November 23, 2024

तुलसीदास जयंती: गोस्वामी तुलसीदास की जीवन यात्रा और रामचरितमानस की महत्ता

Published on

spot_img

प्राचीन भारत में कई ऐसे कवि हुए हैं, जिनकी रचनाएँ आज हिंदू धर्म की धरोहर बन चुकी है। उन्हीं में से एक हैं तुलसीदास जी जिनके काव्य और भक्ति साहित्य ने भारतीय संस्कृति परंपरा को गहराई से प्रभावित किया है तथा गोस्वामी तुलसीदास जी जो कई धार्मिक रचनाओं के लिए प्रसिद्ध हैं, उनका जन्मोत्सव तुलसीदास जयंती के रूप में मनाया जाता है, तुलसीदास जी का जीवन और उनके साहित्य ने भारतीय धार्मिकता, संस्कृति और साहित्य को एक अनूठा रंग दिया।

तुलसीदास जी वहीं महान कवि हैं, जिन्होंने रामचरितमानस और हनुमान चालीसा जैसे प्रसिद्ध ग्रंथों की रचना की है।

तुलसीदास जी जिनका जन्म सन् 11अगस्त 1511  में उत्तर- प्रदेश के बांदा जिले के राजापुर गांव में हुआ था।

 उनके पिता का नाम आत्माराम दुबे और माता का नाम हुलसी देवी था। कहा जाता है कि जन्म के समय तुलसीदास जी रोये नहीं थे । तुलसीदास जी के जन्म के बारे में एक रोचक कथा है कि वे अपनी मां के गर्भ में 12 महीने तक रहे थे। जब वे पैदा हुए तो वे बहुत स्वस्थ और मजबूत थे और उनके मुंह में दांत भी थे। वे राम नाम लेने लगे थे और इसलिए उनका बचपन का नाम रामबोला पड़ गया था। इन सब बातों को देखकर लोग उन पर विस्मित होते थे।

तुलसीदास जी की पहली शिक्षा उनके गुरु नरहरिदास बाबा के आश्रम में हुई। कहा जाता है कि 10 साल की उम्र में माता-पिता ने उन्हें नरहरिदास बाबा के पास भेजा, जहां उन्होंने 14 -15 साल की उम्र तक हिंदू धर्म, संस्कृत, व्याकरण, वेदांग आदि का अध्ययन किया। नरहरिदास बाबा ने उनका नाम तुलसीदास रखा। शिक्षा पूरी करने के बाद, तुलसीदास जी चित्रकूट लौटे और लोगों को राम कथा और महाभारत कथा सुनाने लगे।

 यह भी कहा जाता है कि जब उनका जन्म हुआ तब उनके मुख से पहला अक्षर राम निकला था, जिसके बाद उन्हें रामबोला नाम से भी पुकारा जाने लगा। परंतु तुलसीदास जी का जीवन इतना सरल नहीं था। जब उनका जन्म हुआ तब उनकी माता जी की मृत्यु हो गयी, माँ की मृत्यु के पश्चात उनके पिता आत्माराम दुबे जी ने ज्योतिषी से तुलसीदास जी के बारे में पूछा तब उन्होंने कहा कि इस बच्चे के ग्रह नक्षत्र ठीक नहीं हैं इसको कहीं छोड़ दो। 

यह भी पढ़ें: संत रामपाल जी महाराज की अगुआई में लगाए गए 50,000 पौधे, 1 लाख पौधारोपण करने का बनाया लक्ष्य

और यह भी कहा कि ऐसा बेटा ही क्या जो पैदा होते ही अपनी मां को खा जाए, ये अभागा है तुम्हें भी बर्बाद कर देगा और यह सब सुनकर उनके पिता उनका त्याग कर दिया, परंतु दाई चुनिया को बच्चे पर तरस आ गया, और वह बच्चे को अपने घर ले गई, जब तुलसीदास जी 10 वर्ष के थे तब दाई चुनिया की भी सांप के काटने की वजह से मृत्यु हो गई और फिर चुनिया के पति ने तुलसीदास जी  को घर से बाहर निकाल दिया।

