Last Updated on 10 July 2024 IST : विश्व जनसंख्या दिवस: लगातार बढ़ रही जनसंख्या एक चुनौती है। सोमवार, 8 जुलाई 2024 तक भारत की वर्तमान जनसंख्या 1,441,946,038 है, जो संयुक्त राष्ट्र के नवीनतम आंकड़ों के वर्ल्डोमीटर विस्तार पर आधारित है। एक बेहतर राष्ट्र निर्माण के लिए शिक्षा, जागरूकता, स्वास्थ्य, पर्यावरण और जल सब अति आवश्यक कारक हैं किन्तु बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण यह सब, सभी के लिए उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं।
विकास और पर्यावरण पर जनसंख्या वृद्धि के महत्वपूर्ण प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसके साथ आने वाली विभिन्न चुनौतियों, जैसे पर्यावरणीय गिरावट, सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं और संसाधनों की कमी का समाधान करने के लिए विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई को मनाते हैं। इस दिन का उद्देश्य प्रजनन स्वास्थ्य, परिवार नियोजन, लैंगिक समानता और मानवाधिकारों की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए जनसंख्या गतिशीलता के महत्व और सामाजिक, आर्थिक विकास को उजागर करना भी है। विश्व जनसंख्या दिवस मनाकर, हम सभी के लिए एक स्थायी भविष्य सुनिश्चित करने के लिए डेटा-संचालित निर्णय लेने और नीति निर्माण को बढ़ावा देते हैं।
कब हुई विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की शुरुआत?
11 जुलाई 1987 तक विश्व में जनसंख्या का आंकड़ा 5 अरब के पार पहुंच चुका था। तब दुनिया भर के लोगों को बढ़ती आबादी के प्रति जागरूक करने के लिए इस दिन को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा ‘विश्व जनसंख्या दिवस’ के रूप में निर्धारित करने का निर्णय लिया गया। विश्व जनसंख्या दिवस की स्थापना वर्ष 1987 में UNDP की तत्कालीन काउंसिल परिषद द्वारा की गई थी और दिसंबर 1990 में इसे आधिकारिक रूप से घोषित कर दिया गया।
कैसे हुई विश्व जनसंख्या दिवस की रूपरेखा तैयार
संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के मुताबिक मौजूदा विश्व जनसंख्या 7.6 अरब है, यह आंकड़ा जुलाई 2018 तक का है। 11 जुलाई प्रतिवर्ष विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में जाना जाता है। यह लगभग तीन दशकों से मनाया जा रहा है। इस दिन का उद्देश्य आबादी के मुद्दों के महत्व पर दुनिया का ध्यान केंद्रित करना है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की गवर्निंग काउंसिल ने 1989 में इसकी शुरुआत की सिफारिश की। इस विशेष दिन की प्रेरणा 11 जुलाई 1987 को “पांच बिलियन दिवस” के उद्देश्य से ली गई। यह वह दिन था जब दुनिया की जनसंख्या 5 अरब तक पहुंच गई थी। संयुक्त राष्ट्र ने इस घटना को जनसंख्या के मुद्दों, विकास और पर्यावरण पर उनके प्रभाव के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए अधिकृत किया।
