Adipurush Controversy [Hindi] | क्या है आदिपुरुष फिल्म को लेकर विवाद तथा कौन है वास्तविक आदिपुरुष?

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Adipurush Controversy in Hindi: आदिपुरुष से जुड़ा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। आपत्तिजनक संवाद हो, आपत्तिजनक दृश्य हो या अनुचित चरित्र चित्रण, बड़े पैमाने पर लोग फिल्म में दिखाई गई सामग्री से संतुष्ट नहीं दिखे। साथ ही, आदिपुरुष को अपने संवादों के साथ-साथ महत्वपूर्ण पात्रों के खराब चित्रण के माध्यम से रामायण का मज़ाक उड़ाने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। जिसके बाद इसके प्रदर्शन पर कई स्थानों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। वहीं फिल्म में श्री विष्णु के अवतार श्री रामचन्द्र को आदिपुरुष के रूप में दिखाया गया है। आइये जानते हैं इस लेख में आदिपुरुष फिल्म विवाद क्या है और सनातन धर्मशास्त्रों वेद, गीता अनुसार आदिपुरुष अर्थात सबसे पहला भगवान कौन है, जोकि अजर अमर अविनाशी है?

Adipurush Controversy [Hindi]: मुख्यबिन्दु 

  • पौराणिक कथाओं से हटकर आदिपुरुष में राम, सीता और हनुमान आदि का चित्रण
  • आदिपुरुष फिल्म के डायलॉग, दृश्य व चरित्र चित्रण को लेकर हो रहा विवाद
  • नेपाल में भी फिल्म आदिपुरुष का विवाद, कई जगह फिल्म बैन
  • आदिपुरुष अर्थात सबसे पहला प्रभु, जिसने रचित सर्व सृष्टि
  • धर्म शास्त्रों व परमात्मा प्राप्त संतों के अनुसार, कबीर परमेश्वर जी हैं आदिपुरुष

क्या है आदिपुरुष (Adipurush Controversy) फिल्म का विवाद?

फिल्म आदिपुरुष में बहुत से ऐसे दृश्य व डायलॉग्स प्रदर्शित किए गए हैं जोकि रामायण की मर्यादा को भंग कर रहे हैं। जिसके बाद लोगों ने फिल्म आदिपुरुष से धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाते हुए इस पर बैन लगाने की मांग की है। आदिपुरुष में प्रदर्शित कुछ संवाद जिनके कारण हो रहा विवाद : 

  • हनुमानजी ने रावण के बेटे इंद्रजीत से कहा – कपड़ा तेरे बाप का! तेल तेरे बाप का! जलेगी भी तेरे बाप की।
  • इंद्रजीत ने हनुमानजी से कहा – तेरी बुआ का बगीचा है क्या जो हवा खाने चला आया।
  • हनुमानजी ने रावण की सभा में कहा – जो हमारी बहनों को हाथ लगाएगा उनकी लंका लगा देंगे।
  • विभीषण ने रावण से कहा – आप अपने काल के लिए कालीन बिछा रहे हैं।
  • लक्ष्मण के ऊपर वार करने के बाद इंद्रजीत ने कहा – मेरे एक सपोले ने तुम्हारे शेषनाग को लंबा कर दिया अभी तो पूरा पिटारा भरा पड़ा है।

ये कुछ ऐसे फिल्मी डायलॉग्स हैं जोकि रामायण पर आधारित आदिपुरुष (Adipurush Controversy in Hindi) फिल्म में प्रदर्शित किए गए हैं। यहीं कारण है कि भारत के अलग अलग हिस्सों में इसका विरोध किया जा रहा है। राजनेताओं से लेकर धार्मिक संगठन भी इस फिल्म का विरोध कर रहे हैं। हालांकि अब इन डायलॉग्स को बदल दिया गया है। 

भारत से लेकर नेपाल पहुंचा आदिपुरुष विवाद | (Adipurush Controversy in Hindi)

वहीं फिल्म आदिपुरुष में सीता को “भारत की बेटी” बतायें जाने पर नेपाल में भी इसका विरोध किया गया है। जिसके चलते फिल्म के प्रदर्शन को काडमांडू, पोखरा आदि स्थानों में प्रतिबंधित कर दिया गया है।

आदिपुरुष को बैन करने के लिए AICWA ने लिखा पत्र

‘आदिपुरुष’ को बैन करने की मांग को लेकर ऑल इंडिया सिने वर्क एसोसिएशन (AICWA) ने बाकायदा प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा है, साथ ही इसके ओटीटी पर रिलीज रोकने की मांग भी की है।

आदिपुरुष (Adipurush) किसे कहते हैं?

