुनः एकसाथ व खुशहाल जीवन जी रहे हैं। सन्त रामपाल जी महाराज अपने अनमोल ज्ञान तथा अद्वितीय विचारधारा से सर्व प्रकार के नशे को इस संसार से कोसों दूर भगा रहे हैं और पुनः शांतिपूर्ण वातावरण स्थापित कर रहे हैं। निश्चितरूप से सन्त रामपाल जी महाराज एक सच्चे समाजसुधारक व विश्व हितैषी सन्त हैं जो अपनी अनमोल कल्याणकारी विचारधारा से सर्व दुर्व्यसनों से मुक्त मानव समाज का निर्माण कर रहे हैं।

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सतभक्ति से छूट जाते हैं शराब जैसे दुर्व्यसन भी

सतगुरु अर्थात पूर्ण सन्त के द्वारा दी हुई सतभक्ति को करने से ही सर्व व्यसन अपने आप छूट जाते हैं। पवित्र शास्त्रों में भी यही वर्णन है।

व्रतेन दीक्षाम् आप्नोति दीक्षया आप्नोति दक्षिणाम्।
दक्षिणा श्रद्धाम् आप्नोति श्रद्धया सत्यम् आप्यते।।

यजुर्वेद अध्याय 19 मन्त्र 30 में वेद ज्ञान दाता ने स्वयं कहा है कि पूर्ण सन्त उसी व्यक्ति को शिष्य बनाता है जो सदाचारी रहे। अभक्ष्य पदार्थों का सेवन व नशीली वस्तुओं का सेवन न करने का आश्वासन देता है अर्थात सर्व प्रकार के नशे का जीवन पर्यन्त त्याग कर दे। वर्तमान समय में सन्त रामपाल जी महाराज जी ने सभ्य मानव समाज से नशा नामक जहर को हमेशा के लिए निकाल फेंकने की जो मुहिम छेड़ी है, यह मुहिम समाज के लिए एक वरदान सिद्ध हो रही है और आज लाखों परिवार सन्त रामपाल जी के आभारी हैं क्योंकि सन्त रामपाल जी महाराज जी के कारण ही उनका नशा छूटा तथा मनुष्य जीवन को एक उचित मार्ग मिला।

शराब कर देती है अनमोल मानव देह का सर्वनाश

शराब मानव जीवन बर्बाद करती है। इस बारे में परमात्मा कबीर साहेब जी कहते हैं-

भांग तम्बाकू छोतरा, आफू और शराब।
गरीबदास कौन करे बंदगी, ये तो करें खराब।।

शराब भक्ति का नाश करती है। इसे त्यागने में ही भलाई है। शराब गृह क्लेश को जन्म देती है व आर्थिक, शारीरिक, सामाजिक बदहाली अपने साथ लेकर आती है। इससे दूरी रखना ही समझदारी है।

आइये रूबरू कराते हैं ऐसी ही एक सत्य घटना से- कैसे एक उजड़ा हुआ परिवार पुनः बसा

यह घटना काल्पनिक नहीं है यह सत्य घटना पर आधारित है प्रियपाठगणों से निवेदन है कि इस सत्य घटना का अवश्य अध्ययन करें कि पूर्ण सन्त रामपाल जी महाराज जी के अनमोल सत्संग से कैसे एक “शराबी” का अनमोल मानव जीवन पुनः खुशहाल हुआ तथा उस शराबी व्यक्ति के परिवार के ऊपर से दुःखों का पहाड़ कैसे छटा।