2018 में विश्व जनसंख्या दिवस की थीम “फैमिली प्लानिंग एक मानव अधिकार” है। 1968, में मानवाधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया था। यहीं पहली बार, परिवार नियोजन को मानव अधिकार माना गया था। सम्मेलन के दौरान अपनाई गई तेहरान उद्घोषणा में कहा गया है कि यह माता-पिता का मूल अधिकार है कि वे अपने बच्चों की संख्या और अंतराल पर फैसला कर सकें। विश्व जनसंख्या दिवस का उद्देश्य विभिन्न आबादी के मुद्दों जैसे परिवार नियोजन, लिंग समानता, गरीबी, मातृ स्वास्थ्य और मानवाधिकारों के महत्व पर लोगों की जागरूकता को बढ़ाना है। सोचने योग्य तथ्य यह है की सरकार जनसंख्या नियंत्रण करने पर ज़ोर देने को कह रही है बावजूद इसके जनसंख्या बढ़ती ही जा रही है। अथाह पृथ्वी पर सभी सुलभ संसाधन और सुख सुविधाएं उपलब्ध होते हुए भी हाहाकार मची है। हर ओर अंशाति का माहौल है।
विश्व जनसंख्या दिवस 2024 की थीम
हर वर्ष विश्व जनसंख्या दिवस एक विशेष थीम के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष के विश्व जनसंख्या दिवस का विषय है, “समस्याओं को समझने, समाधान तैयार करने और प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए डेटा संग्रह में निवेश करना महत्वपूर्ण ह। विश्व जनसंख्या दिवस एक महत्वपूर्ण अवसर भी है जो तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या और उससे जुड़ी चुनौतियों के प्रति जागरूक करने में मदद करता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन के मुद्दों पर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है। प्रत्येक वर्ष की थीम जनसंख्या से जुड़े मुद्दों के विभिन्न पहलुओं पर केंद्रित होती है, जिसका उद्देश्य सबसे अधिक दबाव वाली चिंताओं को संबोधित करना होता है।
कलयुग में आबादी और ज्ञान का हुआ विस्तार
विश्व जनसंख्या दिवस: पिछली एक सदी में दुनिया की आबादी इतनी तेज़ी से बढ़ी है कि वैज्ञानिक भी हैरत में हैं। दस हज़ार साल पहले तक धरती पर कुछ लाख इंसान रहते थे। अठारहवीं सदी के आख़िर तक आबादी ने सौ करोड़ का आंकड़ा छुआ था और 1920, तक दो सौ करोड़ आबादी हो चुकी थी। कलयुग की शुरुआत के साथ ही आबादी ने आबाद होना शुरू कर दिया था। साल 2050 तक ये आंकड़ा क़रीब दस अरब और बाईसवीं सदी के आते आते, धरती पर ग्यारह अरब इंसान होने का अनुमान जताया जा रहा है।
तो आइए जानते हैं कि कलयुग जब 5505 वर्ष तक बीत चुका है तो आबादी इतनी अधिक होने के पीछे ऐसा कौन सा कारण है जिसे कोई वैज्ञानिक या भविष्य वक्ता हल नहीं कर सका। दुनिया की कुल आबादी की 18 फीसदी आबादी भारत में रहती है।
कलयुग में सभी होंगे साक्षर और तत्वज्ञानी
पाँच सहस्र अरु पांचसौ, जब कलियुग बित जाय |
महापुरुष फरमान तब, जग तारनको आय ||
हिन्दू तुर्क आदिक सबै, जेते जीव जहान |
सत्य नामकी साख गहि, पावैं पद निर्बान ||
यथा सरितगण आपही, मिलैं सिंधु में धाय |
सत्य सुकृत के मध्य तिमी, सबही पंथ समाय ||
