भारत दुनिया का सबसे बड़ा धर्मनिरपेक्ष देश है। इस देश में आपको लगभग प्रत्येक धर्म को मानने वाले व्यक्ति मिल जायेंगे। लेकिन हाल ही में भारतीय जनता पार्टी को प्रवक्ता नुपुर शर्मा (Nupur Sharma) के एक विवादित बयान के चलते भारत की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिगड़ती जा रही है। इस लेख के माध्यम से हम भारत की पुरातन संस्कृति और यहां के परम संत के विचार को दर्शायेंग और जानेंगे की क्या वास्तव में भारतीय लोग धर्म विरोधी होते है? कृपया विस्तार से पढ़े।
मुख्य बिंदु
- भारतीय जनता पार्टी की प्रवक्ता के बयान से मुस्लिम राष्ट्रों में भारत की हो रही आलोचना
- एक टीवी डिबेट के दौरान नुपुर शर्मा ने दिया पैगम्बर हजरत मोहम्मद के बारे में विवादित टिप्पणी
- नुपुर शर्मा के खिलाफ केस दर्ज हुआ और उन्हें किया पार्टी से सस्पेंड।
- नुपुर शर्मा के बयान के बाद देश दुनिया में माहौल गरमाया।
- भारतीय मूल के संत रामपाल जी महाराज सिखाते है सर्व धर्मो और धर्म गुरुओं का सम्मान करना
नुपुर शर्मा के बयान से भारत की छवि पर छा रहा है खतरा
भारतीय जनता पार्टी की प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने एक टीवी डिबेट के दौरान पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी जिसके बाद कई संगठनों ने इस पर आपत्ति जताई थी। नुपुर के इस बयान की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना के कारण विश्व स्तर पर भारत की छवि खराब हो रही है। हालांकि नुपुरु शर्मा के इस बयान के बाद उनको पार्टी से सस्पेंड कर दिया गया है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही है भारत की आलोचना
बीजेपी प्रवक्ता के बयान के वायरल होने के बाद कतर जैसे कई मुस्लिम देशों में जनता ने अपना विरोध शुरू कर दिया। लगभग दर्जनों मुस्लिम देशों के लोगों ने इस बयान को विवादित बताते हुए भारत की आलोचना की। विरोध के रूप में कई मुस्लिम देशों में दुकानदारों ने भारतीय उत्पाद बेचना बंद कर दिया, ट्विटर भारत को निशाना बनाने वाले ट्वीट्स से भर गया और इन देशों ने सरकार से नुपुरु शर्मा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
कैसे हुई हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, आदि सर्व धर्मो को शुरुआत?
आज से लगभग पाँच हजार वर्ष पहले कोई भी धर्म या अन्य सम्प्रदाय नहीं था। न हिन्दु, न मुस्लिम, न सिक्ख और न ईसाई थे। केवल मानव धर्म था। सभी का एक ही मानव धर्म था और है। लेकिन जैसे जैसे कलयुग का प्रभाव बढ़ता गया वैसे वैसे हमारे में मत-भेद होता गया। कारण सिर्फ यही रहा कि धार्मिक कुल गुरुओं द्वारा शास्त्रों में लिखी हुई सच्चाई को दबा दिया गया। कारण चाहे स्वार्थ हो या ऊपरी दिखावा। जिसके परिणाम स्वरूप आज एक मानव धर्म के अनेकों धर्म और अन्य अनेक सम्प्रदाएँ बन चुके हैं। जिसके कारण आपस में मतभेद होना स्वाभाविक ही है। सभी का प्रभु/भगवान/राम/अल्लाह/रब/गोड/खुदा/परमेश्वर एक ही है। ये भाषा भिन्न पर्यायवाची शब्द हैं। सभी मानते हैं कि सबका मालिक एक है लेकिन फिर भी ये अलग अल्लाह धर्म सम्प्रदाएँ क्यों?
