Delhi Air Pollution News Update: पराली जलाने और अन्य कारकों के साथ के कारण दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ और ‘खतरनाक’ श्रेणियों के बीच बनी हुई है। उत्तर भारत के अन्य शहरों की तुलना में, नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद सहित एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) के शहर दुनिया के दस सबसे प्रदूषित शहरों में सूचीबद्ध हो रहे हैं। इसके पीछे मुख्य कारणों में इन क्षेत्रों में वाहन और औद्योगिक प्रदूषण है। दिल्ली के विपरीत, नोएडा और गाजियाबाद में उद्योग सीएनजी या सौर ऊर्जा जैसे वैकल्पिक ईंधन में स्थानांतरित नहीं हुए हैं और उनमें से अधिकांश पारंपरिक डीज़ल जेनसेट पर चलते हैं, जिससे आग में अधिक ईंधन जुड़ता है। इन कारखानों से निकलने वाले धुएं से शहरों में वायु की गुणवत्ता खराब होती है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, नोएडा में लगभग 6,200 उद्योग और गाजियाबाद में 27,000 उद्योग हैं, जिनमें से अधिकांश बिजली और बैकअप के प्रमुख स्रोतों के रूप में डीजल जनरेटर का उपयोग करते हैं। जबकि दिल्ली की औसत वायु गुणवत्ता 499 थी, नोएडा और गाजियाबाद का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) शनिवार को 550 दर्ज किया गया था, जिससे वे दुनिया के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में बन गए। दिल्ली के पड़ोसी फरीदाबाद में भी लगभग 5,000 उद्योग हैं और गुरुग्राम में ऐसी लगभग 4,500 इकाइयाँ हैं। इन सैटेलाइट शहरों में हवा की गुणवत्ता भी ‘बेहद खराब’ श्रेणी के आसपास मँडरा रही है।
Delhi Air Pollution: मुख्य बिंदु
- सुप्रीम कोर्ट ने बिगड़ती वायु गुणवत्ता के बीच दिल्ली में दो दिन का लॉकडाउन करने का सुझाव दिया।
- 2 दिन का लाकडाउन लगाएं CJI रमना ने दिल्ली सरकार को प्रदूषण संकट पर कहा।
- शहरों में बढ़ते प्रदूषण से निवासी भी चिंतित हैं।
- फ्लैटों के अलावा, एनसीआर क्षेत्र में कई सड़कें, अंडरपास, ओवरब्रिज निर्माणाधीन हैं, जो हवा में पीएम 10 प्रदूषकों के बढ़ने का एक प्रमुख कारण हैं।
- मौसम विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, दिल्ली के मौसम मेंं धुंध और कुछ समय के लिए ‘गंभीर’ बनी रहेगी।
- उत्तर भारत के अन्य शहरों की तुलना में नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद सहित एनसीआर शहर दुनिया के दस सबसे प्रदूषित शहरों में सूचीबद्ध हुए।
- सुबह और शाम के समय दृश्यता (visibility) लगभग 200-500 मीटर होती है और दिन के दौरान यह बढ़कर लगभग 900-1000 मीटर हो जाती है।
- हर साल दिवाली के बाद और अधिक प्रदूषित हो जाती है वायु पर इससे न सरकार सबक ले रही है न पटाखे फोड़ने वाले।
- लेकिन अब समय आ गया है कि सरकार हरित नियमों का पालन करते हुए औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।
- कौन है वह महान संत जो कर सकता है प्राकृतिक परिवर्तन?
वायु प्रदूषण के मद्देनजर पीएम 2.5 का क्या अर्थ है?
पीएम 2.5 (PM: पार्टिकुलेट मैटर) जब हवा में 2.5 माइक्रो मीटर तक के पार्टिकल मौजूद हों तो सेहत को काफी हानि पहुंचाते हैं। ये इतने छोटे होते हैं कि सांसों से सीधे फेफड़े, लिवर और किडनी तक पहुंचकर उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं। एक आदमी का एक वॉल 100 माइक्रोमीटर मोटा होता है। इसमें पीएम 2.5 के लगभग 40 कण रखे जा सकते हैं। ये कण डीज़ल आदि गाड़ियों के धुएं से निकलते हैं। WHO की नई गाइडलाइंस के अनुसार PM 2.5 को 10 माइक्रोग्राम्स प्रति क्यूबिक मीटर से घटाकर 5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पर लाना होगा।
दिल्ली में प्रदूषण (Delhi Air Pollution) का आंकड़ा क्या दर्शाता है?
