July 15, 2025

Chitragupta Puja 2024 (Hindi): जानें कौन है वह सतगुरु जो चित्रगुप्त के कागज़ भी फाड़ सकता हैं?

Published on

spot_img

लोकवेद के अनुसार दीपावली के दो दिन बाद चित्रगुप्त पूजा (Chitragupta Puja) की जाती है। आज इस लेख में हम जानेंगे कि चित्रगुप्त कौन हैं? उनका मुख्य कार्य क्या है? कौन है वह सतगुरु जो चित्रगुप्त के कागज़ भी फाड़ सकते हैं?

धर्मराज (यम) के दो दूत हैं जिनके नाम हैं चित्र और गुप्त। ये दोनों हर प्राणी के सारे कर्मों का लेखा जोखा चुपचाप तैयार करते हैं। ये दोनों सभी आत्माओं के कर्मों की एक गुप्त फिल्म तैयार करते हैं और उसकी एक प्रति धर्मराज (यम) के दरबार में तत्काल भेजते हैं। चित्रगुप्त द्वारा लिखे गए कर्मों के आधार पर हर आत्मा के गुण और दोष का लेखा जोखा किया जाता है और उसी आधार पर उस आत्मा को पुरस्कृत या दंडित दिया जाता है। चित्रगुप्त के पास पूरी सृष्टि के सभी जीवों का हिसाब किताब होता है। आइए विस्तार से जानें।

चित्रगुप्त पूजा हर साल कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि के दिन यानी दिवाली के दूसरे दिन यम द्वितीया और भाई दूज के दिन की जाती है। मान्यता है कि इस तिथि को उनकी उत्पत्ति हुई थी। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल चित्रगुप्त पूजा 3 नवंबर 2024 को की जाएगी।

क्या है चित्रगुप्त पूजा (Chitragupta Puja)

दीपावली के दो दिन बाद यानी भाईदूज के दिन चित्रगुप्त पूजा (Chitragupta Puja) विशेषकर कायस्थ समाज के लोगों द्वारा की जाती है। लोकवेद आधारित चित्रगुप्त पूजा के दिन कायस्थ परिवार अपने पुराने बही-खाते बंद करके नए बही-खातों की शुरुआत करते हैं, जिसे शुभ और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस पूजा के दौरान चित्रगुप्त की प्रतिमा या चित्र की स्थापना कर, उनकी विधिवत पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन चित्रगुप्त की पूजा करने से व्यक्ति को सद्बुद्धि, सफलता और समृद्धि आती है।

लोकवेद के अनुसार यमराज ने अपनी बहन यमुना को ये आशीर्वाद दिया था कि जो भाई अपनी बहन के घर जाकर इस दिन तिलक लगवायेगा एवं भोजन करेगा उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं होगा। भगवान यम के सहायक हैं चित्रगुप्त अतः इस दिन उनकी पूजा करने का विधान भी चल पड़ा। लोग चित्रगुप्त के मंदिरों जो कि हैदराबाद का स्वामी चित्रगुप्त मंदिर, उत्तर प्रदेश का फैज़ाबाद सिहिती धर्महरि चित्रगुप्त मंदिर और तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित चित्रगुप्त मंदिर हैं। चित्रगुप्त का कार्य लेखा-जोखा रखने का है इस कारण इसे लोग लेखन से जोड़कर भी देखने लगे। लेखन से जुड़ा कार्य होने के कारण लेखनी और दवात की पूजा इस अवसर पर प्रारम्भ कर दी गई। इतिहास में लेखन कार्य अधिकांशतः कायस्थ समाज करता था इस कारण उन्होंने स्वयं को चित्रगुप्त का वंशज माना। 

अकाल मृत्यु, भाई दूज और चित्रगुप्त

देशभर में लगभग सभी हिन्दू भाई अपनी बहनों से तिलक लगवाकर भाईदूज या यम द्वितीया मनाते हैं। विचारणीय विषय यह है कि यदि यह सत्य है कि अकाल मृत्यु ऐसा करने से टलती तो सीमा पर तैनात वीर सैनिकों की, सड़क दुर्घटनाओं में लोगों की और भयंकर बीमारियों से कोई भी व्यक्ति कभी नहीं मरता। वेदों में विदित है कि विधि का विधान कोई देवता या उसका सचिव कभी नहीं टाल सकता है सिवाय पूर्ण परमात्मा के। प्रत्येक व्यक्ति का भाग्य जन्म से पहले निर्धारित होता है जिसमें फेर बदल करना स्वयं ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पिता ज्योति निरजंन के वश का भी नहीं है। भाग्य का लिखा केवल पूर्ण परमेश्वर कविर्देव ही टाल सकते हैं। 

