July 27, 2024

‘द कश्मीर फाइल्स’: 11 मार्च को रिलीज होने के बाद से ही फिल्म “The Kashmir Files” चर्चा का विषय क्यों बनी हुई है?

Published on

spot_img

फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files Movie)’ देशभर में 11 मार्च को रिलीज हुई है। द कश्मीर फाइल्स साल 1990 में कश्मीर में रह रहे कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचारों पर आधारित एक फिल्म है, जिसमें दिखाया गया है कि असामाजिक तत्वों ने कश्मीर में रह रहे लोगों पर क्यों अत्याचार किए और बहन बेटियों के साथ दुर्व्यवहार किया। 

फिल्म द कश्मीर फाइल्स (The kashmir Files Movie) से जुड़े मुख्यबिंदु

  • कश्मीरी पंडितों के पलायन पर बनी फिल्म द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files) 1990 में कश्मीर में हुए हिंदुओं के नरसंहार को निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने पर्दे पर दिखाया है। 
  • कई मुस्लिम संगठनों ने इस फिल्म का विरोध किया जिस कारण यह चर्चा में आई।
  • कपिल शर्मा और डायरेक्टर सलमान खान ने ‘कपिल शर्मा शो’ पर इस फिल्म का प्रमोशन नहीं करने दिया। जिसकी वजह से लोग कपिल शर्मा और सलमान खान पर भड़क गए।
  • हरियाणा सरकार के बाद अब ‘द कश्मीर फाइल्स’ (The Kashmir Files) को कर्नाटक, गुजरात ,मध्यप्रदेश सरकार और गोवा ने भी अपने राज्यों में टैक्स फ्री कर दिया है।
  • 14 करोड़ की लागत से बनी इस फिल्म ने जहां अपने पहले दिन यानी शुक्रवार को 3.25 करोड़ की कमाई की थी। इसके बाद रविवार को सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए ‘द कश्मीर फाइल्स’ ने तमाम विवादों और आलोचनाओं के बावजूद 14 करोड़ की कमाई की।
  • शुरुआत में यह 650 स्क्रीन पर रिलीज हुई थी लेकिन अब फिल्म की स्क्रीन को बढ़ाकर 2000 करने के साथ, इसे टैक्स फ्री भी कर दिया गया है।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ की तारीफ की है और कहा कि फिल्म में वह सच दिखाया गया है जिसे कई सालों तक दबाया गया।

The Kashmir Files Movie: क्यों हुआ था कश्मीर नरसंहार?

1986 में गुलाम मोहम्मद शाह ने अपने बहनोई फारुख अब्दुल्ला से सत्ता छीन ली और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बन गये थे। खुद को सही ठहराने के लिए उन्होंने एक खतरनाक निर्णय लिया। ऐलान हुआ कि जम्मू के न्यू सिविल सेक्रेटेरिएट एरिया में एक पुराने मंदिर को गिराकर भव्य शाह मस्जिद बनवाई जाएगी। इसके जवाब में लोगों ने वहाँ प्रदर्शन किया कि ये नहीं होगा‌ तथा इसके जवाब में कट्टरपंथियों ने भी नारा दे दिया कि इस्लाम खतरे में है। इसके बाद कश्मीरी पंडितों पर धावा बोल दिया गया। साउथ कश्मीर और सोपोर में सबसे ज्यादा हमले हुए। नतीजतन 12 मार्च 1986 को राज्यपाल जगमोहन ने शाह की सरकार को दंगे न रोक पाने की नाकामी के चलते बर्खास्त कर दिया।

जुलाई 1988 में जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट बना। कश्मीर को भारत से अलग करने के लिए। पंडितों की कश्मीरियत को भुला दिया गया। 14 सितंबर 1989 को पंडित टीका लाल टपलू को कई लोगों के सामने मार दिया गया। हत्यारे पकड़ में नहीं आए। ये कश्मीरी पंडितों को वहां से भगाने को लेकर पहली हत्या थी। इसके डेढ़ महीने बाद रिटायर्ड जज नीलकंठ गंजू की हत्या की गई। गंजू ने जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के नेता मकबूल भट्ट को मौत की सज़ा सुनाई थी।  गंजू की पत्नी को किडनैप कर लिया गया। वो कभी नहीं मिलीं। वकील प्रेमनाथ भट को मार दिया गया। 13 फरवरी 1990 को श्रीनगर के टेलीविजन केंद्र के निदेशक लासा कौल की हत्या की गई। इसी दौरान जुलाई से नवंबर 1989 के बीच 70 अपराधी जेल से रिहा किये गये थे। 

The Kashmir Files Movie: कश्मीरियों (Kashmiri Pandits) के खिलाफ कौन रच रहा था षडयंत्र ?