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर गंभीर से बढ़कर खतरनाक वाली श्रेणी में पहुंच गया है। वायु गुणवत्ता सूचकांक एक्यूआई का आंकड़ा दिल्ली में 500 के पार और वहीं नोएडा में यह 600 के पार चला गया है। 500 से अधिक एक्यूआई को खतरनाक माना जाता है। दिवाली वाली रात ( 4 नवंबर ) को ही AQI गंभीर श्रेणी में पहुंच गया था।
Delhi Air Pollution पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को दिल्ली में वायु प्रदूषण से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को फटकार लगाई। अदालत ने बिगड़ती वायु गुणवत्ता के बीच शहर में दो दिन का लॉकडाउन लगाने का सुझाव दिया।
दिल्ली के 17 वर्षीय छात्र आदित्य दुबे ने शहर में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की स्पेशल बेंच ने शनिवार को याचिका पर सुनवाई की। इस पर सीजेआई रमना ने कहा, ‘आप ऐसे पेश कर रहे हैं जैसे कि अकेले किसान जिम्मेदार हैं। लेकिन यह 40 फीसदी है। दिल्ली के लोगों पर नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए कदम कहां हैं? पटाखों के बारे में क्या? वाहन प्रदूषण?”
अदालत ने दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए किए गए तत्काल उपायों के बारे में पूछा और शहर में दो दिन का तालाबंदी करने का सुझाव दिया। याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत पूर्वानुमान का उल्लेख करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे एक्यूआई स्तर गंभीर है और हवा की कम गति के कारण कल (14 नवंबर) तक और बढ़ने की उम्मीद है। उन्होंने इस मुद्दे से निपटने के तरीके पर अल्पकालिक निर्णय लेने के लिए एक बैठक आयोजित करने का सुझाव दिया।
क्या प्रदूषण के चलते लग सकता है लॉकडाउन?
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को आपात स्थिति करार दिया। साथ ही लॉकडाउन जैसे कदम तत्काल उठाने को कहा है। बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी में शनिवार सुबह वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ की श्रेणी में रही और इस दौरान वायु गुणवत्ता सूचकांक(एक्यूआई) 473 रहा।
पराली का दिल्ली के प्रदूषण में कितना योगदान है?
सरकारी वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान एजेंसी सफर के अनुसार शुक्रवार को दिल्ली के पीएम 2.5 प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान 36 प्रतिशत रहा, जो इस मौसम में अब तक का सबसे अधिक है। सफर के संस्थापक-परियोजना निदेशक गुफरान बेग ने कहा आतिशबाजी से हुए उत्सर्जन के साथ दिल्ली की वायु गुणवत्ता का सूचकांक गंभीर श्रेणी से ऊपर पहुंचा। गुरुवार को दिल्ली के पीएम 2.5 प्रदूषण में 25 प्रतिशत योगदान के लिए पराली से होने वाला प्रदूषण जिम्मेदार था। पिछले साल, दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी पांच नवंबर को 42 प्रतिशत पर पहुंच गई थी।
Delhi Air Pollution: दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक
(एक्यूआई) गुरुवार रात ‘गंभीर’ श्रेणी में प्रवेश कर गया और शुक्रवार को दोपहर तीन बजे यह 463 पर पहुंच गया। फरीदाबाद (464), ग्रेटर नोएडा (441), गाजियाबाद (461), गुरुग्राम (470) और नोएडा (471) में अपराह्न तीन बजे वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज की गई। शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 को ‘मध्यम’, 201 और 300 को ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 और 500 को ‘गंभीर’ माना जाता है।
