Last Updated on 21 June 2022, 5:45 PM IST | International Yoga Day in Hindi: प्रतिवर्ष योग 21 जून अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस जे रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष भी यह विभिन्न कार्यक्रमों के साथ थीम के तहत मनाया जायेगा। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2022 की थीम (Theme) “Yoga For Humanity” या “मानवता के लिए योग” है इसी थीम के तहत पूरे विश्व में योग दिवस मनाया जायेगा। जानें योग से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य।
कब है अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day 2022)?
हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को मनाया जाएगा। इस बार जन-समूहों के साथ साथ वर्चुअल, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक, टि्वटर, इंस्टाग्राम के माध्यम से भी योग दिवस का आगाज़ किया जाएगा।
कब से शुरू हुआ था योग दिवस मनाना?
27 सितंबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में योग दिवस को लागू करने की अपील की जिसके बाद अमेरिका ने 123 सदस्यों की बैठक में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
21 जून को ही क्यों मनाया जाता है योग दिवस?
वास्तव में 21 जून को ही योग दिवस मनाने का उद्देश्य यह है कि यह दिन 365 दिनों में सबसे लम्बा दिन होता है। इस दिन सूर्य जल्दी उगता है एवं देर से ढलता है। उत्तरी गोलार्ध पर सूर्य की किरणें सबसे अधिक समय तक पड़ती हैं। इस दिन को ऊर्जावान एवं सकारात्मक माना जाता है और इसी कारण आज के दिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर योग दिस मनाया जाता है।
भारत में पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस कब मनाया गया?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के प्रस्ताव को अमेरिका द्वारा मंजूरी मिलने के बाद सर्वप्रथम 21 जून 2015 को पूरे विश्व में योग दिवस का आयोजन किया गया था।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2022 की थीम (International Yoga Day Theme in Hindi)
International Yoga Day प्रत्येक वर्ष 21 जून को मनाया जाता है और 2022 में भी मंगलवार को मनाया जायेगा। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2022 की थीम (Theme) “Yoga For Humanity” या “मानवता के लिए योग” है। वहीं वर्ष 2021 में इसकी थीम “Yoga For Wellness” व “कल्याण करने के लिए योग है” रखी गई थी। इस वर्ष की थीम पिछले वर्ष से मिलती जुलती ही है। 2020 की थीम थी “Yoga for wellness” या “घर पर योग और परिवार के साथ योग”। थीम योग के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करती है ताकि मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास करते हुए अपने तन और मन को सक्रिय बनाए रखा जा सके।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2022 का योग दिवस कैसे मनाया जाएगा?
प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी विशेष कार्यक्रम के आयोजन के साथ योग दिस मनाया जायेगा। भारत को योग का जनक कहा जाता है। इस वर्ष की थीम भारत के आयुष मंत्रालय द्वारा चुनी गई है। इस वर्ष कर्नाटक राज्य के मैसूर में मुख्य कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे।
International Yoga Day Hindi – पुरातन भारत में कैसा था योग का प्रारूप?
प्राचीन काल से ही हिंदू धर्म के ऋषि, महर्षियों, साधु – संतों द्वारा योग को अपनाया जाता रहा है। हमारे पवित्र वेदों में भी योग का उल्लेख किया गया है। सिंधु घाटी सभ्यता में योग को प्रदर्शित करती हुई मूर्तियों के अवशेष प्राप्त हुए हैं जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि योग लगभग 10,000 वर्ष पूर्व से ही किया जा रहा है। ऋषि, मुनि, साधु प्राय: परमात्मा प्राप्ति के लिए हठयोग किया करते थे लेकिन उन्हें ईश्वर फिर भी नहीं मिलता था।
International Yoga Day Hindi: ऋषभदेव, महावीर जैन, गौतम बुद्ध, चुणक ऋषि, गौरख नाथ व नाथ परंपरा से जुड़े़ सभी ऋषि मुनि, स्वयं शंकर भगवान, ब्रह्मा जी, विष्णु जी और नारद जी, हनुमान जी भी हठयोग किया करते थे। शिव भगवान तो नृत्य क्रियाएं भी किया करते थे। यह सब हठयोग किया करते थे और आज के समय में लोग योगा के विभिन्न आसन शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए करते हैं। योग का प्रयोग शरीर को सुंदर, सुडौल, स्वस्थ और रोगों से दूर रहने के लिए किया जाता है परंतु शरीर को रोगों से बचाने में योग सौ प्रतिशत सफल नहीं रहता।
क्या प्राचीन भारत और नवभारत में योगा का स्वरूप अलग है?
