Last Updated on 15 June 2024 IST | बकरीद (Bakrid in Hindi) या ईद-उल-अज़हा (Eid ul Adha 2024) का त्योहार मुस्लिम धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। इसे कुर्बानी के त्योहार के रूप में भी लोग मनाते है। लेकिन क्या अल्लाह ने कभी दूसरे जानवरों को कुर्बान करने का आदेश दिया था? हम सभी एक अल्लाह के बच्चे हैं, तो क्या अल्लाह अपने ही बच्चों की कुर्बानी से खुश होगा? इस ब्लॉग में ऐसे कई पहलुओं पर चर्चा की जाएगी।
बकरा ईद (Bakrid 2024) कब है?
ईद-उल-अज़हा 2024 (Bakrid in Hindi): बकरा ईद date यानी बकरा ईद इस साल 16 जून 2024 शाम को प्रारम्भ होकर 17 जून 2024 को समाप्त है। ईद उल अजहा यानी बकरीद इस्लाम धर्म का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार है। इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से बकरीद का त्योहार 12वें महीने की 10 तारीख को मनाया जाता है। बकरीद का त्योहार रमजान का महीने खत्म होने के 70 दिन के बाद मनाया जाता है। इस दिन मुस्लिम धर्म के लोग बकरों की कुर्बानी देते हैं और प्रसाद के रुप में खाते हैं। जबकि पवित्र कुरान शरीफ में तो अल्लाह ने मांस खाने का आदेश नहीं दिया।आइए जानें बकरीद (Bakrid 2024) पर कुर्बानी के लिए अल्लाह के आदेश।
क्यों मनाई जाती है बकरीद (Bakrid in Hindi)?
Bakrid in Hindi: अरबी में बकरीद का मतलब (Meaning) होता है – “क़ुरबानी की ईद।” इस्लाम धर्म में विश्वास रखने वाले लोगों का यह एक प्रमुख त्योहार (Festival) है। यह रमज़ान के पवित्र महीने की समाप्ति के 70 दिनों बाद मनाया जाता है। इस्लामिक मान्यता के अनुसार हज़रत इब्राहिम अपने पुत्र हज़रत इस्माइल को इस दिन खुदा के हुक्म पर खुदा की राह में कुर्बान करने जा रहे थे (बलि देने जा रहे थे) तो अल्लाह ने उनके पुत्र को जीवनदान दे दिया जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है और फिर शुरू हुई परम्परा बकरीद मनाने की।
विचारणीय विषय है कि हजरत इब्राहिम अपने पुत्र हजरत इस्माइल को अल्लाह की राह में कुर्बान करने जा रहे थे लेकिन अल्लाह ने हजरत इस्माइल को जीवनदान दिया। पवित्र मुसलमान धर्म के श्रद्धालु इस दिन की याद में रात को कलमा पढ़ कर बकरे को काट कर खाते हैं और कहते हैं कि अल्लाह ने बकरे की रूह को जन्नत में स्थान दिया है, इसीलिए ये बकरे का माँस हमारे लिए प्रसाद बन गया। अल्लाह ने हजरत इस्माइल जी को जिंदगी दी थी और मुसलमान धर्म के श्रद्धालु बकरा ईद के दिन बकरे को मार कर खाते हैं। अल्लाह ने तो जिंदगी दी और मुस्लिम उस दिन की याद में बकरे की जिंदगी ले लेते है। क्या अल्लाह ऐसे लोगो को बख्शेंगे?
