June 18, 2025

दारुवन की कथा और शिवलिंग की सच्चाई प्रमाण सहित हुई उजागर

Published on

spot_img

हिन्दू धर्म के धर्माचार्यों द्वारा भगवान शिव के 12 शिवलिंगों (ज्योतिर्लिंगों) की पूजा प्रमुखता से करी व कराई जाती है और उनके द्वारा शिवलिंग को भगवान शिव का निराकार रूप माना जाता है। वहीं शिवलिंग की पूजा करने वाले श्रद्धालु इससे अपना कल्याण मानते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं शिवलिंग वास्तव में क्या है और ऋषियों ने भगवान शिव को दारुवन में क्यों श्राप दिया था। तो चलिए इस लेख में जानते हैं विस्तार से.

इस आर्टिकल को प्रमाण सहित डालने का हमारा यह उद्देश्य है कि मीडिया चैनल वाले जब डिबेट करते हैं तो अपने धर्म शास्त्रों को नहीं देखते हैं। ऐसा ही फर्स्ट इंडिया न्यूज पर हाल ही में हुई “आस्था या अज्ञान” तथा “शास्त्रार्थ” नामक डिबेट में संत रामपाल जी महाराज पर बिना धर्मशास्त्रों को देखे हुए कुछ आरोप लगाए गए थे। उन आरोपों का खंडन करते हुए संत रामपाल जी महाराज जी ने जो पवित्र श्रीशिवमहापुराण के साक्ष्य दिए हैं। हमने इस आर्टिकल में उसी पवित्र श्रीशिवमहापुराण के साक्ष्य डाले है। जिससे आप सत्य और असत्य का निर्णय स्वयं कर सकें।

इस लेख में आप मुख्य रूप से जानेंगे

  • दारुवन की कथा
  • ऋषियों द्वारा भगवान शिव को श्राप देना
  • शिवलिंग की यथार्थ जानकारी
  • शिवलिंग की पूजा से क्या होता है?

दारुवन की कथा

शिव महापुराण के कोटि रुद्रसहिंता के अध्याय नं. 12 श्लोक 3 – 52 में प्रमाण है कि ऋषियों ने सूत जी से पूंछा कि हे सूत जी! शिववल्लभा पार्वती लोक में बाणलिंगरूपा कही जाती हैं। इसका क्या कारण है? ऋषियों के इसी प्रश्न का उत्तर देते हुए सूत जी ने कहा, हे श्रेष्ठ ऋषियों! मैंने व्यास (महर्षि वेदव्यास) जी से जो कल्पभेद की कथा सुनी है, उसी का आज वर्णन कर रहा हूँ, आपलोग सुनें। पूर्वकाल में दारु नामक वन में वहाँ नित्य शिवजी के ध्यान में तत्पर शिव भक्त रहा करते थे। वे तीनों कालों में सदा शिवजी की पूजा करते थे और उनकी स्तुति किया करते थे। शिवध्यान में मग्न रहने वाले वे शिवभक्त श्रेष्ठ ब्राह्मण ऋषि किसी समय समिधा यानि हवन के लिए लकड़ी लेने के लिये वन में गये हुए थे। तभी भगवान शंकर वहाँ दिगम्बर अर्थात नग्न अवस्था में हाथ में लिंग को धारणकर विचित्र लीला करने लगे। 

श्री शिवमहापुराण (विद्यावारिधि प० ज्वालाप्रसादजी मिश्र कृत हिन्दी टीका सहित, खेमराज श्रीकृष्णदास प्रकाशन, बम्बई) के कोटि रुद्रसहिंता के अध्याय नं. 12, श्लोक 3 – 52

ऋषियों द्वारा भगवान शिव को श्राप देना

शिव जी के दिगंबर (नग्न) रूप को देखकर ऋषि की पत्नियाँ अत्यन्त भयभीत हो गयीं, जिनमें से कुछ ऋषि पत्नियां वापिस आ गईं और कुछ स्त्रियों ने परस्पर हाथ पकड़कर आलिंगन किया। उसी समय सभी ऋषिवर वन से हवन की लकड़ी लेकर आ गये और वे इस आचरण को देखकर दुःखित तथा क्रोध से व्याकुल हो गये। तब समस्त ऋषिगण दुःखित हो आपस में कहने लगे- ‘यह कौन है’? जब उन दिगम्बर (नग्न) शिव जी ने कुछ भी नहीं कहा, तब उन महर्षियों ने शिवजी को श्राप दिया कि तुम वेदमार्ग का लोप करने वाला यह विरुद्ध आचरण कर रहे हो, अतः तुम्हारा यह विग्रह रूप लिंग शीघ्र ही पृथ्वी पर गिर जाय। जिससे शिव जी का लिंग पृथ्वी पर गिर गया।

शिवलिंग (ज्योतिर्लिंग) की यथार्थ जानकारी

जिसके बाद, वह लिंग आगे स्थित हुआ अग्नि के समान जलने लगा और जहां-जहां वह जाता तहां-तहां जलता था। वह लिंग पाताल में, स्वर्गलोक में भी उसी प्रकार प्रज्वलित हो भ्रमण करने लगा, कहीं पर भी स्थिर न हुआ। सारे लोक व्याकुल हो उठे और वे ऋषिगण अत्यन्त दुःखित हो गये। देवता और ऋषियों में किसी को भी अपना कल्याण दिखायी न पड़ा। तब वे ब्रह्माजी की शरण में गये। उन्हें श्री ब्रह्मा जी ने कहा कि जब तक यह शिव लिंग (ज्योतिर्लिंग) स्थिर नहीं होता, तब तक तीनों लोकों में कहीं भी लोगों का कल्याण नहीं हो सकता है। हे देवताओं ! देवी पार्वती की आराधना करने के पश्चात् शिवजी की प्रार्थना करो, यदि पार्वती साक्षात् योनिरूपा हो जाये तो यह शिवलिंग स्थिर हो जाएगा।