सृष्टि के रचयिता कबीर जी को पता था कि जब कलयुग के 5505 वर्ष पूरे होंगे (सन् 1997 में) तब शिक्षा की क्रांति लाई जाएगी। सर्व मानव अक्षर ज्ञानयुक्त किया जाएगा। उस समय मेरा दास सर्व धार्मिक ग्रन्थों को ठीक से समझकर मानव समाज के रूबरू करेगा। सर्व प्रमाणों को आँखों देखकर शिक्षित मानव सत्य से परिचित होकर तुरंत मेरे तेरहवें पंथ में दीक्षा लेगा और पूरा विश्व मेरे द्वारा बताई भक्ति विधि तथा तत्त्वज्ञान को हृदय से स्वीकार करके भक्ति करेगा। उस समय पुनः सत्ययुग जैसा वातावरण होगा। आपसी रागद्वेष, चोरी-जारी, लूट-ठगी कोई नहीं करेगा। कोई धन संग्रह नहीं करेगा। भक्ति को अधिक महत्त्व दिया जाएगा। यह वही समय है जब जनसंख्या और ज्ञान का विस्फोट होगा। परमात्मा सब को तत्वज्ञान से रूबरू करवा करके सतलोक लेकर जाएंगे।
तत्वदर्शी संत का ज्ञान करेगा पार
1950 के बाद से भारतीय सरकार ‘हम दो हमारे दो’ और चीनी सरकार एक संतान के सिद्धांत से मनुष्य को जीवन जीने पर ज़ोर दे रही है। परंतु आध्यात्मिक ज्ञान, वेद, गीता, पुराण कुछ और ही कहते हैं। अब तक यह सर्वविदित हो चुका है कि परमात्मा एक है जिसका नाम कबीर है। जिसने छ: दिन में सृष्टि रची और सातवें दिन तख्त पर विश्राम किया।
परमात्मा साकार है व सशरीर है। यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1, 6, 8, यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15, यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 – 3 (प्रभु रजा के समान दर्शनीय है)। यह कलयुग का वह समय है जब मनुष्य जन्म मिलना किसी चमत्कार से कम नहीं है। मनुष्य जन्म मिलने पर सतगुरू/तत्वदर्शी संत का मिल जाना तो सोने पर सुहागा जैसा है। अज्ञानता में जी रहे अधिकतर मनुष्य मानव जीवन के मूल उद्देश्य और आवश्यक कर्म को नहीं पहचान पाते और जिन्हें परमात्मा की चाह होती है वह बिना परमात्मा के नहीं जी पाते। वह परमात्मा प्राप्ति में ही अपना जीवन लगा देते हैं। मनुष्य जीवन मिलने पर सतगुरू की शरण लेकर सतभक्ति करने से न केवल आत्मा का उद्धार होगा बल्कि जन्म और मृत्यु के चक्र से भी पीछा छुड़ाया जा सकता है।
आत्मा पर पड़ती है कर्मों की मार
आत्मा अजर और अमर है। यह सूक्ष्म रूप में शरीर में रहती है। मानव कर्म करता है और दंड आत्मा को भुगतने पड़ते हैं। जैसे विष्णु जी को नारद जी द्वारा दिए श्राप के कारण मृतमंडल में राम रुप में आना पड़ा। फिर बाली की धोखे से की गई मृत्यु का बदला देने के लिए श्रीकृष्ण बनना पड़ा। गुरू नानक देव जी पहले राजा अमरीश, फिर राजा जनक और फिर कलयुग में गुरु नानक रूप में जन्मे।
- सम्मन वाली आत्मा नौ शेरखान बादशाह बना, फिर सुल्तान अधम।
- मुस्लिम धर्म में जन्मी राबिया, बांसुरी बनी, फिर गणिका और फिर कमाली।
- जैन धर्म का प्रर्वतक ऋषभदेव भी महावीर जैन बनकर जन्मा।