आदिपुरुष दो शब्दों “आदि और पुरुष” से मिलकर बना हुआ है, जिसका सीधा अर्थ होता है “पहला भगवान”। जिन्होंने सर्व सृष्टि की रचना की है। जोकि अजर अमर अविनाशी है अर्थात गीता अध्याय 2 श्लोक 17 के अनुसार जिसे मारने में कोई सक्षम नहीं है।

क्या श्री रामचंद्र हैं आदिपुरुष (Adipurush in Hindi)?

हम सभी जानते हैं कि त्रिलोकीनाथ श्री विष्णु जी ही त्रेतायुग में राजा दशरथ के यहां माता कौशल्या के गर्भ से जन्मे थे और अंत समय में रामचंद्र जी स्वयं सरयू नदी में जल समाधि लेकर प्राण त्यागे थे। वहीं गीताप्रेस गोरखपुर से प्रकाशित श्रीमद्देवी भागवत (देवी पुराण) के तीसरे स्कन्ध के अध्याय 4-5 में श्री विष्णु जी (श्री राम) ने अपनी माता दुर्गा की स्तुति करते हुए कहा है कि हे मातः!

आप शुद्ध स्वरूपा हो, सारा संसार आप से ही उद्भाषित हो रहा है, हम आपकी कृपा से विद्यमान हैं, मैं (विष्णु), ब्रह्मा और शंकर तो जन्मते-मरते हैं, हमारा तो अविर्भाव (जन्म) तथा तिरोभाव (मृत्यु) हुआ करता है, हम अविनाशी नहीं हैं। तथा भगवान शंकर कहते हैं, हे माता! विष्णु के बाद उत्पन्न होने वाला ब्रह्मा जब आपका पुत्र है तो क्या मैं तमोगुणी लीला करने वाला शंकर तुम्हारी सन्तान नहीं हुआ अर्थात् मुझे भी उत्पन्न करने वाली तुम ही हो। इस देवी महापुराण के उल्लेख से सिद्ध हुआ कि ये तीनों देवता नाशवान हैं।

जबकि ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 93 मंत्र 2, मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 3 तथा यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 8 में कहा गया है कि वह परमेश्वर कविर्देव अर्थात कबीर साहेब है जोकि सर्व ब्रह्मांडो का रचनहार है। जोकि स्वयं प्रकट होता है उसका जन्म माता के गर्भ से नहीं होता बल्कि वह स्वयं सशरीर प्रकट होता है और सशरीर अपने अमर लोक को चला जाता है। इसका प्रमाण संत गरीबदास जी देते हुए कहते हैं :

गरीब, अनंत कोटि ब्रह्मांड में, बंदी छोड कहाय। 

सो तौ एक कबीर हैं, जननी जन्या न माय।।

धर्मग्रंथों के अनुसार कबीर परमेश्वर हैं आदिपुरुष (Adipurush)

हमारे सनातन धर्म ग्रंथ चारों वेद, श्रीमद्भागवत गीता में अनेकों ऐसे प्रमाण हैं जोकि यह स्पष्ट करते हैं कि आदिपुरुष (Adipurush) अर्थात सबसे पहला अविनाशी परमेश्वर कविर्देव अर्थात कबीर परमेश्वर है। जिसे गीता अध्याय 8 श्लोक 3, अध्याय 15 श्लोक 17, अध्याय 7 श्लोक 19 व अध्याय 17 श्लोक 23 में इसी परमेश्वर को परम अक्षर ब्रह्म, उत्तम पुरुष, वासुदेव व सच्चिदानंद घन ब्रह्म के नाम से संबोधित किया गया है। 