महाभारत काल में पांडवों और कौरवों के युद्ध में 18 करोड़ लोग युद्ध मैदान में मृत्यु को प्राप्त हो गए। युद्ध के बाद ऋषि दुर्वासा के श्राप से 56 करोड़ यादव मृत्यु को प्राप्त हो गए और सर्व यादव कुल का नाश हो गया। अरबों लोगों की मौत के बाद और प्राकृतिक आपदाओं से ग्रस्त होने के बाद चारों और ऐसी भयंकर हाहाकार मची जिससे लोग नास्तिकता की और अग्रसर होने लगे। फिर आदि शंकराचार्य का आविर्भाव हुआ और भारत में हिन्दू धर्म की शुरुआत हुई।
इसके बाद हजरत मूसा जी के आविर्भाव के बाद पवित्र यहूदी धर्म, हजरत ईसा जी के आविर्भाव के बाद पवित्र ईसाई धर्म, हजरत मुहम्मद जी के आविर्भाव के बाद पवित्र मुस्लिम धर्म, गुरु नानक देव जी के आविर्भाव के बाद पवित्र सिख धर्म, महावीर जैन के आविर्भाव के बाद जैन धर्म, गौतम बुद्ध जी के आविर्भाव के बाद पवित्र बौद्ध धर्म, और इसी प्रकार अनेकों महापुरुषों के द्वारा न्यारे न्यारे धर्मो की शुरुआत हुई। इन धर्मों की शुरुआत में हिंदू, सिख, ईसाई, मुस्लिम या जैनी उसे कहा जाता था जो बीड़ी, तंबाखू, मांस, मदिरा को जिंदगी भर न छुएं और कीड़ी की भी हत्या न करें। किसी की आत्मा न दुखाए, बहन बेटी को बुरी नजर से न देखें। मिलावट, चोरी, ठगी, न करें।
सर्व धर्म देते है एक समान संदेश
सर्व धर्म के सदग्रंथों का विस्तार से अध्ययन कर उनको ठीक से समझने वाले विश्व के एकमात्र संत जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ने बताया है की सर्व धर्म एक ही संदेश देते है। सर्व धर्म एक भगवान कबीर साहेब को पूर्ण परमात्मा बताते है और केवल उन्हीं की भक्ति इष्टरूप में करने को कहते है। सर्व धर्मों में संदेश दिया जाता है समाज में व्याप्त बुराइयां जैसे रिश्वतखोरी, मिलावट, चोरी, जारी ठगी, दहेज प्रथा, जाती भेदभाव, लिंग भेदभाव, और सर्व प्रकार की नशाखोरी दूर हो। सर्व धर्म बताते है कि मनुष्य जीवन को प्राप्त करना बहुत दुर्लभ है। मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य केवल परमात्मा प्राप्ति ही है।
संत रामपाल जी महाराज परम आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज की अमृतमय वाणी के माध्यम से बताते है की,
गरीब, नबी मुहम्मद नमस्कार है, राम रसूल कहाया।
एक लाख अस्सी कूं सौगन्ध, जिन नहीं करद चलाया।।
अर्स-कुर्स पर अल्लह तख्त है,खालिक बिन नहीं खाली।
वे पैगम्बर पाक पुरूष थे, साहेब के अबदाली।।
मारी गऊ शब्द के तीरं, ऐसे थे मोहम्मद पीरं।।
शब्दै फिर जिवाई, हंसा राख्या माँस नहीं भाख्या, एैसे पीर मुहम्मद भाई।।
बात करते हैं पुण्य की, करते हैं घोर अधर्म।
दोनों दीन नरक में पड़हीं, कुछ तो करो शर्म ।।