प्रदूषण से दिल्ली वासियों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि, “दिल्ली में पिछले कुछ दिनों से प्रदूषण का स्तर बढ़ा है। इसके पीछे दो कारण है। एक तेजी से पराली जलने की घटनाएं बढ़ी हैं। 3,500 जगहों पर पराली जलने की घटनाएं हो रही हैं।”
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि, दिल्ली में वायु प्रदूषण से हर साल 15 लाख लोगों की जान चली जाती है और हर शख्स की उम्र लगभग 9 साल घट जाएगी । लंग केयर फाउंडेशन का कहना है कि वायु प्रदूषण के कारण हर तीसरे बच्चे को अस्थमा है। पर्यावरणविद् विमलेन्दु झा ने कहा, राजधानी दिल्ली और एनसीआर में दीवाली के मौके पर खूब आतिशबाजी हुई, जिसके बाद वायु गुणवक्ता गंभीर श्रेणी में पहुंच गई। बड़ी बात यह है कि दिल्ली में प्रदूषण का 5 साल का रिकॉर्ड टूट गया है। हालांकि आज दिल्लीवासियों को प्रदूषण से कुछ राहत मिल सकती है, क्योंकि आज 10 से 15 किलोमीटर प्रति घण्टे की रफ्तार से हवा चलने के आसार हैं।
Delhi Air Pollution: अब ज़हरीली हवा से बिगड़ने लगा है लोगों का स्वास्थ्य
राष्ट्रीय राजधानी के कई हिस्सों और उसके उपनगरों में लोगों ने सुबह सिर में दर्द, गले में जलन और आंखों में पानी आने की शिकायतें की। चिंतित नागरिकों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर आतिशबाजी की तस्वीरें और वीडियो साझा किए और पटाखों पर प्रतिबंध को ‘मजाक’ बताया।
पर्यावरण प्रदूषण (Environmental Pollution) के कारण भारत में हर वर्ष लगभग कितने लोगों की जान जाती है?
प्रदूषण और जहरीली हवा के कारण भारत में 2019 में 16.7 लाख लोगों की जान चली गई। इस बात की जानकारी द लांसेट द्वारा जारी एक रिपोर्ट में दी गई है। द लांसेट के मुताबिक प्रदूषण ने 2017 की तुलना में 2019 में भारत में अधिक लोगों की जान ली।
Delhi Air Pollution: प्रतिबंध होने के बावजूद भी चले खूब पटाखे
दिल्ली में कई लोगों ने दिवाली की रात को और उसके बाद के दिनों में, छठ पूजा पर खूब पटाखे जलाए जाने की शिकायत की जबकि पटाखे जलाने पर एक जनवरी 2022 तक पूर्ण प्रतिबंध है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के शहरों नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम में देर रात तक आतिशबाजी होती रही।
प्रदूषण कितने प्रकार का होता है?
वातावरण में हानिकारक, जीवन नाशक, विषैले पदार्थों के एकत्रित होने को प्रदूषण कहते हैं। यह कुल 5 प्रकार का होता है जैसे –
- जल प्रदूषण
- वायु प्रदूषण
- मृदा प्रदूषण
- ध्वनि प्रदूषण
- रेडियोधर्मी प्रदूषण आदि
पर्यावरण प्रदूषण का मुख्य कारण क्या है?
आधुनिक प्रौद्योगिकी ने अपनी प्रक्रियाओं से अनेक प्रकार की विषाक्त गैसों, धुओं एवं विषाक्त रसायन युक्त अपजलों के माध्यम से जल, थल एवं वायु सभी तत्वों को प्रदूषित कर दिया है, जिससे पर्यावरण प्रदूषण उत्पन्न हो गया है।
वायु प्रदूषण (Air Pollution) को कैसे कम किया जा सकता है?
पराली जलाने पर रोक लगाना, पटाखे चलाने पर रोक लगाना,और धूम्रपान ना करने से वायु प्रदूषण को कम करके पर्यावरण को बचाया जा सकता है। आज प्रदूषण का कारण बढ़ते वाहनों की संख्या भी है। ऐसे में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए अपने वाहनों का सही से ख्याल रखें और समय-समय पर प्रदूषण की जांच करवाते रहें। ऐसा करके आप पर्यावरण सुरक्षा और संरक्षण में अपना योगदान दे सकते हैं।
किस प्रकार के पेड़ों को लगाने से होगा वायु प्रदूषण नियंत्रण? वृक्षारोपण क्यों जरूरी है?