उनके जीवन का प्रमुख मोड़ तब आया जब उन्होंने संसार और अपनी पत्नी को त्याग कर पूर्ण रूप से राम की भक्ति में लीन हो गए। उनकी शिक्षा उनके गुरु नरहरिदास बाबा के आश्रम में हुई थी। तुलसीदास जी का जीवन भक्ति और साहित्य के क्षेत्र में अमूल्य योगदान के लिए जाना जाता है।

उनके जीवन की भक्ति यात्रा कुछ इस प्रकार शुरु हुई जब तुलसीदास जी का विवाह रत्नावली नामक युवती से हुआ ,वो अपनी पत्नी रत्नावली  से बहुत प्रेम करते थे, एक बार जब उनकी पत्नी अपने मायके गई ,तब तुलसीदास जी अपनी पत्नी से मिलने के लिए रात को मूसलाधार  बारिश में ही उनके मायके पहुँच गए।

तुलसीदास की पत्नी एक विदुषी महिला थी, वह अपने पति के इस कदम से काफी शर्मिंदा हुई

तब उसने तुलसीदास जी को ताना मारते हुए कहा कि:

हाड माँस की देह मम,

तापर जितनी प्रीति।

तिसु आधो जो राम प्रीति,

अवसि मिटिहि भवभीति।।

इसका मतलब है कि तुम्हें जितना  प्रेम मेरे हाड- माँस के इस शरीर से है अगर  आधा प्रेम प्रभु श्रीराम से किया होता तो भवसागर पार हो गए होते।

रतनावली की बातों ने तुलसीदास के जीवन को एक नई दिशा प्रदान की। वह पूरी तरह राम की भक्ति में डूब गए।

तुलसीदास जी का साहित्यिक रचनाओं में काफी योगदान रहा है उन्होंने रामचरितमानस और हनुमान चालीसा जैसे ग्रंथों की रचना की है। ऐसे ही तुलसीदास जी ने कुल 12 पुस्तकों की रचना की है।

उनमें से सबसे विख्यात है उनके द्वारा रचित रामचरितमानस जो की महर्षि वाल्मीकि जी द्वारा रचित रामायन का अवधी भाषा में किया गया रूपांतरण है। हिंदू मांयताओ ke अनुसार कहा जाता है कि तुलसीदास जी ने वाल्मीकि रामायण का अध्यन किया तो पाया गया वह ग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखा गया है जो की आम जनता की भाषा में नहीं है इसलिए भगवान राम के साधारण जीवन को देखते हुए उन्होंने रामचरितमानस की रचना की।

तुलसीदास जयंती पर देशभर में भव्य उत्सव और सांस्कृतिक आयोजनों की धूम है। इस मौके पर विशेष पूजा, भजन संध्या और रामचरितमानस पाठ का आयोजन किया गया। कई स्थानों पर कवि सम्मेलन, रामलीला और नाट्य प्रस्तुतियों के जरिए तुलसीदास जी की रचनाओं की महत्ता को दर्शाया जाता है। स्कूलों और कॉलेजों में भी तुलसीदास जी की जीवन यात्रा और साहित्य पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन आयोजनों ने भक्तों को एक साथ लाकर तुलसीदास जी की धरोहर को जीवित किया।

सच्चा साहित्य ज्ञान केवल हमारे सदग्रंथों में ही मिलता है, जो की पुरातन समय से ही हमारे सदग्रंथों में लिपिबद्ध है। और यह ज्ञान केवल हमें तत्वदर्शी संत ही प्रदान कर सकते हैं, उस तत्वदर्शी संत के विषय में हमारे पवित्र ग्रंथों में भी प्रमाण मिलते हैं।