आदरणीय गरीबदास जी महाराज अपनी अमृत वाणी में बताते हैं कि

चित्रगुप्त के कागज मांही, जेता उपज्या सतगुरु सांई ||

चित्र और गुप्त धर्मराज (यम) के दरबार में लेखक हैं जो हर आत्मा का गुप्त रूप से लेखा जोखा रखते हैं। ये दोनों सभी आत्माओं के कर्मों की एक गुप्त फिल्म तैयार करते हैं और उसकी एक प्रति धर्मराज (यम) के दरबार में तत्काल भेजते हैं। भगवान ने सभी आत्माओं में एक स्मृति भंडारण चिप लगा दी है जहां आत्मा का पूरा विवरण स्वतः दर्ज हो जाता है। भगवान के पास हर आत्मा के अनन्त जन्मों का रिकॉर्ड होता है। यह सब सतपुरुष कबीर परमेश्वर द्वारा बनाए गए विधान के अनुसार ही होता है।

सतगुरु जो चाहें सो करही, चौंदह कोट दूत जम डरही।
उत भूत यम त्रास निवारे, चित्रगुप्त के कागज फाड़े।।

अर्थात् सतगुरु जो चाहें वो कर सकते हैं और यम के दूत भी सतगुरु से डरते हैं।

व्यक्ति के कर्मों के हिसाब से ही उसके भाग्य का निर्णय किया जाता है और इन कर्मों का हिसाब रखते हैं चित्र और गुप्त। पृथ्वी पर कदम रखने मात्र से ही करोड़ों जीव नष्ट हो जाते हैं। इन अनजाने में किये कार्यों का लेखा जोखा भी लिखा जाता है। वे सभी पाप जो अनजाने में होते हैं उन्हें भी जीव के खाते में लिखा जाता है। अनजाने में हुए कर्मों एवं अन्य कर्मबन्धन से केवल पूर्ण परमेश्वर कविर्देव की भक्ति कर रहे सत्य साधक ही बच सकते हैं।

Chitragupta Puja पर जानिए कैसे लेखा लेगा धर्मराय?

हमारा धार्मिक इतिहास गौरवशाली है और हमारे पूर्वज निश्चित ही विद्वान थे। किंतु हर एक परंपरा को आंखें मूंदकर स्वीकार करने के कारण हमने हमारे वेदों को दरकिनार कर दिया है। हमने चित्रगुप्त की पूजा करने से पहले यह जानने की चेष्टा भी नहीं की, कि चित्रगुप्त करते क्या हैं? उनकी उपासना क्यों की जाती है तथा वेदों में उपरोक्त विषयों में क्या वर्णन किया गया है? सभी मनुष्यों को एक बार ज्ञान गंगा पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिए ताकि प्रत्येक देवी देवताओं की स्थिति, शक्ति का ज्ञान हो सके और पूर्ण परमात्मा की भक्ति करने का मार्ग मिल सके।

चित्रगुप्त पूजा (Chitragupta Puja) मृत्यु के तुरंत बाद यमदूत आत्मा को धर्मराय के दरबार मे पेश करते हैं जहाँ चित्रगुप्त द्वारा संग्रहित लेखा-जोखा पहुँच चुका होता है। उन कर्मों के हिसाब से आत्मा को स्वर्ग या नरक भेजा जाता है जहाँ वे अपना किया हुआ भोगकर पुनः चौरासी लाख योनियों में आते हैं। आत्मा का चौरासी लाख योनियों में अगला जन्म गधे, सुअर, कुत्ते या अन्य का होना भी उसके कर्मों के हिसाब से ही तय होता है। 

