HomeEventsअंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस 2023 पर जानिए मनुष्य का सच्चा मित्र कौन है?

अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस 2023 पर जानिए मनुष्य का सच्चा मित्र कौन है?

Date:

Last Updated on 30 July 2023 IST | फ्रैंडशिप डे (International Friendship Day 2023 in Hindi) मनाने के पीछे ग्रीटिंग कार्ड बनाने वाली कंपनी का व्यावसायिक लाभ मुख्य उद्देश्य था परंतु दोस्ती के प्रति लोगों में अपनापन और लगाव बना रहे इसके लिए यह दिन मनाया जाने लगा। आइए जानते हैं कब है फ्रैंडशिप डे और कौन हो सकता है हमारा असली फ्रैंड?

मित्र, दोस्त, सखा, दोस्त, साथी, बंधु, सखा, हमदर्द, शुभचिंतक, संगी, मनमीत, फ़्रेंड एक ही शब्द के पर्यायवाची हैं। मित्र का अर्थ है दोस्त जो दोस्ती निभाए। जैसे मौसम साल‌ में पांच बार बदलता है और जलवायु हर स्थान पर रोज़ बदलती है। ऐसे ही मानव दोस्त बनाता और बदलता है। कुछ जिंदगीभर साथ रहते हैं तो कुछ समय के कारण छूट जाते हैं।

बचपन से ही खेल खेल में ही हम दोस्त बनाने लगते हैं। पहली दोस्त हमारी मां होती है और फिर पिता, भाई, बहन, घर में रहने वाला पालतू जानवर, स्कूल में हमारे साथ पढ़ने वाले हमारे सहपाठियों को भी हम अपना पक्का दोस्त बनाते हैं। दोस्त जिंदगी का अहम हिस्सा हैं इनके बिना जीवन अधूरा है। पार्क में, गली में, स्कूल में, साथ में क्रिकेट खेलने वाले दोस्त सब जगह अलग अलग भी हो सकते हैं और कोई एक भी हो सकते है। सड़क पर खड़े होकर सीटी बजा कर दोस्त को उसके घर की बालकनी में बुलाने का मज़ा ही कुछ और होता है। दोस्तों की कंपनी में हम गिरना और गिरकर संभलना, धोखे खाना और दुखों से उबरना सभी कुछ सीख जाते हैं। साइकल से, साथ में स्कूल जाना, ये दोस्त हीं तो हैं जिनके साथ समय कब बीत जाता है पता ही नहीं चलता ।

International Friendship Day Hindi 2023: दोस्त हमारे साथ नर्सरी में साथ पढ़ते है, वे बारहवीं की फैयरवेल में गले मिलकर रोते हैं, हर साल क्लास फोटो का हिस्सा बनते हैं, एक दूसरे की स्कूल शर्ट पर मैसेज लिखते हैं, टिफिन शेयर करते हैं‌। दोस्त के साथ घंटों फोन पर बात करने पर भी समय का पता नहीं चलता जब तक पीछे से मां की डांट वाली आवाज़ न आ जाए कि कब तक फोन पर बात करता रहेगा। अब आ भी जा। खाना भी ठंडा हो गया। दोस्त बनते हैं, छूटते हैं, कई बार यादों में रह जाते हैं पर सच कहूं इनके बिना जीवन अधूरा व फीका है जैसे गोलगप्पे बिना गोलगप्पे का पानी।

मित्रता क्या है?

कहते हैं कि दो लोगों के बीच का आपसी बंधन ही मित्रता कहलाता है। दोस्ती में लोग एक दूसरे का सम्मान, देखभाल, प्रशंसा, चिंता और प्यार करते हैं। कभी-कभी परिवार से बढ़कर दोस्त हमारे काम आते हैं। कई बातें जो हम अपनों को नही बता पाते वह हम दोस्तों को आसानी से बता देते हैं। आप जहां जाते हैं स्वभाववश दोस्त बन ही जाते हैं। दोस्तों के प्रति सौहार्द, प्रेम और मित्रता को समर्पित है अंतरराष्ट्रीय फ्रैंडशिप डे।

फ्रेंडशिप डे 2023 (International Friendship Day in Hindi) कब मनाया जाता है?

अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस इस साल भी 30 जुलाई शनिवार को मनाया गया। बता दें यह दिवस अलग-अलग देशों में अलग-अलग तारीख को मनाया जाता है। भारत में प्रत्येक वर्ष अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस अगस्त माह के पहले रविवार को मनाया जाता है (07 अगस्त, 2023 को भारत में मित्रता दिवस है)। 

अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस क्यों मनाया जाता है और फ्रेंडशिप डे मनाने की शुरुआत कहां से हुई?

  • कहा जाता है कि 1920 के दशक में हॉलमार्क कार्ड के संस्थापक जॉयस हॉल के विचार से फ्रेंडशिप डे की शुरूआत की गयी, जिसे सर्वप्रथम 2 अगस्त 1920 को उन्होंने अपने दोस्तों को ग्रीटिंग कार्ड भेजकर इसे मनाने का प्रस्ताव रखा। लेकिन लोगों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और व्यापार का एक तरीका बताकर इस दिवस को मनाने से नकार दिया।
  • International Friendship Day Hindi: जिसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका (US) कांग्रेस द्वारा इस दिवस को आधिकारिक तौर पर 1935 में पुनः शुरू किया गया और इस दिन को दोस्तों और उनके सम्मान के लिए छुट्टी के रूप में घोषित कर दिया गया। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार प्रथम विश्व युद्ध के दौरान कुछ देशों के बीच अविश्वास और घृणा भाव बढ़ गया था। जिसके बाद से ही इस दिवस को मनाने की शुरूआत की गई।
  • सन 1958 में पहली बार पराग्वे में मित्रता दिवस को ‘अंतरर्राष्ट्रीय मैत्री दिवस’ के रूप में मनाया गया। दक्षिण अमेरिकी देशों के साथ साथ विश्व के अन्य देशों में भी इसकी लोकप्रियता बढ़ती चली गई। शुरुआत में लोग अपने दोस्त के प्रति अपने भावों को स्वयं लिखकर व्यक्त किया करते थे परंतु समय के साथ इसमें बदलाव आया और धीरे धीरे इसका रूप ग्रीटिंग कार्ड ( Greeting Cards) ने ले लिया और वर्तमान में इस दिन लोग अपने मित्रों की कलाई पर फ्रेंडशिप बैंड (Friendship Band ) बांधते हैं। इंटरनेट और सेल फोन जैसे डिजिटल संचार के साधनों ने इस परंपरा को बेहद लोकप्रिय बनाने में मदद की।

मित्रता दिवस (International Friendship Day in Hindi) पर क्या करते हैं दोस्त?

मित्रता दिवस (Friendship Day) पर लोग अपने साथी मित्रों से मिलते हैं और वह एक दूसरे को ग्रीटिंग कार्ड (Greeting Card) देते हैं और हाथों में फ्रेंडशिप बैंड (Friendship Band) बांधते हैं। इस दिन को खास और यादगार बनाने के लिए दोस्त लोग साथ में डिनर (रात्रि भोजन) करना, मित्रों के साथ कहीं घूमने जाना, एक दूसरे को गिफ्ट देना इत्यादि भी करते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस 2023 (International Friendship Day Hindi) की थीम क्या है?

अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस 2023 (International Friendship Day in Hindi) का विषय ‘दोस्ती के माध्यम से मानवीय भावना को साझा करना’ है। दुनिया इस समय कई चुनौतियों, संकटों, धार्मिक विभाजन और नकारात्मकता का सामना कर रही है। साथ ही गरीबी, मंहगाई, हिंसा, मानवाधिकारों का हनन, कई देशों के बीच युद्ध और आतंकवाद जो दुनिया के लोगों के बीच अशांति, असुरक्षा, विकास की कमज़ोर गति और सामाजिक सद्भाव को कमजोर करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस का उद्देश्य दुनिया में शांति और समृद्धि बनाए रखने के लिए दोस्ती को एक मौलिक भावना के रूप में लक्षित करना है। यह देशों के बीच सद्भाव फैलाने में भी मदद करता है।

International Friendship Day पर जानिए सच्चे मित्र की पहचान क्या है?