संक्षिप्त में समझें इस सत्य घटना के कुछ पहलुओं से

इस सत्य घटना का मुख्य पात्र रमेश है जो गलत संगत में पढ़कर या गलत विचारों के सम्पर्क में आने से बहुत अधिक शराब का सेवन करता है और आये दिन घर पर पत्नी (पुष्पा) व बच्चों(बेटी-राधिका, बेटा-शिवा) के साथ मारपीट करता है रमेश का शराब का खर्च इतना ज्यादा हो जाता है कि परिवार का गुजर-बसर भी दुर्लभ हो जाता है, रमेश के बेटे (शिवा) को विद्यालय में दोस्तों के व गली-मोहल्ले में पड़ोसियों के ताने भी सुनने पड़ते हैं कि तेरा बाप शराबी है इन तानों से व्यथित होकर रमेश का बेटा (शिवा) रोता है तथा इन तानों को रमेश का बेटा (शिवा) अपनी मां पुष्पा को सुनाता है। तभी रमेश की बेटी (राधिका) आ जाती है जो अपनी मां से विद्यालय का शुल्क देने को कहती है, परन्तु घर की आर्थिक स्थिति देखकर परिवार के सदस्य (रमेश की पत्नी, पुत्र, पुत्री) अपनी दुखभरी दास्तां पर बिलखते हैं और रमेश के पुत्र-पुत्री(शिवा-राधिका) को रमेश की पत्नी (पुष्पा)व उन बच्चों की मां (पुष्पा) दिलासा दिलाती है कि भगवान ने चाहा तो तुम्हारे पिताजी सुधर जाएंगे।

रमेश ने अपने दोस्तों के साथ शराब पीने में अपना सारा पैसा खर्च कर दिया। परिवार और स्कूल की फीस के गुजर-बसर को पूरा करने के लिए, पुष्पा कपड़े सिलाई करती है। एक दिन पुष्पा की पड़ोसी नीलम उसके कपड़े मांगने आई। नीलम संत रामपाल जी की अनुयायी थी। तभी पुष्पा अपनी स्थिति से परेशान होकर आत्महत्या करने की नीलम से कहती है तभी नीलम पुष्पा को समझाती थी कि आत्महत्या करना या घर छोड़ना इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं है। आत्महत्या करना जघन्य पाप है। बाद में उसने पुष्पा को सत्संग के दौरान उसके साथ संत रामपाल जी आश्रम जाने के लिए मना लिया। सत्संग (आध्यात्मिक प्रवचन) में हर पहलू पर स्पष्टीकरण दिया गया है। सबसे पहले, भगवान की सत-भक्ति करने और उसे न करने के नुकसान के बारे में बताया गया है।

Read in English: For Intoxication-free Society, Must Watch the Real Story of Sharabi 


रमेश की पत्नी (पुष्पा) सत्संग में चली जाती है और रमेश को इस बात का पता लग जाता है तो रमेश, पुष्पा से ऐसी जगहों पर जाने के लिए मना करता है व उसके साथ दुर्व्यवहार व मारपीट करता है और उसे अगली बार नहीं जाने के लिए स्पष्ट रूप से चेतावनी देता है, परन्तु पुष्पा सन्त रामपाल जी महाराज जी के अनमोल सत्संग प्रवचनों से इतनी अधिक प्रभावित होती है कि वह रमेश के सख्त मना करने पर भी अगली बार अपने बच्चों (शिवा-राधिका) को भी सत्संग में साथ ले जाती है, तो इस बार रमेश ने उनका पीछा करता है। यह भगवान की इच्छा थी; वह सत्संग में गए और संत रामपाल जी के उपदेश को भी सुना।
जब सत्संग में सन्त रामपाल जी महाराज अपनी अनमोल वाणी में कहते हैं कि-:

गरीब, नर सेती तू पशुवा कीजै, गधा बैल बनाई।
छप्पन भोग कहाँ मन बोरे, कुरड़ी करने जाई।।

अर्थात मानव शरीर छूट जाने के पश्चात भक्ति हीन तथा शुभ कर्म हीन होकर जीव गधे-बैल आदि की योनियों को प्राप्त करेगा। फिर मानव शरीर वाला आहार नहीं मिलेगा। गधा बनकर कुरड़ी (कूड़े के ढेर) पर गन्द खायेगा। बैल बनकर नाक में नाथ (एक रस्सी) डाली जाएगी। रस्से से बंधा रहेगा, प्यास लगने पर न पानी मिलेगा और न भूख लगने पर खाना खा सकेगा।