यह भी पढ़ें: SA News द्वारा 1st इंडिया न्यूज द्वारा चलाई गई “आस्था या अज्ञान” डिबेट को किया गया Expose

सूत जी बोले– ब्रह्मा जी के यह कहने पर वे देवता और ऋषियों ने शिव जी की पूजा व स्तुति की। तब प्रसन्न होकर शिव जी ने कहा, हे देवताओ! हे ऋषियो! आप लोग आदरपूर्वक मेरी बात सुनिये। यदि यह शिवलिंग (ज्योतिर्लिंग) योनि रूप से (समस्त ब्रह्माण्ड का प्रसव करने वाली) भगवती महाशक्ति पार्वती के द्वारा धारण किया जाए, तभी आप लोगों को सुख प्राप्त होगा। पार्वती के अतिरिक्त अन्य कोई भी मेरे इस स्वरूप को धारण करने में समर्थ नहीं है। उन देवी पार्वती के द्वारा धारण किये जाने पर शीघ्र ही यह मेरा निष्कल स्वरूप शांत हो जाएगा। तब शिव जी की यह बात सुनकर प्रसन्न हुए देवताओं एवं ऋषियों ने ब्रह्मा जी को साथ लेकर देवी पार्वती जी की प्रार्थना की, जिससे शिवजी प्रसन्न हो गये और जगदम्बा पार्वती भी प्रसन्न हो गयीं तथा पार्वती जी ने उस लिंग को धारण किया। उस योनि रूप पार्वती में शिवलिंग के स्थापित हो जाने पर लोकों का कल्याण हुआ और वह शिवलिंग तीनों लोकों में प्रसिद्ध हो गया।

शिवलिंग की पूजा से क्या होता है?

हम सभी जानते हैं कि पवित्र चारों वेदों और पवित्र गीता जी का ज्ञान भगवान द्वारा प्रदान किया गया है, जबकि पुराणों का ज्ञान ऋषि, महर्षियों का अनुभव है। इसलिए भक्ति के लिए भगवान द्वारा प्रदान किये गए शास्त्र पवित्र गीता जी और चारों वेद मान्य हैं और चारों वेदों के सार श्रीमद्भागवत गीता में कहीं भी शिवलिंग (ज्योतिर्लिंग) की पूजा करने का विवरण भगवान द्वारा नहीं दिया गया। जिससे शिवलिंग पूजा गीता विरुद्ध मनमानी क्रिया है। इस विषय में श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 16 श्लोक 23, 24 में गीता का ज्ञान बोलने वाले प्रभु ने कहा है कि शास्त्र विधि को त्यागकर जो व्यक्ति मनमानी क्रिया करता है उसे न सुख मिलता है, न सिद्धि प्राप्त होती और उसे परमगति यानि मोक्ष भी नहीं मिलता है। इससे स्पष्ट है कि शिवलिंग की पूजा से आत्म कल्याण संभव नहीं है।

श्रीमद्भागवत गीता, अध्याय 16 श्लोक 23-24

निष्कर्ष

  • हिन्दू धर्म के धर्माचार्यों को अपने ही धर्मग्रंथों का ज्ञान नहीं है।
  • शिवलिंग, शिव जी के लिंग को योनि रूप भगवती पार्वती द्वारा धारण किये जाने का प्रतीक है।
  • शिवलिंग की पूजा शास्त्र विरुद्ध मनमाना आचरण है, जिससे आत्म कल्याण सम्भव नहीं है।

Latest articles

International Yoga Day 2025: Bhakti Yoga Given by a Tatvdarshi Saint is the Best

Last Updated on 16 June 2025 IST | International Yoga Day 2025: International Yoga...

International Yoga Day 2025 [Hindi]: शारीरिक योग के साथ साथ भक्ति योग को भी अपनाएं

Last Updated on 16 June 2025 IST | International Yoga Day in Hindi: संयुक्त...

महाभारत कथा (Mahabharat) के वो अद्भुत रहस्य जिन्हे जानकार आप अचरज में पड़ जाएंगे

Last Updated on 11 June 2024 IST: आज से हजारों वर्ष पहले, द्वापरयुग में...

International Olympic Day 2025: All You Need To Know

Last Updated 15 June 2025 IST: International Olympic Day is the day to remember...
spot_img

More like this

International Yoga Day 2025: Bhakti Yoga Given by a Tatvdarshi Saint is the Best

Last Updated on 16 June 2025 IST | International Yoga Day 2025: International Yoga...

International Yoga Day 2025 [Hindi]: शारीरिक योग के साथ साथ भक्ति योग को भी अपनाएं

Last Updated on 16 June 2025 IST | International Yoga Day in Hindi: संयुक्त...

महाभारत कथा (Mahabharat) के वो अद्भुत रहस्य जिन्हे जानकार आप अचरज में पड़ जाएंगे

Last Updated on 11 June 2024 IST: आज से हजारों वर्ष पहले, द्वापरयुग में...