October 15, 2025

संत रामपाल जी के सानिध्य में 17 मिनट में सम्पन्न हुए सादगीपूर्ण दहेज मुक्त विवाह (रमैनी)

Published on

spot_img

आज के आधुनिक युग में जहां लोग बहुत ही ताम-झाम और लाखों रूपये खर्च कर विवाह करते हैं। तो वहीं कबीरंपथी विचारधारा के सन्त रामपाल जी महाराज के अद्वितीय ज्ञान से प्रेरित होकर सन्त जी के अनुयायी बेहद ही सादगीपूर्ण तरीके से दहेज मुक्त अंतर्जातीय विवाह (रमैनी) कर रहे हैं, जो कि सम्पूर्ण समाज व आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेणादायक कार्य है।

Table of Contents

मुख्य बिंदु

  • सन्त जी की के सानिध्य में दहेज मुक्त विवाह(रमैनी) एक विश्व हितैषी पहल।
  • दहेज मुक्त विवाह(रमैनी) सर्वश्रेष्ठ विवाह।
  • दहेज मुक्त विवाह(रमैनी) से फिजूलखर्ची पर लगेगा विराम चिन्ह।
  • दहेज प्रथा सभ्य समाज के लिए एक बुरा स्वप्न ।
  • दहेज मुक्त विवाह (रमैनी) से अपराधों से मिलेगी मुक्ति।
  • सन्त जी के सानिध्य में दहेज मुक्त विवाह(रमैनी) से बाल विवाहों पर लगेगा अंकुश।
  • पूर्ण परमात्मा कविर्देव जी के शुभाशीर्वाद के साथ सम्पन्न हुए दहेज मुक्त विवाह(रमैनी)।
  • सन्त रामपाल जी महाराज पूरे विश्व में एकमात्र तत्वदर्शी व कल्याणकारी विचारधारा के सन्त।

सन्त रामपाल जी के सानिध्य में सम्पन्न हुए दहेज मुक्त विवाह (रमैनी)

  1. दिनाँक 25 अक्टूबर 2020, रविवार को गुजरात राज्य के दाहोद जिले में सन्त जी के ज्ञान से प्रेरित होकर सन्त जी के अनुयायी दाहोद जिले के निवासी महेश दास की पुत्री विश्वा दासी का दहेज मुक्त विवाह(रमैनी) जिला मेहसाणा निवासी सन्त रामपाल जी महाराज के अनुयायी बाबू दास जी के पुत्र नैतिक दास के साथ सम्पन्न हुआ जो की पूर्णतया सादगी पूर्ण था।
  2. दिनाँक 30 अक्टूबर 2020 शुक्रवार को उत्तरप्रदेश राज्य के जिला गोरखपुर निवासी गुरुचरण दास जी की पुत्री लक्ष्मी दासी जी का दहेज मुक्त विवाह(रमैनी) मध्यप्रदेश राज्य के जिला कटनी के निवासी सन्त रामपाल जी महाराज के अनुयायी संतोष दास जी के पुत्र पवन दास के साथ सम्पन्न हुआ।

दहेज मुक्त विवाह भी सम्भव हैं

एक तरफ तो लोगों द्वारा (वर पक्ष द्वारा) विवाह में दहेज के नाम पर लाखों रुपये की सम्पत्ति की मांग की जाती है तो वहीं दूसरी ओर सन्त रामपाल जी महाराज के ज्ञान से प्रेरित होकर सन्त जी के अनुयायियों द्वारा 1 रुपया भी दहेज के रूप में(प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से) नही लिया जाता है, दहेज मुक्त विवाह (रमैनी) आज की युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेणादायक स्त्रोत है तथा जन जागरूकता की नई मिसाल है।

घरेलू हिंसाओं पर लगेगा अंकुश

दहेज के लालची, लोभी व्यक्तियों द्वारा दहेज के लालच के कारण विवाह के पश्चात भी कई प्रकार की अनैतिक मांगें की जाती हैं। मांगे पूरी न होने की स्थिति में बहन-बेटियों को प्रताड़ित किया जाता है, मारा-पीटा जाता है तथा कई बार तो दहेज के लोभी व्यक्तियों के द्वारा दहेज के लालच में बहन-बेटियों को जिंदा भी जला दिया जाता है जो कि बहुत ही निंदनीय है तथा दुःखद पहलू है।

