November 10, 2024

ब्रह्माकुमारी पंथ की सच्चाई

Published on

spot_img

संपूर्ण विश्व अनेक धर्मों व पंथों में बंटा हुआ है, जिनके इर्द गिर्द वर्तमान समाज अपनी नित्य क्रियाएं करता आ रहा है। ऐसा ही एक पंथ भारतवर्ष में 1937 के बाद से प्रचलित हुआ जिसका नाम है ब्रह्माकुमारी पंथ, जिसके प्रवर्तक लेखराज कृपलानी जी हैं, जो कि एक हीरा व्यापारी थे।

यह पंथ मुख्य रुप से राज योग (मेडिटेशन) को व ओम मंत्र को आत्म शांति व परम शांति का आधार मानता है जबकि केवल ओम नाम से, शांति की कल्पना सपने में भी नहीं की जा सकती।

ब्रह्माकुमारी पंथ के अनुसार परमात्मा का स्वरूप

ब्रह्माकुमारी पंथ के अनुसार परमात्मा निराकार है उसका केवल प्रकाश दिखाई देता है वह प्रकाश स्वरूप है। जबकि पवित्र वेदों से इनके तर्क की तुलना की जाए तो यह बात सत्य नहीं है।

परमात्मा साकार अथवा नर आकार है प्रमाण के लिए देखें –
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 86 मन्त्र 26-27, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मन्त्र 1-2, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मन्त्र 16-20, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 94 मन्त्र 1, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 95 मन्त्र 2, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 54 मन्त्र 3, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 20 मन्त्र 1 और भी अनेकों वेद मन्त्रों में उपरोक्त प्रमाण है कि परमात्मा मनुष्य जैसा नराकार है। श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 4 श्लोक 32 तथा 34 में भी प्रमाण है।
पूर्ण परमात्मा साकार है और मानव सदृश है वह धूलोक के तीसरे पृष्ठ यानि सच्चे धाम (सतलोक) में तख्त पर राजा के समान विराजमान है।
पवित्र बाइबल के उत्पत्ति ग्रंथ के पृष्ठ संख्या 2, अ. 1:20-2:5 में भी प्रमाण है कि परमात्मा ने मनुष्य को अपने स्वरूप जैसा बनाया। छ: दिन में सृष्टि रची और सातवें दिन विश्राम किया। पूर्ण परमात्मा ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार बनाया, जबकि आत्मा और परमात्मा के शरीर की तुलना नहीं की जा सकती क्योंकि परमात्मा के एक रोम कूप की शोभा इतनी है कि करोड़ सूर्यों व करोड़ चंद्रमाओं की रोशनी मिला दें तो भी फीकी पड़ जाए। परमात्मा प्रकाशपुंज का गोला नहीं है, वह दिखाई देता है अर्थात ब्रह्माकुमारी पंथ को मानने वाले लोगों का यह तर्क बिल्कुल भी सही नहीं है कि परमात्मा निराकार है।

क्या ब्रह्माकुमारी पंथ में वेद और शास्त्रों में वर्णित भक्ति विधि द्वारा भक्ति करी और करवाई जाती है?

ब्रह्माकुमारी पंथ का मानना है कि वेद, गीता, पुराण, बाईबल और कुरान में जो भी बातें लिखी गई हैं वह किसी व्यक्ति (मनुष्यों) द्वारा लिखित या अनुवादित हैं, उन्हें नहीं माना जा सकता। लेखराज जी जो ब्रह्माकुमारी पंथ के प्रवर्तक हैं वह भी तो मनुष्य थे जो अंत में भूत बने तो उनके द्वारा कही बातों पर आधारित यह निराधार पंथ क्यों उनकी बातों को मुरली मानकर ध्यान पूर्वक सुनता है? जबकि पूर्ण परमात्मा की वाणी है कि:-
“वेद कतेब झूठे नहीं भाई, झूठे हैं जो समझे नाहि।”

स्पष्ट है इन्हें वेदों और गीता का ज्ञान समझ नहीं आया तभी तो इन सर्वश्रेष्ठ ग्रंथों के ज्ञान को भी झुठला रहे हैं और मानव समाज को भी भ्रमित कर रहे हैं।

वेद और गीता पूर्ण परमात्मा का संविधान है जिनमें वर्णित गूढ़ रहस्य सभी को मान्य होना चाहिए और जो पवित्र सदग्रंथों के ज्ञान को नहीं मानता वह पूर्ण परमात्मा के संविधान को तोड़ता है, जिस कारण से वह साधक परमात्मा का दोषी होता है।

क्या सदाशिव ही पूर्ण परमात्मा है?