मित्र शब्द की पवित्रता उसके नाम में ही छिपी हुई है। मित्र यानि हमारा वह साथी जो हर परिस्थिति में हमारे साथ रहे। परस्थितियां बेशक बदलती रहें परंतु उसका अपनापन, प्रेम, मित्रता ज्यों की त्यों रहे। सच्चा मित्र सुख और दु:ख का साथी होता है नि:स्वार्थ और स्वेच्छा से मित्रता के धर्म को निभाता है।

सच्चे मित्र की परख दु:ख और ज़रूरत के समय में आसानी से की जा सकती है, आपके दु:ख में भी जो आपके साथ आपकी मदद के लिये तत्परता के साथ खड़ा रहे वही आपका सच्चा मित्र है । सच्चे मित्र की एक अन्य पहचान यह भी है कि वह आपको कभी भी धोखा नहीं देगा आपके सुख में सुखी और दुख में दुखी होगा।

■ Also Read: International Friendship Day: Who is our True Friend? 

वर्तमान में सच्चा मित्र मिलना दुर्लभ होता जा रहा है ज्यादातर मित्र केवल मतलब के लिये बनते हैं और मतलब पूरा हो जाने पर मित्रता के धर्म को भूलकर मित्रता की मर्यादा को तोड़ देते हैैं ।

मनुष्य का सच्चा मित्र कौन है ?

International Friendship Day Hindi | मनुष्य का सच्चा मित्र पूर्ण परमात्मा होता है जो मनुष्य का दु:ख और सुख दोनों ही परिस्थितियों में बराबर साथ देता है। मित्र शब्द की उपयोगिता इसलिए बनी क्योंकि वेदों में परमेश्वर के लिए मित्र शब्द का प्रयोग किया गया है अर्थात पूर्ण ब्रह्म परमेश्वर कबीर साहिब जी हमारे वो मित्र हैं जिनके लिए मित्र शब्द उत्पन्न हुआ, अर्थात पूर्ण ब्रह्म परमेश्वर कबीर साहेब जी ही हमारे सच्चे मित्र हैं।

सुख में सुमिरन न किया , दुःख में किया जो याद ।

कहत कबीर ता दास की , कौन सुने फ़रियाद ।।

दुःख में सुमिरन सब करे सुख में करै न कोय।

जो सुख में सुमिरन करे दुःख काहे को होय ॥

कबीर जी कहते हैं कि दुःख के समय सभी भगवान को याद करते हैं पर सुख में कोई नहीं करता। यदि सुख में भी भगवान को याद किया जाए तो दुःख हो ही क्यों ? सब कहते हैं अपने दुख को जगजाहिर नहीं करना चाहिए वरना अपने ही मज़ाक उड़ाते हैं। अपने दिल की बात और दिल का हाल तो ऊपर वाले को बताना चाहिए। मतलब साफ है मनुष्य को किसी पर एतबार नहीं। मनुष्य के विश्वास का पात्र केवल पूर्ण परमात्मा होता है जो उसके आंसू पोंछता है, दिल का सब हाल धैर्य से सुनता है और उसका हल भी वही निकाल कर मार्ग दिखाता है, आगे बढ़ने का साहस देता है और कभी धोखा नहीं करता न ही कभी साथ छोड़ कर जाता है।

मनुष्य का असली दोस्त परमात्मा है

परमात्मा में मां, पिता, सखा वाले सभी गुण होते हैं। यही परमात्मा मां के गर्भ में भी हमारी देखभाल करता है, जीवनभर हमारा ख्याल रखता है कभी मां बन कर तो कभी पिता बन कर और कभी दोस्त बन कर।

