भारतवर्ष को अवतारो की भूमि माना जाता है, समय समय पर पूर्ण परमात्मा कबीर जी भारत वर्ष की पावन भूमि पर अवतरित होते रहते हैं ऐसा हमारे सत्य ग्रन्थ प्रमाणित करते है। आइए जानते है पूर्ण परमात्मा के वर्तमान अवतार संत रामपाल जी महाराज के बारे में विस्तार से।
कबीर साहेब जी ने कहा था –
कबीर, पांच सहंस अरू पांच सौ, जब कलियुग बीत जाय।
महापुरुष फरमान तब, जग तारण को आय ।।
तत्वदर्शी संत रामपाल जी का जन्म पवित्र हिन्दू धर्म में
8 सितम्बर 1951 भारत वर्ष के छोटा से गांव धनाना जिला सोनीपत हरियाणा में एक किसान परिवार में हुआ। वे पढ़ाई पूरी करके हरियाणा प्रांत में सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष कार्यरत रहे।
सन 1988 में परम संत रामदेवानंद जी से दीक्षा प्राप्त की तथा तन-मन से सक्रिय होकर स्वामी रामदेवानंद जी द्वारा बताए भक्ति मार्ग से साधना की तथा परमात्मा का साक्षात्कार किया। संत रामपाल जी को नाम दीक्षा 17 फरवरी 1988 को फाल्गुन महीने की अमावस्या को रात्रि में प्राप्त हुई। उस समय संत रामपाल जी महाराज की आयु 37 वर्ष थी। उपदेश दिवस (दीक्षा दिवस) को संतमत में उपदेशी भक्त का आध्यात्मिक जन्मदिन माना जाता है। तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी का नारा शुरू से रहा है कि
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा ।
हिन्दु मुस्लिम सिक्ख ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा ।।
संत रामपाल जी महाराज जी की गुरु प्रणाली
- 1 बन्दी छोड़ कबीर साहिब जी महाराज, काशी (उत्तर प्रदेश)
- 2 बन्दी छोड़ गरीबदास जी महाराज, गांव-छुड़ानी, झज्जर (हरियाणा)
- 3 संत शीतलदास जी महाराज गांव-बरहाना, जिला-रोहतक (हरियाणा)
- 4 संत ध्यानदास जी महाराज
- 5 संत रामदास जी महाराज
- 6 संत ब्रह्मानन्द जी महाराज गांव-करौंथा, जिला-रोहतक (हरियाणा)
- 7 संत जुगतानन्द जी महाराज
- 8 संत गंगेश्वरानन्द जी महाराज, गांव-बाजीदपुर (दिल्ली)
- 9 संत चिदानन्द जी महाराज, गांव-गोपालपुर धाम, सोनीपत (हरियाणा)
- 10 संत रामदेवानन्द जी महाराज, (तलवंडी भाई, फिरोजपुर(पंजाब)
- 11 संत रामपाल दास महाराज
संत रामपाल जी द्वारा सत्संग का आरंभ
सन 1993 में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज ने संत रामपाल जी महाराज जी को सत्संग करने की आज्ञा दी तथा सन 1994 में नामदान करने की आज्ञा प्रदान की। भक्ति मार्ग में लीन होने के कारण इन्होंने जे.ई. की पोस्ट से त्यागपत्र दे दिया जो हरियाणा सरकार द्वारा 16.5.2000 को पत्र क्रमांक 3492-3500, तिथि 16.5.2000 के तहत स्वीकृत है। सन 1994 से 1998 तक संत रामपाल जी महाराज ने घर-घर, गांव-गांव, नगर-नगर में जाकर सत्संग किया। बहु संख्या में अनुयाई हो गये। साथ-साथ ज्ञानहीन संतों का विरोध भी बढ़ता गया।
