January 26, 2025

Vishwa Hindi Diwas 2025: विश्व हिंदी दिवस पर जानिए हिंदी की संवैधानिक यात्रा के बारे में विस्तार से

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Last Updated on 1 January 2025 IST: 10 जनवरी प्रतिवर्ष विश्व हिंदी दिवस (Vishwa Hindi Diwas 2025 या World Hindi Day) के रूप में मनाया जाता है। विश्व में हिंदी का विकास करने और इसके प्रचार प्रसार के उद्देश्य से यह शुरुआत हुई। पढ़ें पूरा लेख और जानिए हिन्दी भाषा से जुड़ी कुछ खास बातें जो हिन्दी भाषा को विश्व की अन्य भाषाओ से अलग बनाती है।

Table of Contents

हिंदी दिवस (Vishwa Hindi Diwas 2025) के मुख्य बिंदु

  • पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वर्ष 2006 में विश्व हिंदी दिवस मनाने की घोषणा की थी।
  • भारतीय संविधान भाग 17 के अनुच्छेद 343(1) के तहत देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया गया।
  • लोगों, नेताओं और भाषाविदों ने सोशल मीडिया पर हिंदी दिवस को याद किया।
  • अक्षर ज्ञान से परम अक्षर तक का रास्ता तय करना आवश्यक है।

देश की राजभाषा हिंदी का विश्व हिंदी दिवस (Vishwa Hindi Diwas)

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी के प्रचार प्रसार को बढ़ाने के लिए वर्ष 2006 में मनमोहन सिंह ने प्रत्येक 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाने की घोषणा की थी। हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए हिंदी सम्मेलनों की शुरुआत हुई। हिंदी का पहला विश्व सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में हुआ था इसी कारण 10 जनवरी विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

World Hindi Day 2025: हिंदी ने एक लंबी लड़ाई लड़ी है। 14 सितम्बर 1949 को हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा का स्थान मिला था। 14 सितंबर 1949 को हिंदी के पुरोधा व्यौहार राजेंद्र सिंह का पचासवाँ जन्मदिवस था। राजेंद्र सिंह जी ने हिंदी को उसका आधिकारिक दर्ज़ा दिलाने के लिए अथक परिश्रम किया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हिंदी को राजभाषा बनाने के लिए एक लम्बा संघर्ष काका कालेलकर, मैथिलीशरण गुप्त, हजारी प्रसाद द्विवेदी, सेठ गोविन्द दास, व्यौहार राजेंद्र सिंह ने किया जिसके फलस्वरूप आज हिंदी राजभाषा है।

हिंदी दिवस (Vishwa Hindi Diwas): हिंदी की यात्रा

Vishwa Hindi Diwas 2025: आज हिंदी आज़ाद भारत की राजभाषा है किंतु यही हिंदी जब अंग्रेजी सितारा अपनी बुलंदी पर था, राष्ट्रभाषा हुआ करती थी। ईस्ट इंडिया कम्पनी की सभी अधिसूचनाएं न केवल हिंदी में जारी की जाती थीं। बहरहाल भारत का संविधान रचते समय एक ऐसी भाषा की आवश्यकता महसूस की गई जिसे प्रसारण का माध्यम बनाया जा सके। केवल हिंदी ही एकमात्र ऐसी भाषा थी जिसे आधा से अधिक भारत पढ़, बोल और समझ सकता था। किंतु अफसोस कि इसे राष्ट्रभाषा बनाने की श्रृंखला में कई मतभेद एवं एतराज सामने आए।

फलस्वरूप इसे 14 सितंबर 1949 को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया किन्तु इस बात की पूरी व्यवस्था की गई कि हिंदी का विकास न रुके। भारतीय संविधान के भाग 17 अनुच्छेद 343 से 351 तक राजभाषा हिंदी से सम्बंधित विशेष प्रावधान दिए गए हैं। साथ ही अनुच्छेद 120 एवं 210 में भी संसद एवं विधान मंडल में प्रयुक्त होने वाली भाषा के विषय में प्रावधान हम पाते हैं। 

■ Also Read: हिंदी दिवस (Hindi Diwas):  जानें राजभाषा हिंदी क्यों नहीं बन पाई राष्ट्र भाषा?