जीवात्मा का सूक्ष्म रूप होता है और उस शरीर में कष्ट भी अत्यधिक होता है। सर्वप्रथम तो शरीर न छोड़ पाने की स्थिति में यमदूत बुरी तरह पीटते हुए बांधकर यमराज के समक्ष पेश करते हैं और उसके बाद धर्म, कर्म, भक्ति, पाप-पुण्य का हिसाब होता है जिसके लिए सजाएँ, स्वर्ग-नरक में रहने का समय भी पहले से निर्धारित होता है। शास्त्रों में पहले ही चेताया गया है कि तत्वदर्शी सन्त से नामदीक्षा लेकर सच्चिदानंद घनब्रह्म की भक्ति करनी चाहिए (गीता अध्याय 17:23)। तभी धर्मराय के दरबार में जाने से बचा जा सकता है। इसके अलावा और दूसरा कोई उपाय नहीं।

आदरणीय सन्त गरीबदास जी महाराज ने समझाया है-

गरीब, नर से फिर पशुवा कीजै, गधा-बैल बनाय |

छप्पन भोग कहाँ मन बोरे, कुरड़ी चरने जाय ||

गरीब, तुमने उस दरगाह का महल न देखा |

धर्मराज कै तिल-तिल का लेखा ||

धर्मराज (यम) तेरा लेख लेगा, वहाँ क्या बात बनाएगा |
लाल खंब से बंधा जागा, बिन सतगुरु कौन छुटावेगा ||

अर्थात जब धर्मराज तुम्हारा हिसाब लेगा तब तुम कुछ नहीं कर पाओगे। उस दुख से केवल सतगुरु ही छुटकारा दिला सकते हैं। भगवान कबीर जी कहते हैं:

गरीब, जम जौरा जासे डरे, मिटें करम के लेख |
अदली असल कबीर हैं, कुल के सतगुरु एक ||

सर्वशक्तिमान कबीर परमात्मा स्वयं सतगुरु की भूमिका निभाते हैं जिन से यमराज भी डरते हैं। वे सतगुरु के रूप में धर्मराज (यम) द्वारा एकत्रित किए गए पाप कर्मों खाते को समाप्त कर देता है।

काल की दुनिया में हर एक प्राणी यहां तक कि धर्मराज (यम) और चित्रगुप्त भी गलत साधना कर रहे हैं जिसके कारण काल के जाल में फंसे हुए है। इसका उल्लेख सूक्ष्म वेद में भी किया गया है

चित्र गुप्त धर्म राय गावैं, आदि माया ओंकार है।
कोटि सरस्वती लाप करत हैं, ऐसा पारब्रह्म दरबार है।।

चित्र तथा गुप्त और यहां तक ​​कि धर्मराज (यम) भी ओंकार अर्थात् ब्रह्म काल की पूजा करते हैं और आदिमाया अर्थात दुर्गा द्वारा फैलाए जाल में फंस रहते हैं।

नई पीढ़ी भी अक्सर अपने माता पिता और पूर्वजों द्वारा करती आ रही प्रथाओं और पूजाओं को देखकर उन पर आसानी से आरूढ़ हो जाते हैं और गलत साधनाएँ जैसे व्रत, मूर्तिपूजा, तीर्थ यात्रा, पाखंड आदि जो गीता जी में वर्जित हैं उन्हें करके स्वयं का उद्धार समझने लगते हैं। परंतु भोले प्राणियों को यह विचार करना चाहिए कि यदि व्रत करने से आयु बढ़ जाती तो लोगों की अकाल मृत्यु कभी न होती, लोग अकाल पड़ने से भूखे नहीं मरते, युद्ध में मरते नहीं, यदि ऐसी साधनाओं से मोक्ष होता तो वेदों को लिखने की क्या आवश्यकता थी?

आज अधिकांश मानव समाज द्वारा की जा रही साधनाएँ वेद विरुद्ध हैं। लोग राजगुण सतोगुण और तमोगुण ब्रह्मा, विष्णु, महेश, की और अन्य देवी देवताओं की भक्ति करते हैं जिससे उन्हें कोई विशेष लाभ नहीं मिलने वाला। जबकि परमात्मा की सत्य साधना करने वाले भक्तों को यमदूत नहीं ले जा सकते एवं वे चौरासी लाख योनियों के फेर में भी नहीं आते क्योंकि उनके सभी कर्म बन्धनों को पूर्ण परमेश्वर सदा के लिए खत्म कर देते हैं (यजुर्वेद अध्याय 5 मन्त्र 32)।