त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धु च सखा त्वमेव, त्वमेव विद्या च द्रविणम्, त्वमेव सर्वम् मम् देव देव।।

कबीर परमेश्वर सर्व ब्रह्मांडो और सभी प्राणियों को अपनी शब्द शक्ति से उत्पन्न करने के कारण (जन्निता) माता भी कहलाते है तथा पिता और बंधु (मित्र) भी वास्तव में कबीर साहेब जी ही हैं।

कर यारी उस यार से , जो सब यारों का यार ।

सब में बैठा छिप कर , वो सबका सृजनहार ।।

वह जो अविनाशी सर्व का माता-पिता तथा भाई व सखा व जगत गुरु रूप में सर्व को सत्य भक्ति प्रदान करके सतलोक ले जाने वाला, काल की तरह धोखा न देने वाला, सर्व ब्रह्माण्डों की रचना करने वाला कविर्देव (कबीर परमेश्वर) है। ( सतलोक की संपूर्ण जानकारी के लिए देखें साधना चैनल प्रतिदिन शाम 7.30-8.30 बजे।

यदि हम पूर्ण परमात्मा की सुख और दुख में सहज होकर भक्ति करते हैं तो वह पूर्ण परमात्मा हमें हर प्रकार के सुख देता है ।

परमात्मा की पहचान

रहिमन तुम हमसों करी करी करी जो ती

बाढे दिन के मीत हो गाढे दिन रघुबीर ।

International Friendship Day Hindi: कठिनाई के दिनों में मित्र गायब हो जाते हैं और अच्छे दिन आने पर हाजिर हो जाते हैं। केवल प्रभु ही अच्छे और बुरे दिनों में मित्र रहते हैं। परम संत जब धरती पर आते हैं तो मनुष्य को परमात्मा के गुणों से अवगत कराते हैं और परम संत की शरण में जाकर सत्संग सुनने से व्यक्ति परमात्मा की पहचान आसानी से कर सकता है। गीता अध्याय 15 श्लोक 1-4 में परम संत अर्थात तत्त्वदर्शी संत की पहचान बताई गई है। तत्त्वदर्शी संत तत्वज्ञान का उपदेश देते हैं । यह तत्वज्ञान केवल पूर्ण संत रामपाल जी महाराज ही बता रहे हैं। पूर्ण गुरु संत रामपाल जी महाराज जी से नाम उपदेश लें और तत्वज्ञान को समझें।

दुनिया सेती दोसती, होय भजन के भंग।

एका एकी राम सों, कै साधुन के संग।।

मनुष्य जन्म मिलने के पीछे बहुत गूढ़ रहस्य छिपा है जिसे कोई साधारण दोस्त तो नहीं समझा सकता। इसलिए परमात्मा को अपना दोस्त बना लो। सांसारिक दोस्त संसार की बातें करेंगे जिससे कोई लाभ नहीं।

कबीर जी कहते हैं कि दुनिया के लोगों के साथ मित्रता बढ़ाने से भगवान की भक्ति में बाधा आती है। एकांत में बैठकर भगवान के नाम का स्मरण करना चाहिये या साधुओं की संगत करना चाहिए तभी भक्ति प्राप्त हो सकती है। सतभक्ति प्राप्त व्यक्ति अभी अकेला नहीं रहता वह तो सदा परमेश्वर के सान्निध्य में रहता है।

दोस्त कैसा बनाना चाहिए?