सन 1955 में इसी कड़ी में राजभाषा आयोग का भी गठन किया गया। भारत सरकार द्वारा प्रतिवर्ष हिंदी भाषा के लिए वार्षिक दिशा निर्देश निकाले जाते हैं। वर्ष 2006 में हिंदी के प्रचार को बढ़ावा देने के लिए मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस की स्थापना की। 10 जनवरी 1975 को पहला हिंदी विश्व सम्मेलन नागपुर में हुआ था।

हिंदी का लंबा इतिहास (History of Hindi Language)

Vishwa Hindi Diwas 2025: भारत का एक बड़ा भाग हिंदी भाषी है। केवल भारत नहीं बल्कि अन्य देशों में भी हिंदी बोली जाती है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा बनाने के लिए कई प्रयत्न किए गए। वर्ष 1918 में ही गांधी जी ने हिंदी साहित्य सम्मेलन में हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की बात कही। गांधी जी हिंदी को जनमानस की भाषा कहते थे। हिंदी के कई पुरोधाओं के अथक परिश्रम और लंबे संघर्ष के बाद 14 सितम्बर 1949 को हिंदी को राष्ट्रभाषा तो नहीं किन्तु राजभाषा बनाने पर अवश्य निर्णय लिया गया। इसके अतिरिक्त कई संस्थाओं ने भी अपने अपने स्तर पर योगदान दिया। और वर्ष 2006 में विश्व हिंदी दिवस प्रत्येक 10 जनवरी को मनाने की घोषणा हुई।

विश्व हिंदी दिवस 2025 की थीम (Theme for World Hindi Day in Hindi)

World Hindi Day Theme 2025: विश्व हिंदी दिवस प्रति वर्ष 10 जनवरी को दुनिया को हिंदी से अवगत कराने के लिए और भाषा के महत्व को भावी पीढियों तक पहुंचाने के लिए किया जाता है।विश्व हिंदी दिवस 2025 की थीम की अभी घोषणा नहीं हुई। लेकिन विश्व हिंदी दिवस वर्ष 2024 की थीम थी हिंदी पारंपरिक ज्ञान से कृत्रिम बुध्दिमत्ता को जोड़ना। न केवल संस्थाओं, विद्यालयों एवं महाविद्यालयों बल्कि स्थानीय स्तर पर हिंदी के लिए कार्यरत समूहों द्वारा इस अवसर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं, सामूहिक परिचर्चाओं, परिसंवादों का भी आयोजन किया जाता है।

World Hindi Day 2025: विश्व हिंदी दिवस का मुख्य उद्देश्य विश्व को हिंदी भाषा के महत्त्व से अवगत करवाना है।इस दिन पूरे विश्व के दूतावासों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और हिंदी भाषा के महत्त्व को समझाया जाता है। इस दिन भाषण, सेमिनार, प्रदर्शनियां, स्कूलों और कॉलेजों में विशेष आयोजन आदि किए जाते हैं। इस दिन लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि पर भी हिंदी दिवस से संबंधित अपने विचार व्यक्त करते हैं।इसके अलावा हिंदी भाषा के महत्त्व को बढ़ावा देने के लिए, इसके सम्मान के भाषा सम्मान को भी शुरू किया गया है। जिसके लिए ऐसे व्यक्ति को सम्मानित किया जाता है, जिसने हिंदी भाषा के प्रयोग में खास योगदान दिया हो।

हिंदी का वैश्विक परिदृश्य

भारत एक बहुत ही प्राचीन सभ्यता के रूप में जाना जाता है। हिंदी न केवल भारत में बहुतायत में बोली जाने वाली बल्कि सरकारी कामकाज की भाषा भी है। वैश्वीकरण के इस दौर में हिंदी ने अपनी जड़ें सीमा पार भी जमाई हैं। आज हिंदी ने टाइपिंग, ट्रांसक्रिप्शन, लोकलाइजेशन आदि के लिए रोजगारों की संभावनाएं विकसित की हैं। न केवल विदेशी व्यापार हिंदी से जुड़े हैं बल्कि हिंदी देश के बाहर भी अनेकों महाविद्यालयों यथा ब्रिटेन, अमेरिका, चीन, रूस, आस्ट्रेलिया, कनाडा आदि विकसित देशों में सिखाई पढ़ाई जाती है। यह हिंदी के लिए गौरव का विषय तो है ही साथ ही यह हिंदी में रोजगार के द्वार भी खोलता है। हिंदी के लिए विशेष पाठ्यक्रम इन देशों में चलाए जा रहे हैं जो हिंदी का वैश्विक (Vishwa Hindi Diwas 2025) परिदृश्य सुनिश्चित एवं स्पष्ट करते हैं।

विश्व हिंदी दिवस (World Hindi Day 2025) पर जाने भाषा का जीवन में महत्व

Vishwa Hindi Diwas 2025: भाषा का कार्य है अभिव्यक्ति। अपनी बात दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाने का माध्यम भाषा होती है। एक भाषा अपने आप में गरिमामय है। भाषा को लेकर जो जंग अक्सर छिड़ जाया करती है जैसे अंग्रेजी और हिंदी में वह गलत है। आज से कई वर्ष पूर्व भी ऐसा संस्कृत और हिंदी के बीच होता आया है। बहुधा भाषा के चक्कर में विषय की महत्ता को नज़र अंदाज़ कर दिया जाता है।