उस वक्त जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन की सरकार थी, लेकिन सही मायने में वहां हुकूमत चल रही थी आतंकवादियों और अलगाववादियों की। कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) के खिलाफ आतंकवाद का ये खूनी खेल शुरू हुआ था साल 1986-87 में, जब सैय्यद सलाहुद्दीन और यासीन मलिक जैसे अलगाववादी जम्मू-कश्मीर में चुनाव लड़ रहे थे।

■ यह भी पढ़ें: भगवान एक- फिर कैसे बन गए धर्म अनेक

साल 1987 के विधान सभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर की जनता के सामने दो रास्ते थे- या तो वो भारत के लोकतंत्र में भरोसा करने वाली सरकार चुनें या फिर उस कट्टरपंथी यूनाइटेड मुस्लिम फ्रंट का साथ दें, जिसका मंसूबा कश्मीर को पाकिस्तान बनाना था और जिसके इशारे पर कश्मीरी पंडितों की हत्याएं की जा रही थीं। हिंसा और आतंकवाद के माहौल में भी जम्मू-कश्मीर की जनता ने अपने लिए लोकतंत्र का रास्ता चुना। फारूक अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बने। उसके बाद कट्टरपंथियों ने कश्मीर की आजादी की मांग और तेज कर दी और कश्मीरियों का नरसंहार होने लगा, लेकिन जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) की फारुक अब्दुल्ला सरकार कट्टरपंथियों के आगे तमाशबीन बनी रही।

पाकिस्तान से हो रहा था पूरा संचालन 

The Kashmir Files Movie: कश्मीर में हिंदुओं के नरसंहार का प्रबंधन पाकिस्तान से चलाया गया था। दरअसल पाकिस्तान चाहता था कश्मीर हिंदुस्तान से टूटकर पाकिस्तान में मिल जाए, धर्म के नाम पर मुसलमानों को भड़का कर पाकिस्तान यह सब कर रहा था।

कश्मीरी पंडितों का पलायन कब शुरू हुआ?

आतंकवाद (Terrorism) के बढ़ते प्रभाव के चलते 19 जनवरी 1990 में घाटी से कश्मीरी पंडितों का पलायन शुरू हुआ था। इस दिन को कश्मीरी पंडित काला दिन के रूप में मनाते हैं और कट्टरपंथियों का विरोध करते हैं।

कबीर जी ही अल्लाह भी हैं और राम भी तो फिर अलग अलग धर्म बनाकर झगड़ा क्यों?

हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्म के अनुसार वह जिस भगवान, अल्लाह की पूजा करते हैं वह ही श्रेष्ठ, सर्वोच्च और सर्वशक्तिमान है। कबीर जी कहते हैं कि मैंने यह शरीर आत्माओं को परमात्मा के बारे में जानने और मुक्त करने के लिए प्रदान किया है। आप जिस भी धर्म में पैदा हुए हैं सच्चे ईश्वर को खोज कर उसकी भक्ति करनी चाहिए। खूनखराबा और ज़ोर ज़बरदस्ती करने से किसी को कुछ हासिल नहीं होता। धर्म का मकसद एक ईश्वर को पहचान कर उसकी इबादत करने से पूरा माना जाता है। अशांति और आतंकवाद का सहारा काफिर लिया करते हैं मानव नहीं।

■ यह भी पढ़ें: कबीर साहेब के हिन्दू मुस्लिम को चेताने और नारी सम्मान के प्रसिद्ध दोहे अर्थ सहित (Kabir Saheb Ke Dohe In Hindi)

विश्व को फिल्मों की नहीं आपसी भाईचारे की ज़रूरत है

फिल्में लेखक की निजी कल्पना और सत्य घटनाओं पर आधारित हो सकती हैं। यह मुट्ठीभर लोगों को जीवन जीने की प्रेरणा भी दे सकती हैं परंतु इन्हें देखकर विश्व कल्याण असंभव है। आप को लोगों में परमानेंट सकारात्मक बदलाव देखना है तो फिल्में नहीं आध्यात्मिकता का मार्ग चुनिए। फिल्में राजनीतिक खटपख, द्वेष, युद्ध, मृत्यु, असफलता, आत्महत्या, क्राइम, धोखा, मनी लांड्रिंग, बलात्कार, कामेडी, कला, रंग और प्रेम आदि को दर्शाती हैं परंतु आध्यात्मिक ज्ञान आपको प्रेम, सादापन, मेलजोल से रहना सिखाता है और नशे से दूरी, एक ईश्वर में आस्था, भाईचारा, सहयोग का भाव जगाता है, द्वेष ,जलन, युद्ध और नकारात्मकता से दूर कर परमात्मा के पास ले जाने का काम करता है। फिल्मों से दूरी आपको धार्मिक द्वेष और राजनीति से दूर रखती है। जीवन में मनोरंजन के लिए लोग फिल्में देखते हैं और फिल्मी दुनिया की कल्पना में खोकर अपना मानव जीवन नष्ट कर रहे हैं। फिल्में देखने वाले व्यक्ति सदा व्याकुल, उत्तेजित और अपनी ही काल्पनिक दुनिया में खोए रहते हैं।

