July 27, 2024

संत गरीबदास जी के बोध दिवस पर जानिए गरीबदास पंथ और 13वें यानी यथार्थ कबीर पंथ की जानकारी

Published on

spot_img

अमरग्रंथ के रचनहार बन्दीछोड़ संत गरीबदास जी है जिन्हें 10 वर्ष की आयु में परमेश्वर कबीर जी मिले थे और उन्हें सत्यलोक दिखाया था। जिन्होंने अपने जीवन काल में अनेकों चमत्कार किये और जिनसे 12वें कबीर पंथ यानि गरीबदास पंथ का प्रारंभ हुआ। उनका जन्म आज से लगभग 300 वर्ष पूर्व सन् 1717 में गाँव छुड़ानी में हुआ था, जबकि उन्हें नाम उपदेश परमेश्वर कबीर जी से सन् 1727 में मिला था। आइये जानते हैं संत गरीबदास जी महाराज के बोध दिवस के अवसर पर गरीबदास पंथ और 13वें यानी यथार्थ कबीर पंथ की विस्तृत जानकारी।

संत गरीबदास जी महाराज का संक्षिप्त जीवन परिचय

संत गरीबदास जी का जन्म गाँव-छुड़ानी (जिला झज्जर, हरियाणा) में सन् 1717 (विक्रमी संवत् 1774) में हुआ था। गाँव छुड़ानी में गरीबदास जी का नानका है। उनका मूल गाँव करौंथा (जिला-रोहतक, हरियाणा) था। संत गरीबदास जी के पिता श्री बलराम जी का विवाह गाँव छुड़ानी में श्री शिवलाल सिहाग की बेटी रानी देवी से हुआ था। श्री शिवलाल जी का कोई पुत्र नहीं था। इसलिए शिवलाल जी ने श्री बलराम जी को घर-जमाई रख लिया था। श्री शिवलाल जी के पास 2500 बीघा (वर्तमान में 1400 एकड़) जमीन थी। जिस समय सन्त गरीबदास जी 10 वर्ष की आयु के थे, वे गायों को चराने के लिए अन्य ग्वालों के साथ नला नामक खेत में गए हुए थे। उस समय वि. स. 1784 फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की द्वादशी (सन 1727) को दिन के लगभग 10 बजे परम अक्षर ब्रह्म कबीर साहेब जी एक जिन्दा महात्मा के वेश में संत गरीबदास जी को मिले।

संत गरीबदास जी महाराज ने अपने 61 वर्ष के जीवन काल में अनेकों लीलाएं की और चमत्कार दिखाए। फिर विक्रम संवत 1835 भादवा मास (भाद्र) की शुक्ल पक्ष की दूज (सन् 1778) को छुड़ानी से सतलोक गमन किया, जिसके बाद उनके शरीर का अंतिम संस्कार किया गया और वहाँ छतरी साहेब के रूप में एक यादगार बना दी गई। इसके बाद संत गरीबदास जी उसी शरीर में सहारनपुर, उत्तरप्रदेश में प्रकट होकर 35 वर्ष रहे। जिसके बाद उन्होंने अपना शरीर छोड़ा और यहाँ भी उनके नाम की यादगार छतरी बनी हुई है।

सद्ग्रंथ साहिब (अमरग्रंथ) की रचना

सन् 1727 में फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की द्वादशी को पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब जी का संत गरीबदास जी को साक्षात्कार हुआ और परमेश्वर ने उन्हें नाम दीक्षा देकर ऊपर के रूहानी मंडलों, सत्यलोक आदि को दिखाया तथा श्री ब्रह्मा, श्री विष्णु, श्री शिव, माता दुर्गा, क्षरपुरुष (ब्रह्म/काल), अक्षर पुरुष (परब्रह्म), परम अक्षर ब्रह्म (पूर्ण ब्रह्म) के सामर्थ्य से परिचित कराया और परमेश्वर कबीर जी ने संत गरीबदास जी महाराज का ज्ञान योग खोल दिया। जिसके बाद संत गरीबदास जी महाराज ने सद्ग्रंथ साहिब (अमरग्रंथ) की रचना की। जिसमें चारों वेद, श्रीमद्भागवत गीता, 18 पुराण, 11 उपनिषदों, कुरान शरीफ, बाईबल, गुरुग्रंथ साहिब आदि सहित पूर्ण परमात्मा को पाने और पूर्णमोक्ष प्राप्ति का तत्वज्ञान मौजूद है। इसी शुभ दिन के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष संत गरीबदास जी का बोध दिवस मनाया जाता है।