Eid ul adha (Bakrid 2024) India: हजरत मुहम्मद ने कभी मांस नहीं खाया
Bakrid in Hindi: जैसा कि हम जानते है कि eid ul adha या Bakrid 2024 त्योहार India में भी प्रसिद्ध है। आज हम आपको हजरत मुहम्मद ने कभी मांस नहीं खाया के बारे में विस्तार से समझाएंगे। पवित्र मुसलमान धर्म के श्रद्धालु हजरत मुहम्मद को अपना अंतिम पैगम्बर मानते हैं। हजरत मोहम्मद जी के एक लाख अस्सी हजार अनुयायी बन गए थे। हजरत मोहम्मद जी ने कभी अपने शिष्यों को माँस खाने का आदेश नहीं दिया और ना ही स्वयं उन्होंने कभी मांस खाया।
“हजरत मुहम्मद जी का जीवन चरित्र” पुस्तक के पृष्ठ 307 से 315 में लिखा है कि हजरत मुहम्मद जी ने कभी खून खराबा करने का आदेश नहीं दिया मतलब बकरीद पर बकरे काटने का आदेश ना तो अल्लाह का है और ना ही हजरत मुहम्मद जी का।
Bakrid in Hindi: कुरान शरीफ में नहीं है मांस खाने का आदेश
कुरान शरीफ, तौरात, ज़बूर, इंजील इन चार पुस्तकों को पवित्र मुसलमान धर्म के श्रद्धालु सही मानते हैं। उनका मानना है कि इन पुस्तकों में जो लिखा है, वही सही है और अल्लाह का आदेश है। आइए जानते हैं-
- पवित्र तौरात पुस्तक के अंदर ‘पैदाइश’ में पृष्ठ नंबर 2 और 3 पर लिखा है कि अल्लाह ताला ने मनुष्यों को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया। जो बीज वाले फल हैं, उन्हें मनुष्यों को खाने का आदेश दिया और जीव जंतुओं को घास फूस खाने का आदेश दिया। इस प्रकार परमेश्वर ने छः दिन में सृष्टि रची औऱ सातवें दिन तख्त पर जा विराजा।
- पवित्र कुरान शरीफ सुरत फुरकान 25, आयत नंबर 52, 53, 54, 58, 59 में लिखा है कि (कुरान शरीफ का ज्ञान दाता हजरत मोहम्मद को कह रहा है ) “हे पैगम्बर तुम उन काफिरों का कहा न मानना जो ये नहीं मानते कि कबीर ही सबसे बड़ा अल्लाह है। तू उनकी बातों में मत आना और कुरान की इस बात से कि कबीर ही अल्लाह है, उनका सामना बड़े जोर से करो।”(52)
- “अल्लाह कबीर ही है जिसने दो दरियाओं को मिला चलाया और एक का पानी मीठा, प्यास बुझाने वाला और दूसरे का खारा है, छाती जलाने वाला और दोनों के दर्मियान एक आड़ और मजबूत ओट बना दी।”(53)
- “और उसी कबीर अल्लाह ने पानी से आदमी बनाया। किसी को किसी का दामाद और किसी को किसी का नसब रिश्ते वाला बनाया और तुम्हारा परवरदिगार हर तरह की कुदरत रखता है।” (54)
- (कुरान शरीफ का ज्ञान दाता अपने आप को इस आयत में अपूर्ण यानी नाकाफ़ी सिद्ध कर रहा है अर्थात अल्लाह ताला तो कोई और है)। “उस जिंदा पर भरोसा रख जो कभी नहीं मरेगा। उसकी तारीफ के साथ उसकी महिमा का गुण गान करते रहो। वह अपने बन्दों के गुनाहों से खबरदार है।” (58)
- “जिसने आसमानों और जमीन को छः दिन में पैदा किया और फिर अर्श पर जा ठहरा, वह अल्लाह कबीर बड़ा मेहरबान है। उसको प्राप्त करने की विधि किसी बाख़बर अर्थात तत्वदर्शी संत से मालूम कर लो।” (59)
पवित्र कुरान शरीफ और तौरात से यह सिद्ध हुआ कि कबीर साहेब ही वास्तव में अल्लाहु अकबर हैं। वह अल्लाह मनुष्य के समान है और अल्लाह कबीर का माँस खाने का आदेश पूरी कुरान शरीफ में नहीं है। मुसलमान धर्म के अनुयायी कबीर अल्लाह (अल्लाह-हु-अकबर) के आदेश का पालन ना करके कुरान शरीफ के ज्ञान दाता या अन्य किसी भी फरिश्ते के आदेश का पालन करते हैं तो वो उस अल्लाह कबीर के दोषी हैं।
Bakrid in Hindi: पवित्र मुसलमान धर्म के पैगम्बर हजरत मोहम्मद जी जिस रास्ते पर थे उन प्यारे नबी को आदर्श मानकर समस्त मुस्लिम समुदाय उसी राह पर चल रहा है किंतु मुस्लिमो को वास्तव में उनके धार्मिक गुरुओं द्वारा बहकाया और भरमाया गया है। वर्तमान में सारे मुसलमान मांस खा रहे है परंतु नबी मोहम्मद ने कभी माँस नही खाया तथा न ही उनके सीधे (एक लाख अस्सी हजार) अनुयायियों ने कभी माँस खाया। हजरत मोहम्मद केवल रोजा व नमाज किया करते थे। गाय आदि को बिस्मिल (हत्या) नहीं करते थे। हज़रत मुहम्मद इतने दयालु थे कि वे चींटी को भी तंग करना हराम समझते थे।
Eid Al Adha (Bakrid in Hindi): अल्लाह ताला का कुर्बानी के लिए क्या आदेश है?