जिस सदाशिव की साधना ब्रह्माकुमारी पंथ में की जाती है वह पूर्ण परमात्मा नहीं है। यह जो सदाशिव है जिसका प्रमाण श्री शिव पुराण गीता प्रैस गोरखपुर से प्रकाशित, अनुवादकर्ता श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार, इसके अध्याय 6 रूद्र संहिता, पृष्ठ नं. 100 पर कहा है कि जो मूर्ति रहित परब्रह्म है, उसी की मूर्ति भगवान सदाशिव है वह ब्रह्मा, विष्णु, महेश का पिता है यानि उनका उत्पत्तिकर्ता है तथा इसके अन्य नाम क्षर पुरूष, ज्योति निरंजन अथवा काल हैं।

गीता जी के अध्याय नंबर 15 के मंत्र नंबर 16 में दो पुरुष (परमात्मा) बताए गए हैं :- क्षर पुरूष और अक्षर पुरूष। जबकि गीता जी के अध्याय 15 मंत्र 17 में कहा गया है कि इन दोनों से उत्तम पुरुष (परमात्मा) तो कोई और है जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका धारण पोषण करता है, जिसे गीता अध्याय 8 मंत्र 3 में परम अक्षर पुरूष यानि पूर्ण परमात्मा कहा गया है और उसकी सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिये तत्वदर्शी संत की शरण में जाने के लिए कहा गया है (गीता अध्याय 4 मंत्र 32,34)।

क्या ब्रह्माकुमारी पंथ में जो मुरली सुनी जाती है और उसके अंतर्गत जो क्रियाएं की जाती हैं उससे पूर्ण मोक्ष संभव है?

ब्रह्माकुमारी पंथ में मुरली सुनना, इस पंथ को मानने वालों के लिए अनिवार्य होता है। (मुरली- किसी जीवित व्यक्ति में जब इसी पंथ का मृत व्यक्ति प्रवेश करके अटबट ज्ञान बोलता है) परंतु इस प्रकार की क्रिया से जीव (इंसान) की मुक्ति संभव नहीं क्योंकि पवित्र गीता जी के अध्याय 17 के मंत्र 23 में कहा गया है कि,

“ॐ, तत्, सत्, इति, निर्देशः, ब्रह्मणः, त्रिविधः, स्मृतः, ब्राह्मणाः, तेन, वेदाः, च, यज्ञाः, च, विहिताः, पुरा।।

अनुवाद: (ॐ)ओम मन्त्र ब्रह्म का(तत्) तत् यह सांकेतिक मंत्र परब्रह्म का (सत्) सत् यह सांकेतिक मन्त्र पूर्णब्रह्म का है (इति) ऐसे यह (त्रिविधः) तीन प्रकार के (ब्रह्मणः) पूर्ण परमात्मा के नाम सुमरण का (निर्देशः) आदेश (स्मृतः) कहा है (च) और (पुरा) सृष्टि के आदिकाल में (ब्राह्मणाः) विद्वानों ने (तेन) उसी (वेदाः) तत्वज्ञान के आधार से वेद (च) तथा (यज्ञाः) यज्ञादि (विहिताः) रचे। उसी आधार से साधना करते थे।
पूर्ण मोक्ष के लिए तीन गुप्त मंत्र बताए गए हैं :- ओम तत सत ! यह तीनों मंत्रो का जाप तीन अलग अलग विधियों द्वारा किया जाता है जिसकी जानकारी तत्वदर्शी संत ही बताता है अन्य कोई नहीं !

अर्थात मुरली में जो धुन की अनुभूति की बात ब्रह्माकुमारी पंथ वाले करते हैं वह धुन पूर्ण परमात्मा की धुन नहीं अपितु ज्योति निरंजन काल की धुन है जिसे सुनने से किसी को परमगति प्राप्त नहीं हो सकती। परमगति अर्थात् पूर्ण मोक्ष तत्वदर्शी संत से नाम उपदेश लेकर पूर्ण परमात्मा की भक्ति करने से ही होगा।

क्या ब्रह्माकुमारी पंथ के मुखिया लेखराज जी तत्वदर्शी संत थे ?