संत गरीबदास जी से 12वें कबीर पंथ की शुरुआत

परमेश्वर कबीर जी के साक्षात्कार होने और ज्ञान योग खुल जाने के बाद संत गरीबदास जी महाराज ने 12वां कबीर पंथ प्रारंभ हुआ, जिसे गरीबदास पंथ के नाम से भी जाना जाता है। जिसके विषय में कबीर सागर, कबीर चरित्र बोध (बोध सागर) पृष्ठ नं. 1870 पर है। बारह कबीर पंथों के विषय में कबीर जी ने कहा है कि बारहवां पंथ गरीबदास का होगा। कबीर सागर, कबीर वाणी (बोधसागर) पृष्ठ 136-137 में “द्वादश पंथ चलो सो भेद” में भी कबीर जी ने यहीं संकेत दिया है:

द्वादश पंथ काल फुरमाना। भुले जीव न जाय ठिकाना।।

(प्रथम) आगम कहि हम राखा। वंश हमार चूरामणि शाखा।

दूसर जग में जागू भ्रमावै। बिना भेद ओ ग्रन्थ चुरावे।।

तीसरा सुरति गोपालहि होई। अक्षर जो जोग दृढ़ावे सोई।।

चौथा मूल निरंजन बानी। लोकवेद की निर्णय ठानी।।

पंचम पंथ टकसार भेद लै आवै। नीर पवन को सन्धि बतावै।।

सो ब्रह्म अभिमानी जानी। सो बहुत जीवनकीकरी है हानी।।

छठवाँ पंथ बीज को लेखा। लोक प्रलोक कहें हममें देखा।।

पांच तत्व का मर्म दृढ़ावै। सो बीजक शुक्ल ले आवै।।

सातवाँ पंथ सत्यनामि प्रकाशा। घटके माहीं मार्ग निवासा।।

आठवाँ जीव पंथले बोले बानी। भयो प्रतीत मर्म नहिं जानी।।

नौमा राम कबीर कहावै। सतगुरू भ्रमलै जीव दृढ़ावै।।

दशवां ज्ञानकी काल दिखावै। भई प्रतीत जीव सुख पावै।।

ग्यारहवाँ भेद परमधाम की बानी। साख हमारी निर्णय ठानी।।

साखी भाव प्रेम उपजावै। ब्रह्मज्ञान की राह चलावै।।

तिनमें वंश अंश अधिकारा। तिनमेंसो शब्द होय निरधारा।।

संवत सत्रासै पचहत्तर होई। तादिन प्रेम प्रकटें जग सोई।।

आज्ञा रहै ब्रह्म बोध लावे। कोली चमार सबके घर खावे।।

साखि हमार लै जिव समुझावै। असंख्य जन्म में ठौर ना पावै।।

बारवै पन्थ प्रगट होवै बानी।शब्द हमारे की निर्णय ठानी।।

अस्थिर घर का मरम न पावैं। ये बारा पंथ हमहीको ध्यावैं।।

बारहें पन्थ हमही चलि आवै। सब पंथ मिटा एकहीपंथ चलावै।।

ऊपर दिए गए प्रमाणों से यह तो स्पष्ट है कि संत गरीबदास जी से 12वां कबीर पंथ चला है। लेकिन उनके जन्म के विषय में संवत 1775 गलती से लिखा गया है क्योंकि संत गरीबदास जी का जन्म तो विक्रम संवत 1774 में हुआ था।

संत रामपाल जी ने किया 13वें पंथ यानी यथार्थ कबीर पंथ की शुरुआत

कबीर परमेश्वर ने कबीर सागर, अध्याय – कबीर वाणी (बोधसागर) के पृष्ठ 136-137 में कहा है:

बारवै पन्थ प्रगट होवै बानी। शब्द हमारे की निर्णय ठानी।।

अस्थिर घर का मरम न पावैं। ये बारा पंथ हमही को ध्यावैं।।

बारहें पन्थ हमही चलि आवै। सब पंथ मिटा एकही पंथ चलावै।।

तथा कबीर सागर, अध्याय ‘‘कबीर वाणी (बोधसागर)‘‘ के पृष्ठ 134 (998) में ‘‘वंश प्रकार’’ में कहा है:

प्रथम वंश उत्तम।1। 

दूसरा वंश अहंकारी।2। 

तीसरा वंश प्रचंड।3। 

चौथे वंश बीरहे।4। 

पाँचवें वंश निद्रा।5। 

छटे वंश उदास।6। 

सांतवें वंश ज्ञानचतुराई।7। 

आठे द्वादश पन्थ विरोध।8। 

नौवं वंश पंथ पूजा।9। 

दसवें वंश प्रकाश।10। 

ग्यारहवें वंश प्रकट पसारा।11। 

बारहवें वंश प्रगट होय उजियारा।12। 

तेरहवें वंश मिटे सकल अँधियारा।13।

इसमें परमेश्वर कबीर जी ने आदरणीय धर्मदास जी को वंश प्रकार बताते हुए कहा है कि मैं स्वयं 12वें कबीर पंथ यानि गरीबदास पंथ में आऊँगा और सभी पंथों को समाप्त कर एक यथार्थ कबीर पंथ यानि 13वां पंथ चलाऊंगा। साथ ही कबीर साहेब जी ने बताया है कि 12वें पंथ यानि गरीबदास पंथ से थोड़ा-थोड़ा ज्ञान का उजियारा होगा जबकि मेरे 13वें पंथ से अध्यात्म में फैले अज्ञान का अंधियारा मिटेगा। वर्तमान समय में कबीर परमेश्वर ही जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के रूप में अवतरित हुए हैं जिनका बारहवें पंथ से निकास हुआ है और वे तेरहवां यथार्थ कबीर पंथ चला रहे हैं। 

जिनके तत्वज्ञान (सत्यज्ञान) के आगे सभी बारह कबीर पंथ, अन्य धर्म व पंथ के संत, महंत, धर्म गुरु नतमस्तक हो चुके हैं और उन्होंने अध्यात्म के सर्व अज्ञान का अंधियारा नाश कर दिया है। इन सभी संत, महंतों, शकराचार्यों, कबीर पंथियों के साथ संत रामपाल जी महाराज की आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा को आप Satlok Ashram यूट्यूब चैनल पर देख सकते हैं। कबीर सागर, अध्याय ‘‘अमर मूल’’ पृष्ठ 196 पर कबीर साहेब जी ने कहा है:

नाम भेद जो जान ही, सोई वंश हमार।

नातर दुनियाँ बहुत ही, बूड़ मुआ संसार।।

संत रामपाल जी महाराज की गुरुप्रणाली

12वें कबीर पंथ यानि गरीबदास पंथ में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज से 17 फरवरी 1988 फाल्गुन मास की अमावस्या को रात्रि में संत रामपाल जी महाराज को नाम उपदेश प्राप्त हुआ था। संत रामपाल जी महाराज की भक्ति में लग्न को देखते हुए स्वामी रामदेवानंद जी ने संत रामपाल जी को सन् 1993 में सत्संग करने और फिर सन् 1994 में नाम दीक्षा देने का आदेश दिया था।

Read in English: Saint Garibdas Ji Bodh Diwas 2023: Know the Saint Who Has Become the Cause of Salvation for Many

वहीं वि. स. 2054 फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष एकम (मार्च 1997) को दिन के दस बजे परमेश्वर कबीर साहेब, संत रामपाल जी महाराज को मिले तथा उन्हें सारशब्द की वास्तविकता व संगत को देने का सही समय का संकेत देकर अंतर्ध्यान हो गए। जिसके बाद सतगुरु रामपाल जी महाराज ने 13वें यथार्थ कबीर पंथ की नींव रखी। जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज की गुरुप्रणाली :

  1. बन्दीछोड़ गरीबदास जी महाराज, गांव-छुड़ानी, जिला-झज्जर (हरियाणा)
  2. संत शीतलदास जी महाराज, गांव-बरहाना, जिला-रोहतक (हरियाणा)
  3. संत ध्यानदास जी महाराज 
  4. संत रामदास जी महाराज
  5. संत ब्रह्मानन्द जी महाराज, गांव-करौंथा, जिला-रोहतक (हरियाणा)
  6. संत जुगतानन्द जी महाराज
  7. संत गंगेश्वरानन्द जी महाराज, गांव-बाजीदपुर (दिल्ली)
  8. संत चिदानन्द जी महाराज, गांव-गोपालपुर धाम, जिला-सोनीपत (हरियाणा)
  9. संत रामदेवानन्द जी महाराज, तलवंडी भाई, फिरोजपुर (पंजाब)
  10. संत रामपाल दास जी महाराज