सन 1999 में गांव करौंथा जिला रोहतक (हरियाणा) में सतलोक आश्रम करौंथा की स्थापना की तथा एक जून 1999 से 7 जून 1999 तक परमेश्वर कबीर जी के प्रकट दिवस पर सात दिवसीय विशाल सत्संग का आयोजन करके आश्रम का प्रारम्भ किया तथा महीने की प्रत्येक पूर्णिमा को तीन दिन का सत्संग प्रारम्भ किया। दूर-दूर से श्रद्धालु सत्संग सुनने आने लगे तथा तत्वज्ञान को समझकर बहुसंख्या में अनुयाई बनने लगे।
चंद दिनों में संत रामपाल महाराज जी के अनुयाइयों की संख्या लाखों में पहुंच गई। जिन ज्ञानहीन संतों व ऋषियों के अनुयाई संत रामपाल जी के पास आने लगे तथा अनुयाई बनने लगे फिर उन अज्ञानी आचार्यों तथा सन्तों से प्रश्न करने लगे कि आप सर्व ज्ञान अपने सद्ग्रंथों के विपरीत बता रहे हो।
सतज्ञान के प्रचार की शुरुआत
संत रामपाल जी महाराज ने वह नया ज्ञान बताया है जो आज तक किसी ने नहीं बताया कृपया पढ़ें पुस्तक “ज्ञान गंगा” की सृष्टि उत्पत्ति का ज्ञान सृष्टि जिसमें बताया है कि ब्रह्मा जी, विष्णु जी तथा शिव शंकर जी अविनाशी नहीं है इनका आविर्भाव (जन्म) तथा तिरोभाव (मृत्यु) होता है । इनके माता-पिता हैं । यह प्रमाण देवी महापुराण के तीसरे स्कंध में बताया है जिसको आज तक हिंदू धर्मगुरु ठीक से नहीं समझ पाए तथा श्रद्धालुओं को शास्त्रों के विपरीत ज्ञान बताते रहे कि ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव जी के कोई माता पिता नहीं है। ये तीनों अविनाशी है। इनका कभी जन्म- मृत्यु नहीं होता है।
संत रामपाल जी महाराज ने बताया कि श्रीमद भगवत गीता का ज्ञान श्री कृष्ण जी के शरीर में प्रेतवत प्रवेश करके काल ब्रह्म (जिसको ज्योति निरंजन तथा शिव पुराण के रुद्र संहिता अध्याय में महाशिव ,सदाशिव कहा है) जो श्री ब्रह्मा, श्री विष्णु तथा श्री शिव जी का पिता है।
जगत के तारण हार
संत रामपाल जी महाराज सन 2003 से अखबारों व टी वी चैनलों के माध्यम से सत्य ज्ञान का प्रचार कर अन्य धर्म गुरुओं से कह रहे हैं कि आपका ज्ञान शास्त्रविरूद्ध अर्थात आप भक्त समाज को शास्त्रारहित पूजा करवा रहे हैं और दोषी बन रहे हैं। यदि मैं गलत कह रहा हूँ तो इसका जवाब दो लेकिन आज तक किसी भी संत ने जवाब देने की हिम्मत नहीं की।
संत रामपाल जी महाराज को ई.सं. (सन्) 2001 में अक्टूबर महीने के प्रथम बृहस्पतिवार को अचानक प्रेरणा हुई कि ”सर्व धर्मां के सद्ग्रन्थों का गहराई से अध्ययन कर” सतज्ञान का प्रचार करना चाहिए। इस आधार पर सर्वप्रथम पवित्र श्रीमद् भगवद्गीता जी का अध्ययन किया तथा पुस्तक ‘गहरी नजर गीता में‘ की रचना की तथा उसी आधार पर सर्वप्रथम राजस्थान प्रांत के जोधपुर शहर में मार्च 2002 में सत्संग प्रारंभ किया। इसलिए नास्त्रेदमस जी ने कहा है कि विश्व धार्मिक हिन्दू संत (शायरन) पचास वर्ष की आयु में अर्थात् 2001 ज्ञेय ज्ञाता होकर प्रचार करेगा।