ब्रह्माकुमारी पंथ के प्रवर्तक लेखराज जी तत्वदर्शी संत नहीं थे क्योंकि उनको पवित्र सदग्रंथों की कोई जानकारी नहीं थी और न ही वह परमात्मा के द्वारा भेजे गये कृपापात्र संत थे, उनका ज्ञान वेद और शास्त्र विरूद्ध था।

परमात्मा ने तत्वदर्शी संत के गुण बताए हैं ,

सतगुरू के लक्षण कहूं मधुरै बैन विनोद।
चार वेद छ: शास्त्र, कहै अठारह बोध।।

यानि तत्वदर्शी संत वह होगा जो सभी धर्मों के पवित्र शास्त्रों से प्रमाणित करके ज्ञान बताएगा और पूर्ण परमात्मा की सही जानकारी सर्व मानव समाज को कराएगा !!

यजुर्वेद अध्याय 19 मन्त्र 25 –

अर्द्ध ऋचैः उक्थानाम् रूपम् पदैः आप्नोति निविदः।
प्रणवैः शस्त्राणाम् रूपम् पयसा सोमः आप्यते।(25)

अनुवादः- जो सन्त (अर्द्ध ऋचैः) वेदों के अर्द्ध वाक्यों अर्थात् सांकेतिक शब्दों को पूर्ण करके (निविदः) आपूर्ति करता है (पदैः) श्लोक के चौथे भागों को अर्थात् आंशिक वाक्यों को (उक्थानम्) स्तोत्रों के (रूपम्) रूप में (आप्नोति) प्राप्त करता है अर्थात् आंशिक विवरण को पूर्ण रूप से समझता और समझाता है (शस्त्राणाम्) जैसे शस्त्रों को चलाना जानने वाला उन्हें (रूपम्) पूर्ण रूप से प्रयोग करता है एैसे पूर्ण सन्त (प्रणवैः) औंकारों अर्थात् ओम्-तत्-सत् मन्त्रों को पूर्ण रूप से समझ व समझा कर (पयसा) दूध-पानी छानता है अर्थात् पानी रहित दूध जैसा तत्व ज्ञान प्रदान करता है जिससे (सोमः) अमर पुरूष अर्थात् अविनाशी परमात्मा को (आप्यते) प्राप्त करता है। वह पूर्ण सन्त वेद को जानने वाला कहा जाता है।

भावार्थः- तत्वदर्शी सन्त वह होता है जो वेदों के सांकेतिक शब्दों को पूर्ण विस्तार से वर्णन करता है जिससे पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति होती है वह वेद के जानने वाला कहा जाता है।

पूर्ण परमात्मा की जानकारी प्रमाण सहित

भगवान कबीर को आम तौर पर “कबीर दास”, वाराणसी के बुनकर संत (बनारस या काशी, भारत) के नाम से जाना जाता है। विडंबना यह है कि सर्वोच्च भगवान कबीर स्वयं इस धरती पर प्रकट हुए थे, लेकिन दुनिया के लिए एक “दास” (सेवक) के रूप में जाने जाने लगे। वह छल-प्रपंच का ऐसे स्वामी है कि कोई भी उनके राज़ नहीं पा सकता है, गुरु नानक देव जी (तलवंडी के), धर्मदास जी (बांधवगढ़ के), दादू जी (सांभर) जैसे कुछ लोग, जिन पर उन्होंने अपनी कृपा बरसाई और उन्हें उनकी स्थिति से अवगत कराया।

वेद सर्वोच्च ईश्वर के इस गुण का प्रमाण हैं ( ऋग्वेद मंडल 10 सूक्त 4 मंत्र 6 )। इस मंत्र में, सर्वोच्च भगवान को “तस्कर” (तस्कर) के रूप में संबोधित किया गया है, जो धोखा देकर संचालित होता है। गुरु नानक देव जी ने उन्हें एक ” ठग “, (राग सिरी महला पहला, एसजीजीएस पेज 24) भी कहा है।

कलयुग में भगवान कबीर (कविर देव) की उपस्थिति

भगवान कबीर स्वयं उनके दूत के रूप में आते हैं और स्वयं उनके ध्वनि ज्ञान (सत्य तत्त्वज्ञान) से उद्धार करते हैं। यह भी वेदों द्वारा समर्थित है। यजुर्वेद का उल्लेख है कि भगवान कबीर स्वयं इस पृथ्वी पर अपने ज्ञान का प्रचार प्रसार करने के लिए प्रकट होते हैं। उनके नाम का उल्लेख वेदों में “कवि्रदेव” के रूप में किया गया है जो “कबीर” के समान है।

