Last Updated on 19 November 2022, 11:44 PM IST | कुरुक्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2022 (International Gita Jayanti Mahotsav in Hindi) की प्रशासन ने तैयारियां ज़ोर-शोर के साथ शुरू कर दी हैं। कोरोना महामारी के दो साल बाद यह महोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। 19 नवंबर से 6 दिसंबर तक अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2022 का आयोजन किया जाएगा। इसके अंतर्गत 29 नवंबर से 4 दिसंबर तक मुख्य कार्यक्रम होंगे।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2022 (International Gita Jayanti Mahotsav) मुख्य बिंदु
- अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन 19 नवंबर से 6 दिसंबर 2022 तक किया जा रहा है। इस महोत्सव के मुख्य कार्यक्रम 29 नवंबर से 4 दिसंबर तक चलेंगे।
- अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2022 पर 18 नवंबर को गीता मैराथन भी आयोजित की गई।
- अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2022 के अंतर्गत 4 दिसम्बर को थीम पार्क में 18000 विद्यार्थियों द्वारा वैश्विक गीता पाठ किया जाएगा।
- प्रदेश से 75000 विद्यार्थी तथा देश-विदेश से लाखों गीता प्रेमी एवं श्रद्धालु ऑनलाईन माध्यम से जुड़ेंगे।
- इस बार के गीता महोत्सव में नेपाल पार्टनर देश एवं मध्यप्रदेश पार्टनर राज्य की भूमिका में रहेंगे।
- प्रतियोगिता में विजेता बच्चों, अन्य लोगों और मोटिवेटरों को प्रणाम पत्र व नकद पुरस्कार मिलेगा।
- राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू 29 नवंबर को महोत्सव में मुख्यातिथि रहेंगी।
- इस महोत्सव के दौरान विभिन्न पारंपरिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं जैसे प्रदर्शनियाँ, पुस्तक मेला, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, सेमिनार, स्केचिंग प्रतियोगिता, मैराथन, कला और शिल्प प्रतियोगिता और बहुत कुछ।
- साल 2016 में गीता महोत्सव का नाम बदलकर अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव कर दिया गया था।
- 2019 में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन मॉरीशस, लंदन में हुआ था और इस वर्ष सितंबर में कनाडा में इसका आयोजन किया गया था।
श्रीमद्भगवद्गीता के विषय में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी
- श्रीमद्भगवद्गीता आज से लगभग 5000 वर्ष पूर्व बोली गई थी ।
- श्रीमद भगवत गीता की मूल भाषा संस्कृत है।
- श्रीमद भगवत गीता में 18 अध्याय है। गीता के 18 अध्याय में कुल 700 श्लोक हैं।
- श्रीमद्भगवद्गीता वेदव्यास द्वारा लिखी गई। ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारी चाल्र्स विलकिंस ने पहली बार 1785 में गीता का संस्कृत से अंग्रेजी में अनुवाद किया था।
- श्रीमद्भागवत गीता का ज्ञान काल ब्रह्म ने श्रीकृष्ण के शरीर में प्रेतवश प्रवेश करके बोला था।
- श्रीमद्भगवद्गीता किसी विशेष व्यक्ति पर आधारित नहीं है इसमें पूर्ण मोक्ष का मार्ग है।
- गीता में वर्णित पूजा और साधना की विधि केवल तत्वदर्शी संत ही समझा सकता है।
- गीता, वेद, शास्त्र, उपनिष्द और अन्य धर्मग्रंथों को समझा रहे हैं तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव (IGM 2022) कब है?
इस साल अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव (International Gita Mahotsav) 19 नवंबर से 6 दिसंबर, 2022 तक आयोजित किया जा रहा है। हालांकि गीता जयंती 3 दिसंबर 2022 को मनाई जाएगी।
गीता महोत्सव 2022 मध्यप्रदेश और नेपाल होंगे भागीदार
इस वर्ष इस कार्यक्रम का आयोजन हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले ब्रह्मसरोवर नामक स्थान में किया जा रहा है। इस गीता महोत्सव में इस बार मध्यप्रदेश भागीदार राज्य और नेपाल भागीदार देश की भूमिका में शामिल हो रहे हैं।
कैसे मनाया जाएगा अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2022?
