World Meteorological Day 2025: विश्व मौसम विज्ञान दिवस आज। प्रतिवर्ष 23 मार्च का दिन विश्व मौसम विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज ही के दिन विश्व मौसम विज्ञान संगठन की स्थापना हुई थी। विज्ञान से बचाव के रास्ते सुझाए जा सकते हैं लेकिन रक्षा केवल परमेश्वर द्वारा ही सम्भव है। इस विश्व विज्ञान दिवस पर जरूर जानें पूर्ण परमेश्वर के रहस्यों के बारे में जो कुल का वास्तविक मालिक है।
जलवायु परिवर्तन: मानवता के लिए कितना खतरा?
आज दुनिया जलवायु परिवर्तन के खतरनाक प्रभावों का सामना कर रही है।
- बढ़ता वैश्विक तापमान: 2025 में कई वैज्ञानिक रिपोर्टों के अनुसार, पृथ्वी का औसत तापमान 1.5°C से अधिक बढ़ सकता है, जिससे सूखा, बाढ़ और लू जैसी आपदाओं की तीव्रता बढ़ जाएगी।
- ग्लेशियरों का पिघलना: हिमालय और आर्कटिक क्षेत्र में बर्फ तेजी से पिघल रही है, जिससे समुद्र स्तर बढ़ने का खतरा है। इससे तटीय शहरों पर संकट मंडरा रहा है।
- विकराल प्राकृतिक आपदाएँ: अत्यधिक वर्षा, चक्रवात, जंगल की आग और सूखा जैसी घटनाएँ सामान्य से अधिक हो रही हैं।
- खाद्य संकट: लगातार बदलते मौसम के कारण कृषि प्रभावित हो रही है, जिससे खाद्यान्न संकट बढ़ सकता है।
- मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव: वायु प्रदूषण, जल संकट और गर्मी की लहरें लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन रही हैं।
World Meteorological Day 2025: मुख्य बिंदु
- विश्व मौसम विज्ञान संगठन एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसका मुख्यालय स्विट्जरलैंड में है
- मौसम विज्ञान शोध के लिए निर्धारित हैं कई अवार्ड
- विश्व मौसम विज्ञान दिवस का उद्देश्य मनुष्य को मौसम संबंधी परेशानियों से निजात दिलाना है
- विज्ञान से बचाव के रास्ते सुझाए जा सकते हैं लेकिन रक्षा केवल पूर्ण परमेश्वर द्वारा ही सम्भव है
क्या है विश्व मौसम विज्ञान दिवस (World Meteorological Day 2025)?
विश्व मौसम विज्ञान दिवस (World Meteorological Day 2025), विश्व मौसम विज्ञान संगठन के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। विश्व मौसम संगठन को वर्ष 1873 में स्थापित किया गया था। विश्व विज्ञान संगठन मौसम, जलवायु और जल संसाधन के क्षेत्र में कार्य करता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों में मौसम व जलवायु के प्रति जागरूकता लाना है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन में 191 सदस्य देश व क्षेत्र हैं। आज के दिन विभिन्न स्थानों पर बैठक, संगोष्ठियां आदि आयोजित की जाती हैं जिनमें वैज्ञानिक भी हिस्सा लेते हैं।
World Meteorological Day 2025 Theme: थीम और महत्व
हर साल विश्व मौसम विज्ञान दिवस एक विशेष थीम के साथ मनाया जाता है। वर्ष 2025 की थीम है “Closing the Early Warning Gap Together” (हिंदी में: “सामूहिक रूप से प्रारंभिक चेतावनी अंतर को समाप्त करना”)। यह थीम संयुक्त राष्ट्र के Early Warnings for All पहल के अनुरूप चुनी गई है, जिसका लक्ष्य 2027 तक हर व्यक्ति तक प्रारंभिक चेतावनी सेवाएँ पहुँचाना है। इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों के बीच प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए देशों, समुदायों और वैज्ञानिकों को एकजुट करना है।
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यह थीम इस बात पर जोर देती है कि प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियाँ जीवन रक्षक हैं। आज विश्व में लाखों लोग बाढ़, तूफान, और सूखे जैसी आपदाओं से प्रभावित हैं। WMO के अनुसार, हर निवेशित डॉलर से नौ गुना आर्थिक लाभ मिलता है। 23 मार्च 2025 को यह थीम हमें सहयोग, नवाचार, और संसाधन जुटाने की आवश्यकता की याद दिलाती है ताकि कोई भी पीछे न छूटे।
मौसम विज्ञान क्या करता है?