International Yoga Day in Hindi: पहले के समय में योगीजन साफ वातावरण में रहते थे जहां वायु शुद्ध, विचार शुद्ध, खान-पान भी अच्छा और सेहतमंद हुआ करता था। ऐसे वातावरण में शरीर अपने आप ही स्वस्थ रहता था। उस समय लोग शरीर के अंदर रह रही आत्मा के लिए परमात्मा की खोज करते थे ।
वर्तमान में लोगों को परमात्मा की खोज की ज़्यादा ज़रूरत महसूस नहीं हो रही है इसलिए वह शरीर को ठीक रखने में ज़्यादा व्यस्त रहते हैं और योगा/योग करके बिना ईश्वर की मदद लिए स्वयं को स्वस्थ रखना चाहते हैं। परंतु मनुष्य को यह नहीं भूलना चाहिए शरीर परमात्मा ने बनाया है और उसे ठीक रखने का उपाय भी स्वयं परमात्मा ही बता सकते हैं।
योग से अधिक सतभक्ति करना ज़रूरी है
ऐसा माना जाता है कि योग मनुष्य की आयु को बढ़ाता है । योग करने से मनुष्य का मन और आत्मा संतुलित रहती है। लेकिन मात्र शरीर को सुडौल बनाने और मन को कुछ क्षणों के लिए नियंत्रण में रखने से मनुष्य को, शरीर मिलने का उद्देश्य पूरा नहीं होता। योग करने से मनुष्य को मानसिक शांति के साथ-साथ शारीरिक लाभ भी प्राप्त होते हैं जिससे मनुष्य निरोगी और स्वस्थ रहता है परंतु योग करने से परमात्मा प्राप्ति नहीं हो सकती ।
मनुष्य शरीर मिलने का परम उद्देश्य परमात्मा प्राप्ति है
मनुष्य जीवन का उद्देश्य शरीर को स्वस्थ रखते हुए परमात्मा प्राप्ति होना चाहिए क्योंकि परमात्मा प्राप्ति में मनुष्य शरीर बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। परमात्मा की प्राप्ति सतभक्ति करने से ही हो सकती है और सतभक्ति करने से शरीर में कोई भी रोग उत्पन्न नहीं होता। तो ऐसे में मनुष्य को केवल शारीरिक योग पर नहीं बल्कि सतभक्ति युक्त योग करना चाहिए।
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सतभक्ति न करने से 84 लाख योनियों की मार झेलनी पड़ती है। योगा करने से मन को कुछ देर तक तो सांसारिक समस्याओं से दूर किया जा सकता है परंतु पूरे दिन के लिए नहीं। योगा करने के बाद भी मन में अशांति बनी रह सकती है परंतु यदि कोई भी व्यक्ति सतभक्ति करता है तो मन और आत्मा दोनों को सदा प्रसन्नचित और शरीर को दुरुस्त रख सकता है।
गीता अनुसार मनमानी योग साधना करना व्यर्थ बताया है
न, अति, अश्नतः, तु, योगः, अस्ति, न, च, एकान्तम्, अनश्नतः।
न, च, अति, स्वप्नशीलस्य, जाग्रतः, न, एव, च, अर्जुन।।
गीता अनुसार एकान्त में बैठ कर विशेष आसन बिछाकर साधना करना वास्तव में श्रेष्ठ नहीं है। इसलिए (अर्जुन) हे अर्जुन (तु) इसके विपरीत उस पूर्ण परमात्मा को प्राप्त करने वाली (योग) भक्ति (न एकान्तम्) न तो एकान्त स्थान पर विशेष आसन या मुद्रा में बैठने से तथा (न) न ही (अति) अत्यधिक (अश्नतः) खाने वाले की (च) और (अनश्नतः) न बिल्कुल न खाने वाले अर्थात् व्रत रखने वाले की (च) तथा (न) न ही (अति) बहुत (स्वप्नशीलस्य) शयन करने वाले की (च) तथा (न) न (एव) ही (जाग्रतः) हठ करके अधिक जागने वाले की (अस्ति) सिद्ध होती है।
कहीं योग करना, हठयोग करने जैसा तो नहीं है?
