Last Updated on 27 September 2024 IST | Bhagat Singh 117th Birth Anniversary (Jayanti) 2024 [Hindi]: भगतसिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 को पंजाब, भारत (अब पाकिस्तान) में एक सिख परिवार में हुआ था। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन समर्पित करने हेतु तेरह वर्ष की आयु में स्कूल छोड़ दिया। राजनीतिक अवज्ञा के लिए वे कई हिंसक प्रदर्शनों में शामिल हुए और उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया। भगत सिंह को ब्रिटिश पुलिस अधिकारी की हत्या का दोषी पाया गया था और 23 मार्च 1931 को उन्हें फांसी दे दी गई थी।
शहीद-ए-आजम भगत सिंह जयंती [Hindi]: मुख्य बिन्दु
- भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के लायलपुर जिले में हुआ था।
- उन्होंने मात्र 13 वर्ष की उम्र में स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था।
- महात्मा गांधी के अहिंसा आंदोलन से असहमत होकर भगत सिंह ने सशस्त्र क्रांति का मार्ग चुना।
- लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए भगत सिंह ने पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की हत्या की।
- भगत सिंह ने “इंकलाब जिंदाबाद” का नारा दिया, जो आज भी युवाओं की प्रेरणा है।
- 1929 में उन्होंने दिल्ली में असेंबली में बम फेंका ताकि ब्रिटिश सरकार का ध्यान स्वतंत्रता की ओर खींचा जा सके।
- भगत सिंह को उनके साथियों सुखदेव और राजगुरु के साथ 23 मार्च 1931 को फांसी दे दी गई।
- जेल में रहते हुए भगत सिंह ने “मैं नास्तिक क्यों हूं?” जैसे विचारोत्तेजक लेख लिखे।
- समाजवादी विचारधारा से प्रभावित होकर उन्होंने भारत को एक स्वतंत्र, समान और न्यायपूर्ण समाज बनाने का सपना देखा।
- भगत सिंह की क्रांति और बलिदान आज भी भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं।
Bhagat Singh Birth Anniversary (Jayanti): आज भी युवाओं के हृदय सम्राट हैं
भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन के सबसे प्रभावशाली क्रांतिकारियों में से एक भगत सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रमुख नाम है। ‘युवा आदर्श’ भगत सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे कम उम्र के सेनानियों में से एक थे। उनकी देशभक्ति अंग्रेजों के खिलाफ मजबूत हिंसक विस्फोट की तरह थी। भगत सिंह आज के समय में युवा आदर्श बने हुए हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने भगत सिंह की जयंती मनाने के लिए 5 रुपये के मूल्य वर्ग के सिक्के जारी किए थे।
Bhagat Singh Birth Anniversary-भगत सिंह का निजी जीवन
28 सितंबर 1907 को पंजाब, भारत (अब पाकिस्तान) के लैलपुर जिले के बंगा गांव में एक सिख परिवार में भगत सिंह का जन्म हुआ था। सरदार किशन सिंह और विद्यावती के तीसरे बेटे भगत सिंह के पिता और चाचा गफ्फार पार्टी के सदस्य थे। यह परिवार राष्ट्रवाद में डूबा हुआ था और आजादी के लिए आंदोलनों में शामिल था। उनके पिता राजनीतिक आंदोलन में सक्रिय थे यहाँ तक कि भगत सिंह के जन्म के समय जेल में थे।
देश पर सब कुछ किया न्यौछावर
माता-पिता द्वारा उनके विवाह करने की योजना का उन्होंने जोरदार तरीके से विरोध किया। विवाह से बचने के लिए घर से भाग गये और संगठन नौजवान भारत सभा के सदस्य बन गए। हालांकि माता-पिता से आश्वासन मिलने के बाद कि वे उसे विवाह करने के लिए मजबूर नहीं करेंगे, वे लाहौर लौट आए। जब भगत सिंह 13 साल के हुए, तब तक वे क्रांतिकारी गतिविधियों से भलीभांति परिचित हो गए थे और राष्ट्र सेवा हेतु पढ़ाई तक छोड़ दी।
महात्मा गांधी के अहिंसक धर्मयुद्ध से मोहभंग