जिस देश में महिलाओं को सम्मान दिया जाता है। दहेज के खिलाफ हमेशा आवाज उठती रहती है। सरकार नारी सशक्तिकरण का हमेशा प्रयास करती है। ऎसे मे रिपोर्ट के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। पिछले 3 सालों मे 24,771 महिलाओं की मौत दहेज के कारण हुई है।

“यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते तत्र देवता रमन्ते”

नारी को सम्मान की दृष्टि से देखने वाले देश में भी दहेज जैसे राक्षस के कारण कई घरेलू हिंसा हुईं हैं तथा जिससे नारी समाज की जो क्षति हुई है वह बहुत ही दुःखद है।

महंगे पकवानों की अपेक्षा सादा भोजन उत्तम विचार

सन्त रामपाल जी महाराज के सानिध्य में किये जा रहे है दहेज मुक्त विवाहों (रमैनी) में एक और अच्छी पहल देखने को मिल रही है। सन्त जी के अनुयायी दहेज मुक्त विवाहों (रमैनी) में महंगे पकवानों के स्थान पर सिर्फ चाय-बिस्किट के नाश्ते को ही बढ़ावा दे रहे हैं, जो कि सर्वोत्तम कार्य है।

न हल्दी, न मेहंदी, न ही कोई रस्म फिर भी बंधे विवाह के बंधन में

सन्त रामपाल जी महाराज की कल्याणकारी विचारधारा से प्रेरित होकर सन्त जी के अनुयायी श्रंगारप्रियता से पूर्ण परहेज करते हैं। तमाम तरह की शान-ओ-शौक़त के नाम पर बेवजह पैसे की बर्बादी न करके उस पैसे का सही उपयोग करते हैं और आडम्बरों से मुक्त दहेज मुक्त विवाह(रमैनी) सम्पन्न करते हैं।

दहेज प्रथा क्या है?

विवाह के समय व उससे पूर्व और उसके पश्‍चात किसी भी समय वर पक्ष के द्वारा वधु पक्ष से सम्पत्ति अथवा बहुमूल्य चीजों की मांग करना या वधु पक्ष के द्वारा वर पक्ष को सम्पत्ति अथवा बहुमूल्य चीजे देना ही दहेज का लेन-देन कहलाता है।

मानव समाज में दहेज एक प्रकार का जहर है:- सन्त रामपाल जी महाराज

  • बाल विवाह प्रथा व अशिक्षा होगी दूर

दहेज प्रथा के समान ही एक और बुरी प्रथा भी सभ्य समाज को प्राचीन समय से आहत करती आई है वह प्रथा बाल विवाह है। बाल विवाह के कारण कई प्रकार की हानियाँ होती हैं जैसे कि नारी जाति में शिक्षा का अभाव।

  • शोर-शराबे से मिलेगी आजादी

एक तरफ कई विवाह ऐसे भी देखे हैं जिनमें बनावटी शोभा के नाम पर लाखों रुपये डी.जे. पर खर्च कर दिए जाते हैं। डी.जे. के कारण सिर्फ पैसों की बर्बादी ही नही होती है, अपितु डी.जे. की तीव्र अप्रिय ध्वनि कई प्रकार रोगों को भी जन्म देती है जैसे कि ह्रदयघात, बहरापन इत्यादि। तो वहीं दूसरी ओर सन्त जी के अनुयायी बिना किसी शोर-शराबे के मात्र 17 मिनिट में गुरुवाणी से बेहद सादगीपूर्ण तरीके से विवाह सम्पन्न करते हैं।

पूर्ण परमात्मा कविर्देव जी के शुभाशीर्वाद के साथ सम्पन्न हुए दहेज मुक्त विवाह (रमैनी)

सन्त जी के सनिध्य में किये जा रहे दहेज मुक्त विवाहों(रमैनी) में पूर्ण परमात्मा कविर्देव जी व सर्व देवी-देवताओं की स्तुति की जाती है। पूर्ण परमात्मा कविर्देव जी के शुभाशीष से विवाहित जोड़ा(वर-वधु) सम्पूर्ण जीवन सुखमय व्यतीत करता है।

नशा मुक्त अभियान विश्व हितैषी कार्य

आज हम देखते हैं कि देश-दुनिया में नशे के कारण लाखों परिवार बिखर गए हैं, करोड़ों लोग बीमार हैं तथा अनगिनत लोगों ने आत्महत्या कर ली हैं। इन सबसे बचने का एकमात्र उपाय है कि तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा प्राप्त कर तमाम तरह की बुराइयों से मुक्ति पाएं और अपना जीवन सफल बनायें।