सोई सोई नाच नचाइये, जेहि निबहे गुरु प्रेम।
कहै कबीर गुरु प्रेम बिन, कितहुं कुशल नहिं क्षेम॥
कबीर साहिब कहते हैं कि गुरु के प्रेम बिन, कहीं कुशलक्षेम नहीं है। अपने मन – इन्द्रियों को परमात्मा द्वारा बताई सतभक्ति में लगाओ जिससे गुरु के प्रति प्रेम बढ़ता जाए। जगतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी बताते हैं कि हठयोग ( शरीर को ज़बरदस्ती कष्ट देना) करना यह व्यर्थ साधना है। योगा करने से भले ही हम शरीर को कुछ समय के लिए चुस्त कर सकते हैं परंतु यह बीमारी से बचाव का सही रास्ता नहीं है। शरीर को साधने, स्वस्थ रखने और मन, कर्म, इंद्रियों पर नियंत्रण केवल सतभक्ति से किया जा सकता है।
सूरत, निरत, मन, पवन एकमय सतभक्ति से होते हैं
गरीब, स्वांस सुरति के मध्य है, न्यारा कदे नहीं होय,
सतगुरू साक्षी भूत कूं, राखो सुरति समोय,
गरीब, चार पदार्थ उर मे जोवै, सुरति निरति मन पवन समोवै,
सुरति निरती मन पवन पदार्थ, करो ईकतार यार,
द्वादस अंदर समोय ले, दिल अंदर दीदार,
नौका नाम जहाज है बैठो संत विचार
सुरत निरतंर मन पवन से खेवा होवे पार
स्वांस सुरति के मध्य है न्यारा कदे न होऐ
सतगुरू साक्षी भूत को राखो सुरति समोऐ
स्वांसा पारस आदि निशानी जो खोजे सो होऐ दरबानी
चार पदार्थ उर में जोवे सुरती-निरती मन पवन समोवे।।
International Yoga Day 2022 Hindi Quotes
- शब्द सुरति और निरति, ये कहिबे को हैं तीन। निरति लौटि सुरतहिं मिली, सुरति शबद में लीन। यही असली योग है।
- सुरत-शब्द-योग से परमात्मा को प्राप्त करने के लिए सतगुरु, मर्यादा और साधना तीनों जरुरी हैं।
- शास्त्रविधि रहित घोर तप व हठ योग अहंकार और पाखण्ड से युक्त कामना, आसक्ति और बल के अभिमान से युक्त हैं – श्रीमद्भगवत गीता 17:5-6
- शास्त्रविधि त्यागकर मनमाना आचरण करने से न तो सुख प्राप्त होता है, न कार्य सिद्धि, न मोक्ष। अर्थात् हठ योग व्यर्थ है – श्रीमद्भगवत गीता 16:23-24
- योग भारत की ओर से संपूर्ण विश्व को अद्भुत देन है।
गीता में तत्वदर्शी संत की पहचान
सतगुरू जो मंत्र जाप करने को देते हैं उससे मन, आत्मा और शरीर सभी का भला होता है। पवित्र श्रीमदभगवद गीता अध्याय 4 के श्लोक 34 में गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि हे अर्जुन! उस तत्वज्ञान को जो सूक्ष्म वेद में वर्णित है उस ज्ञान को तू तत्वदर्शी संत के पास जाकर समझ वह तत्वदर्शी संत तुझे उस परमात्म तत्व का ज्ञान कराएंगे उस तत्वदर्शी संत से नाम दीक्षा लेकर भक्ति करने से हमें मोक्ष की प्राप्ति होगी। पवित्र गीता अध्याय 15 के श्लोक 4 में भी कहा है कि तत्वज्ञान की प्राप्ति के पश्चात परमेश्वर के उस परमपद की खोज करनी चाहिए जहां जाने के बाद साधक कभी लौटकर इस संसार में नहीं आते अर्थात पूर्ण मोक्ष प्राप्त कर लेते हैं।
जब लग आश शरीर की, मृतक हुआ न जाय |
काया माया मन तजै, चौड़े रहा बजाय ||
जब तक शरीर की आशा और आसक्ति है, तब तक कोई मन को मिटा नहीं सकता। अतएव शरीर का मोह और मन की वासना को मिटाकर, सत्संग रुपी मैदान में विराजना चाहिए। अर्थात शरीर को अधिक सुंदर और हृष्ट-पुष्ट बनाने से कहीं बेहतर है परमात्मा द्वारा दिए ज्ञान को सत्संग में जाकर सुनना और सतभक्ति करके मोक्ष प्राप्त करना।
केते पढ़ी गुनि पचि मुए, योग यज्ञ तप लाय |
बिन सतगुरु पावै नहीं, कोटिन करे उपाय ||
कितने लोग शास्त्रों को पढ़, रट कर और योग व्रत करके ज्ञानी बनने का ढोंग करते हैं, परन्तु बिना सतगुरु के ज्ञान एवं शांति नहीं मिलती, चाहे कोई करोड़ों उपाय करे। मनुष्य जीवन को सफल बनाने के लिए व समस्त बुराइयों व बीमारियों से निदान पाने के लिए तथा सुखमय जीवन जीने के लिए संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा ग्रहण करें।
Really Awesome Info on International Yoga Day
हठयोग से उत्तम है भक्ति योग जो वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज बता सकते हैं गीता में भी तत्वदर्शी संत की शरण में जाने को कहा गया है
हठयोग से उत्तम है भक्ति योग जो वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज बता सकते हैं गीता में भी तत्वदर्शी संत की शरण में जाने को कहा गया है
बहुत अनमोल विचार हैं
योग की इतनी जानकारी नहीं है किसी के पास, लोग ये भूल गए कि योग का मतलब ही आत्मा का परमात्मा से जुड़ना है, और हम इसे बस exercise समझ रहे थे, इतनी सटीक जानकारी के लिए धन्यवाद