हमारे कर्म और संस्कारों के कारण ही हमें मनुष्य जन्म मिलते हैं। सतयुग में आयु लाख बरस की होती थी और कद ताड़ के वृक्ष जैसा लंबा। अब कलयुग के मध्य में आयु औसतन 70-80 वर्ष रह गई है और कद 6 फीट (अधिकतम)। जबकि कलयुग के अंत तक आयु घट कर केवल 20 वर्ष और कद बकरी के कद जितना रह जाएगा। आत्मा को हर बार मृत्यु के बाद मनुष्य जन्म ही मिले यह कतई आवश्यक नहीं क्योंकि मानव जीवन कर्म प्रधान है। यह शुभ कर्म करने पर भी एक ही बार मिलता है।
यदि किसी जन्म में तत्वदर्शी संत मिल जाएं और वह सच्चा नाम मंत्र दे दें, जिसकी कमाई करने से ही बार बार मनुष्य जन्म मिलता रहता है और जन्म मरण का चक्कर तत्वदर्शी संत द्वारा दिए मोक्ष मंत्र से ही मिट सकता है। गुरु नानक देव जी, मीरा बाई, राबिया, सिंकदर लोदी, सुल्तान अधम, वीर सिंह बघेल, धुव्र, प्रहलाद में परमात्मा को पाने की कसक न्यारी थी। इन्होंने किसी जन्म में कबीर साहेब की भक्ति की थी। किसी भी जन्म में एक बार कभी कबीर जी की भक्ति करने पर फिर परमात्मा प्रत्येक आगे के जन्मों में उस आत्मा के साथ रहता है और उस आत्मा का उद्धार करके उसे सतलोक ज़रूर लेकर जाता है। इससे उस आत्मा का जन्म मरण का रोग फिर सदा के लिए समाप्त हो जाता है।
आत्माएं हुई थी काल पर आसक्त
काल जो ब्रह्मा, विष्णु, शिव का पिता है, दुर्गा का पति है और कबीर साहेब का सबसे छोटा पुत्र है। जिसकी उत्पत्ति पानी की बूंद से कबीर साहेब ने सतलोक में की थी। इसने अपनी ही बहन दुर्गा से अभद्र व्यवहार किया था जिस कारण इसे और इस पर आसक्त हुई हम जैसी पाप कर्मी आत्माओं को सतलोक से निष्कासित कर दिया गया था। यह काल रोजाना एक लाख मानव के सूक्ष्म शरीर से गंध निकाल कर खाता है और बाद में नाना-प्रकार की योनियों में दण्ड भोगने के लिए छोड़ देता है।
कबीर साहेब की भक्ति है काल जाल से मुक्ति का उपाय
कबीर और ज्ञान सब ज्ञानड़ी, कबीर ज्ञान सो ज्ञान।
जैसे गोला तोब का, करता चले मैदान ।।
हम यहां काल के इक्कीस ब्रह्माण्डों में से एक में रह रहे हैं जिसका हमें ऋण चुकाना पड़ता है। जैसे आप होटल में खाना खाने के बाद उसका बिल अदा करते हो उसी तरह। जब तक आप इसका ऋण चुक्त्तू नहीं करोगे तब तक आप काल ब्रह्म की जेल से बाहर नहीं जा सकते। इसके लिए आपको तत्वदर्शी संत से नाम उपदेश लेकर भक्ति करनी होगी। भक्ति ही काल के जाल से मुक्ति का केवल उपाय है।
काल का आहार हैं हम सभी जीव
काल प्रतिदिन एक लाख जीवों का आहार करता है और सवा लाख जीवों को उत्पन्न करता है तथा यहां यह स्वयं भगवान बन कर बैठा है। दुर्गा, ब्रह्मा, विष्णु और शिव सब इसके आधीन हैं। कलयुग का यह वही समय है जिसका वचन कबीर साहेब ने काल को दिया था। इस समय अधिक से अधिक आत्माओं का जन्म होगा और जो आत्मा कबीर साहेब को अपने परमपिता को पहचान लेंगी वह अपने निजधाम सतलोक जाएंगी।
कलयुग में पूर्ण परमात्मा अन्य युगों की भाँति तत्वदर्शी सन्त की भूमिका करने आते हैं। वह शास्त्रविधि अनुसार सत्य साधना का ज्ञान देते हैं। जो श्रद्धालु अपनी परम्परागत और लोकवेद पर आधारित साधना से लाभ प्राप्त नहीं कर पाता है, जब वह पूर्ण परमात्मा की भक्ति तत्वदर्शी सन्त के बताए अनुसार करता है तो तुरन्त लाभ होता है। वह श्रद्धालु तुरन्त पूर्ण परमात्मा के तत्वज्ञान को ग्रहण कर लेता है। इस कारण से कलयुग में परमेश्वर के मार्ग को अधिक प्राणी ग्रहण करते हैं तथा पूर्ण मोक्ष प्राप्त करते हैं।