5505 वर्ष बीतने पर 13वें कबीर पंथ की हुई शुरुआत

सन् 1997 में कलयुग के 5505 वर्ष होते हैं। इसी वर्ष फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष एकम (मार्च 1997) को परमेश्वर कबीर जी ने संत रामपाल जी महाराज को दर्शन दिए। जिसके बाद ही संत रामपाल जी महाराज ने 13वां कबीर पंथ प्रारंभ किया जोकि यथार्थ कबीर पंथ है। जिनके तत्वज्ञान के आगे सभी धर्मगुरु, संत, महंत निरुरत हो चुके हैं और सभी जाति-धर्म के लोग सर्व बुराइयों को त्यागकर उनके अनुयायी बन रहे हैं। जिसके विषय में कबीर साहेब ने करीब 600 वर्ष पूर्व कहा था।

कबीर सागर, कबीर वाणी के पृष्ठ 137 – 

पांच हजार पांच सौ पांचा। तब ये शब्द हो गया सांचा।।

कबीर सागर, अध्याय स्वसमवेद बोध पृष्ठ 121 – 

पांच हजार पांच सौ पांचा। तब यह वचन होयगा सांचा।।

कलियुग बीत जाय जब येता। सकल जिव परम पुरुष पद चेता।।

कबीर सागर, अध्याय स्वसमवेद बोध पृष्ठ 171 –

पाँच हजार अरू पाँच सौ पाँच जब कलयुग बीत जाय।

महापुरूष फरमान तब, जग तारन कूं आय।।

हिन्दु तुर्क आदि सबै, जेते जीव जहान।

सत्य नाम की साख गही, पावैं पद निर्वान।।

यथा सरितगण आप ही, मिलैं सिन्धु मैं धाय।

सत्य सुकृत के मध्य तिमि, सब ही पंथ समाय।।

जब लग पूर्ण होय नहीं, ठीक का तिथि बार।

कपट-चातुरी तबहि लौं, स्वसम बेद निरधार।।

सबही नारी-नर शुद्ध तब, जब ठीक का दिन आवंत।

कपट चातुरी छोड़ि के, शरण कबीर गहंत।।

एक अनेक ह्नै गए, पुनः अनेक हों एक।

हंस चलै सतलोक सब, सत्यनाम की टेक।।

घर घर बोध विचार हो, दुर्मति दूर बहाय।

कलयुग में सब एक होई, बरतें सहज सुभाय।।

कहाँ उग्र कहाँ शुद्र हो, हरै सबकी भव पीर(पीड़)।

सो समान समदृष्टि है, समर्थ सत्य कबीर।।

संत रामपाल जी का मानव समाज पर उपकार

विश्व प्रसिद्ध समाज सुधारक और जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज का मानव समाज पर बहुत बड़ा उपकार है। क्योंकि संत रामपाल जी महाराज पूरे मानव समाज को नशा, दहेज प्रथा, चोरी, ठगी, रिश्वत खोरी, व्यभिचार, भ्रष्टाचार, भ्रूण हत्या से मुक्ति दिला रहे हैं और सभी धर्मों में फैले पाखण्ड, अंधविश्वास को समाप्त कर एक स्वच्छ समाज तैयार कर रहे हैं। जहाँ ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, जाति-धर्म के भेदभाव न हो और पूरे विश्व में एक बार पुनः शांति हो तथा पूरा विश्व एक परमेश्वर कबीर जी की सतभक्ति कर सुखी हो सके और जन्म-मृत्यु के दुष्चक्र से सदा के लिए मुक्ति पा सके। ऐसे महानतम और परोपकारी संत के उपकार को शब्दों में बयाँ नहीं किया जा सकता और न ही कभी भुलाया जा सकता है।

संत गरीबदास जी के बोध दिवस पर तीन दिवसीय विशेष कार्यक्रम

गरीब, अलल पंख अनुराग है, सुन्न मण्डल रहै थीर।

दास गरीब उधारिया, सतगुरु मिले कबीर।।

आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज के बोध दिवस के अवसर पर 2, 3 व 4 मार्च 2023 को जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में भारत व नेपाल के 10 सतलोक आश्रमों में संत गरीबदास जी महाराज के सद्ग्रंथ साहिब (अमरग्रंथ साहिब) के अखंड पाठ, विशाल भंडारा, विशाल सत्संग, रक्तदान शिविर, दहेज मुक्त विवाह के भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। जिसमें आप सभी परिवार सहित सादर आमंत्रित हैं। आयोजन स्थल हैं:

  • सतलोक आश्रम मुंडका (दिल्ली)
  • सतलोक आश्रम रोहतक (हरियाणा)
  • सतलोक आश्रम कुरुक्षेत्र (हरियाणा)
  • सतलोक आश्रम भिवानी (हरियाणा)
  • सतलोक आश्रम धुरी (पंजाब)
  • सतलोक आश्रम खमानो (पंजाब)
  • सतलोक आश्रम सोजत (राजस्थान)
  • सतलोक आश्रम शामली (उत्तर प्रदेश)
  • सतलोक आश्रम बैतूल (मध्यप्रदेश)
  • सतलोक आश्रम जनकपुर (नेपाल)

वहीं संत गरीबदास जी के बोध दिवस के अवसर पर 4 मार्च को संत रामपाल जी महाराज के विशेष सत्संग का सीधा प्रसारण साधना टीवी चैनल पर सुबह 9.15 बजे (IST) और पॉपकॉर्न मूवीज चैनल पर सुबह 9.30 बजे (IST) अवश्य देखें। इसे आप Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel और Spiritual Leader Saint Rampal Ji Facebook Page तथा Sant Rampal Ji Maharaj App पर भी देख सकते हैं।

संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा प्राप्त कैसे करें?

संत रामपाल जी से निःशुल्क दीक्षा लेने या अपने नजदीकी नाम दीक्षा केंद्र का पता जानने के लिए संपर्क करें:- 8222880541-45, संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित ज्ञान गंगा और जीने की राह जैसी पवित्र पुस्तकें निःशुल्क मंगवाने के लिए अपना नाम, पूरा पता, पिन कोड और मोबाइल नंबर हमारे व्हाट्सएप नंबर:- 7496801825 पर भेजें तथा अन्य पुस्तकों को पीडीएफ में डाउनलोड करने के लिए हमारी वेबसाइट के प्रकाशन पेज पर जाएं।

FAQ

Q. संत गरीबदास जी का जन्म कब हुआ?

Ans. सन 1717 (विक्रम संवत 1774)

Q. संत गरीबदास जी को परमेश्वर कबीर जी कब मिले?

Ans. वि. स. 1784 फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की द्वादशी (सन 1727) को दिन के लगभग 10 बजे परम अक्षर ब्रह्म कबीर साहेब जी एक जिन्दा महात्मा के वेश में मिले।

Q. संत गरीबदास जी का बोध दिवस प्रतिवर्ष कब मनाया जाता है?

Ans. फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की द्वादशी को

Q. संत गरीबदास जी ने किस ग्रंथ की रचना करवाई?

Ans. सद्ग्रंथ साहिब (अमरग्रंथ)

Q. परमेश्वर कबीर जी संत गरीबदास जी को कहाँ मिले थे?

Ans. नला नामक खेत में, जब वे गाय चरा रहे थे।

Q. जब परमेश्वर कबीर जी मिले उस समय गरीबदास जी की आयु कितनी थी?

Ans. 10 वर्ष

Latest articles

Dr. A.P.J. Abdul Kalam Death Anniversary: Know The Missile Man’s Unfulfilled Mission

Last updated on 26 July 2024 IST | APJ Abdul Kalam Death Anniversary: 27th...

Kargil Vijay Diwas 2024: A Day to Remember the Martyrdom of Brave Soldiers

Every year on July 26th, Kargil Vijay Diwas is observed to honor the heroes of the Kargil War. Every year, the Prime Minister of India pays homage to the soldiers at Amar Jawan Jyoti at India Gate. Functions are also held across the country to honor the contributions of the armed forces.
spot_img

More like this

Dr. A.P.J. Abdul Kalam Death Anniversary: Know The Missile Man’s Unfulfilled Mission

Last updated on 26 July 2024 IST | APJ Abdul Kalam Death Anniversary: 27th...

Kargil Vijay Diwas 2024: A Day to Remember the Martyrdom of Brave Soldiers

Every year on July 26th, Kargil Vijay Diwas is observed to honor the heroes of the Kargil War. Every year, the Prime Minister of India pays homage to the soldiers at Amar Jawan Jyoti at India Gate. Functions are also held across the country to honor the contributions of the armed forces.