वहीं पवित्र यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 8 में कहा है कि जिस परमेश्वर की सर्व प्राणियों को चाह है, वह कविर्देव अर्थात कबीर परमेश्वर पूर्ण विद्वान है। उसका शरीर बिना नाड़ी का है, वीर्य से बनी पांच तत्व से बनी भौतिक काया रहित है। वह सर्व का मालिक सर्वोपरि सत्यलोक में विराजमान है। उस परमेश्वर का तेजपुंज का स्वयं प्रकाशित शरीर है। जो शब्द रूप अर्थात अविनाशी है। वही कविर्देव है जो सर्व ब्रह्मण्डों की रचना करने वाला सर्व ब्रह्मण्डों का रचनहार स्वयं प्रकट होने वाला वास्तव में अविनाशी है। 

साथ ही, अथर्ववेद काण्ड नं. 4 अनुवाक नं. 1 मंत्र 7 कहा गया है कि जो अचल अर्थात् अविनाशी जगत पिता भक्तों का वास्तविक साथी अर्थात् आत्मा का आधार सबसे बड़ा स्वामी ज्ञान दाता जगतगुरु तथा विनम्र पुजारी अर्थात् विधिवत् साधक को सुरक्षा के साथ जो सतलोक जा चुके हैं उनको सतलोक ले जाने वाला सर्व ब्रह्मण्डों को रचने वाला काल की तरह धोखा न देने वाले स्वभाव अर्थात् गुणों वाला ज्यों का त्यों वह कबीर परमेश्वर अर्थात् कविर्देव है। इसके अलावा ऋग्वेद मण्डल 1 सुक्त 1 मंत्र 5 में कहा गया है कि सर्व सृष्टी रचनहार कुल का मालिक कविर्देव अर्थात् कबीर परमात्मा है। जोकि तेजोमय शरीर युक्त है। यही परमात्मा साधकों के लिए पूजा करने योग्य है।

संतों की वाणियों में आदिपुरुष (Adipurush)

परमेश्वर प्राप्त संतों जैसे गुरुनानक देव, संत दादू जी, संत गरीबदास जी ने परमेश्वर कबीर जी का प्रमाण दिया है कि ये ही परमात्मा आदिपुरुष अर्थात सर्व ब्रह्मांडो का रचनहार है।

श्री गुरु ग्रन्थ साहेब पृष्ठ नं. 721, राग तिलंग महला 1:

यक अर्ज गुफतम् पेश तो दर कून करतार।

हक्का कबीर करीम तू बेअब परवरदिगार।

नानक बुगोयद जन तुरा तेरे चाकरां पाखाक।

जिसमें गुरुनानक देव जी ने कहा है कि हे (हक्का कबीर) आप सतकबीर (कून करतार) शब्द शक्ति से रचना करने वाले शब्द स्वरूपी प्रभु अर्थात् सर्व सृष्टि के रचन हार हो, आप ही बेएब निर्विकार (परवरदिगार) सर्व के पालन कर्ता दयालु प्रभु हो, मैं आपके दासों का भी दास हूँ। 

गरीब, अनन्त कोटि ब्रह्मण्ड का एक रति नहीं भार।
सतगुरु पुरुष कबीर हैं कुल के सृजन हार।।

– संत गरीबदास जी

जिन मोकूँ निज नाम दिया, सोई सतगुरु हमार।
दादू दूसरा कोई नहीं, कबीर सृजन हार।।

– संत दादू जी

तथा परमेश्वर कबीर जी ने अपनी महिमा स्वयं बताते हुए कहा है:

कबीर, हमहीं अलख अल्लाह हैं, मूल रूप करतार।

अनंत कोटि ब्रह्मांड का, मैं ही सृजनहार।।

इन सभी प्रमाणों से स्पष्ट है कि पूर्ण परमात्मा आदिपुरुष (Adipurush) सबसे पहले का परमात्मा कविर्देव अर्थात कबीर साहेब है। जिसकी सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए आज ही गूगल प्ले स्टोर से Sant Rampal Ji Maharaj App डाऊनलोड करें।

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