भगत सिंह के पिता महात्मा गांधी के इतने बड़े समर्थक थे कि उनके द्वारा आह्वान करने पर सरकारी सहायता प्राप्त संस्थानों का बहिष्कार करने के लिए भगत सिंह ने स्कूल छोड़ दिया। तत्पश्चात भगत सिंह ने नेशनल कॉलेज लाहौर में प्रवेश लिया, जहां उन्हें क्रांतिकारी आंदोलनों का अध्ययन करने का अवसर मिला। वहीं वे अन्य क्रांतिकारियों जैसे भगवती चरण, सुखदेव और अन्य के संपर्क में आए।
भगत सिंह 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड से बेहद दुखी थे। उन्होंने असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया था, लेकिन जब गांधी ने चौरी चौरा घटना के बाद आंदोलन बंद बुलाया तो उन्हें निराशा हाथ लगी। कुछ समय बाद, उनका महात्मा गांधी के अहिंसक धर्मयुद्ध से मोहभंग हो गया। उन्हें विश्वास हो गया कि सशस्त्र संघर्ष ही राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए एक मात्र रास्ता है।
भगत सिंह एक तेज तर्रार युवा नेता
भगत सिंह समाजवाद की ओर काफी आकर्षित हुए। उन्होंने 1926 में, ‘नौजावन भारत सभा (यूथ सोसाइटी ऑफ इंडिया) की स्थापना की। भगत सिंह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचएसआरए) के नेताओं और संस्थापकों में से एक थे।
Bhagat Singh Birth Anniversary [Hindi]: बने पुलिस की आँखों का कांटा
भगत सिंह पुलिस की दृष्टि में संदिग्ध व्यक्ति बन चुके थे और मई 1927 में उन्हें पिछले अक्टूबर में बमबारी में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। कई सप्ताह के बाद जब उन्हें छोड़ा गया तो उन्होंने क्रांतिकारी अखबारों के लिए लिखना शुरू किया।
एक कट्टरपंथी क्रांतिकारी
1928 में ब्रिटिश सरकार ने साइमन कमीशन को भारतीय लोगों के लिए स्वायत्तता पर चर्चा के लिए नियुक्त किया। कई भारतीय राजनीतिक संगठनों ने इस आयोजन का बहिष्कार किया क्योंकि आयोग में कोई भारतीय प्रतिनिधि नहीं था। अक्टूबर में लाला लाजपत राय ने आयोग के विरोध में मार्च का नेतृत्व किया था। पुलिस ने बड़ी भीड़ को भगाने का प्रयास किया तो हाथापाई के दौरान पुलिस अधीक्षक जेम्स ए स्कॉट ने राय को घायल कर दिया। राय की दो हफ्ते बाद मौत हो गई। ब्रिटिश सरकार ने ऐसी किसी भी बात को मानने से इनकार कर दिया जिससे सरकार की गलती साबित हो।
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लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए भगत सिंह ने दो अन्य लोगों के साथ पुलिस अधीक्षक जेम्स ए स्कॉट को मारने की योजना बनाई, लेकिन दूसरे पुलिस अधिकारी जॉन पी सॉंडर्स की गोली मारकर हत्या कर दी। भगत सिंह और उनके साथियों की सभी कोशिशों के बावजूद गिरफ्तारी नहीं हो पाई।
23 मार्च 1931 को दी गई फांसी
8 अप्रैल 1929 में भगत सिंह ने अपने सहयोगी के साथ सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक के कार्यान्वयन के विरोध में दिल्ली में केंद्रीय विधान सभा पर बमबारी की। उसके बाद कोर्ट में गिरफ्तारी दी। भगत सिंह, सुख देव और राज गुरु को अदालत ने विध्वंसक गतिविधियों के लिए मौत की सजा सुनाई थी। उन्हें 23 मार्च 1931 को फांसी दे दी गई।
जेल जीवन और साहित्यिक योगदान
भगत सिंह जेल में रहते हुए भी समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से विमुख नहीं हुए। उन्होंने जेल में कई लेख लिखे और अपने विचारों को जनता तक पहुंचाने का काम किया। उन्होंने अपने लेखों में क्रांति, समाजवाद और स्वतंत्रता की महत्ता पर जोर दिया। भगत सिंह ने जेल में रहते हुए “मैं नास्तिक क्यों हूं?” नामक प्रसिद्ध लेख लिखा, जिसमें उन्होंने ईश्वर और धर्म पर सवाल उठाए।
चण्डीगढ़ एयरपोर्ट का नाम अब शहीद भगतसिंह के नाम पर रखा गया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक कार्यक्रम मन की बात में चंडीगढ़ हवाई अड्डे का नाम स्वतंत्रता सेनानी शहीद भगत सिंह के नाम पर करने की घोषणा की। चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नाम अब शहीद भगत सिंह जी के नाम पर रखा गया।
क्या अन्य कार्यों के साथ मानव जीवन के कर्तव्य को ध्यान में रखना आवश्यक नहीं है?