इन अनमोल प्रवचनों को सुनकर रमेश पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है तथा फिर वह घर चला जाता है और एक दिन शराब के नशे में वह सन्त रामपाल जी महाराज के सत्संग को पुनः सुनता है सत्संग में सन्त रामपाल जी महाराज जी बताते हैं मनुष्य जीवन बेवजह बर्बाद करने के लिए नहीं बल्कि पूर्ण परमात्मा कविर्देव जी की सद्भक्ति करने के लिए मिलता है क्योंकि श्रीमद्भागवत गीता जी में गीता ज्ञान दाता ने स्वयं कहा है कि मनुष्य देह का मुख्य उद्देश्य तत्वदर्शी सन्त से पूर्ण परमात्मा की सद्भक्ति प्राप्त कर अपना कल्याण कराना है अन्यत्र नहीं। सन्त रामपाल जी महाराज जी के इन अमृत प्रवचनों को सुनकर रमेश सारी महंगी से महंगी शराब की बोतलों को तोड़ देता है व जीवन पर्यंत शराब न सेवन करने का प्रण लेता है। तथा वह सन्त रामपाल जी महाराज से बिना समय व्यर्थ गंवाएं सम्पूर्ण परिवार सहित नाम दीक्षा लेता है। रमेश अपने मित्रों को भी शराब छोड़ने की कहता है तथा सन्त रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेने की कहता है रमेश की बेटी राधिका रमेश के दोस्तों को सन्त रामपाल जी महाराज जी द्वारा हस्तलिखित पवित्र पुस्तक “जीने की राह” देती है।

इस सत्य घटना को विस्तार से सुनने व देखने के लिए सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल विजिट करें और जानें कि कैसे एक शराबी निकला शराब के नशे से बाहर व उजड़ा हुआ परिवार पुनः कैसे हुआ खुशहाल। ऐसे एक नहीं ढेरों उदाहरण हैं जो पूर्ण परमात्मा कविर्देव जी की शुभाशीर्वाद से व सन्त रामपाल जी महाराज जी के अद्वितीय ज्ञान तथा सद्भक्ति से पुनः खुशहाल हुए हैं।

नशा करता है सर्वनाश – सन्त रामपाल जी महाराज

नशा चाहे शराब, सुल्फा, अफीम, हीरोइन आदि-आदि किसी का भी करते हो, यह आपके सर्वनाश का कारण बनेगा। नशा सर्वप्रथम तो इंसान को शैतान बनाता है। फिर शरीर का नाश करता है। शरीर के चार महत्वपूर्ण अंग हैं-: 1. फेंफड़े 2.जिगर (लीवर) 3.गुर्दे (किडनी) 4. हृदय। शराब सर्वप्रथम शरीर के इन चारों अंगों को खराब करती है। इसलिये इनको तो गांव-नगर में भी नहीं रखें, घर की तो बात ही क्या। सेवन करना तो दूर, सोचना भी नहीं चाहिए।

आइये एक नजर डालते हैं शराब के जहरीले व दर्दनाक आंकड़ों पर

आये दिन शराब पीने से लोगों की मौत की खबरों का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। दिन-प्रतिदिन शराब के प्रति मोह लोगों के लिए काल बन रहा है। हाल ही मध्यप्रदेश के उत्तरी जिला मुरैना में शराब के सेवन से 27 लोगों ने अपनी जान गवां दी है।

2016 में 2.6 लाख भारतीय बने शराब के सेवन के कारण काल का ग्रास!

  • WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के मुताबिक भारत में सालाना 2.6 लाख भारतीय शराब से होने वाली लीवर की बीमारियों और हादसों में मारे जाते हैं। शराब के चलते सर्वाधिक मौत सड़क हादसों में होती हैं। 2016 में करीब 1 लाख लोग शराब के प्रभाव में वाहन चलाते वक्त मारे गए।
  • जबकि 30 हजार ऐसे रहे, जिन्हें शराब के कारण कैंसर हुआ था। सबसे ज्यादा लोग शराब के कारण लीवर में होने वाली बीमारियों में मारे जाते हैं। 2016 में करीब 1.4 लाख ऐसे मामले रहे, जिसमें लोग लीवर फेल होने के कारण मारे गए।

कितनी शराबी है दुनिया?