गीरिये पर्वत शिखर ते, परिए धरनी मंझार

मुरख मित्र न कीजिए, बुडो काली धार।

कबीर जी कहते हैं, कि पर्वत से गिर जाओ या शिखर से गिर पड़ों। चाहे कोई भी परेशानी आ जाए किंतु मूर्ख मित्र से मित्रता मत करो। मूर्ख से मित्रता बहुत भारी पड़ती है अर्थात ऐसा मित्र खोजना चाहिए जो परमात्मा का पता बता दे। जो आपको परमात्मा की जानकारी बताए वह आपका परम हितैषी होगा।

“सच्चा मित्र ” कथा ‘‘आज भाई को फुरसत है’’

एक भक्त सत्संग में जाने लगा। दीक्षा ले ली, ज्ञान सुना और भक्ति करने लगा। अपने मित्र से भी सत्संग में चलने तथा भक्ति करने के लिए प्रार्थना की। परंतु दोस्त नहीं माना। कह देता कि कार्य से फुर्सत (खाली समय) नहीं है। छोटे-छोटे बच्चे हैं। इनका पालन-पोषण भी करना है। काम छोड़कर सत्संग में जाने लगा तो सारा धँधा चौपट हो जाएगा। वह सत्संग में जाने वाला भक्त जब भी सत्संग में चलने के लिए अपने मित्र से कहता तो वह यही कहता कि अभी काम से फुर्सत नहीं है। एक वर्ष पश्चात् उस मित्र की मृत्यु हो गई। उसकी अर्थी उठाकर कुल के लोग तथा नगरवासी चले, साथ-साथ सैंकड़ों नगर-मौहल्ले के व्यक्ति भी साथ-साथ चले। सब बोल रहे थे कि राम नाम सत् है, सत् बोले गत् है।

भक्त कह रहा था कि राम नाम सत् है परंतु आज भाई को फुर्सत है। नगरवासी कह रहे थे कि सत् बोले गत् है, भक्त कह रहा था कि आज भाई को फुर्सत है। अन्य व्यक्ति उस भक्त से कहने लगे कि ऐसे मत बोल, इसके घर वाले बुरा मानेंगे। भक्त ने कहा कि मैं तो ऐसे ही बोलूँगा। मैंने इस मूर्ख से हाथ जोड़कर प्रार्थना की थी कि सत्संग में चल, कुछ भक्ति कर ले। यह कहता था कि अभी फुर्सत अर्थात् खाली समय नहीं है। आज इसको ‘परमानेंट’ फुर्सत मिल गई है। छोटे-छोटे बच्चे भी छोड़ चला जिनके पालन-पोषण का बहाना करके परमात्मा से दूर रहा।

परमात्मा भक्ति बिना सब व्यर्थ है

उपरोक्त कहानी में मरने वाला व्यक्ति यदि भक्ति करता तो खाली हाथ नहीं जाता। कुछ भक्ति धन लेकर जाता। बच्चों का पालन-पोषण तो परमात्मा करता है। भक्ति करने से साधक की आयु भी परमात्मा बढ़ा देता है। भक्तजन ऐसा विचार करके भक्ति करते हैं, कार्य त्यागकर सत्संग सुनने जाते हैं।

भक्त विचार करते हैं कि परमात्मा न करे, हमारी मृत्यु हो जाए। फिर हमारे कार्य कौन करेगा? हम यह मान लेते हैं कि हमारी मृत्यु हो गई। हम तीन दिन के लिए मर गए, यह विचार करके सत्संग में चलें, अपने को मृत मान लें और सत्संग में चले जायें।

वैसे तो परमात्मा के भक्तों का कार्य बिगड़ता नहीं, फिर भी हम मान लेते हैं कि हमारी गैर-हाजिरी में कुछ कार्य खराब हो गया तो तीन दिन बाद जाकर ठीक कर लेंगे। यदि वास्तव में टिकट कट गई अर्थात् मृत्यु हो गई तो ‘परमानेंट’ कार्य बिगड़ गया। फिर कभी ठीक करने नहीं आ सकते। इस स्थिति को जीवित मरना कहते हैं। ( सत्य कथा पुस्तक जीने की राह से साभार, लेखक संत रामपाल जी महाराज जी)