आप एक बड़े वैज्ञानिक, साहित्यकार, राजनेता, समाज सुधारक या स्वतंत्रता सैनानी हो सकते हैं लेकिन आपने मनुष्य योनि में ही किये जा सकने वाले कार्य की ओर ध्यान नहीं दिया तो बड़ा भारी नुकसान किया है। आपके कार्यों के लिए आपको समाज वर्ष में आपकी जयंती और पुण्य तिथि पर याद तो जरूर करेगा लेकिन आप जो जन्म मृत्यु के चक्र से बाहर आ सकते थे वह अवसर आपने छोड़ दिया। संत गरीबदास जी कहते हैं
गरीब यह हरहट का कुंआ लोई। यों गल बंध्या है सब कोई।।
कीड़ी – कुंजर और अवतारा। हरहट डोर बंधे कई बारा।।
तात्पर्य है कि चींटी से लेकर हाथी तक और सभी अवतारों सहित सभी अपने कर्मों के कारण चौरासी लाख योनियों में रहट की कड़ियों से बंधे हैं और जन्म मृत्यु को प्राप्त होते हैं। संत गरीब दास जी आगे बताते है कि बिना सतगुरु मिले मुक्ति संभव नहीं है अतः जन्म लेने के बाद होश आते ही मनुष्य को सबसे पहले सतगुरु धारण करना चाहिए।
गरीब बिन सतगुरु पावै नहीं, खालक खोज विचार।
चौरासी जग जात है, चिन्हत नाहीं सार।।
सतगुरु से दीक्षा लेकर गुरु भक्ति करने से मनुष्य उतर सकता है भवसागर से पार
कबीर कमाई आपनी, कबहु ना निष्फल जाय।
सात समुद्र आड़े पड़ो, मिले अगाऊ आय॥
सेऊ का सिर उसके धड़ पर परमात्मा कबीर साहेब के आशीर्वाद के कारण पुनः जुड़ गया था और कोई निशान तक नहीं थे, ऐसी कृपा होती है सतगुरु की। अतः वर्तमान काल में धरती पर अवतार जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज द्वारा दी जाने वाली सतभक्ति को ग्रहण कर वांछित फल प्राप्त करें। सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल पर संत जी के सत्संग श्रवण करें और जीने की राह पुस्तक पढ़ें।
Bhagat Singh Birth Anniversary (Jayanti) Quotes in Hindi
- “इंकलाब जिंदाबाद।”
- “राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आज़ाद है।”
- “बम और पिस्तौल क्रांति नहीं लाते, क्रान्ति की तलवार विचारों के धार बढ़ाने वाले पत्थर पर रगड़ी जाती है।”
- “क्रांति मानव जाति का एक अपरिहार्य अधिकार है। स्वतंत्रता सभी का एक कभी न ख़त्म होने वाला जन्म-सिद्ध अधिकार है। श्रम समाज का वास्तविक निर्वाहक है।”
- “व्यक्तियो को कुचल कर, वे विचारों को नहीं मार सकते।”
- “निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम लक्षण हैं।”
- “मैं एक मानव हूं और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है उससे मुझे मतलब है।”
FAQ About Shaheed-e-Azam Bhagat Singh (शहीद-ए-आजम भगतसिंह से सम्बंधित योग्य प्रश्नोत्तरी)
Ans. भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 को पंजाब, भारत (अब पाकिस्तान) में एक सिख परिवार में हुआ था।
Ans. 23 मार्च 1931 को भगतसिंह को फांसी दे दी गई थी।
Ans. एक ब्रिटिश जूनियर पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की गोली मारकर हत्या तथा लाहौर सेंट्रल असेम्बली में बम फेंकने के आरोप में सुखदेव, राजगुरु तथा भगतसिंह तीनों को एक साथ फांसी दी गयी थी।
Ans. देश की आजादी की बलिवेदी में अपने प्राण न्योछावर करने के कारण भगतसिंह को शहीद-ए-आजम नाम से भी जाना जाता है।
And. “इंकलाब जिंदाबाद” शहीद-ए-आजम भगतसिंह द्वारा दिया गया प्रसिद्ध नारा है।