कबीर परमेश्वर ने काल ब्रह्म को वरदान दिया था
कबीर साहेब की काल से वार्ता हुई थी जिसमें कबीर साहिब ने जीव आत्माओं को कलयुग में अपने निज घर सतलोक में वापिस ले जाने का वर्णन किया है।यह वृतान्त कबीर साहेब ने अपने प्रिय शिष्य धर्मदास जी को दिया था। कालब्रह्म ने कबीर साहेब जी से प्रार्थना की थी कि तीनों युगों, सत्ययुग, त्रेता युग, द्वापर युग में थोड़े जीव, पूर्ण प्रभु आपकी शरण में जाएं। कलयुग में जितने चाहे उतने प्राणी आपकी (पूर्ण परमात्मा की) शरण में जाएं मुझे कोई विरोध नहीं। काल ब्रह्म ने सोचा था कि कलयुग तक सर्व मानव को शास्त्र विधि त्याग कर मनमाने आचरण (पूजा) पर अति आरूढ़ कर दूंगा। देवी-देवताओं की पूजा व मन्दिर, मस्जिद, चर्च, गुरूद्वारों तथा मूर्ति पूजा व तीर्थ स्नान पितर व भूत पूजा आदि पर ही आधारित कर दूँगा।
जिस समय कलयुग में पूर्ण परमात्मा का भेजा हुआ तत्वदर्शी सन्त आएगा वह शास्त्राविधि अनुसार साधना करने को कहेगा। पूर्व वाली पूजा को बन्द करने को कहेगा तो भ्रमित भक्त समाज उस तत्वदर्शी सन्त के साथ झगड़ा करेगा। इस कारण से कलयुग में किसी भी प्राणी को पूर्ण परमात्मा के तत्वज्ञान की प्राप्ति नहीं हो पाएगी। परन्तु पूर्ण परमात्मा को ज्ञान था कि कलयुग में प्राणी महादुःखी हो जाएंगे। जो साधना वे कर रहे होगें वह शास्त्रविधि के विरूद्ध होने के कारण लाभदायक नहीं होगी। मेरे द्वारा या मेरे अंश (वंश) तत्वदर्शी सन्त द्वारा बताई जाने वाली साधना से वे दुखी प्राणी सुख प्राप्त करेंगे।
उनके सुखों को देखकर अन्य व्यक्ति भी खिंचे चले आऐंगे। यह तत्वज्ञान विशेषकर उस समय कलयुग में प्रकट किया जाएगा जिस समय सर्व मानव (स्त्री-पुरूष) शिक्षित होगा। जिन शास्त्रों को आधार बताकर उस समय के काल ब्रह्म के प्रचारक उन्हीं शास्त्रों में लिखे उल्लेख के विपरित दन्तकथा (लोकवेद) सुना रहे होंगे तो तत्वज्ञान को जानने वाले शिक्षित व्यक्ति उन ग्रन्थों, पुराणों, वेदों व गीता आदि ग्रन्थों को स्वयं पढ़कर निर्णय लेगें। जो तत्वदर्शी सन्त द्वारा बताया ज्ञान सर्व सद्ग्रन्थों से मेल करेगा तथा उन काल ब्रह्म के प्रचारकों का लोक वेद सद्ग्रन्थों के विपरित पाएगा तो सर्व बुद्धिमान व्यक्ति तत्परता के साथ शास्त्रविधि विरूद्ध साधना को त्याग कर हमारी शरण में आऐंगे तथा शास्त्र विधि अनुसार भक्ति ग्रहण करके मोक्ष को प्राप्त होंगे। इस प्रकार पूरे विश्व में कबीर परमेश्वर का तत्वज्ञान ही कलयुग में रहेगा अन्य लोकवेद अर्थात् अज्ञान नष्ट हो जाएगा।
वर्तमान समय ठीक का समय है
।।जबलगि पूरण होए नहीं, ठीक का तिथि वार | कपट चातुरी तबहिलों, स्वसम वेद निरधार || सबहीं नारि नर शुद्ध तब, जब ठीक का दिन आवंत | कपट चातुरी छोड़ीके, शरण कबीर गहंत || एक अनेक हो गयो, पुनि अनेक हो एक | हंस चलै सतलोक सब, सत्यनाम की टेक || घर घर बोध विचार हो, दुर्मति दूर बहाय |