मौसम विज्ञान अध्ययन द्वारा विश्व भर में जलवायु परिघटना एवं महासागरों में होने वाली हलचल आदि को अंतरिक्ष में लगे उपग्रहों के माध्यम से बेहतर समझने की कोशिश करते हैं। मौसम विज्ञान आने वाली आपदाओं या प्राकृतिक परिवर्तन की जानकारी भी दे सकता है। चूंकि मौसम विज्ञान हवा के रुख, आर्द्रता, तापमान आदि का पूर्वानुमान लगा सकता है अतः यह किसानों के लिए भी मददगार है। वर्तमान में मौसम विज्ञान में केवल मौसम विज्ञान नहीं बल्कि पूरा भू- विज्ञान शामिल है।
World Meteorological Day 2025: मौसम विज्ञान पर शोध पर मिलने वाले अवार्ड
मौसम विज्ञान पर शोध करने पर निम्नलिखित पुरस्कार दिए जाते हैं –
- इंटरनेशनल मेट्रोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन प्राइस
- द नोर्बर्ट गेरबियर- मुम्म इंटरनेशनल अवार्ड
- डॉक्टर विल्हो वाईसाईला अवार्ड
मौसम विज्ञान से आगे है अध्यात्म
मौसम विज्ञान कितना भी आगे बढ़ जाए, वह भूकंप का पूर्वानुमान तो लगा सकता है, लेकिन उसे रोक नहीं सकता।
कैसे होगा बचाव विनाश से?
विज्ञान केवल पूर्वानुमान और सुझाव दे सकता है, लेकिन वास्तविक रक्षा केवल पूर्ण परमेश्वर ही कर सकते हैं। परमात्मा ने सृष्टि बनाई और इसके नियम भी निर्धारित किए।
सृष्टि का वास्तविक स्वामी कौन है?
- सृष्टि का निर्माण पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब ने किया है।
- हम सभी आत्माएँ मूल रूप से सतलोक में जन्म-मृत्यु के चक्र से परे निवास करती थीं।
- इस नश्वर संसार का स्वामी काल ब्रह्म है, जो हमें कष्ट, बुढ़ापा, मृत्यु और प्राकृतिक आपदाओं के चक्र में फँसाता है।
बचाव का सही मार्ग क्या है?
पूर्ण परमात्मा की भक्ति करने से ही हम काल के बंधन से मुक्त होकर सतलोक जा सकते हैं, जहाँ न कोई आपदा होती है, न कोई पीड़ा। वर्तमान में पूरे विश्व में एकमात्र तत्वदर्शी संत हैं संत रामपाल जी महाराज, जो हमें पूर्ण परमात्मा के वास्तविक ज्ञान से अवगत करवा रहे हैं।
जैसा कि Florence द्वारा ‘Golden Light of New Era’ में लिखा गया है, “….उनकी ऊर्जा इतनी असाधारण और चमत्कारी होगी कि उनके लिए विश्व जनमानस की चेतना में नई प्रेरणा डालना सहज होगा और वे प्रकृति के बिगड़ते संतुलन को नियंत्रित/संतुलित करने में सहायता करेंगे।”
यह भविष्यवाणी पूर्णतः संत रामपाल जी महाराज पर लागू होती है, जिनकी आध्यात्मिक शक्ति संपूर्ण ब्रह्मांड को संतुलित करने में सक्षम है। अधिक जानकारी के लिए पढ़ें: https://news.jagatgururampalji.org/golden-light-of-new-era/
निष्कर्ष
विश्व मौसम विज्ञान दिवस हमें मौसम और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की याद दिलाता है, लेकिन यह भी सत्य है कि विज्ञान के पास केवल पूर्वानुमान लगाने की शक्ति है, रक्षा करने की नहीं। इस विनाशकारी दुनिया से बचने का एकमात्र उपाय पूर्ण परमेश्वर की भक्ति है। अधिक जानकारी के लिए संत रामपाल जी महाराज YouTube चैनल पर विजिट करे।
FAQs on World Meteorological Day 2025
1. जलवायु परिवर्तन से क्या खतरे हैं?
उत्तर:
- वैश्विक तापमान वृद्धि
- बर्फ के ग्लेशियरों का पिघलना
- समुद्र का जलस्तर बढ़ना
- अत्यधिक वर्षा, सूखा और चक्रवात जैसी आपदाएँ
- खाद्य संकट और स्वास्थ्य समस्याएँ
2. क्या विज्ञान से जलवायु परिवर्तन को रोका जा सकता है?
उत्तर: विज्ञान कुछ हद तक बचाव के उपाय सुझा सकता है, लेकिन प्राकृतिक आपदाओं को विज्ञान की मदद से रोकना संभव नहीं है। हाँ, पूर्ण संत इसे रोक सकते हैं ।
3. क्या मौसम पूर्वानुमान सटीक होते हैं?
उत्तर: आधुनिक तकनीकों की मदद से मौसम पूर्वानुमान 80-90% तक सटीक हो सकते हैं, लेकिन पूरी तरह से निश्चित नहीं होते।
4. प्राकृतिक आपदाओं से बचाव का उपाय क्या है?
उत्तर:
- सरकारों द्वारा प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली को मजबूत करना
- जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए सतत विकास अपनाना
- आध्यात्मिक रूप से जागरूक होकर पूर्ण परमात्मा की शरण में जाना
5. पूर्ण परमात्मा ही रक्षा क्यों कर सकते हैं?
उत्तर: विज्ञान केवल चेतावनी दे सकता है, लेकिन वास्तविक रक्षा केवल पूर्ण परमात्मा द्वारा ही संभव है। पूर्ण संत के मार्गदर्शन में भक्ति करने से ही जीव संकटों से बच सकता है।