कलयुग में, वर्ष 1398 (विक्रमी संवत 1455) को जेठ (मई-जून) के महीने की पूर्णिमा के दिन (पूर्णिमा), सुबह-सुबह (ब्रह्म-मुहूर्त) में सर्वोच्च देवता सतलोक से एक शिशु के रूप में अवतरित हुए और भारत की पवित्र धरती पर पवित्र शहर काशी (बनारस) में लहर तारा तालाब में एक परिपक्व कमल के फूल पर दिखाई दिए। जहां से “नीरू और नीमा” नाम के एक निःसंतान बुनकर जोड़ीे उन्हें उठा कर घर ले गए। सर्वोच्च ईश्वर की इस विशेषता का उल्लेख ऋग्वेद में भी है।
ऋग्वेद मंडल 9, सूक्त 96, मंत्र 17 में यह उल्लेख किया गया है कि सर्वोच्च भगवान इस धरती पर एक बच्चे का रूप प्राप्त करके प्रकट होते हैं और फिर अपने शुद्ध ज्ञान (अर्थात तत्वज्ञान) को अपने अनुयायियों को (कविर्गीर्भि) कबीर वाणी के माध्यम से देते हैं।

ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17

शिशुम् जज्ञानम् हर्य तम् मृजन्ती शुम्भन्ती हेम्निमूतः गणेन। कविर्गीर्भि काव्येना कविर् सन्तु सोमः पवित्रम् अतिदेति रेभं।।

भावार्थ – वेद बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है कि मनुष्य के बच्चे के रूप में प्रकट होकर पूर्ण परमात्मा कविर्देव अपने मूल ज्ञान को अपनी कविर्गिभिः अर्थात् कबीर बाणी द्वारा निर्मल ज्ञान अपने हंसात्माओं अर्थात् पुण्यात्मा अनुयायियों को कवि रूप में कविताओं, लोकोक्तियों के द्वारा सम्बोधन द्वारा अर्थात् वर्णन करता है। वह स्वयं सतपुरुष कबीर ही होता है। परंतु तत्वज्ञान की अनुपस्थिति के कारण, तब मानव उस उपस्थित ईश्वर को नहीं पहचानते, लोग उसे केवल ऋषि, संत या कवि मानते हैं। वह ईश्वर स्वयं भी कहता है कि मैं पूर्ण ब्रह्म हूँ, लेकिन लोक (लोक ज्ञान) के आधार पर, ईश्वर को निराकार मानते हैं।

सर्व समाज से निवेदन है कि वेद, शास्त्रों, गीता और अन्य धार्मिक ग्रंथों को समझना अति आवश्यक है। ग्रंथों को समझ कर ही हम गीता में वर्णित तत्वदर्शी संत की खोज कर तत्वज्ञान समझ पाएंगे जिससे हमें ईश्वर प्राप्ति हो सकती है ताकि हम ब्रह्माकुमारी जैसे नकली पंथ में न फंस कर अपना अनमोल मानव जीवन नष्ट होने से बचा सकें।

अवश्य पढ़ें और प्राप्त करें पुस्तक ज्ञान गंगा और गीता तेरा ज्ञान अमृत। यहां से?
www.jagatgururampalji.org

Latest articles

Tulsi Vivah 2024: जानिए क्या है तुलसी शालिग्राम पूजा की सच्चाई तथा क्या है शास्त्रानुकूल साधना?

इस वर्ष तुलसी शालिग्राम विवाह या तुलसी विवाह (Tulsi Vivah in Hindi) का प्रारंभ...

World Kindness Day 2024: How To Be Kind Every Day?

World Kindness Day 2024: Every year World Kindness Day is observed on November 13th,...

National Education Day 2024: Know About the History and Importance of National Education Day

Last Updated on 7 November 2024 | National Education Day is celebrated every year...

World Science Day For Peace And Development 2024:In a World Created by God, Is Science Truly Manmade?

This World Science Day for Peace and Development, learn about the scientist who knows about all the mysteries of the observable and unobservable multiverse we're living in.
spot_img
spot_img

More like this

Tulsi Vivah 2024: जानिए क्या है तुलसी शालिग्राम पूजा की सच्चाई तथा क्या है शास्त्रानुकूल साधना?

इस वर्ष तुलसी शालिग्राम विवाह या तुलसी विवाह (Tulsi Vivah in Hindi) का प्रारंभ...

World Kindness Day 2024: How To Be Kind Every Day?

World Kindness Day 2024: Every year World Kindness Day is observed on November 13th,...

National Education Day 2024: Know About the History and Importance of National Education Day

Last Updated on 7 November 2024 | National Education Day is celebrated every year...