समय रहते तत्वदर्शी सन्त की शरण में जाने से मनुष्य जन्म का सदुपयोग किया जा सकता है जिससे इस जन्म-मरण के कष्टों, भौतिक दुखों से निजात मिलेगी और पूर्ण मोक्ष होगा। धर्मराज और चित्रगुप्त के बारे में सम्पूर्ण जानकारी

सन्त रामपाल जी महाराज का तत्वज्ञान समझें, उनसे नामदीक्षा लेकर अपना कल्याण करवाएं एवं पूर्व पाप कर्मबन्धन से छुटकारा पाएं। अधिक जानकारी के लिए देखें सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल।

चित्रगुप्त पूजा: FAQs:

1. लोगों द्वारा की जाने वाली चित्रगुप्त पूजा का महत्व क्या है?

चित्रगुप्त पूजा न्याय के देवता चित्रगुप्त जी को समर्पित होती है जो कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। वास्तविकता में ये पूजा शास्त्रों के विपरीत है।

2. क्या चित्रगुप्त का काम केवल पाप-पुण्य का लेखा रखना है?

चित्रगुप्त का काम प्रत्येक व्यक्ति के कर्मों का हिसाब रखना है, लेकिन सच्चे भक्ति मार्ग पर चलने वालों का हिसाब केवल परमात्मा करते हैं।

3. क्या चित्रगुप्त कबीर जी से डरते हैं?

हां, कबीर परमात्मा इतने प्रभावशाली हैं कि उनके सामने चित्रगुप्त और यमराज भी शक्तिहीन हो जाते हैं।

4. सर्वोच्च न्यायधीश कौन हैं?

परमात्मा के सच्चे भक्तों का न्याय और कर्मों का लेखा-जोखा चित्रगुप्त के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता, क्योंकि परमात्मा ही सर्वोच्च न्यायाधीश हैं।

5. संत रामपाल जी अपने सत्संग में चित्रगुप्त के बारे में क्या बताते हैं ?

संत रामपाल जी ने प्रवचनों में बताया है कि सच्चे परमात्मा की भक्ति करने वाले का हिसाब-किताब चित्रगुप्त या यमराज के अधीन नहीं रहता।

निम्न सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर हमारे साथ जुड़िए

WhatsApp ChannelFollow
Telegram Follow
YoutubeSubscribe
Google NewsFollow

Latest articles

Kanwar Yatra 2025: The Spiritual Disconnect Between Tradition And Scriptures

Last Updated on 12 July 2025 IST | The world-renowned Hindu Kanwar Yatra festival...

कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2025): कांवड़ यात्रा की वह सच्चाई जिससे आप अभी तक अनजान है!

हिन्दू धर्म में प्रचलित मान्यताओं के अनुसार श्रावण (सावन) का महीना शिव जी को बहुत पसंद है, परन्तु इस बात का शास्त्रों में कोई प्रमाण नहीं है। श्रावण का महीना आते ही प्रतिवर्ष हजारों की तादाद में शिव भक्त कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2022 in HIndi) करते नजर आते हैं। पाठकों को यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि क्या कांवड़ यात्रा रूपी साधना शास्त्र सम्मत है और इसे करने से कोई लाभ होता है या नहीं?

World Population Day 2025: The best time for world’s Population to Attain Salvation

Last Updated 09 July 2025, 1:16 PM IST | World Population Day 2025: Today...
spot_img

More like this

Kanwar Yatra 2025: The Spiritual Disconnect Between Tradition And Scriptures

Last Updated on 12 July 2025 IST | The world-renowned Hindu Kanwar Yatra festival...

कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2025): कांवड़ यात्रा की वह सच्चाई जिससे आप अभी तक अनजान है!

हिन्दू धर्म में प्रचलित मान्यताओं के अनुसार श्रावण (सावन) का महीना शिव जी को बहुत पसंद है, परन्तु इस बात का शास्त्रों में कोई प्रमाण नहीं है। श्रावण का महीना आते ही प्रतिवर्ष हजारों की तादाद में शिव भक्त कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2022 in HIndi) करते नजर आते हैं। पाठकों को यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि क्या कांवड़ यात्रा रूपी साधना शास्त्र सम्मत है और इसे करने से कोई लाभ होता है या नहीं?