नबी मोहम्मद तो आदरणीय हैं जो प्रभु के सन्देशवाहक कहलाए हैं। कसम है एक लाख अस्सी हजार को जो उनके अनुयायी थे उन्होंने भी कभी बकरे, मुर्गे तथा गाय आदि पर करद नहीं चलाया अर्थात् जीव हिंसा नहीं की तथा माँस भक्षण नहीं किया। वे हजरत मोहम्मद, हजरत मूसा, हजरत ईसा आदि पैगम्बर (संदेशवाहक) तो पवित्र व्यक्ति थे तथा ब्रह्म(ज्योति निरंजन/काल) के कृपा पात्र थे, परन्तु जो आसमान के अंतिम छोर (सतलोक) में पूर्ण परमात्मा (अल्लाहू अकबर अर्थात् अल्लाह कबीर) है उस सृष्टि के मालिक की नजर से कोई नहीं बचा। नबी मोहम्मद तो इतने दयालु थे कि उन्होंने कभी किसी व्यक्ति से ब्याज तक की मांग नहीं की, जीव हत्या तो दूर की बात है।
एक समय नबी मुहम्मद ने एक गाय को शब्द (वचन सिद्धि) से मार कर सर्व के सामने जीवित कर दिया था (वास्तव में यह पूर्ण प्रभु द्वारा ही किया गया था)। उन्होंने गाय का मांस कभी नहीं खाया।
सबका सम्मान करने के लिए जाने जाते है भारतीय
पूरे विश्व में सर्वप्रथम भारत में ही वसुधैव कुटुंबकम् (पूरा विश्व एक परिवार है) की अवधारणा जन्मी है। भारतीय संस्कृति सभी धर्मों और उनके महापुरुषों का सम्मान करना सिखाती हैं। भारतीयों के लिए पृथ्वी के सभी मानव हमारे भाई बहन हैं। यही कारण है कि अधिकतर भारतीय सभी धर्मों का और उन धर्म से जुड़े धर्मगुरूओ का तहे दिल से सम्मान करते है, फिर चाहे वे किसी भी धर्म से ही क्यों न जुड़े हो। कुछ देश व धर्म विरोधी लोगों को छोड़कर अन्य सभी लोग सर्व धर्म व उनसे जुड़ी धर्मात्माओ का सम्मान करते है, जो उचित है।
■ Read in English | Indians Respect All Religions and Their Followers: Jagatguru Saint Rampal JI Maharaj
भारतीय संस्कृति के अनुसार धर्म का विरोध करना उचित नहीं है। कुछ लोगों के विवादित बयान देने मात्र से पूरे देश की आलोचना नहीं की जानी चाहिए। चूंकि भारतीय लोग पूरे विश्वभर में अपनी नैतिकता और मर्यादाओं के लिए जाने जाते है। भारतीय संस्कृति आज पूरे विश्वभर में छाई हुई है। धर्म का विरोध करना चाहिए या सम्मान इस विषय पर भी भारत के संतों ने सटीक जानकारी दी है।
कबीरपंथी संत रामपाल जी महाराज सिखाते है सर्व धर्मों और धर्मगुरुओं का सम्मान करना
विश्व के सबसे महानतम संत की ख्याति प्राप्त करने वाले जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी समाज के लोगों को सर्व धर्मों और धर्मगुरुओं का आदर सत्कार और सम्मान करना सिखाते है। अपने अमृत सत्संग प्रवचनों के माध्यम से वे बताते है कि भारत के अधिकतम लोग सर्व धर्मों का सम्मान करते है। अच्छे बुरे लोग सब देशों में होते है जो अपने देश व धर्म के विरोधी होते हैं। संत रामपाल जी महाराज का नारा है,
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।
संत रामपाल जी बताते है की हमारी जाति है और मानवता हमारा धर्म है। हम सभी एक परमेश्वर की संतान होने के कारण एक ही परिवार के सदस्य है। संत रामपाल जी महाराज के विचारों को विस्तार से जानने के लिए डाउनलोड करें “संत रामपाल जी महाराज” एंड्रॉयड एप।