April 8, 2025

केन्द्र सरकार ने यूपीएससी लेटरल एंट्री पर लगाई रोक

Published on

spot_img

UPSCLateralEntry: यूपीएससी ने 17 अगस्त को एक विज्ञापन जारी किया था। इसमें लेटरल एंट्री के ज़रिए हाल ही में डायरेक्टर, ज्वाइंट सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी लेवल पर 45 भर्तियां निकाली थीं। 

इसमें एससी, एसटी और अन्य पिछड़ा वर्ग कोई आरक्षण न होने के कारण बहस छिड़ी और इसकी कड़ी आलोचना की गई। इस पर बहस के बाद केंद्र सरकार के अनुरोध पर यूपीएससी के विज्ञापन पर रोक लगा दी है। केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी के चेयरमैन को पत्र लिखकर प्रधानमंत्री के निर्देशानुसार सीधी भर्ती के विज्ञापन पर रोक लगाई जाए।

UPSCLateralEntry: मोरारजी देसाई की अध्यक्षता में 1966 में हुई जब पहली बार प्रशासनिक सुधार आयोग का गठन किया गया। मोरारजी ने जोर दिया कि सिविल सेवा में विशेष स्किल के लोगों की आवश्यकता है। हालांकि चार दशक बाद यूपीए की सरकार में लेटरल एंट्री की अवधारणा पहली बार सामने आई। 2005 ने दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग का गठन हुआ जिसके अध्यक्ष हुए वीरप्पा मोइली।

उन्होंने पुरजोर तरीके से लेटरल एंट्री को समर्थन दिया। लेकिन आरंभ में इसके जरिए केवल मुख्य आर्थिक सलाहकार जैसे पदों पर नियुक्ति की गई। लेटरल एंट्री का मतलब प्राइवेट सेक्टर के लोगों की ब्यूरोक्रेसी ने सीधी भर्ती से है। अर्थात सरकार अलग अलग पदों जैसे ज्वाइंट सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी जैसे पदों पर प्राइवेट सेक्टर के लोगों को कॉन्ट्रेक्ट के आधार पर काम करने का अवसर देती है। इस आधार पर 15 वर्षों से प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों को सीधा नौकरशाही में भर्ती है। इसकी न्यूनतम आयु 45 वर्ष है और न्यूनतम शैक्षिक योग्यता ग्रेजुएशन है।

UPSCLateralEntry: वर्तमान में लेटरल एंट्री की सबसे ज्यादा आलोचना को जा रही है क्योंकि इस केंद्र सरकार के तत्वाधान में हो रही इन भर्तियों में एससी, एसटी, ओबीसी के लिए कोई आरक्षण कोटा नहीं है। जबकि वर्ष 2018 में केंद्र सरकार द्वारा जारी सर्कुलर में यह निर्देश थे कि केंद्र सरकार और उसके पदों में नियुक्ति के संबंध में 45 दिनों या उससे अधिक समय के लिए होने वाली नियुक्तियों में एससी, एसटी, ओबीसी के लिए आरक्षण निर्धारित होगा।  केवल इतना ही नहीं बल्कि इससे वर्तमान में कार्य करने वाले अधिकारी हतोत्साहित भी हो सकते हैं।

बताया जा रहा है कि इन भर्तियों के जरिए सरकार अपने मंत्रालयों में अपने समर्थक अधिकारियों को जगह दी सकती है। और सरकार के मंत्रालयों में केवल उसी सरकार के समर्थक नेताओं का होना निरंकुशता को जन्म दे सकता है। विपक्ष द्वारा इसका सर्वाधिक विरोध किया जा रहा है। यह भी मानना है कि इसके माध्यम से अधिकारी बड़े बिजनेस हाउस के पक्ष में ही नीतियां बना सकते हैं। फिलहाल इस पर आज की तारीख में केंद्र सरकार द्वारा इसके विज्ञापन पर रोक लगाई गई है।

Latest articles

World Sports Day 2025: How to Play Sports of Human Life?

Last Updated on 5 April 2025 IST: World Sports Day 2025 | The United...

Hanuman Jayanti 2025: Know How Hanuman Ji Met Supreme God After Leaving Ayodhya ?

Last Updated on 05 April 2025 IST: Hanuman Jayanti 2025: Dear readers, the most...

World Art Day 2025: Unveil the Creator of the beautiful World

World Art Day 2025: Ever wondered which is the World's biggest art? it's the...

BIMSTEC Summit 2025: PM Modi Introduces 21-Point Action Plan

At the 6th BIMSTEC Summit held in Bangkok on April 4, 2025, Prime Minister...
spot_img

More like this

World Sports Day 2025: How to Play Sports of Human Life?

Last Updated on 5 April 2025 IST: World Sports Day 2025 | The United...

Hanuman Jayanti 2025: Know How Hanuman Ji Met Supreme God After Leaving Ayodhya ?

Last Updated on 05 April 2025 IST: Hanuman Jayanti 2025: Dear readers, the most...

World Art Day 2025: Unveil the Creator of the beautiful World

World Art Day 2025: Ever wondered which is the World's biggest art? it's the...