आदिराम कोई बिरला जाने

भगवान विष्णु के अवतार, दशरत पुत्र राम अलग हैं और आदिराम अलग हैं। सर्व विदित है कि तुलसीदास के राम और कबीर साहेब के राम अलग-अलग थे। जानकारी के अभाव में कबीर साहेब के राम को अव्यक्त या निर्गुण पवित्र पल्लव कहा जाता है, स्वयं भगवान कबीर ने स्पष्ट किया है कि उनके राम आदि राम हैं। आदिराम कौन है? आदिराम इस सृष्टि की रचना करते हैं, ब्रह्मा, विष्णु, महेश की रचना करते हैं, सबका पालन करने वाले कर्ता हैं, जिन्हें गीता में सच्चिदानंद घन ब्रह्म कहा गया है, श्रीराम, क्षर पुरुष और अक्षर पुरुष से भी ऊपर है परम अक्षर पुरुष जिसे आदि राम कहा गया है।  कबीर परमात्मा ने अपनी वाणी में स्पष्ट रूप से आदि राम के विषय में जानकारी दी है। और यही जानकारी वर्तमान संत रामपाल जी महाराज जी प्रमाण सहित दे रहें हैं।

कबीर साहेब जी भी कहते हैं:

धर्मदास यह जग बौराना | कोई न जाने पद निर्वाना।

विश्व में केवल संत रामपाल जी महाराज जी ही एक मात्र ऐसे संत हैं जो वास्तविकता में सर्व मानव समाज को सत्भक्ति और प्रमाणित मार्ग प्रशस्त कर रहें हैं। जिसका प्रमाण गीता अध्याय 15 श्लोक 1 – 4 में है। की जो संत उल्टे लटके हुए संसार रूपी वृक्ष को भली भाँति विस्तार से बता देगा की कौन जड़ है, कौन तना है, और कौन डार है। जो की वर्तमान में संत रमापल जी महाराज जी ने स्पष्ट रूप से बताया है।

1. तुलसीदास का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

   – तुलसीदास का जन्म  11 अगस्त 1511 को सोरों, दिल्ली सल्तनत (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत)  ईस्वी के आसपास हुआ था।

2. तुलसीदास की सबसे प्रसिद्ध रचना कौन सी है?

   – उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना “रामचरितमानस”  और हनुमान चालीसा है।

3. तुलसीदास जयंती क्यों मनाई जाती है?

   – तुलसीदास जयंती उनके जीवन और काव्य साहित्य के योगदान को सम्मानित करने के लिए मनाई जाती है।

4. तुलसीदास की रचनाएँ किस भाषा में हैं?

   – तुलसीदास  ने संस्कृत, अवधी और ब्रज भाषा में कई प्रसिद्ध काम रचे। 

5. तुलसीदास की शिक्षाएँ आधुनिक समाज के लिए कितनी प्रासंगिक हैं?

   – तुलसीदास की शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक हैं क्योंकि वे जीवन के नैतिक और धार्मिक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करती हैं।

Latest articles

National Constitution Day 2024: Know How Our Constitution Can Change Our Lives

Every year 26 November is celebrated as National Constitution Day in the country, which commemorates the adoption of the Constitution of India

National Constitution Day 2024 [Hindi]: जानें 26 नवम्बर को, संविधान दिवस मनाए जाने का कारण, महत्व तथा इतिहास

National Constitution Day 2024 : 26 नवम्बर का दिन भारतीय लोकतंत्र के लिए एक...

World Television Day 2024: Know what was Television Invented for

November 21 is observed as World Television Day every year. It is commemorated to...

20 November World Children’s Day 2024: Every Child has the Right to Know Eternal Devotion for a Better Future

Last Updated on 20 November 2024 IST: World Children's Day 2024 is observed to...
spot_img
spot_img

More like this

National Constitution Day 2024: Know How Our Constitution Can Change Our Lives

Every year 26 November is celebrated as National Constitution Day in the country, which commemorates the adoption of the Constitution of India

National Constitution Day 2024 [Hindi]: जानें 26 नवम्बर को, संविधान दिवस मनाए जाने का कारण, महत्व तथा इतिहास

National Constitution Day 2024 : 26 नवम्बर का दिन भारतीय लोकतंत्र के लिए एक...

World Television Day 2024: Know what was Television Invented for

November 21 is observed as World Television Day every year. It is commemorated to...