सन्त रामपाल जी महाराज से दीक्षा लेकर आज लाखों लोगों ने पूर्ण रूप से सभी प्रकार का नशा त्याग दिया है। सन्त जी के अद्वितीय ज्ञान के कारण कई परिवार आज बर्बाद होने से बच गए हैं, सन्त जी से नाम दीक्षा लेने के बाद कोई भी व्यक्ति नशा करना तो दूर रहा नशे को हाथ भी नही लगाता है।

देखे SA News की Weekly Bulletin

यजुर्वेद अध्याय 19 मन्त्र 30 में प्रमाण है कि तत्वदर्शी सन्त वही होगा जो अपने साधकों को दुर्व्यसनों से मुक्त करवाएगा।

सन्धिछेदः- व्रतेन दीक्षाम् आप्नोति दीक्षया आप्नोति दक्षिणाम्।
दक्षिणा श्रद्धाम् आप्नोति श्रद्धया सत्यम् आप्यत।

सद्भक्ति बिना मनुष्य जीवन व्यर्थ है

“कबीर, या तो माता भक्त जनै, या दाता या शूर।
या फिर रहै बाँझड़ी, क्यों व्यर्थ गंवावै नूर”।।

पूर्ण परमात्मा कविर्देव जी ने कहा है कि या तो जननी भक्त को जन्म दे जो शास्त्र में प्रमाण देखकर सत्य को स्वीकार करके असत्य साधना को त्यागकर अपना जीवन धन्य करे, या किसी दानवीर पुत्र को अथवा किसी शूरवीर को। यदि ऐसी अच्छी सन्तान उत्पन्न न हो तो निःसंतान रहना ही माता के लिए शुभ है।

सन्त रामपाल जी महाराज ही पूरे विश्व में एकमात्र समाजसुधारक तत्वदर्शी सन्त

सन्त रामपाल जी महाराज जी की जो विचारधारा है वह बहुत ही कल्याणकारी व समूचे विश्व को एक सूत्र में बाँधती है तथा जातियों व धर्मों में बंटे हुए समाज को पुनः मानवता के एकसूत्र में बांध रही है।

जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।

मनुष्य जीवन के मूल उद्देश्य से परिचित होने के लिए अवश्य सुनें सन्त रामपाल जी महाराज के अनमोल सत्संग सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल पर तथा अवश्य पढ़ें सन्त जी के द्वारा लिखित पवित्र पुस्तक “ज्ञान गंगा”

Latest articles

सिंघवा राघो गांव में संत रामपाल जी महाराज बने किसानों के मसीहा: जब सरकारें नाकाम रहीं, तब दिखाई राह

हरियाणा के हिसार जिले के सिंघवा राघो गांव में बाढ़ ने तबाही मचा दी...

संत रामपाल जी महाराज के करिश्मे से हरियाणा के  हिसार जिले के राजली गांव में बाढ़ पीड़ितों को मिला जीवनदान

हरियाणा के हिसार जिले की बरवाला तहसील का राजली गांव इस वर्ष आई भीषण...

World Food Day 2025: Right to Food for a Brighter Future

World Food Day was first established in November 1979. The idea was suggested by former Hungarian Minister of Agriculture and Food Dr Pal Romany. Since then, the day has been celebrated by more than 150 countries around the world. It is an initiative by the Food and Agricultural Organisation (FAO) of the United Nations. 

International Day of Rural Women 2025: Understand the Role of Rural Women to Attain Gender Equality

International Day of Rural Women recognizes the significant role and involvement of rural women. Know its theme and history.
spot_img

More like this

सिंघवा राघो गांव में संत रामपाल जी महाराज बने किसानों के मसीहा: जब सरकारें नाकाम रहीं, तब दिखाई राह

हरियाणा के हिसार जिले के सिंघवा राघो गांव में बाढ़ ने तबाही मचा दी...

संत रामपाल जी महाराज के करिश्मे से हरियाणा के  हिसार जिले के राजली गांव में बाढ़ पीड़ितों को मिला जीवनदान

हरियाणा के हिसार जिले की बरवाला तहसील का राजली गांव इस वर्ष आई भीषण...

World Food Day 2025: Right to Food for a Brighter Future

World Food Day was first established in November 1979. The idea was suggested by former Hungarian Minister of Agriculture and Food Dr Pal Romany. Since then, the day has been celebrated by more than 150 countries around the world. It is an initiative by the Food and Agricultural Organisation (FAO) of the United Nations.