फिल्में बनाने वालों का काम धन कमाना होता है और इनमें काम करने वालों का भी नाम, शौहरत और धन कमाना ही है। यह मुफ्त में कुछ नहीं करते। यदि किसी व्यक्ति के पास धन है तो वह मनोरंजन के लिए सिनेमा घर में जाकर तीन घंटे कवि और लेखक की कल्पनाओं के साथ उड़ान भरेगा परंतु अल्लाह और राम को चाहने वाला वही धन और अपना समय राम नाम व भजन में लगाएगा तो उसका मन शांत और स्थिर रहेगा।

हिंदू मुस्लिम दोनों भटके हुए हैं

हिन्दू मुस्लिम दोनों भुलाने, खटपट मांय रिया अटकी |

जोगी जंगम शेख सेवड़ा, लालच मांय रिया भटकी।। 

कबीर अल्लाह कहते हैं, हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही आज ईश्वर-पथ से भटक गए हैं, क्योंकि इन्हें कोई सही रास्ता बताने वाला नहीं है। पंडित, मौलवी, योगी और फ़क़ीर सब सांसारिक मोहमाया और धन के लालच में फंसे हुए हैं। वास्तविक ईश्वर-पथ का ज्ञान जब उन्हें खुद ही नहीं है तो वो आम लोंगो को क्या कराएंगे?

हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना।

आपस में दोउ लड़ी-लड़ी मुए, मरम न कोउ जाना ।।

परमेश्वर कबीर जी कहते हैं कि हिन्दू राम के भक्त हैं और तुर्क (मुस्लिम) को रहमान प्यारा है। इसी बात पर दोनों लड़-लड़ कर मौत के मुंह में जा पहुंचे, तब भी दोनों में से कोई सच को न जान पाया।

हिंदू-मुस्लिम, सिक्ख-ईसाई, आपस में सब भाई-भाई। 

आर्य-जैनी और बिश्नोई, एक प्रभू के बच्चे सोई।।

कबीर परमेश्वर ने कहा है कि, आप हिंदू-मुस्लिम, सिख-ईसाई, आर्य- बिश्नोई, जैनी आदि आदि धर्मों में बंटे हुए हो। लेकिन सच तो यह है कि आप सब एक ही परमात्मा के बच्चे हो।

कबीर सोई पीर है जो जाने पर पीर,

जो पर पीर न जाने सो काफिर बेपीर।।

कबीर जी ने कहा था कि सच्चा संत वही है जो सहानुभूति रखने वाला और दूसरों का दर्द समझने वाला हो, जो दूसरों का दर्द नहीं समझता वह पीर यानी संत नहीं हो सकता वह तो काफिर है।

जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।

हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।

हमारे हिंदू मुस्लिम भाइयों सोचिए जब अल्लाह एक धरती एक तो फिर धर्म कैसे बने अनेक। अल्लाह के भेजे हुये बाख़बर संत रामपाल जी महाराज जी धर्म और मज़हब की दीवारों को तोड़कर सब को एक कर रहे हैं। आप सभी से निवेदन है कि आपस में दोषारोपण, आतंकवाद, नरसंहार और युद्ध का सहारा लेकर के अब अपने बचे हुए जीवन को बर्बाद न करें।

ज़मीन चाहे कश्मीर की हो या पाकिस्तान की या भारत की या रूस की या फिर यूक्रेन की यह सब ज़मीन यहीं रह जाएंगी और धर्म के नाम पर हिंसा फैलाने वालों को उनके किए की सज़ा अवश्य मिलती है। औरतों के साथ क्रूरता करने वालों को भी परमात्मा कड़ी सज़ा देता है। बहन, बेटी, भाइयों सभी से प्रार्थना है कि एक अल्लाह कबीर जी (रहनुमा संत रामपाल जी महाराज जी) की भक्ति कीजिए और स्वयं को सतभक्ति मार्ग पर लगाकर अपना जीवन सफल और सुरक्षित कीजिए।

Latest articles

Dr. A.P.J. Abdul Kalam Death Anniversary: Know The Missile Man’s Unfulfilled Mission

Last updated on 26 July 2024 IST | APJ Abdul Kalam Death Anniversary: 27th...

Kargil Vijay Diwas 2024: A Day to Remember the Martyrdom of Brave Soldiers

Every year on July 26th, Kargil Vijay Diwas is observed to honor the heroes of the Kargil War. Every year, the Prime Minister of India pays homage to the soldiers at Amar Jawan Jyoti at India Gate. Functions are also held across the country to honor the contributions of the armed forces.
spot_img

More like this

Dr. A.P.J. Abdul Kalam Death Anniversary: Know The Missile Man’s Unfulfilled Mission

Last updated on 26 July 2024 IST | APJ Abdul Kalam Death Anniversary: 27th...

Kargil Vijay Diwas 2024: A Day to Remember the Martyrdom of Brave Soldiers

Every year on July 26th, Kargil Vijay Diwas is observed to honor the heroes of the Kargil War. Every year, the Prime Minister of India pays homage to the soldiers at Amar Jawan Jyoti at India Gate. Functions are also held across the country to honor the contributions of the armed forces.