नबी मुहम्मद नमस्कार है , राम रसूल कहाया |
एक लाख अस्सी को सौगंध, जिन नहीं करद चलाया ||
अरस कुरस पर अल्लह तख्त है, खालिक बिन नहीं खाली |
वे पैगम्बर पाक पुरुष थे, साहेब के अब्दाली ||
नबी मोहम्मद तो आदरणीय हैं, जो अल्लाह के पैगम्बर माने गए हैं। कसम है एक लाख अस्सी हजार को जो उनके अनुयायी थे, उन्होंने भी कभी बकरे, मुर्गे तथा गाय आदि पर करद (छुरा) नहीं चलाया अर्थात जीव हिंसा नहीं की। उन्होंने माँस भक्षण नहीं किया। हजरत मोहम्मद, हजरत ईसा, हजरत मूसा आदि पैगम्बर (संदेशवाहक) तो पवित्र व्यक्ति थे तथा ब्रह्म (ज्योति निरंजन / काल जो कि कुरान शरीफ का ज्ञान दाता तथा वेदों और गीता का ज्ञान दाता है) के कृपा पात्र थे परंतु जो आसमान के अंतिम छोर (सतलोक) में पूर्ण परमात्मा (अल्लाहु अकबर अर्थात अल्लाह कबीर जिसने सारी सृष्टि बनाई) है, उस सृष्टि के मालिक की नजर से कोई नहीं बच सकता। कुरान में बहुत स्थानों पर अल्लाह के गुणों का बखान है। अल्लाह कबीर है। लेकिन वास्तव में सभी साधनाएं भूलवश मुस्लिम समुदाय शैतान की कर रहा है। अल्लाह कबीर तक पहुंचने का रास्ता न बिस्मिल से होकर जाता है न ही नमाज़ ही करते रहने से।
Eid ul Adha (Bakrid 2024): अल्लाह ताला कबीर साहेब ने कुर्बानी के लिए नहीं कहा
मारी गऊ शब्द के तीरं, ऐसे थे मोहम्मद पीरं |
शब्दै फिर जिवाई, हंसा राख्या माँस नहीं भाख्या, ऐसे पीर मोहम्मद भाई ||
एक समय नबी मोहम्मद जी ने एक गाय को शब्द (वचन सिद्धि) से मारकर सभी के सामने पुनः जीवित कर दिया था। उन्होंने गाय का माँस नहीं खाया। मुसलमान समाज वास्तविकता से परिचित नहीं है। जिस दिन गाय जीवित की थी, उस दिन की याद बनाए रखने के लिए वे गाय या बकरे को मार देते है। जिस जीव को आप जिंदा नहीं कर सकते उसे मारने का अधिकार भी आपको नहीं है। आप माँस को प्रसाद का रूप जान कर खाते और खिलाते हो। आप स्वयं भी पाप के भागी बनते हो तथा अनुयायियों को भी गुमराह कर रहे हो। आप दोजख (नर्क) के पात्र बन रहे हो।
इस विषय में अल्लाह कबीर जी फरमाते हैं
दिन को रोजा रहत हैं, रात हनत हैं गाय।
यह खून वह बन्दगी, कहुं क्यों खुशी खुदाय।।
अर्थात दिन में तो मुसलमान रोजा रखते हैं लेकिन रात को गाय को काटकर खाते हैं। एक तरफ तो अल्लाह की बन्दगी करते हैं और दूसरी तरफ गाय की हत्या कर देते हैं। इस तरह की इबादत से अल्लाह कभी खुश नहीं होते।
Read in English | On this Eid al Adha Know the Real Bakhabar (Bakrid)
कृपया एक बार आप जरूर विचार करें कि मुसलमान भाई ये भी मानते हैं कि जिस बकरे की बकरीद के दिन कुर्बानी करते हैं, वह बकरा जन्नत में जाता है और उस बकरे का माँस हमारे लिए माँस नहीं बल्कि प्रसाद बन जाता है। यदि बकरे की कुर्बानी करने पर बकरे की रूह को सीधी जन्नत मिलती है तो विचार कीजिये कि जन्नत में तो आपको भी जाना है, तो क्यों न उस बकरे की जगह आप अपनी कुर्बानी दे दो और आप पहले ही जन्नत पहुंच जाओ जबकि वास्तविकता यह है कि इस तरह बकरे की या किसी भी अन्य पशु की कुर्बानी देने से जन्नत नहीं बल्कि सीधा दोजख मिलता है।
इस गलत साधना और परम्परा को हर मुसलमान मान रहा है लेकिन जो कुरान शरीफ को पढ़ने वाले मुल्ला काजी थे, उन्होंने कुरान शरीफ को ठीक से ना समझ कर अधूरे अल्लाह का आदेश मान कर, इस गलत परम्परा को सारे मुसलमान समाज में प्रचलित कर दिया जो अल्लाह ताला के विधान के बिल्कुल विपरीत है। इस गलत परम्परा के कारण आज सारा मुसलमान समाज घोर पाप का भागी बन रहा है। जिसे हलाल कह रहे है वह वास्तव में हराम है, क्योंकि किसी भी मासूम की जान लेना हराम है, किसी को बेवजह परेशान करना हराम है, किसी जानवर को बचाने और देखभाल की बजाय उसे मारकर खा जाना हराम है। अल्लाह को सभी आत्माएँ समानता से प्रिय हैं। एक विचार करने योग्य बात है कि इस तरह मारने से यदि कोई जन्नत जा सकता तो लोग जानवरों को कभी जन्नत जाने का मौका नहीं देते बल्कि खुद और अपने परिवार और बच्चों को जन्नत भेजते।
Eid ul Adha (Bakrid in Hindi): हमारे गुनाहों का नाश कैसे होगा?