आज से लगभग 600 वर्ष पहले कबीर साहेब हिन्दू धर्म के धर्मग्रंथों से जब भी आम समाज को परिचित कराना चाहते और उनका अर्थ हिंदी में बताते तब आम समुदाय रटे रटाए संस्कृत के श्लोक बोलने वाले अज्ञानी पंडितों पर भरोसा कर लेता। इतना ही नहीं आज जैसा आकर्षण अंग्रेजी के लिए है तब वही स्थान संस्कृत का था। ज्ञान चर्चा में सही ज्ञान का कोई अर्थ नहीं था। संस्कृत अधिक बोलने वाले को ताली पीट पीटकर भोली जनता विजयी घोषित कर देती थी। आइए इतिहास की मूर्खता दोहराने से बचें और किसी भाषा विशेष को सर्वोत्तम न मानें।

Vishwa Hindi Diwas 2025 | भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम है

आज वही कार्य अंग्रेजी कर रही है। अंग्रेजी भाषा के जानकार विद्वान समझे जाते हैं वह बात अलग है कि उनमें विद्वता का अंशमात्र भी न हो और उन्हीं के उपहास का पात्र बनती है हिंदी। वास्तव में हिंदी, संस्कृत या अंग्रेजी किसी भाषा को अच्छा, बुरा, महान नहीं कहा जा सकता। भाषा कण्ठ से निकलने वाले स्वरों और उनके व्यंजनों पर बनी है। अभिव्यक्ति के पश्चात भाषा का कार्य समाप्त हो जाता है। भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम भर है किन्तु हमने स्वयं को संकीर्ण सीमा में बंद किया है जहां भाषा विशेष पर जंग छिड़ी हुई है।

■ Read in English: Vishwa Hindi Diwas: Know How India can become Vishwa Guru Again?

कबीर साहेब ने भाषा को बहता नीर कहकर उसे सम्मान दिया क्योंकि भाषा का शब्दकोश वृहत होता है उसका अपना सौंदर्य है एवं वह जन सामान्य को समझ आने वाली भाषा है। भाषा का अर्थ यहाँ जन सामान्य की भाषा था जबकि संस्कृत को कूप जल कहने का तात्पर्य उसकी संकीर्ण स्थिति से था जिसे न तो सभी बोल और पढ़ सकते थे और न ही समझ सकते थे।

Vishwa Hindi Diwas 2025 | ऐसा देश जो है भाषा से परे

Vishwa Hindi Diwas 2025 | भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम है लेकिन ऐसा भी देश है जहाँ इस ब्रह्मांड की कोई बुराइयां नही है। जहाँ सीमाएं नहीं हैं और न ही कोई वर्जनाएं हैं। वह देश नहीं लोक है और उस लोक का नाम है सतलोक। सतलोक काल ब्रह्म के 21 ब्रह्मांडो से 16 शंख कोस की दूरी पर है। आश्चर्य की बात केवल यह नहीं कि वहाँ इस संसार से अच्छा प्रेम है, एकता है बल्कि आश्चर्य की बात तो यह है कि वहां पांच तत्व और तीन गुणों से अधिक लीला है।

सुख एक नशे की तरह है। जहां कर्म का कोई सिद्धान्त नहीं है। जरा, मृत्यु, जन्म, रोग, बुराई, घृणा, दुख आदि नकारात्मक भाव एहसास कुछ भी नहीं है। पर कैसे जाया जा सकेगा ऐसे लोक में? पूर्ण परमेश्वर का नुमाइंदा या स्वयं पूर्ण परमेश्वर इस पृथ्वी पर तत्वदर्शी सन्त की भूमिका करता है एवं अपनी भूली बिसरी आत्माओं को तत्वज्ञान से परिचित करवाकर उन्हें उनके निजधाम सतलोक ले जाता है जहां जानें के बाद पुनः संसार मे आगमन नहीं होता है।

विश्व हिंदी दिवस (World Hindi Diwas 2025) पर जाने अक्षर ज्ञान से परम अक्षर ब्रह्म तक का रास्ता

Vishwa Hindi Diwas 2025 | यह समय जितना संवेदनशील है उतना ही तेजी से गुज़र भी रहा है। इस समय परमात्म तत्व को पहचानने और उससे प्रार्थना कर संभल जाने की आवश्यकता है। परमात्मा कौन है, कैसा है ये कभी जानने का प्रयत्न लोग नहीं करते। बस मन्दिर में जाना उनके लिए भक्ति है। गुरु कौन है? कैसा है? पूर्ण गुरु की क्या पहचान है? इसे भी शास्त्रों में देखने की ज़हमत नहीं उठाते हैं। बस भगवा कपड़े पहने बाल बढ़ाए साधु बाबा की छवि दिमाग में बैठी है। अफसोस तो इस बात का है कि लोग आलोचना करने के पहले स्वयं धर्मग्रंथों को पलट कर भी नहीं देखते। 