संत रामपाल जी महाराज का जन्म पवित्र हिन्दू धर्म में सन (ई.सं.) 1951 में 8 सितम्बर को गांव धनाना जिला सोनीपत, प्रांत हरियाणा (भारत) में एक किसान परिवार में हुआ। इस प्रकार सन 2001 में संत रामपाल जी महाराज की आयु पचास वर्ष बनती है, सो नास्त्रेदमस के अनुसार खरी है। इसलिए वह विश्व धार्मिक नेता संत रामपाल जी महाराज ही हैं जिनकी अध्यक्षता में भारतवर्ष पूरे विश्व पर राज्य करेगा। पूरे विश्व में एक ही ज्ञान (भक्ति मार्ग) चलेगा। एक ही कानून होगा, कोई दुःखी नहीं रहेगा, विश्व में पूर्ण शांति होगी। जो विरोध करेंगे अंत में वे भी पश्चाताप करेंगे तथा तत्वज्ञान को स्वीकार करने पर विवश होंगे और सर्व मानव समाज मानव धर्म का पालन करेगा और पूर्ण मोक्ष प्राप्त करके सतलोक जाएंगे ।
कई महापुरुषों को भी ऐसे ही प्रताड़ित किया गया
रामचंद्र जी को चौदह साल का वनवास किसी जेल से कम नही थी। सीता माता का धोबी के कहने पर घर से निकाल देना किसी जेल से कम नही था। यहा तक कि कृष्ण भगवान के पैदा होते ही कंस दुश्मन हो गया। कभी कंस ने सताया तो कभी शिशुपाल, कभी कालयवन, कभी जरासंध सेना लेकर मथुरा पर हमला करने आये। आखिर कार कृष्ण भगवान को मथुरा छोड कर भागना पडा ताकि नीच लोगो से बच सके। यही नहीं महात्मा गांधी जेल गये, भगतसिह को फांसी हुई, नानकदेव जी बाबर की जेल मे रहे, ईसा जी सूली पर चढे।
जनता को क्या करना चाहिए?
संत रामपालजी महाराज को गलत व दोषी समझने वालों से प्रार्थना है कि इस महापुरुष की निंदा या उपेक्षा करके अपना कर्म खराब ना करें। आप तो काल की त्रिगुण माया के नशे में मदहोश हो, आपको पता नहीं है इस महापुरुष ने आपके और हमारे साथ हो रहे मानसिक, आर्थिक, सामाजिक, प्रशासनिक, राजनैतिक, न्यायिक व आध्यात्मिक शोषण के विरुद्ध महामुहिम छेड़ रखा है। इसी कारण ये सभी एक जुट होकर “जिसकी लाठी उसकी भैंस” वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए अंधे कानून के आड़ में देश के संविधान की धज्जियाँ उड़ाते हुए और संतजी को दोषी करार देते हुए सत्य को कुचलने की कुचेष्टा कर रहे हैं। आपको तो पता भी नहीं है कि संत रामपाल जी महाराज नवम्बर 2014 से अब तक जो जेल में हैं वह भी आपके और हमारे हिस्से का ही पाप है जिसे धोकर इस धरा में फिर से सतयुग लाऐंगे।
11/10/2018 को हिसार हरियाणा की अदालत में हुए संत रामपाल जी महाराज के साथ फैसले की अगर मंथन करें तो आप पाएंगे कि जब किसी दोषी को सजा मिलती है तो जिनके साथ अन्याय या अत्याचार हुआ होता है वह सबसे ज्यादा प्रसन्न होता है अब चूँकि जिन छः लोगों के मौत की सजा संत रामपाल जी महाराज को दी जा रही है तो कोई भांड मीडिया वाले उन छः दुखी परिवार वालों का इंटरव्यू ले और पूछे कि आपको न्याय मिला की नहीं ? इस प्रश्न का वे जो उत्तर दें वही न्याय होगा क्यों कि अन्याय भी इन्हीं छः परिवारों के साथ हुआ है। मगर यह मीडिया केवल राजनेताओं के तलवे चाटेगी, इसे अपनी टी आर पी बढ़ानी है बस। किसी को न्याय मिले या किसी लाचार व निर्दोष को सजा दे दी जाए, इस पर यह कुछ नहीं बोलेगी।
क्यों महापुरुषों को सताया जाता है?