- पवित्रकुरान शरीफ सूरत फुरकान 25 आयत 59 में कहा है कि जिस कबीर नामक अल्लाह ताला ने इस सारी सृष्टि की रचना छः दिन में कर दी, वो अल्लाह कबीर बड़ा दयालु है। उस अल्लाह कबीर को प्राप्त करने की विधि किसी बाख़बर अर्थात तत्वदर्शी संत से पूछ देखो।
- कुरान शरीफ की इस आयत ने स्पष्ट कर दिया कि कुरान शरीफ का ज्ञान देने वाला अल्लाह ताला नहीं है और ना ही वह अल्लाह को पाने की विधि जानता है।
Eid Al Adha 2024: कुरआन में तत्वदर्शी सन्त अर्थात बाख़बर की क्या पहचान है?
- सूरत 42 आयत 1 में अल्लाह ताला को प्राप्त करने के तीन शब्द बताए हैं: एन सीन काफ
- कुरानशरीफ के ज्ञान दाता ने स्पष्ट कर दिया है कि अल्लाह ताला को प्राप्त करने के तीन मन्त्र हैं। जो संत इन तीनों मंत्रों को सही सही बता देगा और इन मंत्रों के जाप की विधि बता देगा, वही बाख़बर अर्थात तत्वदर्शी संत है।
- यही बात श्रीमद्भगवद्गीता जी के अध्याय 17 श्लोक 23 में कही गई है कि उस परमात्मा को पाने का तीन मंत्र (ओम तत सत) का जाप है। जो संत इन तीनों मंत्रों को तथा इनके जाप करने की सही विधि बता देगा, वही तत्वदर्शी संत है।
- साथ ही मूसा को जिस अल खिद्र के दर्शन हुए वो कोई और नहीं बल्कि सबका परम् पिता अल्लाह कबीर है।
मन नेकी कर ले, दो दिन का मेहमान
मुसलमान भाई अपनी कुरान शरीफ से ही परिचित नहीं हैं। कुरान शरीफ में कई जगह लिखा है कि जो व्यक्ति अल्लाह ताला के आदेशों के अनुकूल चलेगा और जो तत्वदर्शी संत अर्थात बाख़बर से उपदेश लेकर अल्लाह ताला की भक्ति करेगा, अल्लाह ताला उसके गुनाहों को माफ कर देगा। और माफी नेकी से होती है किसी की जान लेने से नहीं। अल्लाह कबीर इस धरती और आसमान की सारी बातें जानता है। यदि इस कदर मारने से कोई रूह जन्नत जाती तो कोई जानवरों को मौका नहीं देता बल्कि पहले खुद की व्यवस्था करता। ये सब जिव्हा के स्वाद के लिए नकली काजियों, धर्मगुरुओं द्वारा चलाये गए कर्मकांड हैं। आदरणीय गरीबदास जी ने कहा है-
मांस कटै घर घर बटै, रूह गई किस ठौर।
गरीबदास उस दरबार में, होय काजी बड़ गौर ||
अर्थात ये कतई न समझें कि ऐसे खूनी लोग उस दरगाह में बख़्श दिए जाएंगे। एक एक कर्म का हिसाब होता है। जब इन बिस्मिल किये गए मासूमों का हिसाब होगा और इनकी सजा मिलेगी तो आपकी रूह कांप जाएगी। कबीर साहेब ने शाकाहार करने के लिए कहा है। धर्मग्रंथों में इंसान को जानवरों पर प्रभुता मिली है क्यों? उनका भक्षण करने के लिए नहीं बल्कि उनकी रक्षा के लिए। कबीर साहेब ने कहा है-
कबीर, खूब खाना है खीचड़ी, माँहि परी टुक लौन।
मांस पराया खायकै गला कटावै कौन ।।
बेदर्दी और ज़ुल्म की सज़ा भी उसी तरह दी जाएगी यह बात सत्य है। अल्लाह ऐसे कुकर्मों से खुश नहीं होता बल्कि दुखी होता है और किसी भी रूह को दुखी करने से आपको जन्नत नहीं बल्कि दोजख नसीब होता है। अल्लाह कबीर ने फरमाया है-
