वर शिवम दास निवासी शामली, उत्तरप्रदेश तथा वधु कीर्ति निवासी मैनपुरी, उत्तरप्रदेश यह दोनों संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य हैं । शिवम् और कीर्ति दोनों ने बिना किसी दान दहेज और शादी की नकली परंपराओं को निभाए बेहद सादगी से 4 अप्रैल , 2021 को एक-दूजे से विवाह किया। शिवम दास ने बताया कि, ‘ऐसा विवाह करने का कारण संत रामपाल जी महाराज जी का सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान था। उन्होंने ही उसे और वधु कीर्ति को अपने सत्संगों के माध्यम से दहेज रहित विवाह करने के लिए प्रेरित किया।’
दहेज के कारण ही बेटी को बोझ मानने लगे लोग
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य समाज से दहेज जैसी कुप्रथा को जड़ से उखाड़ फेंकना है। दहेज जैसी गलत प्रथा के कारण ही माता पिता अपनी ही बेटी को बोझ मानने लगे। आज संत रामपाल जी के लाखों शिष्य दहेज रहित विवाह करके सुखी जीवन जी रहे हैं।

नववधु कीर्ति ने बताया कि, “मैं इस साधारण तरीके से यानी 17 मिनट की रमैणी/ गुरू वाणी के द्वारा विवाह करके अपने आप को बेहद सौभाग्यशाली मानती हूं कि मुझे एक महान संत की छत्रछाया में एक ऐसा परिवार मिल रहा है जो मुझे बिना दहेज के स्वीकार कर रहा है, मेरे माता पिता मेरे जन्म के बाद से ही, मेरे विवाह के लिए धन इकट्ठा करने लगे थे। लेकिन मेरे गुरु जी संत रामपाल जी महाराज ने मेरा विवाह बिना दान-दहेज, आडंबर के संपूर्ण करवाया जिससे मैं और मेरा पूरा परिवार बेहद खुश हैं। मैं अपने जैसी तमाम लड़कियों को यह कहना चाहती हूं कि आप भी दहेज मुक्त भारत बनाने में सहयोग करें और संत रामपाल जी महाराज जी के सत्संग सुनें “। सत्संग सुनने से ही मानव जीवन का उद्देश्य पता चलेगा।
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