श्रीमद् भगवत गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में कहा है कि तत्वज्ञान की प्राप्ति के पश्चात् परमेश्वर के उस परमपद की खोज करनी चाहिए जहाँ जाने के पश्चात् साधक लौटकर संसार में कभी लौट कर नहीं आते अर्थात् उनका पुनर्जन्म नहीं होता। वे फिर देह धारण नहीं करते। काल भगवान ने हमें यहां पीड़ित करके रखा हुआ है वही हमसे यहां अलग अलग दिवस और त्योहार मनवाता है और इसके कारण हम कर्म जाल में गहरे धंसते चले जाते हैं। दोस्त बनाना ज़रूरी है जो हमारा परम हितैषी हो और परमात्मा के अलावा यहां कोई और नहीं हम जिसकी ओर देखे। परमात्मा कबीर जी के अवतार संतरामपालजी महाराज जी को अपना सच्चा हमदर्द, साथी, सखा, मित्र, गुरु, सतगुरु, जगतगुरु समझने और बनाने के लिए गहनता से उनके सत्संग प्रवचन साधना चैनल पर शाम को 7.30-8.30 बजे अवश्य सुनें और अपने सच्चे साथी की पहचान स्वयं करें और उनसे नाम दीक्षा ले।

अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस पर जानने योग्य प्रश्नोत्तरी

1.अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस को पहली बार कब प्रस्तावित किया गया था?

इस दिन को पहली बार 1958 में एक अंतर्राष्ट्रीय नागरिक संगठन वर्ल्ड फ्रेंडशिप क्रूसेड की ओर से प्रस्तावित किया गया था।

2.संयुक्त राष्ट्र महासभा ने औपचारिक रूप इसे कब अपनाया?

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने औपचारिक रूप से 2011 में अंतर्राष्ट्रीय मैत्री दिवस को अपनाया था। 

3.इंटरनेशनल फ्रेंडशिप डे सबसे पहले कहां मनाया गया था?

इंटरनेशनल फ्रेंडशिप डे सबसे पहले 1958 में पैराग्वे में मनाया गया था।

4.इंटरनेशनल फ्रेंडशिप डे मनाने का आइडिया किसका था?

इस दिन को मनाने का आइडिया हॉलमार्क कार्ड्स के संस्थापक – जॉयस हॉल ने 1930 में दिया था।

5.फ्रेंडशिप का एंबेसडर किसे और कब बनाया गया था?

विनी द पूह को वर्ष 1988 में संयुक्त राष्ट्र की ओर से फ्रेंडशिप का एंबेसडर बनाया गया था। 2011 में आयोजित 65वें संयुक्त राष्ट्र सत्र में आधिकारिक तौर पर 30 जुलाई को इंटरनेशनल फ्रेंडशिप डे के रूप में तय किया गया।

SA NEWS
SA NEWShttps://news.jagatgururampalji.org
SA News Channel is one of the most popular News channels on social media that provides Factual News updates. Tagline: Truth that you want to know

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

Know About the Principles of Gandhiji on Gandhi Jayanti 2023

Last Updated on 1 October 2021, 4:30 PM IST: Gandhi Jayanti 2021: Today through this blog light will be thrown on Mahatma Gandhi’s Jayanti and why he is considered to be the Father of the nation. Along with this, the blog will brief the readers about who is actually the Father of each and every soul present in all the universes. To know everything, just explore the blog completely.

Encourage yourself and others to Be Vegetarian on World Vegetarian Day 2023

World Vegetarian Day is observed annually around the globe on October 1. It is a day of celebration established by the North American Vegetarian Society in 1977 and endorsed by the International Vegetarian Union in 1978, "To promote the joy, compassion and life-enhancing possibilities of vegetarianism." It brings awareness to the ethical, environmental, health, and humanitarian benefits of a vegetarian lifestyle.

Shradh 2023 (Pitru Paksha): Shradh Karma Is Against Our Holy Scriptures!

From dates, ceremonies, and rituals to meaning and significance, know all about Shradh (Pitru Paksha).

Shradh in Hindi | श्राद्ध (पितृ पक्ष) 2023: इस क्रिया से होगा आपका और आपके पितरों का कल्याण

श्राद्ध (पितृ पक्ष) 2021: जाने कौनसी क्रिया से होगा आपका और आपके पितरों का कल्याण