- यह महोत्सव 19 नवंबर से शुरू होगा और 6 दिसंबर तक चलेगा। माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 29 नवंबर को ब्रह्म सरोवर में मुख्य कार्यक्रमों का उद्घाटन करेंगे।
- साथ ही 29 नवंबर को वे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में आयोजित होने वाले तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय गीता सेमिनार का भी उद्घाटन करेंगी।
- सरस और शिल्प मेला का आयोजन भी इस गीता महोत्सव में 19 नवंबर से 6 दिसंबर 2022 तक किया जाएगा।
- इस दौरान ब्रह्मसरोवर तट पर प्रतिदिन भजन संध्या और गीता आरती का आयोजन होगा।
- अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2022 में अजरबैजान, इथियोपिया और वियतनाम जैसे देशों के राजदूत भी शामिल होंगे।
- 4 दिसंबर को 18000 छात्रों सहित ऑनलाइन दर्शकों द्वारा पवित्र गीता जी के श्लोकों का पाठ किया जाएगा।
कुरुक्षेत्र में लड़ा गया था महाभारत यानी पारिवारिक युद्ध
कुरुक्षेत्र में लड़ा गया महाभारत का युद्ध जो कि एक पारिवारिक विश्वयुद्ध था। इस युद्ध में संपूर्ण भारतवर्ष के राजाओं के अतिरिक्त बहुत से अन्य देशों के राजाओं ने भी भाग लिया और सब के सब वीरगति को प्राप्त हो गए। लाखों महिलाएं विधवा हो गईं। इस युद्ध के परिणामस्वरूप भारत से वैदिक धर्म, समाज, संस्कृति और सभ्यता का पतन हो गया। इस युद्ध के बाद से ही अखंड भारत बहुधर्मी और बहुसंस्कृति का देश बनकर खंड-खंड होता चला गया।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2022 पर आयोजित की गईं क्विज़ प्रतियोगिताएं
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2022 (International Gita Jayanti Mahotsav in hindi) को लेकर ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता शुरू की गई है। ऑनलाइन प्रतियोगिता 01 नवंबर से शुरु होकर 18 नवंबर तक चली। इस प्रतियोगिता में पवित्र ग्रंथ गीता और गीता महोत्सव से संबंधित प्रश्न पूछे गये। यह प्रतियोगिता विद्यार्थियों सहित अन्य सभी लोगों के लिए आयोजित की गई। प्रतियोगिताओं के विजेताओं को नगद इनाम देकर पुरस्कृत और प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित भी किया जाएगा।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2022 पर क्यों कराई गई क्विज़ प्रतियोगिता?
International Gita Jayanti Mahotsav (IGM 2022) Quiz : यह प्रतियोगिता श्रीमद्भागवत गीता के प्रति रुचि उत्पन्न करने व जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से आयोजित की गई। इसमें स्वयं भी भाग लें और अन्य को भी प्रेरित करें। विद्यार्थियों के माता-पिता भी इस क्विज में भाग ले सकते हैं। अधिकारियों का मानना है कि इस प्रतियोगिता में भाग लेकर विद्यार्थी न केवल अपने ज्ञान में वृद्धि का अवसर पाएँगे बल्कि जीवन की बहुत सी समस्याओं के समाधान भी पाएंगे।
प्रतियोगिता में पूँछे गए संबंधित प्रश्न?
18 दिनों तक चलने वाली प्रतियोगिता में पूँछे गए सभी सभी प्रश्न महाभारत व पवित्र ग्रंथ गीता से संबंधित रहे। प्रतियोगिता के तहत 18 नवंबर तक रोजाना 5 प्रश्न पूछे गए। क्विज प्रतियोगिता के लिए अधिक से अधिक लोगों को भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने वाले मोटिवेटरों को सम्मानित किया जाएगा। प्रतियोगिता के समापन पर 18 मोटिवेटरों में पहले 3 मोटिवेटरों को 5000, अगले 5 मोटिवेटरों को 3000 और अगले 10 मोटिवेटरों को 1000-1000 रुपये का इनाम के साथ ही प्रशंसा पत्र भी दिए जायेंगे।
इस प्रतियोगिता के समापन पर 55 लोगों को और 35 विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया जाएगा। इन सभी विजेताओं को 1000-1000 रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा, साथ ही सभी विजेताओं को प्रशंसा पत्र भी दिया जाएगा।
क्या गीता ज्ञान श्रीकृष्ण ने दिया था?