Also Read: कबीर साहेब के हिन्दू मुस्लिम को चेताने और नारी सम्मान के प्रसिद्ध दोहे अर्थ सहित (Kabir Saheb Ke Dohe In Hindi)

बच्चा अपने परिवार में देखता है अपने से बड़ों को मंदिर जाते, श्राद्ध करते, अन्य पूजाओं का आयोजन करते, व्रत उपवास करते और वह स्वयं बड़े होते हुए यही करता है और उसकी आने वाली पीढ़ी भी इसी अंधेरे रास्ते पर चलने के लिए तैयार हो जाती है। धर्मग्रंथों को उठाने की बात दिमाग में भूले भटके भी नहीं आती। लेकिन परम अक्षर ब्रह्म कौन है, क्या है, उसे जानना हमारे जीवन के लिए आवश्यक है।

विश्व हिंदी दिवस (World Hindi Day 2025) Quotes & Slogan

  • “भाषा का उपयोग अपने विचारो को दूसरों तक पहुंचाना है।” ~ संत रामपाल जी महाराज
  • संस्कृत है कूप जल भाखा बहता नीर- परमेश्वर कबीर
  • “हिंदी भारतीय संस्कृति की आत्मा है।” – कमलापति त्रिपाठी
  • “हिन्दी हमारे राष्ट्र की अभिव्यक्ति का सरलतम स्रोत है।” – सुमित्रानंदन पंत
  • “निज भाषा उन्नति अहै, सब भाषा को मूल। बिनु निज भाषा ज्ञान के, मिटै न हिय को शूल।” — भारतेन्दु हरिश्चन्द्र

विश्व हिंदी दिवस (World Hindi Day): क्या करना चाहिए अध्यात्म मार्ग में

सबसे पहले जान लें कि अध्यात्म मार्ग रुचि की बात का विषय नहीं है। आध्यात्मिक मार्ग प्रत्येक मानव का उद्देश्य होना चाहिए क्योंकि मानव का जन्म ही इसलिए हुआ है। जानकर आश्चर्य हो सकता है कि हमारी प्रत्येक सांस परमात्मा के मार्ग में बहुत योगदान देती है। कबीर साहेब कहते हैं-

कबीर, कहता हूँ कहि जात हूँ, कहूँ बजाकर ढोल |

स्वांस जो खाली जात है, तीन लोक का मोल ||

अर्थात जो प्राणी भक्ति नहीं करता या शास्त्र विरुद्ध साधना करता है उसके श्वांस व्यर्थ होते रहते हैं। इसका आशय यह है कि गीता अध्याय 17 के श्लोक 23 में दिए गए तीन सांकेतिक मन्त्रों का जाप तत्वदर्शी संत से लेकर करें। तत्वदर्शी संत कौन है जिसकी खोज करने के लिए गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में कहा है? जिसकी पहचान गीता अध्याय 15 के श्लोक 1 से 4 में दी गई है। वे तत्वदर्शी संत हैं संत रामपाल जी महाराज। उनकी शरण में आएं और नाम दीक्षा लेकर सही भक्ति विधि प्राप्त करें। परमात्मा एक हैं और उस तक जाने के रास्ते अनेक है यह मात्र भटकाव वाली पंक्ति है। परमात्मा परम अक्षर ब्रह्म कविर्देव एक ही है और उन तक पहुंचने का मार्ग भी एक ही है जो तत्वदर्शी संत बता सकता है। अविलंब उनकी शरण में आएं और सही आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करें। अधिक जानकारी के लिए देखें सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल।

विश्व हिंदी दिवस कब मनाया जाता है?

हर वर्ष विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को मनाया जाता है।

प्रत्येक वर्ष विश्व हिंदी दिवस मनाने की घोषणा किसने की थी?

प्रत्येक वर्ष विश्व हिंदी दिवस मनाने की घोषणा पूर्व मुख्यमंत्री मनमोहन सिंह ने की थी।

भारत में हिंदी भाषा को आधिकारिक भाषा के रूप में भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत अपनाया गया?

भारतीय संविधान भाग 17 के अनुच्छेद 343(1) के तहत देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया गया।

विश्व हिंदी दिवस का उद्देश्य क्या है?

विश्व हिंदी दिवस का मुख्य उद्देश्य विश्व को हिंदी भाषा के महत्त्व से अवगत करवाना और हिंदी भाषा का अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रचार करना है।

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