दुनिया में औसतन एक आदमी रोजाना 33 ग्राम शराब पीता है। इसका मतलब रोजाना करीब 2 ग्लास (150 ml) वाइन या बीयर (750 ml) की बोतल के बराबर। दुनिया में एक क्वार्टर यानि 27% से ज्यादा लोग शराब पीते हैं। इनकी उम्र 15 से 19 साल के बीच है। इस वर्ग के सबसे ज्यादा 44% यूरोपीय, 38% अमेरिकी और 38% पश्चिमी पैसेफिक के युवा शराब पीते हैं। स्कूल के सर्वे से फैक्ट सामने आया कि कई देशों में 15 साल से कम उम्र बच्चे शराब पीने लगते हैं।

शराब के कारण 200 से अधिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं

शराब पीने की वजह से लिवर सिरॉसिस और कई तरह के कैंसर समेत 200 से ज्यादा स्वास्थ्य संबंधी बीमारियां होती हैं। वैश्विक तौर पर वर्ष 2016 में शराब से जुड़ी मौतों का आंकड़ा करीब 30 लाख था। यह इस संबंध में अब तक का सबसे नया आंकड़ा है। अपनी रिपोर्ट में WHO ने कहा कि करीब 23.7 करोड़ पुरुष और 4.6 करोड़ महिलाएं ऐल्कॉहॉल से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इनमें ज्यादातर यूरोप और अमेरिका में रहने वाले हैं। यूरोप में प्रति व्यक्ति शराब की खपत पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा है।

दुनिया में बढ़ता ड्रिंक का कल्चर

एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में 2.3 अरब लोग शराब पीते हैं। इनमें से आधी से ज्यादा आबादी दुनिया के सिर्फ तीन हिस्सों में मौजूद है। यूरोप में सबसे ज्यादा प्रति व्यक्ति शराब की खपत है। एक अनुमान के मुताबिक आने वाले सालों में विश्व में शराब की खपत बढ़ेगी। खासकर दक्षिण-पूर्वी एशिया, पश्चिमी पैसेफिक क्षेत्र और अमेरिका में।

शराब के सेवन से शरीर बन जाता है रोगों की खान

लीवर पर शराब का कहर

हाइडेलबर्ग यूनिवर्सिटी के रिसर्चर हेल्मुट जाइत्स के मुताबिक, “लीवर पहला मुख्य स्टेशन है‌। इसमें ऐसे एन्जाइम होते हैं जो अल्कोहल को तोड़ सकते हैं।” यकृत यानी लीवर हमारे शरीर से हानिकारक तत्वों को बाहर करता है। अल्कोहल भी हानिकारक तत्वों की श्रेणी में आता है। लेकिन यकृत में पहली बार पहुंचा अल्कोहल पूरी तरह टूटता नहीं है। कुछ अल्कोहल अन्य अंगों तक पहुंच ही जाता है।

जाइत्स कहते हैं, “यह पित्त, कफ और हड्डियां तक पहुंच जाता है, यहां पहुंचने वाला अल्कोहल कई बदलाव लाता है।” अल्कोहल कई अंगों पर बुरा असर डाल सकता है या फिर 200 से ज्यादा बीमारियां पैदा कर सकता है।

सिर (मस्तिष्क) पर शराब का धावा

बहुत ज्यादा अल्कोहल मस्तिष्क पर असर डालता है। फैसला करने की और एकाग्र होने की क्षमता कमजोर होने लगती है।