कुछ पेड़ों को हम अपने घरों में लगा सकते हैं और कुछ पेड़ बड़े होने के कारण शहर में अन्य जगहों पर रोपन किए जा सकते हैं जो पर्यावरण प्रदूषण को खत्म करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं तो आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ पेड़ों के बारे में। तुलसी, साइप्रस, गुलाब, गेंदा, लिली, विभिन्न प्रकार के फूलों वाले पेड़, एरेका पाम, स्नेक प्लांट, मनी प्लांट, गरबेरा डेजी, चाइनीज एवरग्रीन, स्पाइडर प्लांट, एलोवेरा, ब्रॉड लेडी पाम, पुदीना इत्यादि ऐसे पेड़ हैं जो भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन और खुशबू देते हैं, इन की पत्तियां प्रदूषण को सोख लेती हैं। इन पेड़ों से घर का वातावरण स्वच्छ और खुशबूनुमा रहता है।
देवदार, साइप्रस, बरगद, सदाबहार वृक्ष, पीपल, नीम, अर्जुन का पेड़, जामुन का पेड़, जैसे पेड़ों को हम शहरों में विभिन्न जगहों पर लगा सकते हैं ये पेड़ अच्छे एयर प्यूरिफ़ायर का काम करते हैं। रिसर्च में पाया गया है कि इन पेड़ों की पत्तियों में PM 2.5 के ज़हरीले तत्व सोखने की क्षमता सबसे ज़्यादा होती है। प्रदूषण खत्म करने के साथ-साथ यह पेड़ हमें ऑक्सीजन, हरियाली और ठंडी हवा और छांव भी देते हैं।
क्या आप जानते हैं कि सतभक्ति करने से खत्म हो सकता है हर तरीके का प्रदूषण?
तत्वदर्शी संत का दिया आध्यात्मिक ज्ञान समाज और मनुष्यों के लिए वरदान का काम करता है। सच्चे संत का साधक पांच यज्ञ करता है जो निम्न हैं-
- धर्म यज्ञ
- ध्यान यज्ञ
- हवन यज्ञ
- प्रणाम यज्ञ
- ज्ञान यज्ञ
इन यज्ञों से हमारे अंदर और बाहर के वातावरण की शुद्धि होती है, समाज में नई चेतना और जागृति आती है, प्राकृतिक सुंदर वातावरण, स्वच्छ विचार, प्रेम, वात्सल्य, भाईचारा और शांति स्थापित होती है और इस प्रकार वातावरण से हर प्रकार का प्रदूषण सदा के लिए खत्म हो जाता है।
अमेरिका की विश्व विख्यात भविष्यवक्ता फ्लोरेंस की भविष्यवाणी
अमेरिका की विश्व विख्यात भविष्यवक्ता फ्लोरेंस ने अपनी भविष्यवाणियों में कई बार भारत का जिक्र किया है। ‘द फाल ऑफ सेंसेशनल कल्चर’ नामक अपनी पुस्तक में उन्होंने लिखा है कि सन् 2000 आते-आते प्राकृतिक संतुलन भयावह रूप से बिगड़ेगा। लोगों में आक्रोश की प्रबल भावना होगी। दुराचार पराकाष्ठा पर होगा। पश्चिमी देशों के विलासितापूर्ण जीवन जीने वालों में निराशा, बेचैनी और अशांति होगी। अतृप्त अभिलाषाएं और जोर पकड़ेंगी जिससे उनमें आपसी कटुता बढ़ेगी। चारों ओर हिंसा और बर्बरता का वातावरण होगा। ऐसा वातावरण होगा कि चारों ओर हाहाकार मच जाएगा। परंतु भारत में उत्पन्न एक तत्वदर्शी संत अपने ज्ञान के प्रभाव से प्राकृतिक और आध्यात्मिक संतुलन से सब कुछ ठीक कर देगा।
तत्वदर्शी संत सतगुरु रामपाल जी महाराज से लें नाम दीक्षा
सभी से करबद्ध प्रार्थना है कि तत्वदर्शी संत सतगुरु रामपाल जी महाराज के अद्भुत ज्ञान को पहचानें और उनसे नाम दीक्षा लेकर अपना कल्याण करवाएं। कलियुग में स्वर्ण युग प्रारम्भ हो चुका है। अधिक जानकारी के लिए देखिये साधना चैनल रोजाना शाम 7:30 बजे।