गणेश चतुर्थी 2020हर वर्ष बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला गणेश चतुर्थी का त्यौहार फिर से दस्तक देने को है। इस वर्ष यह त्यौहार 22 अगस्त से 1 सितंबर 2020 तक चलेगा। इस बार यह पर्व 11 दिनों तक रहेगा। कोरोना के कारण इस बार त्यौहार फीका भी रहने वाला है । आइए जानते हैं विस्तार से।
गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है?
गणेश चतुर्थी 2020: शिवपुराण के अनुसार देवी पार्वती ने उबटन से एक पुतला बनाया और उसमें प्राण डाल दिए। इस प्राणी को द्वारपाल बना माता पार्वती स्नान से पूर्व को आदेश देती है कि वह उनकी आज्ञा के बिना किसी को भी अन्दर नहीं आने दें और स्नान के लिए चली जाती है। बालक द्वार पर खड़े होकर अपनी माता की आज्ञा का पालन करता है।
Must know!! on this #GaneshVisarjan & #GaneshUtsav2019.
— Ram (@Ram_sadguru) September 12, 2019
Son of shiv ji "ganesha" is not immortal God. Only aadi ganesha is immortal God and we should all worship the lord aadi ganesha kabir sahib ji.
For more information: watch ईश्वर TV channel at 8:30pm to 9:30pm IST. pic.twitter.com/F6bZyjK4r7
तभी भगवान शंकर आते हैं और अन्दर जाने का प्रयास करते हैं लेकिन बालक उन्हें अंदर नहीं जाने देता है। भगवान शिव के बार-बार कहने पर भी बालक नहीं मानता है इससे भगवान शिव को क्रोध आ जाता है और वे अपने त्रिशूल से बालक के सिर को धड़ से अलग कर देते हैं। यह है गणेश जी की जन्म की कथा।
गणेश चतुर्थी 2020 कब है?
इस वर्ष यह त्यौहार 22 अगस्त से 1 सितंबर 2020 तक चलेगा। इस बार यह पर्व 11 दिनों तक रहेगा। इन दिनों में पूरे देश में घर और मंदिरों में गणपति स्थापना का आयोजन किया जाता है। सभी दिनों में अतिथियों को सम्मान के साथ घर आने का आग्रह करते हैं। भजनों के साथ भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की जाती है। गणेश उत्सव (गणेश चतुर्थी) पर धार्मिक अनुष्ठान और रंगारंग कार्यक्रम इत्यादि भी आयोजित किए जाते हैं।
गणेश चतुर्थी के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य
- हिन्दू धर्म में भगवान गणेश का विशेष स्थान है|
- भारतीय संस्कृति में गणेश जी को विघ्न-विनाशक, मंगलकारी, रक्षा कारक, सिद्धि दायक, समृद्धि, शक्ति और सम्मान प्रदायी माना गया है।
- सभी देवताओं में सबसे पहला स्थान गणेश जी का ही है।
- लोक परम्परा के अनुसार इसे डण्डा चौथ भी कहा जाता है।
- दस दिन तक चलने वाला यह गणेश चतुर्थी उत्सव 22 अगस्त (शनिवार) से प्रारंभ होकर अनंत चतुर्दशी के दिन तक मनाया जाएगा ।
- महाराष्ट्र में इस त्यौहार को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। भगवान गणेश को गजानन, गजदत, गुजमुख नामों से बुलाया जाता है |
कोरोना महामारी से गणेश पर्व भी अछूता नहीं
इस वर्ष कोरोनावायरस के चलते सामाजिक दूरी के कारण पांडालों में गणपति मूर्ति स्थापन की जगह अधिकांशतः रक्तदान शिविर और अन्य सेवा कार्य चलाए जाएंगे। सामाजिक दूरी के नियम का पूर्णतः पालन किया जाएगा।
शास्त्रानुकूल भक्ति का प्रमाण सतग्रंथो में
गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में गीता ज्ञान दाता किसी तत्वदर्शी संत की खोज करने को कहता है। इससे सिद्ध होता है कि गीता ज्ञान दाता (ब्रह्म) ने भक्ति साधना को पूर्ण रूप से नहीं बताया है। पवित्र गीता अध्याय 7 के श्लोक 12 – 15 में गीता ज्ञानदाता कहता हैं कि तीन गुणों ब्रह्मा, विष्णु, महेश की भक्ति करना भी व्यर्थ है। गीता जी में भी शास्त्रों को छोड़कर किए गए मनमाने आचरण को व्यर्थ कहा है। पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब कहते हैं-