लेकिन ज्यादा मात्रा में शराब पीने से इंसान बेसुध होने लगता है। उसमें निराशा का भाव और गुस्सा बढ़ने लगता है। और यहीं मुश्किल शुरू होती है। 2012 में दुनिया भर में शराब पीने के बाद हुई हिंसा या दुर्घटना में 33 लाख लोगों की मौत हुई, यानी हर 10 सेकेंड में एक मौत।

अल्कोहल को मस्तिष्क तक पहुंचने में छह मिनट लगते हैं। जाइत्स इस विज्ञान को समझाते हैं, “एथेनॉल अल्कोहल का बहुत ही छोटा अणु है। यह खून में घुल जाता है, पानी में घुल जाता है। इंसान के शरीर में 70 से 80 फीसदी पानी होता है। इसमें घुलकर अल्कोहल पूरे शरीर में फैल जाता है और मस्तिष्क तक पहुंच जाता है।”

सिर में पहुंचने के बाद अल्कोहल दिमाग के न्यूरोट्रांसमीटरों पर असर डालता है। इसकी वजह से तंत्रिका तंत्र का केंद्र प्रभावित होता है। अल्कोहल की वजह से न्यूरोट्रांसमीटर अजीब से संदेश भेजने लगते हैं और तंत्रिका तंत्र भ्रमित होने लगता है।

कभी कभी इसका असर बेहद घातक हो सकता है। कई सालों तक बहुत ज्यादा शराब पीने वाले इंसान के शरीर में जानलेवा परिस्थितियां बनने लगती हैं, “ऐसा होने पर विटामिन और जरूरी तत्वों की आपूर्ति गड़बड़ाने लगती है, इनका केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में अहम योगदान होता है।” उदाहरण के लिए दिमाग को विटामिन बी1 की जरूरत होती है। लंबे समय तक बहुत ज्यादा शराब पीने से विटामिन बी1 नहीं मिलता और वेर्निके-कोर्साकॉफ सिंड्रोम पनपने लगता है, “दिमाग में अल्कोहल के असर से डिमेंशिया की बीमारी पैदा होने का खतरा बढ़ने लगता है।”

शराब से हैं दूसरे औऱ भी शारीरिक खतरे

मुंह और गले में अल्कोहल, कफ झिल्ली को प्रभावित करता है, भोजन नलिका पर असर डालता है। लंबे वक्त तक ऐसा होता रहे तो शरीर हानिकारक तत्वों से खुद को नहीं बचा पाता है। इसके दूरगामी असर होते हैं। जाइत्स के मुताबिक पित्त संक्रमण का शिकार हो सकता है, “हम अक्सर भूल जाते हैं कि ब्रेस्ट कैंसर और आंत के कैंसर के लिए अल्कोहल भी जिम्मेदार है।” लीवर में अल्कोहल के पचते ही हानिकारक तत्व बनते हैं, जो लीवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं। जर्मनी में हर साल करीब 20 से 30 हजार लोग लीवर सिरोसिस से मरते हैं।

जाइत्स चेतावनी देते हुए कहते हैं, “लीवर में अल्कोहल के पचते ही लोग सोचते हैं कि जहर खत्म हो गया लेकिन ये आनुवांशिक बीमारियां भी पैदा कर सकता है।”

सर्व व्यसनों से मुक्ति पाने हेतु आज ही निःशुल्क नामदीक्षा प्राप्त करें

प्रिय पाठकजनों से निवेदन है की सन्त रामपाल जी महाराज ही इस पृथ्वीलोक (मृत्युलोक) में पूर्ण सन्त रूप में आये हुए हैं जिनके द्वारा दी हुई सद्भक्ति से ही सर्व सुख व पूर्ण मोक्ष सम्भव है अतः आज ही सन्त रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम दीक्षा प्राप्त करें। उनसे नाम दीक्षा लेने से शराब आदि का नशा जहर की तरह प्रतीत होने लगता है और कोई मूर्ख ही जहर का सेवन करेगा। संत रामपाल जी महाराज बताते है कि

जैसे किरका जहर का रंग होरी हो,
कहो कौन तिस खावे राम रंग होरी हो।।

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