वह ठीक का समय अब वर्तमान में चल रहा है । तत्वज्ञान का सूर्य उदय हो चुका है। शीघ्र ही यह तत्वज्ञान रूपी सूरज का प्रकाश विश्व में फैलेगा। सर्व मानव समाज सुखी होगा। आपसी प्रेम बढ़ेगा। धन जोड़ने की हाय तौबा नहीं रहेगी। सर्व मानव समाज विकार रहित होगा। पूर्ण परमात्मा की आजीवन भक्ति करने वाले पूर्ण मोक्ष प्राप्त करके सत्यलोक में चले जाऐंगे।
।।कलियुग इक है सोई, बरते सहज सुभाय || कहा उग्र कह छुद्र हो, हर सबकी भवभीर | सो समान समदृष्टि है, समरथ सत्य कबीर |।
तो इस समय जो भी जीव मानव शरीर प्राप्त करके जन्म ले रहे हैं और जो मानव शरीर में हैं उनके लिए यह समय बार बार जन्म – मरण और अन्य शरीरों में जन्म लेने से छुटकारा पाने का गोल्डन चांस है। समझदार व्यक्ति को चाहिए कि सोच-विचार कर भक्ति मार्ग अपनाएं क्योंकि मनुष्य जन्म अनमोल है, यह बार-बार नहीं मिलता। कबीर साहेब कहते हैं,
कबीर मानुष जन्म दुर्लभ है, मिले न बारम्बार। तरूवर से पत्ता टूट गिरे, बहुर न लगता डारि।।
जनसंख्या विस्फोट या जनसंख्या के बढ़ते नंबरों से घबराएं नहीं क्योंकि यही वह समय भी है जिसे भक्तियुग, ठीक का समय, मोक्ष का समय, पृथ्वी पर परमात्मा के अवतरित होने का समय और फिर से सतयुग के आने का समय सभी शास्त्रों में बताया गया है। जितने लोग मनुष्य जन्म पाकर परमात्मा कबीर साहेब जी की बताई हुई भक्ति करेंगे उतना ही उन्हें लाभ तो प्राप्त होगा ही, अंत में मोक्ष भी मिलेगा। हम आपसे निवेदन करते हैं कि आप तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा लिखित अनमोल पुस्तक “ज्ञान गंगा” पढ़िए। आप संत रामपाल जी महाराज जी के आध्यात्मिक प्रवचन यूट्यूब चैनल पर भी सुन सकते हैं ताकि आप अपने मनुष्य जीवन में सतभक्ति करके और जीवन को सफल कर मुक्ति के अधिकारी बन सकें।
FAQ: विश्व जनसंख्या दिवस
1989 में, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की तत्कालीन शासी परिषद ने पांच अरब दिवस के प्रति उत्पन्न रुचि के परिणामस्वरूप इस दिवस की स्थापना की , जिसे 11 जुलाई 1987 को पहली बार मनाया गया।
इस वर्ष के विश्व जनसंख्या दिवस का विषय है, “समस्याओं को समझने, समाधान तैयार करने और प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए डेटा संग्रह में निवेश करना महत्वपूर्ण है”।
1950 से, एशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका में बहुत अधिक महत्वपूर्ण और गहन जनसंख्या विस्फोट होने लगा। 1950 में एशिया अपने 1.4 बिलियन नागरिकों के साथ पहले से ही दुनिया की 55% से अधिक आबादी का प्रतिनिधित्व करता था और वर्ष 2010 तक यह बढ़कर 4.2 बिलियन लोगों या 60% हो गया।
इस दिन का सुझाव डॉ. के.सी. ज़कारिया ने दिया था, जब वे विश्व बैंक में वरिष्ठ जनसांख्यिकीविद् के रूप में कार्यरत थे और जनसंख्या पांच अरब तक पहुंच गई थी।
भारत।