इनका उत्तर भले ही किसी के पास ना हो पर आज ऐसे महापुरुषों के अनुयायियों और पूजने वालों की कमी नही हैं और सबसे बड़ी विडम्बना भी यही है कि इनके पुजारी तब उन महापुरुषों के साथ हमकदम नही होते जब इन्हें सताया, दुर्व्यवहार या हिंसा की जाती है और जब ये शरीर छोंड़कर चले जाते हैं इनके समान कोई कट्टर अनुयायी नहीं होता।
परंतु परम संत रामपाल जी महाराज के मामले में ऐसा बिल्कुल नही है। उनके सर्व अनुयायी संत रामपाल जी महाराज की शिक्षा के कारण उन के साथ तब भी थे जब करौंथा कांड 2006 हुआ था और तब भी थे जब बरवाला कांड 2014 हुआ और अब भी हैं जब पूरा प्रशासन, न्यायालय, मानवाधिकार, मीडिया, राजनेता और सर्व नकली संत सतगुरूदेवजी के विरोध मे हैं। यह संत रामपाल जी महाराज की शिक्षा का ही असर है वे बताते हैं कि
सत ना छोंड़े शूरमा,सत छोंड़े पत जा।
सत के बाँधे लक्ष्मी, फिर मिलेगी आ ।।
संत रामपाल जी महाराज हमारे लिए वरदान है
जब जब किसी महापुरूष ने सच बोला है तब तब उनका विरोध हुआ है। यही संत रामपाल जी महाराज के साथ भी हो रहा है। संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान मे ताकत है इस कारण जेल मे रहकर भी उनका ज्ञान पूरे विश्व में फ़ैल रहा है और उनके शिष्यों की संख्या दिन प्रतिदिन बढती जा रही है। ये किसी चमत्कार से कम नही है। जब संत रामपाल जी महाराज जेल गये थे तब एक चैनल पर सतसंग आता था आज 10 से अधिक चैनल पर सतसंग आता है ये भी किसी चमत्कार से कम नही है। जेल मे रहकर भी रामपाल जी महाराज का ज्ञान और उनके शिष्यो की संख्या आग की तरह बढ रही है। क्या ये किसी चमत्कार से कम नही है?
कबीर साहेब कहते है कि
कबीर, और ज्ञान सब ज्ञानड़ी, कबीर ज्ञान सो ज्ञान।
जैसे गोला तोब का, करता चले मैदान।।
संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा कैसे प्राप्त की जा सकती है?
मनुष्य जीवन का मुख्य उदेश्य मोक्ष प्राप्ति है। पूर्ण सतगुरु रामपाल जी महाराज कहते है, ये मनुष्य जीवन हमे पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब की भक्ति करने के लिए प्राप्त हुआ है। इस मनुष्य का एक मात्र उदेश्य मोक्ष की प्राप्ति है। सर्व पवित्र ग्रन्थों का सार ये ही है कि एक पूर्ण संत से नाम दीक्षा प्राप्त कर के इस जन्म मृत्यु के रोग से मुक्ति पानी चाहिए। पूर्ण संत की यह पहचान है कि वो तीन नाम तीन चरण में देता है और उसको ये नाम दान देने की अनुमति होती है।
सतगुरु रामपाल जी महाराज विश्व में एक मात्र संत हैं जो की अपने शिष्यो को सतनाम दे कर मोक्ष की प्राप्ति करवा सकते हैं। वास्तविकता को जानने के लिए और अपने इस अनमोल जीवन को सफल बनाने के लिए पढ़ें अनमोल आध्यात्मिक पुस्तकें:-
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