तीन गुणों की भक्ति में, ये भूल पड़ो संसार |
कहें कबीर निजनाम बिना, कैसे उतरो पार ||
अतः साधकों को चाहिए कि तीन देवों की भक्ति में न फंसे और पूर्ण तत्वदर्शी सन्त से नामदीक्षा लेकर शास्त्रानुकूल भक्ति करें। पूर्ण परमात्मा की भक्ति ही मोक्ष दिला सकती है क्योंकि अन्य सभी जन्म-मरण के चक्र में स्वयं ही फंसे हैं।
तत्वदर्शी संत की पहचान
पवित्र गीता जी के ज्ञान को समझने पर यह स्पष्ट होता है कि पूर्ण परमात्मा की भक्ति की सही विधि गीता ज्ञान दाता को भी नहीं पता अतः उन्होंने तत्वदर्शी संत की खोज करने के लिए कहा। वास्तव में तत्वदर्शी संत की पहचान गीता अध्याय 15 के श्लोक 1 से लेकर 4 और 16 व 17 में बताया गया है। यजुर्वेद, अध्याय 19 मन्त्र 25, 26,30; सामवेद संख्या 822 उतार्चिक अध्याय 3 खण्ड 5 श्लोक 8 आदि में भी पूर्ण सन्त की पहचान दी गई है। पूर्ण संत की पहचान है कि वह चारों वेदों, छः शास्त्रों, अठारह पुराणों आदि सभी ग्रंथों का पूर्ण जानकार होगा, अर्थात् उनका सार निकाल कर बताएगा। पूर्ण संत सभी धर्मों की पवित्र पुस्तकों के आधार पर तत्व ज्ञान देगा।
कौन से मंत्र शक्तिशाली है?
“वक्र तुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ निर्विघ्नं कुरुमेदेव सर्व कार्येषु सर्वदा” का हमारे शास्त्रों में कोई प्रमाण नहीं मिलता है । “जय गणेश जय गणेश देवा” तथा अनेक मंत्रो से गणेश जी प्रसन्न नहीं होते हैं । गणेश जी को प्रसन्न करने वाला जो वास्तविक मंत्र है वह मंत्र भी एक तत्वदर्शी संत ही दे सकता है।
कौन है आदि गणेश?
गणेश मतलब होता है गणों का ईश। वास्तव में सभी गणों का ईश कबीर साहेब है इसलिए ही उन्हें आदि गणेश कहा गया है। सभी देवताओं की उत्पत्ति व संसार की उत्पत्ति कबीर साहेब के द्वारा ही हुई है वे ही सभी आत्माओं के जनक हैं। कबीर साहेब की प्राप्ति शास्त्र अनुकूल भक्ति साधना से ही होती है।
जो तत्वदर्शी सन्त अपने घट में ही परमात्मा के दर्शन कर चुका होता है, वह परमात्मा को पाने के लिये किसी भी प्रकार का बाहरी कृत्य न तो स्वयं करता है और ना ही वह दूसरों से बाहरी कृत्यों को कराता है। वह केवल शास्त्रानुकूल साधना करवाता है। शास्त्रानुकूल साधना से ही मोक्ष की प्राप्ति की जा सकती है। आज पूरे विश्व में शास्त्रानुकूल साधना केवल संत रामपाल जी महाराज ही बताते है।
संत रामपाल जी महाराज जी से लीजिए वास्तविक आध्यात्मिक शिक्षा
तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज की बताई हुई शास्त्र विधि अनुसार मंत्र साधना करने से साधक पूरा लाभ ले सकते हैं। सभी सांसारिक दुखों से छुटकारा पाकर सुखों को अनुभव करते हुए पूर्ण मोक्ष को प्राप्त कर सकते हैं ।
संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए और प्राप्त कीजिए पूरी आध्यात्मिक जानकारी:- सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल; साधना चैनल पर प्रतिदिन शाम 7:30 से 8.30 बजे; श्रद्धा चैनल पर प्रतिदिन दोपहर 2:00 से 3:00 बजे। सत भक्ति व मोक्ष प्राप्त करने के लिए संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा ग्रहण करें। जगतगुरु तत्त्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम दीक्षा लेने के लिए कृपया यह फॉर्म भरें
S A NEWS
Related posts
1 Comment
Leave a Reply Cancel reply
Trending News
Very nice 👌
Ganesh chaturthi ki jankari ke liye thanks