रोज़ा, बंग, नमाज़ दई रे, बिसमिल की नहीं बात कही रे।
अर्थात बिस्मिल यानी जीव हत्या स्पष्ट रूप से मना किया गया है। हमें इंसान का लिबास बहुत मुश्किल से मिलता है इसे नेकी करके और बाख़बर द्वारा बताई गई सच्ची इबादत करके व्यतीत करना चाहिए और उस लोक में जाना चाहिए जो जन्नत से भी खूबसूरत और कभी नष्ट न होने वाला है।
किसने अल्लाहु अकबर के बारे में सही ज्ञान बताया?
यदि इस विश्व में कोई बाख़बर अर्थात तत्वदर्शी संत है तो वह सतगुरु रामपाल जी महाराज जी हैं क्योंकि, सतगुरु रामपाल जी महाराज जी ने गुप्त मंत्रों (पवित्र कुरान शरीफ के अनुसार: एन सीन काफ और पवित्र श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार: ॐ तत सत) को खोला है और सिमरन की सही विधि बताई है।
सतगुरु रामपाल जी महाराज द्वारा दी गयी भक्ति साधना शास्त्रानुकूल है। सतगुरु रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार का कोई कष्ट नहीं है क्योंकि, पापों के कारण ही मनुष्य जीवन में कष्ट आते हैं और सतगुरु रामपाल जी महाराज जी उस अल्लाह/परमात्मा की सतभक्ति विधि बताते हैं जो हमारे पापों का भी नाश कर देती है। संत रामपाल जी महाराज ही वे बाख़बर हैं जिनके विषय में कुरान शरीफ के ज्ञान दाता ने कहा है। सतगुरु रामपाल जी महाराज जी के द्वारा जो भक्ति दी जाती है, उस भक्ति को करने से हमारे सर्व पापों को अल्लाह माफ कर देगा। उस अल्लाहु अकबर के सच्चे नुमाइंदे सतगुरु रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर अपना कल्याण करवाइये क्योंकि, मनुष्य जीवन बहुत अनमोल है जो हमें सतभक्ति करके मोक्ष प्राप्त करने के लिए प्राप्त हुआ है।
इसलिये बिना समय गंवाए सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की शरण आकर पूर्ण परमात्मा (अल्लाहु अकबर) की भक्ति करें जिससे हमारा मानव जीवन सफल हो और हमे मोक्ष की प्राप्ति हो सके। याद रहे ये कुफ्र नहीं और न ही शिर्क है। सच्चा, नेक, ईमान का अल्लाह को पाने का रास्ता केवल सन्त रामपाल जी महाराज बता सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए डाउनलोड करें सन्त रामपाल जी महाराज एप्प और जानें शास्त्रों के सही अर्थ।
FAQs about (Eid ul Adha) | Bakrid in Hindi
ईद उल अजहा 2024 में 17 जून को है।
इस्लाम में ईद वर्ष में दो बार ईद उल फितर और ईद उल अजहा के रूप में मनाई जाती है।
बकरीद यानि 17 जून 2024 को सार्वजनिक अवकाश है।
बकरीद का त्योहार पैगंबर इब्राहिम द्वारा अल्लाह के प्रति प्रेम में अपने बेटे इस्माइल की बलि देने से जुड़ा है जिसे अल्लाह ने तुरंत जीवित कर दिया था।
ईद उल अजहा भी ईद उल फितर की तरह जोर शोर से मनाई जाती है। जश्न और दावत के साथ ही सभी मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज पढ़ते हैं और बकरे की कुर्बानी देते हैं जो कि अल्लाह का आदेश नही है।