श्री कृष्ण जी जो कि विष्णु भगवान का अवतार हैं, इन्हीं के अंदर प्रवेश करके काल भगवान ने श्रीमद भगवत गीता का ज्ञान अर्जुन को दिया था।
काल ब्रह्म कौन है?
गीता अध्याय 3 श्लोक 14-15 में बताया गया है कि काल ब्रह्म अविनाशी परमात्मा से उत्पन्न हुआ और कर्म, ब्रह्म से उत्पन्न हुए और यहीं ब्रह्म यहां नकली ज्ञान फैलाकर हमें अपने वास्तविक घर जाने से रोकता है।
क्या गीता ज्ञान दाता ने स्वयं को नाशवान बताया है?
गीता ज्ञान दाता ने गीता अध्याय 2 श्लोक 12, अध्याय 4 श्लोक 5 व 9 तथा अध्याय 10 श्लोक 2 में अपने आप को नाशवान यानि जन्म-मरण के चक्र में सदा रहने वाला बताया है। गीता ज्ञान दाता ने स्वयं को परम अक्षर पुरुष से उत्पन्न बताया है। गीता अध्याय 3 श्लोक 14 से 15 में स्पष्ट किया है कि मुझ ब्रह्म काल की उत्पत्ति परम अक्षर पुरूष से हुई है। वही परम अक्षर ब्रह्म ही यज्ञों में पूज्य है। (ये ब्रह्म काल ही गीता ज्ञान दाता है)।
गीता ज्ञान दाता ने अपनी भक्ति का मंत्र अध्याय 8 श्लोक 13 में बताया है कि मुझ ब्रह्म की भक्ति का केवल एक ओम (ॐ) अक्षर है। इस नाम का जाप अंतिम श्वांस तक करने वाले को इससे मिलने वाली गति यानि ब्रह्मलोक प्राप्त होता है। गीता अध्याय 8 श्लोक 16 में स्पष्ट किया है कि ब्रह्मलोक में गए साधक भी लौटकर संसार में जन्म लेते हैं।
श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार कैसे होगी मोक्ष की प्राप्ति?
गीता ज्ञान दाता काल भगवान ने अध्याय 15 श्लोक 1 से 4 तथा अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है कि अर्जुन सर्व भाव से उस परमेश्वर की शरण में जा। उसकी कृपा से ही तू परम शांति को तथा सतलोक (शाश्वतम् स्थानम्) को प्राप्त होगा। उस परमेश्वर के तत्व ज्ञान व भक्ति मार्ग को मैं (गीता ज्ञान दाता) नहीं जानता। उस तत्वज्ञान को तत्वदर्शी संतों के पास जाकर उनको दण्डवत प्रणाम कर तथा विनम्र भाव से प्रश्न कर, तब वे तत्वदृष्टा संत आपको परमेश्वर का तत्व ज्ञान बताएंगे। फिर उनके बताए भक्ति मार्ग पर सर्व भाव से लग। (प्रमाण गीता अध्याय 4 श्लोक 34)।
तत्वदर्शी संत की पहचान क्या है?
गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में कहा है कि यह संसार उल्टे लटके हुए वृक्ष की तरह है। जिसकी ऊपर को मूल तथा नीचे को शाखा है। जो इस संसार रूपी वृक्ष के विषय में जानता है वह तत्वदर्शी संत है। गीता अध्याय 15 श्लोक 2 से 4 में कहा है कि उस संसार रूपी वृक्ष की तीनों गुण (रजगुण-ब्रह्मा, सतगुण-विष्णु, तमगुण-शिव) रूपी शाखा है। जो (स्वर्ग लोक, पाताल लोक तथा पृथ्वी लोक) तीनों लोकों में ऊपर तथा नीचे फैली हैं। उस संसार रूपी उल्टे लटके हुए वृक्ष के विषय में अर्थात् सृष्टि रचना के बारे में, मैं इस गीता जी के ज्ञान में नहीं बता पाऊंगा। उसके लिए गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में संकेत किया है जिसमें कहा है कि पूर्ण ज्ञान (तत्वज्ञान) के लिए तत्वदर्शी संत के पास जा, वही बताएंगे। मुझे पूर्ण ज्ञान नहीं है।
तत्वदर्शी संत की प्राप्ति के पश्चात् किस परमेश्वर की खोज करनी चाहिए?
कबीर, अक्षर पुरुष एक पेड़ है, ज्योति निरंजन वाकी डार। तीनों देवा शाखा हैं, पात रूप संसार।।
पवित्र गीता जी में भी तीन प्रभुओं (1. क्षर पुरुष अर्थात् ब्रह्म, 2. अक्षर पुरुष अर्थात् परब्रह्म तथा 3. परम अक्षर पुरुष अर्थात् पूर्णब्रह्म) के विषय में वर्णन है। प्रमाण गीता अध्याय 15 श्लोक 16 व 17, अध्याय 8 श्लोक 3 में है तथा तीन प्रभुओं का एक और प्रमाण गीता अध्याय 7 श्लोक 25 में है जिसमे गीता ज्ञान दाता काल(ब्रह्म) ने अपने विषय में कहा है कि मैं अव्यक्त हूँ। यह प्रथम अव्यक्त प्रभु हुआ। फिर गीता अध्याय 8 श्लोक 18 में कहा है कि यह संसार दिन के समय अव्यक्त(परब्रह्म) से उत्पन्न हुआ है।
फिर रात्रि के समय उसी में लीन हो जाता है। यह दूसरा अव्यक्त हुआ। अध्याय 8 श्लोक 20 में कहा है कि उस अव्यक्त से भी दूसरा जो अव्यक्त(पूर्णब्रह्म) है वह परम दिव्य पुरुष सर्व प्राणियों के नष्ट होने पर भी नष्ट नहीं होता। यहीं प्रमाण गीता अध्याय 2 श्लोक 17 में भी है कि नाश रहित उस परमात्मा को जान जिसका नाश करने में कोई समर्थ नहीं है। अपने विषय में गीता ज्ञान दाता (ब्रह्म) प्रभु अध्याय 4 मंत्र 5 तथा अध्याय 2 श्लोक 12 में कहा है कि मैं तो जन्म-मृत्यु में अर्थात् नाशवान हूँ। वास्तव में वह अविनाशी परमात्मा कबीर साहेब है जो सबके पिता हैं। कबीर परमेश्वर व गीता ज्ञान से जुड़ी सत्य आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप गूगल प्लेस्टोर से Sant Rampal Ji Maharaj App डाऊनलोड करें।
संत रामपाल जी द्वारा किया गया गीता का यथार्थ अनुवाद
संत रामपाल जी महाराज इस विश्व में एकमात्र तत्वदर्शी संत हैं। जिन्होंने श्रीमद्भागवत गीता का यथार्थ अनुवाद “गीता तेरा ज्ञान अमृत, गरिमा गीता की और गहरी नजर गीता में” नामक पुस्तक में किया है। आप सभी से विनम्र निवेदन है गीता के यथार्थ ज्ञान को जानकर संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2022 (International Gita Jayanti Mahotsav in Hindi) FAQ
उत्तर – अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2022, 19 नवंबर से 6 दिसंबर तक मनाया जाएगा।
उत्तर – अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2022, हरियाणा के कुरुक्षेत्र में ब्रह्म सरोवर नामक स्थान पर मनाया जाएगा।
उत्तर – गीता महोत्सव का नाम सन 2016 में बदलकर अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव किया गया।
उत्तर – श्रीमद्भागवत गीता का ज्ञान काल ब्रह्म ने दिया।
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